बात अब आगे बढ़ चुकी है! अब वे CBSE में ही पढ़ेंगे।

CBSE ने एससी एसटी छात्रों का परीक्षा शुल्क 24 गुणा बढ़ा दिया है, पहले 50 रूपये था अब 1200 कर दिया है.

मुझे आश्चर्य इस फ़ीस की बढ़ोतरी से नहीं है, बल्कि इस बात से है कि मुझे अभी पता लगा कि एससी एसटी की फ़ीस 50 रुपये थी, जबकि मेरे परिवार के जितने भी बच्चे सी.बी.एस.सी. में पढ़ते हैं, उनसे स्कूल वालों ने 2500 रुपये परीक्षा शुल्क मांगा है.

मेरी भतीजी व भतीजे की 12 वीं व 10 वीं की इस वर्ष परीक्षा है, उनसे 3000 व 2500 परीक्षा शुल्क मांगे गए हैं. हम दे भी देते, लेकिन यह अभी पता लगा कि पहले मात्र 50 रुपये था और बढ़कर भी 1200 हुआ, लेकिन स्कूल वाले लूट रहे हैं.

इसलिए सी.बी.एस.सी. को शिकायत वाला पत्र तैयार कर रहा हूँ. वैसे कितनों को यह पता था कि सी.बी.एस.ई. में एससी एसटी को परीक्षा शुल्क की छूट मिलती है?

बहन Vidya Gautam जी ने एक बार ऐसी ऐसी कई सरकारी योजनाओं के बारे में बताया, जिन्हें सुनकर में दंग रह गया कि यह सुविधा एससी एसटी को मिलती है, लेकिन हमें पता नहीं है.

अब बात करते हैं कि सी.बी.एस.ई ने ऐसा क्यों किया.

वास्तव में;

1.पिछले कुछ वर्षो में यह देखा गया है कि शहरी एरिया में दलित परिवारों में और विशेष तौर से अम्बेडकरवादी परिवारों में यह रुझान आया है कि वो अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ने के लिए भेज रहे हैं.

उन्हें आभास हो गया है कि सरकारी सेक्टर को प्राइवेट करने का जो कार्य कांग्रेस ने शुरू किया था, उसे पूर्ण भाजपा कर देगी. इसलिए अब अपने बच्चो को प्राइवेट के अनुसार तैयार कर रहे हैं.

2.मेरे परिवार में, खानदान में, रिश्तेदारों का एक भी बच्चा अब हिंदी मीडियम में नहीं जा रहा है, सभी इंग्लिश मीडियम में पढ़ रहे हैं!

ऐसा भी नहीं है कि मेरे परिवार, खानदान, रिश्तेदारों की फाइनेंशियल स्थिति अच्छी है. सिर्फ खर्चा चलाने लायक कमाई कर पाते हैं.

3.मेरी भांजी व भांजे ने 10 वीं परीक्षा में जिले के टॉपर में अपना नाम दर्ज करवाया, अखबारों में उनकी फोटो भी आई. जबकि मेरे जीजा फाईनेंसली इतने मजबूत नहीं हैं, खर्चा चला पाते हैं फिर भी बच्चो को सी.बी.एस.ई. में पढ़ाया और बच्चे भी अपने आप को सिद्ध कर रहे हैं.

इसलिए;

“मुख्य मुद्दा यह है कि सरकारी सेक्टर के खत्म होने का आभास होने के कारण शोषित समाज अपने बच्चो को सी बी एस सी में पढ़वा रहा है, वहाँ वो टॉपर बन रहे है, बस यह उन लोगो के लिए ज्यादा खतरनाक है जो यह सोचकर खुश हो रहे थे कि सरकारी सेक्टर की नौकरियां खत्म हो जाएँगीं और एससी-एसटी फिर से पुरानी स्थिति में आ जाएगा.

उन्हें समझ लेना चाहिए कि अम्बेडकरवादी विचारधारा स्थिति के अनुसार परिवर्तन करने की सीख देती है. इसलिए अब वे प्राइवेट के लिए तैयार हो रहे हैं. इसी से चिढ़कर ही अब;

“फीस बढ़ा दी गयी है, अब प्राइवेट सेक्टर के लिए तैयार होते हुए एससी व एसटी कैसे बर्दास्त होंगे”

लेकिन यह भूल गये कि;

“अम्बेडकरवादी विचारधारा वाला मजदूर थोड़ा और मेहनत करके मजदूरी कर लेगा लेकिन आप 24 गुणा की जगह 48 गुणा फीस बढ़ा दीजिये, फिर भी वो CBSE में ही बच्चों को पढ़ायेगा. इंग्लिश मीडियम में ही पढ़ाएगा.”

दूसरी फ़ोटो में हम सबके प्रेरणा स्रोत Abhiyan Humane सम्यक बुद्ध विहार, नालंदा, वर्धा में बच्चों को पढ़ाते हुए. वे अब नहीं रहे.

लेखक :- विकास कुमार जाटव  (Vikas Kumar Jatav)

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