मोदी सरकार का ‘इंडिया’ के खिलाफ अभियान

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9 और 10 सितंबर को राजधानी दिल्ली में जी-20 समिट के आयोजन के लिए छपे निमंत्रण पत्र के सामने आने के बाद बवाल मच गया है। दरअसल राष्ट्रपति की ओर से डिनर के लिए भेजे गए निमंत्रण पत्र पर प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा है, जिस पर नाराजगी जताते हुए कांग्रेस पार्टी ने इसे देश के संघीय ढांचे पर हमला बोला है। साथ ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

डिनर इंविटेशन के लिए छपे इस कार्ड के बाद कई तरह की चर्चा शुरू हो गई है। एक कयास यह लगाया जा रहा है कि क्या केंद्र सरकार देश का नाम जिसे अंग्रेजी में इंडिया और हिन्दी में भारत लिखा जाता है, में से इंडिया हटाने जा रही है।

चर्चा यह भी शुरू हो गई है कि 18-22 सितंबर तक संसद के विशेष सत्र के दौरान सरकार भारतीय संविधान से इंडिया शब्द हटाने से जुड़े बिल को पेश कर सकती है। ऐसे में देश का नाम सिर्फ भारत बुलाये जाने को लेकर बहस तेज हो गई है।

विपक्षी दल कांग्रेस का आरोप है कि जब से विपक्ष ने अपने गठबंधन का नाम इंडिया रखा है, तभी से भाजपा में खलबली है। भाजपा वाले किसी भी हाल में इंडिया कहने से बचने लगे हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने इस मुद्दे को उठाते हुए पीएम मोदी पर चुटकी ली है और अपने अंदाज में घेरा है।

दरअसल भारतीय संविधान के अनुच्छेद-1 में भारत को लेकर दी गई परिभाषा में साफ तौर पर ‘इंडिया दैट इज भारत’ लिखा हुआ है। लंबे समय से देश का नाम सिर्फ भारत रखने को लेकर चर्चा होती रहती है। इंडिया हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी लेकिन सर्वोच्च न्यायलय ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि पहले से ही संविधान में भारत नाम कहा गया है। ऐसे में यह चर्चा बेमानी हो जाती है। एक सवाल वक्त को लेकर भी उठ रहा है, कहा जा रहा है कि भाजपा वाले ऐसा सिर्फ इसलिए करना चाहते हैं क्योंकि विपक्षी गठबंधन ने अपना नाम इंडिया रख लिया है। फिहलाल इस मुद्दे पर बहस तेज हो गई है। देखना होगा कि सरकार की मंशा आखिर है क्या?

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