आधुनिक भारत के इतिहास में दिनांक 26.07.1902ई का दिन का काफी महत्व है। इसी दिन राजर्षि छत्रपति शाहू जी महाराज ने ब्राह्मणवादी मनुवादी व्यवस्था के विरुद्ध यहां के मूलनिवासियों के लिए सामाजिक न्याय अर्थात समानता, स्वतंत्रता और भाईचारा की आधारशिला रखी थीं। आज के दिन हम अपने महानायक कोल्हापुर नरेश शाहूजी महाराज के प्रति मूलनिवासी बहुजन समाज की ओर से हार्दिक श्रद्धांजलि और नमन पेश करते हैं।
ब्राह्मणवादी मनुवादी व्यवस्था ने 3500 वर्षों पूर्व उत्तर वैदिक काल में यहां के मूलनिवासियों अर्थात आज के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों एवं महिलाओें को राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक , सांस्कृतिक एवं शिक्षा के अधिकारों से वंचित कर दिया था और उनसे मानवीय मूल्यों एवं सम्मान को छीन लिया था। किन्तु महानायक शाहूजी महाराज ने राष्ट्रपिता ज्योतिबा फूले और उनकी पत्नी राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फूले के कार्यों को राजनीतिक शक्ति यानी कानून के जरिए एक निर्णय लेकर बहुजन समाज के उन तमाम गुलामी की जंजीरों को अपने कोल्हापुर राज्य में तोड़ दिया था और 26 जुलाई ,1902 ई में मूलनिवासी बहुजनों लिए 50 प्रतिशत आरक्षण सभी पदों पर नियुक्ति में लागू कर दिया था।
हम सभी जानते हैं कि बाबा साहेब डॉ आंबेडकर ने उनके कार्यों और विचारों को आगे बढ़ाते हुए अपने जीवन भर त्याग एवं संघर्षों के बल पर पूना पैक्ट और भारतीय संविधान के माध्यम से पूरे देश में हम मूलनिवासी बहुजन समाज के लोगों लिए राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक न्याय के दरवाजे खोल दिए। हमें समानता,स्वतंत्रता, भाईचारा, मानवीय प्रतिष्ठा और गरिमा के संवैधानिक अधिकार देकर उन्होंने तथागत बुद्ध,संत कबीर एवं संत रविदास,राष्ट्रपिता ज्योतिबा फूले एवं माता सावित्रीबाई फूले और आधुनिक भारत की नींव रखने वाले छत्रपति शाहूजी महाराज के सपनों को साकार रूप दिए।
आज भी ब्राह्मणवादी मनुवादी पार्टियों एवं शक्तियों द्वारा मूलनिवासी बहुजन समाज के संवैधानिक अधिकारों पर हमले किए जा रहे हैं। किन्तु बहुजन समाज में जो चेतना और जागृति आयी है एवं जिस तरह लोग संगठित हो रहे हैं ,आने वाले दिनों में सभी प्रकार के षड्यंत्रकारी कारनामे विफल साबित होंगे। निश्चित तौर पर आज के दिन हमारे लिए संकल्प लेने का अवसर है कि हम लगातार संघर्ष कर अपने संवैधानिक अधिकारों को सुरक्षित रखेंगे और समतामूलक लोकतांत्रिक भारत का निर्माण करेंगे। इसके लिए आज हम संकल्प लें कि अपने इन अधिकारों एवं मांगों की प्राप्ति के लिए हम लगातार संगठित संघर्ष चलाएंगे —
1.जातिगत जनगणना कराना होगा
2.सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए गठित कोलेजियम सिस्टम को खत्म करो और “भारतीय न्यायिक सेवा आयोग” गठित कर उसके माध्यम से जनसंख्या के अनुपात में जजों की नियुक्ति में आरक्षण लागू करो!
3.सभी आर्थिक संसाधनों-जमीन, जंगल, उद्यमों एवं व्यापारों सहित विकास के कार्यों में सभी श्रेणियों- अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों एवं अल्पसंख्यक समुदायों को जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व देने के लिए आरक्षण लागू करो!
4.पिछड़े वर्गों( ओबीसी) के लिए जनसंख्या के अनुपात में 54% आरक्षण सभी सेवाओं और शिक्षण संस्थानों में लागू हों!
5.पिछड़े वर्गों के आरक्षण में लागू किए गए क्रीमीलेयर को समाप्त करो!
6.अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी के लिए प्रमोशन में आरक्षण लागू करने के लिए अध्यादेश लाओ और संविधान में संशोधन करो!
7.आरक्षण के प्रावधानों और प्रमोशन में आरक्षण को संविधान की 9 वीं अनुसूची में शामिल करो ताकि उसके साथ कोई छेड़छाड़ कोई भी सरकार नहीं कर सके!
8.पूर्व में की गई सामाजिक- आर्थिक जनगणना की रिपोर्ट प्रकाशित करो!
9.सभी निजी क्षेत्रों में भी सभी श्रेणियों के लिए जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व आरक्षण लागू करो!
10.शिक्षा एवं सरकारी संस्थानों का निजीकरण बंद करो!
आइए,हम अपने महानायक और आधुनिक भारत के निर्माता राजर्षि छत्रपति शाहू जी महाराज के प्रति पुनः शत-शत नमन और श्रद्धांजलि अर्पित करें और अपनी उपर्युक्त मांगों की पूर्ति के लिए लगातार संघर्ष करें।
जय शाहूजी महाराज! जय भीम! जय भारत!
विलक्षण रविदास
बिहार फुले अम्बेडकर युवा मंच
बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन, बिहार
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