अमेरिका के दो राज्यों ने एक ऐसा बड़ा फैसला किया है, जो दुनिया भर में मौजूद अंबेडकरवादियों के लिए बड़ी खबर है। बहुजन समाज की मुक्ति के लिए काम करने वाले दो महानायकों बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर और महात्मा ज्योतिराव फुले की जयंती को देखते हुए अमेरिकी राज्य वाशिंगटन ने जहां अप्रैल महीने को दलित हिस्ट्री मंथ घोषित किया है, तो मिशिगन राज्य ने 9 अप्रैल से 15 अप्रैल के सप्ताह को सोशल इक्विटी वीक घोषित किया है। इन दोनों राज्यों के गवर्नर ने इस बारे में एक आदेश जारी किया है। इस आदेश में जो लिखा गया है, औऱ जिस तरह से बाबासाहेब आंबेडकर और महात्मा जोतिराव फुले को याद किया गया है, वह काफी अहम है। वहीं दूसरी ओर कनाडा के Burnaby City में बाबासाहेब अम्बेडकर की जयंती का दिन (14 अप्रैल) Dr. B.R Ambedkar Day Of Equality के रूप में मनाया जाएगा।
वाशिंगटन स्टेट के गर्वनर जे. इंसली ने अप्रैल महीने को Dalit History Month घोषित किया है। 27 मार्च को इस संबंध में आदेश जारी करते हुए डॉ. आंबेडकर और ज्योतिबाराव फुले के योगदान को जिस तरह रेखांकित किया गया है, वह काफी अहम है। बाबासाहेब आंबेडकर और ज्योतिबा फुले का जिस तरह गुणगान किया गया है, वह बहुजन समाज के लिए गर्व की बात है।
अपने आदेश में गर्वनर जे. इंसली ने कहा है कि- वाशिंगटन राज्य एक ऐसा घर है, जहां डायवर्सिटी है। और अमेरिका का संविधान और वाशिंगटन स्टेट इस बात को सुनिश्चित करता है कि यहां रहने वाले हर व्यक्ति को समान अधिकार, सम्मान और बराबरी का दर्जा मिले।
अप्रैल में महत्वपूर्ण दलित लीडर और सोशल रिफार्मर डॉ. बी. आर. अंबेडकर और महात्मा ज्योतिराव फुले की जयंती है, जिन्होंने भारत में सिस्टेमेटिक डिस्क्रिमीनेशन के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया। इस वजह से यह दलितों के लिए एक महत्वपू्र्ण महीना है। …. चूंकि महात्मा ज्योतिराव फुले और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने जो आंदोलन किया उसने वंचित शोषित समाज के लाखों लोगों को, जिसमें हर समाज की महिलाएं भी शामिल हैं, उनके जीवन को बेहतर बनाया। और इससे करोड़ों वंचितों को सम्मान के साथ सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और धार्मिक बराबरी मिली, जिससे उन्हें न केवल भारत में बल्कि अमेरिका में भी सम्मान के साथ जीने का मौका मिल पाया।
इस आदेश में गवर्नर ने जो आगे कहा है उसे मैं हू-ब-हू अंग्रेजी में ही बता रहा हूं, ताकि उस भाव को आप बेहतर महसूस कर सकें। इन दोनों महानायकों के बारे में गवर्नर ने लिखा है कि- The work of these great social reformers is recognized for the revival of democretic principals in modern india to embrace the principles in modern india to embrace the principles of compassion and non violence for a society that leads to equality, liberty, justice and fraternity.
इसमें आगे कहा गया है कि यह महीना इक्विटी, सामाजिक न्याय, मानवाधिकार और गरिमा के प्रति समर्पण की विरासत को याद रखने और सम्मान देने का एक अवसर है, जो वाशिंगटन और दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करता है। ऐसे में वाशिंगटन राज्य भारत के लाखों वंचित लोगों की मुक्ति का जश्न मनाने के लिए वाशिंगटन में रहने वाले लोगों को इस जश्न में शामिल होने की अनुमति देता है।
निश्चित तौर पर वाशिंगटन के गवर्नर ने जिस तरह से बाबासाहेब आंबेडकर और राष्ट्रपिता जोतिराव फुले को याद किया है, वह शानदार है। लेकिन रुकिये वाशिंगटन की तरह ही मिशिगन स्टेट की गवर्नर ग्रेचन व्हिटमर ने भी एक आदेश जारी किया है। जिसमें 9 अप्रैल से 15 अप्रैल को “सोशल इक्विटी वीक” के तौर पर मनाए जाने की घोषणा की है।
दरअसल पिछले कुछ सालों में बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर और जोतिबाराव फुले सरीखे वंचित समाज में जन्में महानयकों के योगदान को दुनिया याद कर रही है। साल 2021 में ब्रिटिश कोलंबिया कनाडा ने बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल को “Dr. B. R. Ambedkar Equality Day” के तौर पर मनाने की घोषणा की थी। साल 2022 में भी बरनबी सिटी के मेयर ने भी बाबासाहेब की जयंती को “Dr. Ambedkar day of Equality” के तौर पर डिक्लेयर किया था।
तो वहीं दूसरी ओर कनाडा के Burnaby City में बाबासाहेब अम्बेडकर की जयंती का दिन (14 अप्रैल) Dr. B.R Ambedkar Day Of Equality के रूप में मनाया जाएगा। कनाडा में रहने वाले अंबेडकरवादियों के प्रयास से यहां अंबेडकरी आंदोलन जोर पकड़ चुका है।
इस पूरी खबर में सबसे बड़ी बात यह है कि जब दुनिया में बाबासाहेब आंबेडकर को याद किया जा रहा है, उनकी जयंती की तैयारियां हो रही है, भारतीय मीडिया इस बारे में चुप है। जब अमेरिका जैसे देश में वाशिंगटन जैसे राज्य बाबासाहेब आंबेडकर और जोतिबा फुले की जयंती को Dalit History Month घोषित कर रहे हैं। भारत की मनुवादी मीडिया आंख मूदे हैं।

अशोक दास ‘दलित दस्तक’ के फाउंडर हैं। वह पिछले 15 सालों से पत्रकारिता में हैं। लोकमत, अमर उजाला, भड़ास4मीडिया और देशोन्नति (नागपुर) जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों से जुड़े रहे हैं। पांच साल (2010-2015) तक राजनीतिक संवाददाता रहने के दौरान उन्होंने विभिन्न मंत्रालयों और भारतीय संसद को कवर किया।
अशोक दास ने बहुजन बुद्धिजीवियों के सहयोग से साल 2012 में ‘दलित दस्तक’ की शुरूआत की। ‘दलित दस्तक’ मासिक पत्रिका, वेबसाइट और यु-ट्यूब चैनल है। इसके अलावा अशोक दास दास पब्लिकेशन के संस्थापक एवं प्रकाशक भी हैं। अमेरिका स्थित विश्वविख्यात हार्वर्ड युनिवर्सिटी में आयोजित हार्वर्ड इंडिया कांफ्रेंस में Caste and Media (15 फरवरी, 2020) विषय पर वक्ता के रूप में शामिल हो चुके हैं। भारत की प्रतिष्ठित आउटलुक मैगजीन ने अशोक दास को अंबेडकर जयंती पर प्रकाशित 50 Dalit, Remaking India की सूची में शामिल किया था। अशोक दास 50 बहुजन नायक, करिश्माई कांशीराम, बहुजन कैलेंडर पुस्तकों के लेखक हैं।
देश के सर्वोच्च मीडिया संस्थान ‘भारतीय जनसंचार संस्थान,, (IIMC) जेएनयू कैंपस दिल्ली’ से पत्रकारिता (2005-06 सत्र) में डिप्लोमा। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एम.ए हैं।
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Ashok Das is the founder of ‘Dalit Dastak’. He is in journalism for last 15 years. He has been associated with reputed media organizations like Lokmat, Amar Ujala, Bhadas4media and Deshonnati As a political correspondent for five years (2010-2015). He covered various ministries and the Indian Parliament.
Ashok Das started ‘Dalit Dastak’ with a group of bahujan intellectual in the year 2012. ‘Dalit Dastak’ is a monthly magazine, website and YouTube channel. Apart from this, Ashok Das is also the founder and publisher of ‘Das Publication’. He has attended the Harvard India Conference held at the world-renowned Harvard University in America as a speaker on the topic of ‘Caste and Media’ (February 15, 2020). India’s prestigious Outlook magazine included Ashok Das in the list of ‘50 Dalit, Remaking India’ published on Ambedkar Jayanti. Ashok Das is the author of 50 Bahujan Nayak, Karishmai Kanshi Ram, Ek mulakat diggajon ke sath and Bahujan Calendar Books.
