यह जुमलेबाजी वाला बजट है – मायावती

नई दिल्ली। केन्द्र में वर्तमान बीजेपी सरकार के आज लोकसभा में पेश अन्तिम व चुनाव पूर्व के अन्तरिम बजट को एक बार फिर जमीनी हकीकत व कड़वी वास्तविकता के सही समाधान से दूर ज्यादातर जुमलेबाजी वाला ही बजट बताते हुये बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी ने कहा कि पिछले पाँच वर्षों के इनके कार्यकाल में देश में आर्थिक समानता की खाई और ज्यादा बढ़ी है अर्थात् भारत में धन व विकास केवल कुछ मुट्ठीभर धन्नासेठों के हाथों में सिमट गया है जो इस सरकार की विफलता व घोर गरीब व किसान विरोधी व धन्नासेठ समर्थन नीति व गलत कार्यप्रणाली के साथ-साथ इनके अहंकारी होने को भी प्रमाणित करता है.

केन्द्र में काम-चलाऊ वित्त मंत्री श्री पियूष गोयल द्वारा पेश अन्तरिम बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये सुश्री मायावती जी ने कहा कि बीजेपी के लम्बे-चौड़े बयानों, बखानों व जुमलेबाजी आदि से देश की तकदीर नहीं बदल सकती है, और ना ही देश में लम्बे समय से जारी जर्बदस्त मंहगाई, गरीबी, अशिक्षा व बेरोजगारी आदि को गम्भीर व देशव्यापी समस्या समाप्त हो सकती है बल्कि इसके लिये सही नियत व समर्पित दृढ़ इच्छाशक्ति की जरुरत होती है जिसका केन्द्र में आसीन सरकारों में अब तक अभाव रहा है. कुल मिलाकर बीजेपी सरकार की अनेकों प्रकार की चुनावी वादाखिलाफी की तरह ही इनका पाँच वर्षों का कार्यकाल खासकर नोटबन्दी, जी.एस.टी. और उसके कारण उत्पन्न बेरोजगारी की गम्भीर समस्या के साथ-साथ इनका अन्तरिम बजट भी देश की आमजनता के लिये मायूस व बेचैन करने वाला ही है.

इतना ही नहीं बल्कि केन्द्र सरकार ने खासकर गरीबों, मजदूरों व किसानों आदि के नाम पर अभी तक जो भी योजनाएं घोषित की हैं उन सभी से इसके असली जरुरतमन्दों व हकदारों को कम तथा बड़े-बड़े पूँजीपतियों व धन्नासेठों को ही ज्यादा लाभ पहुँचा है. यही कारण है कि वे लोग बिना किसी खास मेहनत व उपलब्धि के और ज्यादा धनवान बनते चले जा रहे हैं. इससे आर्थिक विषमता व गैर-बराबरी काफी ज्यादा बढ़ी है जो कतई देशहित की बात नहीं हैं.

सुश्री मायावती जी ने देश की आमजनता से अपील की कि वे बीजेपी की सरकार की गलत नीतियों व अहंकारी कार्यकलापों को उसकी वास्तविकता के आधार पर परखें तथा खासकर अब चुनाव पूर्व की इनकी हवा-हवाई बातों, लोक-लुभावन वायदों के साथ-साथ इनके द्वारा धार्मिक उन्माद को भड़काकर अपनी विफलताओं पर से ध्यान बांटने के हथकण्डे में ना आयें बल्कि अपना भविष्य संवारने के लिये आने वाले समय में काफी गहन सोच-विचार के बाद ही ऐसा फैसला करें जिसमें उनका अपना वास्तविक हित व देशहित एवं समाजहित निहित हो.

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