इन 7 सीटों में दलित वोट कर सकता है हार-जीत का फैसला

नई दिल्ली। दिल्ली में भले ही केवल एक सीट उत्तर पश्चिम आरक्षित हो लेकिन सभी सीटाें पर दलित वोटर किसी भी उम्मीदवार को हराने जिताने का माद्दा रखते हैं. पूर्वी और उत्तर पूर्वी दिल्ली में पूर्वांचली वोटर का आंकड़ा अगर छोड़ दिया जाए तो तीन सीटों में सबसे अधिक दलित वोटर हैं, बची हुई सीटाें पर भी दलित वोटर कमजोर नहीं हैं. खास बात यह है कि जाट गूर्जर बाहुल्य क्षेत्र के रूप में जानी जाने वाली दक्षिणी दिल्ली में दोनों के वोटरों को जोड़ दिया जाए तो भी दलित वोटरों की संख्या अधिक है.

चांदनी चौक- दूसरे नंबर पर दलित मतदाताओं की संख्या उत्तर पश्चिमी के अलावा पश्चिम दिल्ली और दक्षिण दिल्ली में दलित मतदातों की संख्या अन्य जातियों के मुकाबले सबसे अधिक है. उत्तर पश्चिमी में दूसरे नंबर वैश्य तो पश्चिमी दिल्ली में दूसरे नंबर पर पंजाबी मतदाता है और दक्षिणी दिल्ली में दूसरे नंबर पर गुर्जर मतदाता है. वहीं, वैश्य बाहुल्य चांदनी चौक में दूसरे नंबर दलित मतदाताओं की संख्या है. दो सीटों पर पूर्वाचल के मतदाताओं का बोलबाला.

पूर्वी और उत्तर पूर्वी दिल्ली से पूर्वांचली वोटर सबसे अधिक- उत्तर पूर्व और पूर्वी दिल्ली पर पूर्वाचल के मतदाताओं का बोलबाला है. लेकिन यहां दलितों की संख्या भी ठीक ठाक है. उत्तर पूर्व सीट पर 42 फीसदी पूर्वांचल के मतदाता हैं. ऐसे ही पूर्वी दिल्ली में 1945141 मतदाताओं में से पूर्वाचल के लोगों की संख्या 39 फीसदी के करीब है. इन्हीं दोनों सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं 13 फीसदी के करीब अन्य सीटों की तुलना में अधिक है.

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