दिल्ली में 3-4 फरवरी को दलित साहित्य महोत्सव, लगेगा दिग्गज साहित्यकारों का जमावड़ा

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नई दिल्ली। दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज में ‘दलित साहित्य महोत्सव’ का आयोजन किया जा रहा है. यह महोत्सव 3 और चार जनवरी को दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज में आयोजित होगा. कार्यक्रम का समय सुबह 9.30 से शाम 6.30 तक होगा. इस तरह का यह पहला महोत्सव है. इस महोत्सव में देश के विभिन्न हिस्सों से दलित साहित्यकार जुटेंगे. इस महोत्सव का आयोजन “अम्बडेकरवादी लेखक संघ” द्वारा किया जा रहा है.

आयोजकों के मुताबिक इसका उद्देश्य भारत में दलित-आदिवासी और वंचित अस्मिताओं के लेखन, साहित्य, और संस्कृति को समाज के सामने लाना है. आयोजकों का कहना है कि ऐसे आयोजनों के माध्यम से ही भारत के वंचित समुदाय की समस्याओं को सामने लाया जा सकता है. इसीलिए इस बार के महोत्सव का मूल थीम ‘दलित’ शब्द रखा है. यह महोत्सव दो दिन तक चलेगा.

महोत्सव के आयोजकों में डॉ़ नामदेव, संस्थापक सूरज बडत्या, सचिव संजीव डांडा आदि शामिल हैं. इन्होंने कार्यक्रम की जानकारी देते हुए कहा कि इस महोत्सव के लिए भारत की विभिन्न भाषाओं के दलित-आदिवासी, महिला, घुमंतू आदिवासी, अल्पसंख्यक और हिजड़ा समुदाय के साहित्यकारों से संपर्क किया गया है. जिनमें से करीबन 15 भाषाओं के लेखक, संस्कृतिकर्मी, गायक, नाटककार, कलाकार शामिल होंगे. नेपाल की प्रमुख दलित लेखक आहुति, नर्मदा बचाओ आन्दोलन की नेत्री मेधा पाटकर, आदिवासी लेखक लक्ष्मण गायकवाड, दलित लेखक शरणकुमार लिम्बाले, गुजरात से हरीश मंगलम और आदिवासी कवि-गायक गोवर्धन बंजारा, कलाकार मनमोहन बावा, कन्नड़ भाषा के आदिवासी लेखक शान्था नाइक के शामिल होने की बात कही जा रही है.

तो वहीं हैदराबाद से वी कृष्णा, त्रिवेंद्रम से जयाश्री, शामल मुस्तफा खान, पंजाब के लेखक बलबीर माधोपुरी, क्रान्तिपाल, मदन वीरा, मोहन त्यागी और कई अन्य इस महोत्सव में शामिल हो रहे हैं. हिंदी लेखकों में मोहनदास नैमिशराय, जयप्रकाश कर्दम, ममता कालिया, चौथीराम यादव, हरिराम मीणा, श्योराज सिंह बेचैन, निर्मला पुतुल, बल्ली सिंह चीमा व कई अन्य हैं. भोजपुरी भाषा से मुसाफिर बैठा, प्रहलादचांद दास आदि शामिल होंगे.

दिल्ली यूनिवर्सिटी के अकादमिक समिति के सदस्य प्रो. हंसराज सुमन ने बताया कि इस लिटरेचर फेस्टिवल की मुख्य बात इसमें महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु और गुजरात से आने वाले लोकगायक रहेंगे जो दलित-आदिवासी परम्परा और संस्कृति से लोगों को रूबरू कराएंगे. आंबेडकरवादी लेखक संघ (अलेस) के अध्यक्ष बलराज सिंहमार, इग्नू के प्रोफेसर प्रमोद मेहरा ने कहा कि महोत्सव में छह सत्र समानांतर रूप से चलेंगे. इसमें एक सत्र अंग्रेजी भाषा का और एक सत्र विभिन्न भारतीय भाषाओं का भी होगा. दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर और स्त्रीवादी चिन्तक डॉ़ हेमलता कुमार ने कहा कि आज कोर्पोरेट घरानों ने साहित्य को कब्जाने की मुहीम चला रखी है. पुरुषवादी संस्कार, समाज और साहित्य में हावी हों रहें हैं. ऐसे पुरुषवादी समाज में स्त्रियाँ भी दलित की श्रेणी में ही आती हैं. इसलिए ये महोत्सव एक ऐतिहासिक भूमिका निभाएगा. इस महोत्सव के आयोजक संगठनों में अम्बेडकरवादी लेखक संघ, हिंदी विभाग, किरोड़ीमल कॉलेज, रश्मि प्रकाशन, लखनऊ, रिदम पत्रिका, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम), दिल्ली समर्थक समूह, अलग दुनिया, मंतव्य पत्रिका, अक्षर प्रकाशन और वितरक, दिल्ली, फोरम फॉर डेमोक्रेसी, मगध फाउंडेशन, कहानी पंजाब, अम्बेडकर वर्ल्ड शामिल हैं.

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