केवल चुनावी राजनीति से देश नहीं चलता है। देश सिस्टम से, जिम्मेदारी से व जवाबदेही से चलता है, जो कि बनाना पड़ता है। देश का दुर्भाग्य रहा है कि आजादी के बाद से ही सरकारों का जोर सिस्टम बनाने पर नहीं रहा, जिम्मेदारी लेने...
आज भारतरत्न उस डॉ.बी.आर. आंबेडकर की 130 वीं जयंती है, जिनके विषय में बहुत से नास्तिक बुद्धिजीवियों की राय है कि बहुजनों का यदि कोई भगवान हो सकता है तो वह डॉ. आंबेडकर ही हो सकते हैं, जिनकी तुलना लिंकन, बुकर टी . वाशिंग्टन,...
भारत-रत्न बाबा साहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जी की आज 130वीं जयंती है। उनके जीवन और कामकाज को देख कर हैरानी होती है। बचपन में ही मैंने एक बार बाबासाहेब की जीवनी पढ़ी तो उनको पढ़ता गया और इस बात को थोड़ा देर से समझ...
ज्योतिबा फुले के जन्मदिन पर आप एक बात गौर से देख पाएंंगे। गैर बहुजनों के बीच में ही नहीं बल्कि बहुजनों अर्थात ओबीसी अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के लोगों के बीच भी ज्योतिबा फुले को उनके वास्तविक रूप में पेश करने में...
आम्बेडकरवाद को आप दलित मुक्ति के दर्शन के रूप में देखते हैं तथा दलित जातियों को आम्बेडकरवाद का हिमायती मानते हैं, तो आप को यह देखना भी जरूरी है कि क्या दलित जतियाँ आम्बेडकरवादी चिंतकों और क्रांतिकारियों का अनुसरण करती हैं। आज हर गाँव...
बाबासाहेब आंबेडकर भारत के सर्वाधिक प्रभावशाली राजनीतिक चिंतकों में से एक माने जाते हैं। भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पी होने के नाते भारतीय संविधान एवं शासन व्यवस्था में लोकतंत्र से जुड़े जितनी भी बातें हम देखते हैं उनकी मूल कल्पना बाबासाहेब आंबेडकर के मस्तिष्क...
होली हिंदुओं का त्यौहार नहीं है, यह भारतीयों का त्यौहार है और ठीक से कहा जाए तो यह भारतीय किसानों, मजदूरों, आदिवासियों, ओबीसी दलितों इत्यादि का त्योहार है। या फिर यह कह सकते हैं कि होली भारत के आम आदमी का त्योहार है। एक...
प्रधानमंत्री इतिहास को लेकर झूठ बोलते रहे हैं। ग़लत भी बोलते रहे हैं। आधा सच और आधा झूठ बोल कर उलझाते भी रहे हैं। अगर झूठ और ग़लत बोलने में उनकी सरकार को भी शामिल कर लें तो ऐसी कई रिपोर्ट आपको मिल...
“I wanted to see Telangana as a separate state before I die”- a seasoned activist Dr. Kolluri Chiranjeevi, seven years ago over a phone call on 8 March when the central government officially announced the formation of the state on 2, June, 2014. I...
साल 2014 में जब भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई थी, तो इसके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बड़े-बड़े दावे किये थे। उन्होंने यहां तक कहा कि आने वाला वक्त देश के कमजोर तबकों और गरीबों का है। पहली बार सत्ता में आने तक तो...
आज कांशीराम साहब का जन्मदिन है जो कि भारत के शोषित वंचित समाज के लिए एक उत्सव का दिन है। कांशीराम साहब अपने जमाने के करिश्माई नेता थे जिन्होंने पहली बार हजारों साल से शोषित वंचित समाज को उनकी सांस्कृतिक और राजनीतिक ताकत का...
सर्वप्रथम देश व विदेश में रह रहे बहुजनों को मान्यवर कांशीराम की 87वीं जयंती पर मंगल कामनाएं। अगर आज मान्यवर जीवित होते तो वह 87 वर्ष के होते। भले ही वह आज हमारे बीच नहीं हैं, परंतु उनके आंदोलन एवं राजनीतिक गणित आज भी...
लेखक- डॉ. अलख निरंजन एवं अमित कुमार
राजनीति को ‘चाबियों की चाबी’ अर्थात् ‘गुरु किल्ली’ कहने वाले मान्यवर कांशीराम अपने जीवन में ही राजनीति के गुरु किल्ली बन गये थे। बीसवीं शताब्दी के अंतिम दो दशकों के राजनीतिक परिदृश्य पर कांशीराम का बहुत गहरा प्रभाव...
आज दस मार्च को सावित्री बाई फुले का स्मृति दिवस है। तमाम लोग क्रांतिज्योति माता सावित्रीबाई फुले को याद कर रहे हैं। यह दिन भारत की महिलाओं और विशेष रूप से दलितों, ओबीसी, और जनजातीय समाज की महिलाओं, मुसलमान महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण...
लोकसभा और राज्यसभा के अलग-अलग चैनलों को मिलाकर एक संसद टीवी (Sansad Telivision) बनाने का फैसला सैद्धांतिक और धारणात्मक स्तर पर सही है। असलियत ये है कि सन् 2005-06 के दौरान संसद के दोनों सदनों के माननीय सभापति और स्पीकर की आपसी चर्चा में...
जब भी हम किसान के बारे में बात करते हैं तो पंजाब में इसका मतलब जाट सिक्ख होता है। ऐसा इसलिए लगता है क्योंकि पंजाब में ज्यादातर किसान इसी समुदाय से आते हैं। इस जाट सिख की तस्वीर का संत रैदास से कोई सीधा...
डॉ. आंबेडकर ने अपनी किताब ‘प्राचीन भारत में क्रांति और प्रतिक्रांति’ में भारत के इतिहास को क्रांतियों और प्रतिक्रांतियों के इतिहास के रूप में चिन्हित किया है। वे बहुजन-श्रमण परंपरा को क्रांतिकारी परंपरा के रूप में रेखांकित करते हैं, जिसके केंद्र में बौद्ध परंपरा...
एक ब्राह्मण मित्र हैं वे एक बहुत बड़े बिजनेस स्कूल से बड़ी डिग्री लिए हुए हैं। पिछले कई सालों से बार-बार फोन करके दलितों एवं ट्राइबल समाज के लोगों की समस्याओं के बारे में चर्चा करते रहे हैं।
वे अक्सर यह जानना चाहते हैं कि...
आज भी भारतीय समाज में आर्थिक संसाधनों, निर्णायक पदों पर नियंत्रण और सामाजिक हैसियत वर्ण-जाति व्यवस्था पर ही आधारित है और राजनीति और प्रशासन पर भी उच्च जातियों का नियंत्रण है। इसे निम्न तथ्यों के आलोक में देख सकते हैं। आइए तथ्यों की रोशनी...
पारिवारिक शोक की अवस्था में हम एक हो जाते हैं और अपने सामूहिक स्व से बंध जाते हैं। हमारा मन हमारी उन सबसे खूबसूरत बातों के बारे मे सोचने लगता है जिसे हम परिवार कहते हैं। परिवार एक सबसे मूल्यवान संस्था है जहां आदर...