Sunday, August 3, 2025

ओपीनियन

कोविड संकट से निपटने को राष्ट्रीय प्लान जरूरी

 केवल चुनावी राजनीति से देश नहीं चलता है। देश सिस्टम से, जिम्मेदारी से व जवाबदेही से चलता है, जो कि बनाना पड़ता है। देश का दुर्भाग्य रहा है कि आजादी के बाद से ही सरकारों का जोर सिस्टम बनाने पर नहीं रहा, जिम्मेदारी लेने...

आंबेडकरवाद को संकट-मुक्त करने के लिए एक नए स्वाधीनता संग्राम की जरुरत!

आज भारतरत्न उस डॉ.बी.आर. आंबेडकर की 130 वीं जयंती है, जिनके विषय में बहुत से नास्तिक बुद्धिजीवियों की राय है कि बहुजनों का यदि कोई भगवान हो सकता है तो वह डॉ. आंबेडकर ही हो सकते हैं, जिनकी तुलना लिंकन, बुकर टी . वाशिंग्टन,...

बाबासाहेब आंबेडकर के इस योगदान पर हमारी नजर क्यों नहीं जाती?

भारत-रत्न बाबा साहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जी की आज 130वीं जयंती है। उनके जीवन और कामकाज को देख कर हैरानी होती है। बचपन में ही मैंने एक बार बाबासाहेब की जीवनी पढ़ी तो उनको पढ़ता गया और इस बात को थोड़ा देर से समझ...

जयंती विशेषः शूद्र यानी ओबीसी समाज में स्वीकार्यता के इंतजार में ज्योतिबा फुले

ज्योतिबा फुले के जन्मदिन पर आप एक बात गौर से देख पाएंंगे। गैर बहुजनों के बीच में ही नहीं बल्कि बहुजनों अर्थात ओबीसी अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के लोगों के बीच भी ज्योतिबा फुले को उनके वास्तविक रूप में पेश करने में...

दलितों में ईर्ष्या और बिखराव

आम्बेडकरवाद को आप दलित मुक्ति के दर्शन के रूप में देखते हैं तथा दलित जातियों को आम्बेडकरवाद का हिमायती मानते हैं, तो आप को यह देखना भी जरूरी है कि क्या दलित जतियाँ आम्बेडकरवादी चिंतकों और क्रांतिकारियों का अनुसरण करती हैं। आज हर गाँव...

डॉ आंबेडकर और आजाद भारत में लोकतंत्र की कल्पना

 बाबासाहेब आंबेडकर भारत के सर्वाधिक प्रभावशाली राजनीतिक चिंतकों में से एक माने जाते हैं। भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पी होने के नाते भारतीय संविधान एवं शासन व्यवस्था में लोकतंत्र से जुड़े जितनी भी बातें हम देखते हैं उनकी मूल कल्पना बाबासाहेब आंबेडकर के मस्तिष्क...

क्या होली का त्योहार ओबीसी, दलितों और आदिवासियों को मनाना चाहिए?

 होली हिंदुओं का त्यौहार नहीं है, यह भारतीयों का त्यौहार है और ठीक से कहा जाए तो यह भारतीय किसानों,  मजदूरों, आदिवासियों, ओबीसी दलितों इत्यादि का त्योहार है। या फिर यह कह सकते हैं कि होली भारत के आम आदमी का त्योहार है। एक...

तथ्यों को लेकर झूठ और ग़लत बोलने के रिकार्डधारी हैं पीएम मोदी- रवीश कुमार

प्रधानमंत्री इतिहास को लेकर झूठ बोलते रहे हैं। ग़लत भी बोलते रहे हैं। आधा सच और आधा झूठ बोल कर उलझाते भी रहे हैं। अगर झूठ और ग़लत बोलने में उनकी सरकार को भी शामिल कर लें तो ऐसी कई रिपोर्ट आपको मिल...

Telangana lost its Anti-Caste Doctor: Dr. Kolluri Chiranjeevi (1947-2021)

“I wanted to see Telangana as a separate state before I die”- a seasoned activist Dr. Kolluri Chiranjeevi, seven years ago over a phone call on 8 March when the central government officially announced the formation of the state on 2, June, 2014. I...

दलितों के हक के 50 हजार करोड़ खर्च नहीं कर सकी मोदी सरकार

साल 2014 में जब भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई थी, तो इसके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बड़े-बड़े दावे किये थे। उन्होंने यहां तक कहा कि आने वाला वक्त देश के कमजोर तबकों और गरीबों का है। पहली बार सत्ता में आने तक तो...

मान्यवर कांशीराम का वो सपना जो अधूरा रह गया

 आज कांशीराम साहब का जन्मदिन है जो कि भारत के शोषित वंचित समाज के लिए एक उत्सव का दिन है। कांशीराम साहब अपने जमाने के करिश्माई नेता थे जिन्होंने पहली बार हजारों साल से शोषित वंचित समाज को उनकी सांस्कृतिक और राजनीतिक ताकत का...

मान्यवर कांशीराम द्वारा 25 वर्ष पहले उठाए गए कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

 सर्वप्रथम देश व विदेश में रह रहे बहुजनों को मान्यवर कांशीराम की 87वीं जयंती पर मंगल कामनाएं। अगर आज मान्यवर जीवित होते तो वह 87 वर्ष के होते। भले ही वह आज हमारे बीच नहीं हैं, परंतु उनके आंदोलन एवं राजनीतिक गणित आज भी...

कार्यकर्ताओं की नजर में मान्यवर कांशीराम

लेखक- डॉ. अलख निरंजन एवं अमित कुमार राजनीति को ‘चाबियों की चाबी’ अर्थात् ‘गुरु किल्ली’ कहने वाले मान्यवर कांशीराम अपने जीवन में ही राजनीति के गुरु किल्ली बन गये थे। बीसवीं शताब्दी के अंतिम दो दशकों के राजनीतिक परिदृश्य पर कांशीराम का बहुत गहरा प्रभाव...

सावित्रीबाई फूले स्मृति दिवस पर उनके योगदान को जानिए

आज दस मार्च को सावित्री बाई फुले का स्मृति दिवस है। तमाम लोग क्रांतिज्योति माता सावित्रीबाई फुले को याद कर रहे हैं। यह दिन भारत की महिलाओं और विशेष रूप से दलितों, ओबीसी, और जनजातीय समाज की महिलाओं, मुसलमान महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण...

लोकसभा और राज्यसभा टीवी का संसद टीवी बनना

लोकसभा और राज्यसभा के अलग-अलग चैनलों को मिलाकर एक संसद टीवी (Sansad Telivision) बनाने का फैसला सैद्धांतिक और धारणात्मक स्तर पर सही है। असलियत ये है कि सन् 2005-06 के दौरान संसद के दोनों सदनों के माननीय सभापति और स्पीकर की आपसी चर्चा में...

रैदास जयंती की सोशल इंजीनियरिंग और किसान आंदोलन

 जब भी हम किसान के बारे में बात करते हैं तो पंजाब में इसका मतलब जाट सिक्ख होता है। ऐसा इसलिए लगता है क्योंकि पंजाब में ज्यादातर किसान इसी समुदाय से आते हैं। इस जाट सिख की तस्वीर का संत रैदास से कोई सीधा...

बेगमपुरा बनाम रामराज्य 

डॉ. आंबेडकर ने अपनी किताब ‘प्राचीन भारत में क्रांति और प्रतिक्रांति’ में भारत के इतिहास को क्रांतियों और प्रतिक्रांतियों के इतिहास के रूप में चिन्हित किया है। वे बहुजन-श्रमण परंपरा को क्रांतिकारी परंपरा के रूप में रेखांकित करते हैं,  जिसके केंद्र में बौद्ध परंपरा...

एक ब्राह्मण मित्र की परेशानी: ये ओबीसी और दलित मुसलमानों से मुहब्बत क्यों करते हैं?

एक ब्राह्मण मित्र हैं वे एक बहुत बड़े बिजनेस स्कूल से बड़ी डिग्री लिए हुए हैं। पिछले कई सालों से बार-बार फोन करके दलितों एवं ट्राइबल समाज के लोगों की समस्याओं के बारे में चर्चा करते रहे हैं। वे अक्सर यह जानना चाहते हैं कि...

कौन और किस आधार पर कहता है कि वर्ण व्यवस्था आधारित बंटवार टूटा है? देखिए तथ्य क्या कह रहे हैं?

 आज भी भारतीय समाज में आर्थिक संसाधनों, निर्णायक पदों पर नियंत्रण और सामाजिक हैसियत वर्ण-जाति व्यवस्था पर ही आधारित है और राजनीति और प्रशासन पर भी उच्च जातियों का नियंत्रण है। इसे निम्न तथ्यों के आलोक में देख सकते हैं। आइए तथ्यों की रोशनी...

दलित युवा ने दादी को श्रद्धांजलि के जरिए एक पीढ़ी को किया याद, अंग्रेजी अखबार ने छापा

 पारिवारिक शोक की अवस्था में हम एक हो जाते हैं और अपने सामूहिक स्व से बंध जाते हैं। हमारा मन हमारी उन सबसे खूबसूरत बातों के बारे मे सोचने लगता है जिसे हम परिवार कहते हैं। परिवार एक सबसे मूल्यवान संस्था है जहां आदर...
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प्रो. नन्दू राम: भारतीय समाजशास्त्र को समग्रता प्रदान करने वाले समाजशास्त्री

भारतीय समाजशास्त्र में प्रो. नन्दू राम अगर अपनी लेखनी से भारत की एक-चौथाई जनता का समाजशास्त्रीय सच प्रकाशित एवं स्थापित नहीं करते तो भारतीय...

राजनीति

झारखंड और हेमंत सोरेन का दुनिया भर में नाम

नई दिल्ली/रांची। झारखंड की महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में शुरू की गई मुख्यमंत्री मंइयां सम्मान योजना को अब अंतरराष्ट्रीय मंच...
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