विराट-रोहित के आतिशी शतकों से भारत की जीत आसान

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गुवाहाटी। रोहित शर्मा के नाबाद 152 रन और कप्तान विराट कोहली की 140 रन की पारी की मदद से भारत ने कठिन लक्ष्य का पीछा करते हुए पहले एक दिवसीय क्रिकेट मैच में वेस्ट इंडीज को आठ विकेट से हराकर पांच मैचों की सीरीज में 1-0 से बढत बना ली.

वेस्ट इंडीज ने पहले बल्लेबाजी करते हुए शिमरोन हेटमायेर की 106 रन की पारी की मदद से आठ विकेट पर 322 रन बनाये थे . जवाब में रोहित और विराट ने इस कठिन लक्ष्य को भी एकदम आसान बनाते हुए भारत को 47 गेंद बाकी रहते ही जीत दिला दी . रोहित ने 43वें ओवर की पहली गेंद पर चंद्रपाल हेमराज को छक्का लगाकर भारत को 326 रन तक पहुंचाया .

गुवाहाटी के नये बारसपारा क्रिकेट स्टेडियम पर भारत की यह पहली वनडे जीत है. वनडे क्रिकेट में यह तीसरी बार हुआ है जब किन्हीं दो भारतीय बल्लेबाजों ने 140 के पार का स्कोर बनाया है. रोहित 117 गेंद में 15 चौकों और आठ छक्कों की मदद से 152 रन बनाकर नाबाद रहे. वहीं विराट ने अपना बेहतरीन फॉर्म बरकरार रखते हुए 107 गेंद में 140 रन बनाए जिसमें 21 चौके और दो छक्के शामिल थे. दोनों ने दूसरे विकेट के लिए 246 रन की साझेदारी की. कोहली का यह 36वां वनडे शतक है जबकि रोहित का 20वां शतक है. दोनों के बीच 15वीं बार शतकीय साझेदारी हुई है जिसमें पांचवीं बार 200 से अधिक रन बने. कोहली को अब एक दिवसीय क्रिकेट में 10000 रन का आंकड़ा छूने के लिए सिर्फ 81 रन की जरूरत है.

कोहली ने इसके साथ ही एक कैलेंडर वर्ष में 2000 अंतरराष्ट्रीय रन भी पूरे कर लिए. उन्होंने सचिन तेंदुलकर के लगातार तीन साल 2000 से अधिक रन बनाने के रेकॉर्ड की बराबरी भी की. कोहली लेग स्पिनर देवेंद्र बिशू की गेंद पर स्टम्प आउट हुए जिसके बाद रोहित ने अंबाती रायुडू (22) के साथ मिलकर भारत को जीत तक पहुंचाया.

भारत ने पहला विकेट दूसरे ओवर में 10 रन पर ही गंवा दिया था जब सलामी बल्लेबाज शिखर धवन (4) को थॉमस ने बोल्ड किया . इसके बाद कैरेबियाई गेंदबाजों को हताशा ही हाथ लगी क्योंकि ना तो उन्हें विकेट मिली और ना ही वे आग उगलते रोहित और विराट के बल्लों पर अंकुश लगा सके.

इससे पहले हेटमेयर (106) के शानदार शतक की बदौलत वेस्ट इंडीज ने टेस्ट श्रृंखला के लचर प्रदर्शन से वापसी करते हुए आठ विकेट पर 322 रन का चुनौतीपूर्ण स्कोर खड़ा किया. बायें हाथ के 21 वर्षीय खिलाड़ी ने वेस्ट इंडीज को बांग्लादेश में 2016 में पहला अंडर-19 विश्व कप खिताब दिलाने में अहम भूमिका अदा की थी.

उन्होंने भारत के गेंदबाजी आक्रमण का डटकर सामना करते हुए अपना तीसरा वनडे शतक जड़ा. उन्होंने 78 गेंद की अपनी रोमांचक पारी के दौरान छह चौके और इतने ही छक्के लगाये. भुवनेश्वर कुमार और जसप्रीत बुमराह की अनुपस्थिति (पहले दो वनडे में इन्हें आराम दिया गया है) में भारत कैरेबियाई टीम के खिलाफ रन गति को रोकने में जूझता दिखा.

गेंदबाजी लचर दिख रही थी जबकि क्षेत्ररक्षण भी अच्छा नहीं रहा. ऐसा लगता है कि टेस्ट सीरीज जीतने के बाद आत्मविश्वास से लबरेज भारत ने अपनी प्रतिद्वंद्वी टीम को हल्के में लिया. हेटमेयर ने 41 गेंद में अपना अर्धशतक पूरा किया और रोवमैन पावेल (22) और कप्तान जेसन होल्डर (38) के साथ 50-50 रन से ज्यादा की भागीदारियां निभायीं. देवेंद्र बिशू ने नाबाद 22 और केमार रोच ने नाबाद 26 रन बनाए.

हेटमेयर ने मोहम्मद शमी की गेंद को एक्सट्रा कवर में छक्के के लिए भेजकर अपना शतक पूरा किया. उन्होंने तेज गेंदबाजों के खिलाफ तो तेजी से रन जुटाये ही, पर युजवेंद्र चहल और रविंद्र जडेजा की स्पिन जोड़ी के खिलाफ भी अच्छी बल्लेबाजी की. लेकिन शतक पूरा करने के तुरंत बाद जडेजा की गेंद पर आउट हो गए. छह दिन के अंदर टेस्ट सीरीज 0-2 से गंवाने क बाद वापसी की कोशिश में जुटी वेस्ट इंडीज ने घरेलू कप्तान विराट कोहली द्वारा बल्लेबाजी का न्योता दिए जाने के बाद शानदार प्रदर्शन किया.

सलामी बल्लेबाज कीरान पावेल ने 39 गेंद में छह चौके और दो छक्के से 51 रन की अर्धशतकीय पारी खेली. उन्होंने शाई होप (32) के साथ दूसरे विकेट के लिये 67 रन की भागीदारी निभाई. वेस्ट इंडीज ने तीन विकेट जल्दी गंवा दिए लेकिन मर्लोन सैमुअल्स के अपने 200वें मैच में शून्य पर आउट होने के बाद गयाना के युवा बल्लेबाज ने जिम्मेदारी से बल्लेबाजी की.

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छत्तीसगढ़ में त्रिकोणीय संघर्ष से गठबंधन की सरकार बनने के आसार

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छत्तीसगढ़ के सियासी हालात को देखें तो प्रदेश में कुल सीटों की संख्या 90 हैं, जहां दो चरणों में 12 नवम्बर को 18 सीटों पर और 20 नवंबर को 72 सीटों पर चुनाव कराये जायेंगे. सीटों की अगर बात करें तो सामान्य वर्ग के लिए 51, एससी की 10 और एसटी की 29 सीटें है.राजनैतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों को चुनावी धरातल पर अमल लाने में पूरी तैयारी के साथ जुटे नजर आ रहे हैं.वैसे छ.ग.धान का कटोरा कहलाता है धान कटाई के समय चुनावी सुतक लग चुका है चौक, चौराहों, खेत खालिहानों से लेकर हर जगह अब चुनावी चर्चा ही प्रमुखता से देखी सुनी जा रही हैं.तीन पंचवर्षीय से भाजपा सरकार सत्ता पर काबिज होने के कारण उसे सत्ता से दूर करने कांग्रेस कई दाव पेच आजमा रही है.इन सब के बीच अजीत जोगी की नयी पार्टी ने हाथी पर सवार होकर प्रदेश की राजनीति में खलबली मचा दी है.मायावती के हाथी का बल पाकर जोगी का हल प्रदेश के सियासी धरातल में खूब चलेगा.छ.ग.राज्य गठन के बाद पहली बार यहां त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति इस बार निर्मित हो रही है.प्रदेश की जनता के बीच तीसरा मजबूत विकल्प बसपा-छजकां गठबंधन सामने आया.बीएसपी सुप्रीमो मायावती जी ने अजीत जोगी को इस गठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा प्रस्तुत कर रमन सिंह के समक्ष अपने गठबंधन का मजबूत चेहरा पेश कर दिया है.भाजपा के रमन सिंह सत्ता पर लंम्बे समय तक बने रहने के कारण एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर बड़ी समस्या होगी वही उनके सामने अजीत जोगी की चुनावी रणनीति कौशल व कुशल नेतृत्व से प्रदेश की जनता भली भांति वाकिफ है जिसका फायदा गठबंधन को मिलना तय माना जा रहा है.अब यह तो 11 दिसम्बर के दिन मतगणना के दौरान पता चलेगा.

अभी हाल ही में 13 अक्टूबर को न्यायधानी बिलासपुर सरकंडा खेल परिसर में बहुजन समाज पार्टी और छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी गठबंधन की संयुक्त समुंद्री महारैली में दोनों दलों की संयुक्त बड़ी सभा हुई .दोपहर करीब डेढ़ बजे बसपा चीफ मायावती व राज्यसभा संसद सतीशचंद्र मिश्रा हेलीकॉप्टर से कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे. .जिसमें मंच से छजकां सुप्रीमो अजीत जोगी ने बसपा सुप्रीमो मायावती जी को देश का प्रधानमंत्री बनाने और मायावती जी ने जोगी को छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बनाने की हूंकार लगाई.इस संयुक्त महारैली में प्रदेशभर से लाखों की भीड़ और भीतर जगह कम पड़ने पर बड़ी संख्या में लोग मैदान के बाहर सड़कों पर LED स्किनों के माध्यम से अपने नेताओं को देखने व सुनने पहुंचे थे. मायावती व अजीत जोगी जहां उत्साहित नजर आ रहे हैं.वही भाजपा व कांग्रेस के लिए यह चिंता का विषय बन गया है.

बसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने विशाल जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा छत्तीसगढ़ में बसपा-छजकां गठबंधन को ऐतिहासिक बताया. केन्द्र की सरकार व भाजपा शासित राज्यों में आदिवासी दलित अल्पसंख्यक गरीब मजदूर किसान और व्यापारियों के साथ अन्याय शोषण उत्पीड़न बड़ रहा है.भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा केंद्र की सरकार चुनावी वायदे को पूरा करने में नाकाम रही है.भाजपा के राज में जनता का विकास व पिछड़ापन दूर नहीं हुआ और दलित पिछड़ा वर्ग का उपेक्षा हुई है.मंहगाई,गरीबी, बेरोजगारी कम करने, विदेशों से काला धन लाने हर गरीब के खाते में 15 से 20 लाख जमा करने की बात कही गई थी लेकिन आज तक गरीबों के खाते में पैसा नहीं आया इसके अलावा किसानों के आय दोगुनी बेरोजगारों को रोजगार देने के चुनावी वायदा को पूरा नहीं किया . बल्कि स्थिति और भी बदतर बिगड़ गई. जल्दबाजी में नोटबंदी के आर्थिक फैसले ने ज्यादा शोषण उत्पीड़न किया है.बिना तैयारी के जीएसटी लागू करने से अर्थब्यवस्था पर प्रभाव पड़ा है.बोफोर्स सौदे की तरह ही राफेल घोटाला के आरोप का भाजपा सरकार से संतोषजनक जवाब नहीं मिला है.

आगे कहा कि प्रदेश में चुनाव की घोषणा हो चुकी है इसलिए ज्यादा से ज्यादा सीट जीतकर लाए ताकि गठबंधन अकेले बहुमत की सरकार बना सके तभी दलित पिछड़ा वर्ग गरीब किसानों का उत्थान हो सकता है और नक्सलवादी गतिविधि भी काफी हद तक खत्म हो सकती है . यहां आदिवासी दलित विरोधी सरकारें रही है तथा अन्य राज्यों की तरह यहां भी मेहनत कस लोगों का शोषण होते आ रहा है.इसके लिए बीजेपी व कांग्रेस दोनों ही पार्टी कसूरवार है.मायावती ने बसपा का कांग्रेस के साथ गठबंधन नही करने के विषय में कहा कि कांग्रेस हमारी पार्टी को कम सीट देकर कमजोर करना चाहती थी.कांग्रेस द्वारा अभी तक मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं कर पाया घबराई हुई है वह षंड्यंत्र ,भ्रामक प्रचार करने लगी पार्टी को ऐसे साजिशों से बचना है.बसपा कोई भी चुनाव नफे नुकसान को ध्यान में रखकर नही लड़ती बल्कि महापुरुषों के विचार व जनता के हितों के लिए लड़ती है.

जोगी सरकार चलना चलवाना भी जानते हैं

छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला तो कांग्रेस पार्टी को अच्छा नहीं लगा लेकिन जोगी को जो सम्मान कांग्रेस में नहीं मिला और कांग्रेस का दामन छोड़कर बसपा के साथ आने पर वह सम्मान मिलेगा. इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री छजकां चीफ अजीत जोगी ने भी विशाल जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि भाजपा का रथ को रोकने लिए गठबंधन किया है. और कांग्रेस तो मेरे छोड़ने के बाद खण्डहर की तरह कमजोर हो गई है . आज मोर छोटे भाई आदिवासी नेता रामदयाल उइके ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ दिया.यह तो शुरुवात है 2019 के महागठबंधन का आंचलिक, क्षेत्रीय पार्टियों का गठबंधन किया जाएगा और जो शुरुआत छत्तीसगढ़ से हुई है उसका अंत दिल्ली में बहन मायावती जी को प्रधानमंत्री का शपथ दिलाकर किया जाएगा. हमारा गहरा संबंध व प्यार मान्यवर कांशीराम से रहा है. जोगी जी मंच से ही भाजपा व कांग्रेस दोनों ही पार्टी पर हमला छत्तीसगढ़ी हाना के माध्यम से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया.इस अवसर पर बसपा प्रदेश अध्यक्ष ओ पी बाचपेयी,जैजैपुर विधायक केशव चन्द्रा,पूर्व विधायक दाऊ राम रत्नाकर,बसपा के प्रदेश प्रभारी संसद अशोक सिद्धार्थ,यूपी विधानसभा के पूर्व कैविनेट मंत्री व नेता प्रतिपक्ष लालजी वर्मा,एम एल भारती,अजय साहू,भीमराजभर, आज मरवाही विधायक अमित जोगी,विधायक आर के राय,छग.जनता कांग्रेस के उपाध्यक्ष पूर्व विधायक धर्मजीत सिंह विधायक सियाराम कौशिक,समीर अहमद,गीतांजलि पटेल,बृजेश साहू आदि उपस्थित थे.

बहन कुमारी मायावतीजी नवम्बर में CM रमन सिंह के गढ़ से चुनावी कैम्पेन की करेंगी शुरुआत 4 नवंबर को सुबह 10 बजे डोंगरगढ़, जिला-राजनांदगांव और उसी दिन दोपहर 12 बजे भिलाईनगर, जिला-दुर्ग में होगा. इसके बाद 16 नवंबर की सुबह 10 बजे आमसभा जिला मुख्यालय जांजगीर चाम्पा और उसी दिन दोपहर 12 बजे रायपुर में आमसभा करेंगी. इसके बाद 17 नवंबर की सुबह 10 बजे आमसभा नवागढ़, जिला-बेमेतरा और उसी दिन दोपहर 12 बजे आमसभा कसडोल, जिला-बलौदाबाजार में धुंआधार दौरा .

बसपा ने प्रथम चरण के लिए 6 उम्मीदवारों के नामों की सूची आज जारी कर दिया है. बसपा प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश बाचपेयी, प्रदेश प्रभारी एमएल भारती व लालजी वर्मा ने प्रदेश कार्यालय न्यू राजेन्द्र नगर में गुरुवार की शाम को नामों का एलान कर दिया है. बसपा व जनता कांग्रेस से गठबंधन के बाद बसपा ने 6 सीट में नामों की सूची जारी कर दी है. अंतागढ़ हेमंत पोयाम, डोंगरगांव अशोक वर्मा, कांकेर से ब्रम्हचन्द ठाकुर, केशकाल से जुगल किशोर बोध, कोंडागांव से नरेंद्र नेताम, डोंगरगढ़ से मिश्री मारकंडेय को बसपा ने मैदान से उतारा है.इसी गठबंधन में शामिल सीपीआई को दंतेवाड़ा व कोंटा की सीट पर बसपा ने घोषित किए हैं.

19 अक्टूबर 2018 को बहुजन समाज पार्टी ने अपनी दूसरी सूची जारी कर दी . पहले चरण के 6 प्रत्याशी के नामों के एलान के बाद दूसरी सूची में 12 प्रत्याशी के नाम शामिल है. जिन प्रत्याशी के नाम दूसरी सूची में है. उनके नाम है… नवागढ़ से बीएसपी के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश बाचपेयी चुनाव लड़ेंगे. जैजैपुर से केशव चंद्रा, बिलाईगढ़ से श्याम टंडन, कसडोल से रामेश्वर कैवर्त्य, सारंगढ़ से अरविंद खटकर, अकलतरा से ऋचा जोगी, चंद्रपुर से गीतांजलि पटेल, कुरूद से कन्हैयालाल साहू, रायपुर पशिचम से भोजराम गौरखडे, पंडरिया से चैतराम राज, सरायपाली से छबिलाल रात्रे, भिलाई नगर से दीनानाथ प्रसाद.

बसपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष ओपी बाचपेयी को पार्टी ने नवागढ़ से उम्मीदवार घोषित कर दिया है. इस वजह से पार्टी की कमान पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एड.सदानंद मारकंडेय सम्भालने की जिम्मेदारी दी गई है. श्री मारकंडेय चुनाव तक शासकीय कार्य व प्रदेश कार्यालय की सभी कामकाज का दायित्व सौंपा गया है. इसके अलावा महासचिव की जिम्मेदारी डॉ प्रदीप कुमार को सौंपी गई है. प्रदेश उपाध्यक्ष हेमंत पोयाम को अंतागढ़ सीट से चुनाव लड़ाने के चलते महासचिव राधेश्याम सूर्यवंशी को प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया है.

जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी रामपुर फूलसिंह राठिया, चित्रकोट टण्केश्वर भारद्वाज, धरमजयगढ़ नवल राठिया, सीतापुर मुन्ना टोप्पो, बसना त्रिलोचन नायक,आरंग संजय चेलक, राजिम रोहित साहू,.इन सीटों के घोषणा के साथ 46 प्रत्याशियों के नाम घोषित किए जा चुके हैं .गठबंधन में उन्हें 55 सीटें व बसपा को 35 सीटें मिला जिसमें अपने खाता से 2 सीट सीपीआई को दिया है.इसप्रकार देखा जाए तो अब छत्तीसगढ़ में बसपा छजकां व सीपीआई तीनों पार्टी की संयुक्त गठबंधन ने राजनैतिक मैदान में रोचक पैदा कर दिया है. एड. डगेश्वर खटकर

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झूठ की फैक्टरी का सामना झूठ की फैक्टरी खड़ी करके जीत हासिल की जा सकती है?

आम आदमी अपनी सही और गलत की समझ मीडिया को सुन, पढ़ या देख कर बनाता है. एक समय था जब टेलीविजन पर रातको 9:20 पर खबर आती थी. सुबह अखबार आता था. देश-विदेश या किसी जगह हुई घटना की जानकारी का माध्यम सिर्फ ये ही था. यहाँ से मिली जानकारी को एकदम सच माना जाता था. लेकिन आज के दौर का मीडिया 24 घण्टे हमको खबरे दिखाता है. खबरे न हो तो भी खबरें बनाई जाती है. घण्टो-घण्टो झूठी खबरों पर रिपोर्टिंग होती रहती है. पल-पल हमको झूठ दिखाकर हमारे दिमाक में वो सब भरा जारहा है जो पूंजीवादी सत्ता के फायदे के लिए जरूरी है. बहुमत आवाम आज भी अखबार, टेलीविजन या इंटरनेटपर आई खबर को सच मानता है. गांव में तो कहावत है कि “ये खबर अखबार में आ गयी इसलिए झूठ हो ही नही सकती.”
अब जहां अखबार या न्यूज चैनल पर इतना ज्यादा विश्वास हो. वहाँ आसानी से मीडिया अपने मालिक पूंजी औरसत्ता के फायदे के लिए हमको झूठ परोस सकता है. सत्ता की नीति “फुट डालो और राज करो”पर काम करते हुए मीडिया 24घण्टे मुश्लिमो, दलितों, आदिवासियों, किसानों, मजदूरों, कश्मीरियोंऔर महिलाओं के खिलाफ झूठ उगलता रहता है. हम उस झूठ पर आंखे बन्दकर विश्वास कर लेते है. इस झूठ के कारण ही हम आज भीड़ का हिस्सा बन एक दूसरे का गला काट रहे है.
मीडिया जिसको हम सिर्फ न्यूज चैनलों और न्यूज पेपरों तक सीमित करके देखते है. जबकि मीडिया का दायरा बहुत ही व्यापक है. वर्तमान में फ़िल्म, सीरियल, गानेसब पूंजी औरसत्ता के फायदे को ध्यान में रख कर बनाये जाते है.
मीडिया जिस पर कार्पोरेट पूंजी का कब्जा है और इसी पूंजी का सत्ता परभी कब्जा है. जो हमारी पकड़ औरजद से मीलोंदूर है. लेकिन जब शोशल मीडिया आया तो बहुतों को लगा कि अब आम आदमी को अपनी आवाजव अपने शब्दो को एक-दूसरे के पास ले जाने का प्लेटफार्म मिल गया. एक ऐसा हथियार मिल गया जो कार्पोरेट मीडिया को ध्वस्त कर देगा. बहुतों को तो यहाँ तक लगने लगा और आज तक भी लगता है कि शोशल मीडिया के प्लेटफार्म को इस्तेमाल करके क्रांति की जा सकती है. लेकिन वो भूल गए थे कि शोशल मीडिया को किसने और क्यो पैदा किया. शोशल मीडिया किसका औजार है.
आज शोशल मीडिया पर दिन-रात झूठी और नफरत भरी पोस्ट घूमती रहती है. इन्ही झूठी पोस्टो के कारण ही कितनी ही जगह दलितों-मुश्लिमो पर हमले हुए है. कितनो को मौत के घाट उतार दिया गया. सत्ता की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ लड़ने वालों के खिलाफ झूठा प्रचार तो आम बात है. सभी पार्टियों ने अपने-अपने आई टी सेल स्थापित किये हुए है जिनका काम ही दिन रात झूठ फैलाना है.
ये आई टी सेल इतिहास की घटनाओं को इतिहासिक पात्रों को अपनी पार्टी व उसकी विचारधारा के अनुसार तोड़-मरोड़ कर, झूठ का लेप लगा कर आपके सामने पेश करते हैं. हम भी उस झूठ की चमकदार परत को ही सच मान लेते है.
अक्सर आपके सामने ऐसी झूठी पोस्ट आती है कि –
एक गायों से भरा ट्रक फैलानी जगह से चलकर फैलानी जगह के लिए निकला है इसका ये नम्बर है. इस ट्रक ने इतने गऊ भक्तों कोकुचल दिया या इतनो को गोली मार दी.
  • फैलानी जगह मुश्लिमो ने हिन्दू लड़की से बलात्कार कर दिया.
  • मुस्लिम झंडे को पाकिस्तान का झंडा बताना तो आम बात है. इसी अफवाह के कारण पिछले दिनों हरियाणा के गुड़गांव में एक बस को रोक कर सवारियों और ड्राइवर से मारपीट की गईक्योकिबस पर मुस्लिम झंडा लगा थाजो मुस्लिम धर्म स्थल पर श्रदालुओं को लेकर जा रही थी.
  • शहीद भगत सिंह आजादी की लड़ाई में वीर सावरकर से राय लेता था. भगत सिंह वीर सावरकर को अपना आदर्श मानता था.
  • भगत सिंह के खिलाफ फैलाने ने गवाही दी. किसी का भी नाम डालकर परोस देते है.
  • गांधी और नेहरू ने भगत सिंह को फांसी दिलाई.
  • गांधी महिलाओं के साथ नंगे सोते थे. नेहरू अय्यास थे. नेहरू को एड्स थी. जिसके कारण उसकी मौत हुई. फोटोशॉप से दोनो के हजारो फोटो बनाये हुए है.
  • सोनिया बार डांसर थी, वेटर थी.
  • भगत सिंह ने कहा था कि अगर जिंदा रहूंगा तो पूरी उम्र डॉ अम्बेडकर के मिशन केलिए काम करूंगा.
  • डॉ अम्बेडकर ने अपने जीवन मे 2 लाख बुक्सपढ़ी.
  • साइमन कमीशन का विरोध करने वाले दलित विरोधी और डॉ अम्बेडकर विरोधी थे.
  • वेद के फैलाने पेज पर लिखा है कि हिन्दू गाय खाते थेया कुरान के उस जगह लिखा है कि ये होता था.
पोस्ट इस प्रकार बनाई जाती है कि उस पर शक न किया जा सके. ये बड़े ही प्रोफेसनल तरीके से किया जाता है. इसके पीछे सिर्फ एक ही मकसद है वो है पूंजी की रक्षा, जिसमें वो कामयाब होते भी जा रहे है.
झूठ को अगर हजारो मुँह से बोला जाए तो वो सच लगने लगता है. यहाँ तो लाखों मुँह से बोला जा रहा है.
राहुल गांधी पप्पूहै?, जवाहरलाल नेहरू के पूर्वज मुस्लिम थे?या प्रशांत भूषण, रवीश कुमार, अरविंद केजरीवाल, स्वामी अग्निवेश, योगेंद्र यादव या दूसरे बुद्विजीवी देश द्रोही है?
बहुमत लोगो से बात करोगे तो बोलेगें हा है. क्यों बोल रहे है ऐसा लोग
क्योकि इनके खिलाफ व्यापक झूठा प्रचार बार-बार किया गया है.
इन झूठ फैलाने वाले आई टी सेल के हजारो फेंक अकाउंट होते है. जिनकी कोई जवाबदेही भी नही होती.
उन झूठी पोस्ट्सके खिलाफ प्रगतिशिल बुद्धिजीवी लड़ रहे है. इन झूठी पोस्ट्स से कितना नुकशान होरहा है ये जनता के सामने ला रहे है. इनके पीछे कौनसी ताकत काम कर रही है ये सामने ला रहे है.
लेकिन पीड़ित आवाम कीहक की बात करने वाले तबके भी ऐसी झूठी पोस्ट्स बना रहे है ये बहुत ज्यादा खतरनाक है.
झूठ का सामना झूठ पेश करके कभी नही किया जा सकता है.
पिछले कुछ दिनों से एक पोस्ट शोशल मीडिया पर घूम रही है.
पोस्ट के अनुसार इंडिया गेट पर  95300 नाम स्वतंत्त्रा सेनानियों के लिखे हुए है जिनमे 61395 नाम मुश्लिमो के हैऔर अच्छी बात ये है की एक नाम भी संघियो का नही है.
अब जो संघ विरोधी है. संघ के खिलाफ और उसकी झूठ की फैक्टरी के खिलाफ लड़ने की बात करते है. उनको ऐसी पोस्ट दिखते ही वो उसकी सत्यता जांचे बिना उसको शेयर, फारवर्ड या लाइक कर देते है. ऐसा करना बहुत ही खतरनाक है क्योंकि इसके पीछे भी पूंजी और उसकी विचारधारा काम कर रही होती है.
अब इस पोस्ट की सच्चाई क्या है इसको भी जान लेना चाहिए. इंडिया गेट का निर्माण अंग्रेज सरकार ने अपने उन हजारों भारतीय सैनिकों के लिए करवाया था जिन सैनिकों ने अंग्रेज सरकार के लिए पहले विश्व युद्धव अफगान युद्ध में जान दी.
यूनाइटेड किंगडम के कुछ सैनिकों और अधिकारियों सहित 13300 सैनिकों के नाम, गेट पर लिखे हुए है.
ये झूठी पोस्ट अंग्रेजो के लिए लड़ने वाले उन हजारो लोगो को जिन्होंने अंग्रेज सरकार का भारत परकब्जा बनाये रखने में मजबूती से साथ दिया. उन सैनिकों को क्रांतिकारी साबित कर रही है. क्या वो क्रांतिकारी थे?
लेकिन ऐसे ही धीरे-धीरे झूठे इतिहास को सच बनाकर लोगो के दिमाक में बैठाया जाता है.
इनझूठी पोस्ट्स को देख कर लग रहा है कि झूठ की फैक्टरी सिर्फ संघी ही नही लगाए हुए है. झूठ की फैक्टरी का निर्माण संघ के खिलाफ लड़ने की बात करने वाले भी लगाए हुए है. जैसे संघ या मोदी के अंधभक्त झूठी पोस्ट्स को आगे से आगे बिना सच्चाई सरकाते रहते है वैसे ही दूसरे प्रगतिशील, कलाकार, वामपंथी, अम्बेडकरवादी भी झूठी पोस्ट्स को आगे से आगे सरका रहे है. बस पोस्ट उनके मतलब की होनी चाहिए, वो चाहे झूठी ही क्यो न हो.
लेकिन क्या ये सही होगा. क्या पीड़ितों की लड़ाई झूठ के सहारे लड़ी जाएगी. क्या आप इतने कमजोर हो कि झूठ का सहारा ले रहे हो.
अगर आप ऐसा कर रहे हो तो आपकी हार निश्चित है.
UDay Che

RRB Group D Exam 2018: आज जारी होगा 29 अक्टूबर से होने वाली परीक्षा का शेड्यूल

नई दिल्ली। आरआरबी ने 29 अक्टूबर से 17 दिसंबर तक की रेलवे ग्रुप डी भर्ती परीक्षा की तिथि, शहर व शिफ्ट की डिटेल्स जारी  कर दी है. पहले ये डिटेल 18 अक्टूबर को जारी होनी थी, फिर 19 की डेट आई, लेकिन इसे फिर आगे बढ़ाकर 20 अक्टूबर यानी आज कर दिया गया था. आखिरकार रेलवे ने यह आज जारी कर दी.

गौरतलब है कि अभी तक रेलवे ने ग्रुप डी के उन्हीं उम्मीदवारों की परीक्षा तिथि, शहर व शिफ्ट की डिटेल्स जारी की थी जिनकी परीक्षा 26 अक्टूबर तक निर्धारित की गई है. 27 और 28 अक्टूबर को परीक्षा नहीं होगी. 29 अक्टूबर को और उसके बाद किस उम्मीदवार की परीक्षा किस दिन, किस शहर, किसी शिफ्ट में होगी, ये जानकारी संबंधित रेलवे बोर्डों की वेबसाइट पर जारी कर दी गई है.

उम्मीदवार परीक्षा तिथि, शहर व शिफ्ट की डिटेल्स को अपना एडमिट कार्ड न समझें. परीक्षा तिथि से चार-चार दिन पहले उम्मीदवारों के एडमिट कार्ड जारी हो रहे हैं. कल सिर्फ परीक्षा तिथि, शहर व शिफ्ट की डिटेल्स जारी होंगी. परीक्षा हर दिन तीन-तीन शिफ्टों में हो रही है.

परीक्षा तिथि के अलावा कल SC/ST उम्मीदवार ट्रेन ट्रैवल अथॉरिटी भी डाउनलोड कर सकेंगे. यह सिर्फ यात्रा प्रबंध के लिए है.

रेलवे ग्रुप डी (लेवल 1 ट्रैक मेंटेनर्स, असिस्टेंट पॉइंट्समेन आदि) की करीब 63 हजार वैकेंसी है. इसके लिए करीब 1 करोड़ 90 लाख उम्मीदवार मैदान में हैं. ग्रुप सी के रिजल्ट का इंतजार

उधर, ग्रुप सी असिस्टेंट लोको पायलट व टेक्नीशियन की परीक्षा देने वाले उम्मीदवार अपने रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं. आंसर-की जारी हो चुकी है. अब फर्स्ट स्टेज सीबीटी के रिजल्ट का इंतजार है.

rrb group d admit card 2018 exam date city details: यूं कर सकेंगे चेक स्टेप 1- चेक करने के लिए उम्मीदवार अपने आरआरबी (जिस आरआरबी के लिए आवेदन किया है) की वेबसाइट पर जाएं. RRB के Direct Link जिस पर क्लिक कर आप अपने एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं.

स्टेप 2- वहां दिए गए गए ”परीक्षा शहर तथा दिनांक की जानकारी” या ”Login Link for Exam City and Date intimation” ( CEN No. 02/2018 for various posts in Level 1 of 7th CPC ) के लिंक पर क्लिक करें. स्टेप 3- मांगी गई डिटेल्स ( यूजर आईडी व जन्मतिथि) डालकर लॉग इन करें. आपकी परीक्षा तिथि, केंद्र और शिफ्ट की जानकारी आपके सामने आ जाएगी.

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दुर्घटनास्थल पर मौजूद थीं सिद्धू की पत्नी, लोगों ने कहा- हादसा होते ही निकल गईं

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अमृतसर। दशहरे के दिन पंजाब के अमृतसर में बड़ा रेल हादसा हो गया. रेलवे ट्रैक पर खड़े होकर रावण दहन देख रही भीड़ पर ट्रेन चढ़ गई जिससे 61 लोगों की मौत हो गई. मरने वालों की तादाद और बढ़ सकती है. हादसे के बाद ट्रैक के दोनों ओर 150 मीटर तक शव बिखरे हुए नजर आ रहे थे. मौके पर राहत और बचाव दल तुरंत पहुंचा जिसके बाद घायलों को अस्पताल भेजा गया. पंजाब सरकार ने ऐलान किया है कि मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये दिए जाएंगे और घायलों का पूरा इलाज सरकार द्वारा किया जाएगा. पीएम नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित सभी बड़े नेताओं ने इस घटना पर दुख जताया है. जानिए अब तक का अपडेट-

हालांकि अमृतसर में सिविल हॉस्पिटल के चीफ मेडिकल अॉफिसर ने इस हादसे में मारे जाने वाले लोगों की संख्या 60 बताई है. आधिकारिक तौर पर करीब इतने ही लोगों के घायल होने की सूचना मिली है.

हादसे पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दुख जताया है. उन्होंने कहा, अमृतसर में दुखद रेल दुर्घटना के बारे सुनकर चौंक गया हूं. दुख के इस घड़ी में सभी प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों को खुले रहने के लिए कहा गया है. जिला अधिकारियों को युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य शुरू करने का निर्देश दिया गया.जांच के आदेश दे दिए गए हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताते हुए ट्वीट किया कि अमृतसर में ट्रेन दुर्घटना से बेहद दुखी हैं. उन लोगों के परिवारों के लिए मेरी गहरी संवेदनाएं, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया और मैं प्रार्थना करता हूं कि घायल जल्दी से ठीक हो जाए. अधिकारियों से तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए कहा है.

रेलवे ट्रैक के पास बने ग्राउंड में आस-पास के लोग दशहरे का उत्सव देख रहे थे. ये सभी लोग उत्सव देखते-देखते ट्रैक पर पहुंच गए और बड़ा हादसा हो गया. घटना अमृतसर के जौड़ा फाटक इलाके में हुई जो शहर के बीचोंबीच स्थित है.

ग्राउंड से लेकर ट्रैक तक सैकड़ों की संख्या में लोग खड़े थे इसी दौरान ये दर्दनाक हादसा हुआ. बताया जा रहा है कि भीड़ रावण दहन देखने में व्यस्त थी और पटाखों के शोर में रेल की आवाज दब गई जिससे ट्रेन के आने का पता ही नहीं चला. ट्रेन 74943 डीएमयू से यह हादसा हुआ.

खबरों के मुताबिक नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर भी कार्यक्रम में मौजूद थीं. राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी है. बड़े अधिकारी मौके पर पहुँच गए हैं. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि मरने वालों की संख्या 61 से ज्यादा हो सकती है. इस हादसे के बाद पुलिस प्रशासन पर भी सवाल उठने लगे हैं. सवाल उठ रहे हैं कि इस जगह पर दशहरा कार्यक्रम की इजाजत क्यों दी गई. साथ ही रेलवे पर भी सवाल उठ रहे हैं कि इस तरह की लापरवाही कैसे हुई कि सैकड़ों लोग ट्रैक पर आ गए और इन्हें हटाया भी नहीं गया.

ऐसा नही है कि इस प्रकार कि घटना देश मे पहली बार हुई हो. बता दे कि इस प्रकार की घटना ने पटना के गांधी मैदान वाले हादसे की याद दिला दी . हादसा 4 साल पहले 3 अक्टूबर 2014 को बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में हुआ था. ये सभी लोग रावण दहन देख रहे थे और तभी भगदड़ मच गई. बता दे कि इस भगदड़ में 33 लोगों की मौत हो गई थी. इस हादसे मे मारे गए लोगो में 27 महिलाएं और पांच पुरुष थे. यह घटना गांधी मैदान के दक्षिणी गेट (रामगुलाम चौक के सामने) के सामने हुआ था .गांधी मैदान के दक्षिणी गेट के नीचे बने लोहे के पाइप के चलते 33 लोगों की जान गयी थी. पहले एक अधेड़ उम्र की महिला का पैर इसी पाइप में फंस गया और वह जमीन पर गिर गयी. वहीं पर एक केबल का तार भी गिर गया था.

महिला को अचानक गिरता देख किसी ने करंट फैलने की अफवाह उड़ा दी. नतीजतन हजारों लोगों के बीच मे अफरातफरी मच गयी. जिसके कारण पहले तो लोगों को कुछ समझ नहीं आया लेकिन थोड़ी देर बाद ही भगदड़ मौत बनकर दौड़ने लगी. महिला के ऊपर सैकड़ो लोग गिर गए. कुछ लोग मौत के मुंह से सही सलामत निकलकर बाहर चले आए तो कुछ लोग हादसे का शिकार हो गए. इन दोनों घटनाओं ने देश को दहला दिया.

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अभिजात वर्गीय है मी टू कैंपेन

पिछले दिनों से मी टू कैंपेन सोशल मीडिया से लेकर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक काफी चर्चित हो रहा है. इस मूवमेंट में महिलाएं #MeToo के साथ कडुवे अनुभव कुछ स्क्रीन शॉट्स भी शेयर कर रही हैं. भारत में इसकी शुरूआत 2017 से हुई थी लेकिन अभिनेत्री तनुश्री दत्ता के मामले ने पहले पहल तूल पकड़ा . उन्होंने नाना पाटेकर पर आरोप लगाए थे.

सबसे पहले सोशल मीडिया पर इस #MeToo की शुरुआत मशहूर हॉलीवुड एक्ट्रेस एलिसा मिलानो ने की थी. उन्होंने बताया कि हॉलीवुड प्रोड्यूसर हार्वे विंस्टीन ने उनका रेप किया था. मी तू कैम्पेन की 2006 में शुरूआत अमेरिकी सिविल राइट्स एक्टिविस्ट तराना बर्क ने की थी. भारत में मी टू कैंपेन शुरू होने के बाद से अब तक कई बड़ी बॉलीवुड हस्तियों के नाम इसमें सामने आ चुके हैं इनमें विकास बहल, चेतन भगत, रजत कपूर, कैलाश खैर, जुल्फी सुईद, आलोक नाथ, सिंगर अभिजीत भट्टाचार्य, तमिल राइटर वैरामुथु और मोदी सरकार में मंत्री एमजे अकबर शामिल हैं.

बता दूं कि बेसिकली यह कैंपेन सोशल मीडिया पर आधारित है और सोशल मीडिया के दबाव के कारण कुछ मामलों ने पुलिस ने संज्ञान लिया है.

कैंपेन को असहमति की सहिष्णुता नहीं है

इस कैंपेन की एक खास बात यह भी है की वे लोग जो इस कैंपेन से सहमत नहीं है उन्हें ट्रोल भी किया जा रहा है असहमति यों को बर्दाश्त नहीं किया जा रहा है कुछ साहित्यका,र लेखक, व्यक्ति, राजनैतिक लोगों ने अपनी असहमति जाहिर की है और वे ट्रोल का शिकार हो गए . आखिर यह लोकतंत्र है कोई ब्राह्मणवादी या तानाशाही तंत्र नहीं है. किसी एक जाति या लिंग के आधार पर किसी को गलत या सही नहीं ठहराया जा सकता . पुरुष सभी गलत होते हैं या महिलाएं सभी अच्छी होती हैं. इस मान्यता से ऊपर उठना होगा. असहमति की गुंजाईस होनी चाहिए.

इस कैंपेन से क्या हो रहा है

मीटू के इस कैंपेन से हो यह रहा है कि करीब 10 साल या 20 साल या उससे भी ज्यादा समय के बाद महिलाएं अपने साथ हुए शोषण को सोशल मीडिया पर रख रहे हैं और उन लोगों को बेनकाब कर रही हैं जिन्होंने उनके साथ शोषण किया है अमेरिका की तरह भारत में भी यह कैंपेन फिल्मी दुनिया के इर्द-गिर्द घूम रहा है जबकि फिल्मी दुनिया में यौन कर्म एक आम बात है ऐसा माना जाता रहा है कास्टिंग काउच हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड तक आम बात है. फिल्मी दुनिया में कामयाबी पाने के लिए अपने आप को और अपने संबंधों को इस्तेमाल करना कोई नया नहीं है . लेकिन इस कैम्पेन से लोगों की नींद उड़ी हुई है. और कई नकाबपोश बेनकाब हुए हैं. यही इस कैंपेन की उपलब्धि है. इस कैंपेन के कारण शोषण करता की बदनामी हो रही है और उसे जवाब देते नहीं बन रहा है. महिला वर्ग खासकर महिला वादी लोग इस कैंपेन पर बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. कानूनी पहलू

इस कैंपेन का कानूनी पहलू यह है कि इसे कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है. हालांकि किसी भी शिकायत को थाने में दर्ज कराया जा सकता है. या फिर सीधे कोर्ट में मामला लिया जा सकता है. लेकिन काफी समय हो जाने के कारण सबूत और गवाह नष्ट हो चुके हैं और परिस्थितियां बदल चुकी हैं इसीलिए शोषण करता को सजा के निकट ले जाने में मुश्किल आ सकती है.

काश वंचित वर्ग की महिलाओ को इस कैम्पेन में जगह मिलती.

जैसा कि इस कैंपेन से नाम से जाहिर है की यह एक निजी कैंपेन है. किसी और की पीड़ा को इस कैंपेन में शामिल नहीं किया जा रहा है. इसीलिए इस कैंपेन के दौरान हुई अन्य महिलाओं के साथ बदसलूकी बलात्कार हत्याओं को इस कैंपेन में नहीं उठाया गया है. अब तक यह मामला या इसे कैंपेन कहें अभिजात्य वर्ग तक ही सीमित है या सेलिब्रिटी वर्ग तक सीमित है कह सकते हैं. कामवाली बियों समेत इसमें वे महिलाएं जो कमजोर और पीड़ित वर्ग की आती हैं उनकी बातों को तवज्जो नहीं दी जा रही है . ना ही वे ऐसा करने का हिम्मत कर पा रही है. यह इस कैंपेन का काला पक्ष है. काश दलित पिछड़ी और अल्पसंख्यक महिलाओं के साथ हुए शोषण को भी इस कैंपेन में जगह मिलती.

संजीव खुदशाह

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राजस्थान विधानसभा चुनाव : बसपा सभी 200 सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी

मध्य प्रदेश के बाद अब राजस्थान में भी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य की सभी 200 सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी. पार्टी का दावा है कि गठजोड़ की बातचीत सिरे नहीं चढ़ने का नुकसान कांग्रेस को होगा. बसपा के प्रदेश उपाध्यक्ष डूंगरराम गेदर ने पार्टी की चुनावी तैयारियों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि तैयारी चल रही है. पार्टी सभी 200 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. राज्य के विशेष रूप से अनुसूचित जाति एवं जनजाति मतदाताओं में अच्छी पैठ रखने वाली बसपा ने बीते कुछ चुनावों में धौलपुर, भरतपुर और दौसा के साथ साथ गंगानगर जिले की कुछ विधानसभा सीटों पर लगातार बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है. जिन सीटों पर पार्टी जीत नहीं सकी, वहां उसने परिणाम तय करने में बड़ी भूमिका निभाई. 2013 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने तीन सीटें जीतीं और आधा दर्जन से ज्यादा सीटों पर कांग्रेस को एक तरह से तीसरे नंबर पर धकेल दिया.

राज्य में बसपा 1990 से ही चुनाव लड़ रही है लेकिन उसे जीत का स्वाद 1998 में मिला जब उसके दो प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की. उस साल बसपा ने कुल 108 प्रत्याशी उतारे और उसे 2.17% वोट मिले. 2003 में बसपा 124 सीटों पर चुनाव लड़ी, दो पर जीती और उसे 3.98% वोट मिले. वहीं 2008 में विधानसभा चुनावों में बसपा का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा जब उसने 7.60 प्रतिशत वोटों के साथ छह सीटों पर जीत दर्ज की.

2013 में उसने 195 सीटों पर चुनाव लड़ा और तीन जगह उसे जीत भी मिली लेकिन उसका वोट प्रतिशत घटकर 3.37 प्रतिशत रह गया. राज्य में एससी की 34 और एसटी की 25 सीटें हैं. बसपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में 195 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. गेदर ने कहा कि इस बार सभी सीटों पर पार्टी प्रत्याशी खड़े करने की तैयारी है.

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जेल में ही बीतेगा रामपाल का पूरा जीवन

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हिसार। स्वयंभू बाबा रामपाल को हत्या के एक और मामले में हिसार की एक अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इससे पहले 16 अक्टूबर को भी रामपाल को 14 अनुयायियों के साथ उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. रामपाल को ये सजा एफआईआर नंबर 430 में सुनाई गई है. FIR 30 में रामपाल और उसके 13 समर्थकों पर नवंबर 2014 में बरवाला के सतलोक आश्रम में रामपाल के समर्थकों और पुलिस के बीच झड़प के दौरान आश्रम के भीतर एक महिला की हत्या का आरोप था.

एफआईआर 429 में रामपाल को 16 अक्टूबर को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. एफआईआर नंबर 429 के मुताबिक नवंबर 2014 में बरवाला के सतलोक आश्रम में रामपाल के समर्थकों और पुलिस के बीच झड़प के दौरान उस पर और उसके 15 समर्थकों पर चार महिलाओं और एक बच्चे की हत्या करने का आरोप था.

ससे पहले 11 अक्टूबर को कोर्ट ने रामपाल को दोनों मामलों में दोषी ठहराया था. रामपाल नवंबर 2014 से जेल में बंद है. इससे पहले, हिसार अदालत ने अगस्त 2017 में रामपाल को लोगों को बंधक बनाने, गैरकानूनी ढंग से इकट्ठा होने, लोकसेवक के आदेश की अवहेलना करने के दो मामलों में बरी कर दिया था. रामपाल पर फैसले को लेकर सुरक्षा के खास इंतजाम किए गए हैं. 17 अक्टूबर तक इलाके में धारा 144 लागू रहेगी और सुरक्षाकर्मी तैनात रहेंगे.

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सरकार ही जातिवादी है तो जनता का क्या

ज्ञात हो कि दिनांक 13 अक्तूबर 2018 को दिल्ली में प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के लिए  दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (DSSSB)  ने पोस्ट कोड – 16/17 & 01/18 की जो परीक्षा ली गई थी उसमे चमार जाति के संदर्भ में प्रश्न संक्या 61 पेज संख्य 17 में पूछा गया कि यदि पंडित:पडिताइन तो चमार का स्त्री लिंग क्या होगा? इसके उत्तर में चार विकल्प थे  ‘चमाराइन/ चमारिन/ चमारी/ चामिर. दिल्ली नगर निगम में प्राइमरी टीचर की भर्ती के लिए हुई परीक्षा में एक सवाल में आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया है जिसके चलते विवाद खड़ा हो गया है और अनुसूचित/अनुसूचित जाति के लोग दिल्ली सरकार द्वारा प्रयुक्त इस प्रकार अभद्र भाषा के इस्तेमाल से खासे नाराज़ हैं.

इससे भड़के दिल्ली सरकार के अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा, ‘यह बेहद ही गंभीर है और किसी भी सूरत में इसे बर्दाश्त न वाला प्रश्न है. प्रस्तुत संदर्भ में DSSSB के पास यह विकल्प था कि वह हिंदी की परीक्षा के प्रश्नपत्र में हिंदी साहित्य के वाल्मिकी, तुलसी, सूर, कबीर, रविदास दिनकर, मैथिलीशरण, निराला आदि की हिंदी से प्रश्न पूछता. पर जाति आधारित छिछले सवाल पूछकर DSSSB ने अपनी, भारतीय संविधान की, हिंदी की और इस देश की संस्कृति की गरिमा को चोट पहुंचाई है.’

राजेन्द्र पाल गौतम ने कहा कि सर्विस डिपार्टमेंट अभी भी उपराज्यपाल के अधीन है और इसी डिपार्टमेंट के DSSSB विभाग द्वारा ली जाने वाली प्राइमरी टीचर की प्रतियोगिता परीक्षा के प्रश्न संख्या 61 पर पूछे जाने वाले सवाल का क्या मतलब है. सोमवार को मुख्‍य सचिव से मिलकर बात करूंगा कि इस पर संज्ञान लें और इसकी अंतरिम जांच हो कि आखिर ऐसा किसके इशारे पर हुआ, उन पर मुकदमा दर्ज किया जाए.

बता दें कि अनुसूचित जाति की लिस्ट में शामिल जातियों के नाम लेना भी कानूनन अपराध माना जाता है. यही नहीं, हाल ही में देश के एक उच्च न्यायालय ने भी दलित शब्द के इस्तेमाल तक पर रोक लगाई है और केवल अनुसूचित जाति शब्द इस्तेमाल करने की इजाजत दी गई है. ऐसे में जाति सूचक शब्द का इस्तेमाल परीक्षा में किया जाना आपत्तिजनक तो है ही, साथ ही सवालिया निशान लगाता है कि आखिर कैसे इतने ऊंचे स्तर पर ये विरोधी काम हुआ? मैं समझता हूँ कि यह कोई चूक नहीं अपितु वर्चस्वशाली वर्ग द्वारा अपने को उच्च साबित करने का अपमान जनक काम किया है. प्रश्न पत्र जरूर एक व्यक्ति बनाता होगा किंतु उस प्रश्न पत्र का किसी समिति द्वारा पुनरावलोकन भी तो किया जाता होगा यह शायद पहला मौका ही होगा जब इस प्रकार की धृष्टता किसी शैक्षिक संस्थान द्वारा की गई है. कोई माने न माने यह एक जानीमानी शरारत है.

 उधर जब दिल्ली अधीनस्थ सीवा चयन बोर्ड (DSSSB) की शरारत का खुलासा हुआ तो जाहिर है अनुसूचित/जनजाति वर्ग के लोगों इसका जमकर विरोध किया तो जातिसूचक शब्द के इस्तेमाल पर DSSSB ने खेद जताया और कहा कि इवैलुएशन के दौरान इस प्रश्न को काउंट नहीं करेंगे. बोर्ड ने कहा, ‘दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड के संज्ञान में आया है कि हाल में एमसीडी प्राइमरी टीचर के लिए जो परीक्षा हुई उसमें एक सवाल में जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल हुआ है जो अनजाने में हुई गलती है. इस बारे में स्पष्ट किया जाता है कि पेपर सेट करने की प्रक्रिया बेहद गोपनीय होती है और पेपर का कंटेंट बोर्ड के अधिकारियों के साथ साझा नहीं किया जाता है. पेपर के अंदर क्या था यह उम्मीदवारों के सामने ही पहली बार सामने आया. जिस प्रश्न से समाज के किसी वर्ग विशेष की भावनाओं को ठेस पहुंचती है उसके लिए हमें खेद है. बोर्ड कदम उठा रहा है जिससे कि पेपर सेट करने वाले लोगों को इस विषय के बारे में जागरुक बनाया जा सके और भविष्य में दोबारा ऐसी घटनाएं ना हो.

इस बारे में स्पष्ट किया जाता है कि पेपर सेट करने की प्रक्रिया बेहद गोपनीय होती है और पेपर का कंटेंट बोर्ड के अधिकारियों के साथ साझा नहीं किया जाता है. माना कि ऐसा होता हो किंतु क्या पेपर सेटर ही एक अकेला मालिक होता जो जैसा चाहे वैसा पेपर तैयार करदे. यह विश्वास करने वाली बात नहीं है. कोई न कोई तो समिति होती होगी जो पेपर सेटर द्वारा तैयार किए पेपर का अवलोकन करता होगी. क्या उनके दिमाग में भी इस इस प्रश्न की ओर ध्यान नहीं गया.

स्मरणीय है कि सामाजिक स्तर पर तो ऐसे कुकृत्य हमेशा से होते रहे हैं . मसलन…. विगत में जातिसूचक शब्द का इस्‍तेमाल के लिए फंसे सलमान खान और शिल्पा शेट्टी भी चर्चा में बने रहे थे. उनकी इस हरकत के लिएदेश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन भी हुए. वहीं अब मुंबई में भी दोनों के खिलाफ जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल के लिए एफआईआर दर्ज की गई. यह भी कि सलमान की फिल्म ‘टाइगर जिंदा है’ के रिलीज होने के मौके पर ही उनका विरोध शुरू हो गया और कई सिनेमाघरों में तोड़फोड़ की गई.

पीलीभीत के बीसलपुर कोतवाली क्षेत्र के एक होटल में खाना खाने गए दलित लोगों को होटल मालिक ने खाना देने से इंकार ही नहीं किया अपित उन्हें जातिसूचक गालियां देकर होटल से भगा दिया था. पीलीभीत के बीसलपुर कोतवाली क्षेत्र के कस्बा निवासी अखिल भारतीय सफाई मज़दूर कांग्रेस के अध्यक्ष आकाश वाल्मीकि ने पुलिस को दी तहरीर में बताया कि वो अपने साथी गुलविन्दर वाल्मीकि संतोष वाल्मीकि सुमित वाल्मीकि और संजय वाल्मीकि के साथ बीसलपुर थाना क्षेत्र के ईदगाह चौराहे पर न्यू शमा होटल पर नॉनवेज खाने के लिये गये थे. तभी वहां मौजूद कस्बे का ही रहने वाला दबंग इरशाद उर्फ भूरा व होटल मालिक के पुत्र ने उसे व उसके साथयों को गालियां देनी शुरू कर दीं. साथ ही जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुये होटल पर खाना खिलाने से इंकार कर दिया.

एटा में दलित छात्र को तार से बांधकर जमकर पीटा, जातिसूचक शब्द भी कहे. बताया ये जा रहा है कि घायल छात्र को जब उसके परिजन कोतवाली लेकर पहुंचे तो पुलिस ने कार्रवाई करने से इंकार कर दिया. इसके बाद पुलिस और परिजनों में जमकर बहस हुई. घायल छात्र का कहना है कि मामला भाजपा नेता से जुड़ा है. छात्र के मुताबिक कुछ समय पहले उसकी उन लोगों से कहासुनी हो गई थी जिसका बदला लेने के लिए उन लोगों ने उसे बेरहमी से पीटा है. जब इस मामले में एएसपी एटा संजय कुमार से बात की गई तो उन्होंने एससी/एसटी एक्ट के तहत कड़ी कार्रवाई की बात कही है

गोरखपुर विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग में जहर खाकर शोध छात्र दीपक कुमार ने बृहस्पतिवार को खुदकुशी करने की कोशिश की. गंभीर हालत में शोध छात्र को जिला अस्पताल ले जाया गया. हालत बिगड़ने के बाद उसे बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया. जहर खाने से पहले शोध छात्र ने मोबाइल से वीडियो बनाया और डीन कला संकाय प्रो सीपी श्रीवास्तव के साथ विभागाध्यक्ष प्रो द्वारिकानाथ पर उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगाया.  दीपक ने कहा कि तीन महीने से दौड़ाया जा रहा है. साथ ही जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करके अपमानित किया जा रहा. इस मामले को विश्वविद्यालय प्रशासन ने गंभीरता से लिया.

आजमगढ़ में दलित राजगीर की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. तीन आरोपी गिरफ्तार भी हुए किंतु वही ढाक के तीन पात. हिन्दुस्तान टीम, फरीदाबाद के अनुसार ट्यूशन से पढ़कर घर जा रहे स्कूटी सवार कक्षा नौवीं के छात्र के साथ मारपीट करने तथा जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर जान से मारने की धमकी देने का मामला प्रकाश में आया है. बताया जा रहा है कि सदर थाना पुलिस ने पीड़ित छात्र की शिकायत पर चार नामजद आरोपियों के खिलाफ एसएटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है.

यथोक्त जो भी वारदातें हैं, सामाजिक स्तर पर होने वाले भेदभाव का प्रदर्शन हैं, जो नई नहीं हैं किंतु हैं तो दलित विरोधी ही. प्रशासन है कि ऐसे घटनाओं के खिलाफ या तो कोई कार्यवाही होती ही नहीं या फिर कछुए की चाल से कार्यवाही की जाती है. किंतु दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (DSSSB) तो एक सरकारी संस्थान है. इसने ने शिक्षकों की भर्ती प्रकिया में इस तरह के जाति संदर्भित प्रश्न पूछकर जातिवादी मानसिकता का ही परिचय दिया है जो भारत के सामाजिक विकास में अवरोध तो पैदा करेगा ही अपितु समाज में वैमनस्य भी पैदा करेगा. सरकारी संस्थानों में विशेषकर शिक्षण संस्थानों में ऐसे प्रश्न पूछकर जाति आधारित भेदभाव को बढ़ावा देना ही कहा जाएगा. अत: यह समाज हित में यह श्रेयकर ही होगा कि प्रश्न पत्र बनाने वाले  व्यक्ति और चयन बोर्ड के चेयरमैन को तत्काल प्रभाव से उनके पदों से बर्खास्त करेके इनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही भी की जाए. और बोर्ड द्वारा यह कहना कि पेपर की जांच के दौरान इस प्रश्न को काउंट नहीं किया जाएगा. तो क्या इससे कथित गलती की पूर्ति हो जाएगी? क्या दलितों के कथित अपमान का कलंक धुल जाएगा? क्या बोर्ड द्वारा अपने कुकृत्य पर अफसोस जाहिए करना काफी है. जातिसूचक शब्द के इस्तेमाल पर DSSSB द्वारा खेद जताना, तो ठीक ऐसे है जैसे नाक काटकर रूमाल से पौंछ देना.

यहाँ यह भी अफसोस है दिल्ली के मुख्य मंत्री केजरीवाल और उप-मुख्य मंत्री मनीश सिसोदिया इस मामले पर मूकदर्शक बने हैं. विदित हो कि मनीश सिसोदिया शिक्षा मंत्री का कार्यभार सम्भाले हुए हैं. इनसे इस मसले पर कुछ बोलने की आशा भी नहीं की जा सकती क्योंकि ये वही लोग है जिन्होंने यूथ फार इक्वालिटी के बैनर तले सबसे पहली एम्स दिल्ली में अनुसूचित/अनुसूचित जाति के छात्रों हेतु आरक्षण का विरोध किया था. ऐसे में सवाल उठता है कि जब सरकार ही जातिवादी है तो जनता का क्या.

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यूपीः पांच दिन में तीन BSP नेताओं की हत्या

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उत्तर प्रदेश में अपराधियों के हौसले इस कदर बुलंद है कि बीते पांच दिनों के अंदर तीन बसपा नेताओं की हत्या हो चुकी है. इन वारदातों से प्रदेश की कानून- व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. इन नेताओं में जुर्गाम मेहंदी, श्रीप्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना और पूर्व विधायक हाजी अलीम शामिल हैं. इन नामों को देखकर एक सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या उत्तर प्रदेश में राजनीति हत्याएं शुरू हो गई हैं?

दरअसल एक के बाद एक बसपा के जिन तीनों नेताओं की हत्या हुई है, वो सभी पार्टी के कद्दावर नेता थे और उन सभी का अपना एक अलग रसूख भी था. यूपी के अंबेडकरनगर जिले में बहुजन समाज पार्टी के वरिष्ठ नेता ज़ुर्गाम मेहंदी और उनके कार चालक सुनीत यादव की 15 अक्टूबर को गोली मारकर हत्या कर दी गई. डबल मर्डर की ये वारदात अंबेडकरनगर के हंसवार थाना क्षेत्र की है. नसीराबाद में रहने वाले बसपा के वरिष्ठ नेता ज़ुर्गाम मेहंदी सोमवार की सुबह अपनी कार में टांडा की तरफ जा रहे थे. जैसे ही उनकी कार रामपुर स्थलवा के पास पहुंची, तभी दो मोटरसाइकिलों पर आधा दर्जन बदमाशों ने उनकी कार पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं.

इसी तरह 14 अक्टूबर को गाजीपुर जमानिया क्षेत्र में मदनपुरा गांव में बसपा नेता श्रीप्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना की गोली मारकर हत्या कर दी गई है. उनका शव नहर में मिला. उन्हें पीठ पर गोली मारी गई है. पुलिस ने इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है. श्रीप्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना ने 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा से नाता तोड़कर बसपा का दामन थाम लिया था. बुलंदशहर के बसपा नेता और पूर्व विधायक हाजी अलीम का 10 अक्टूबर को बेडरूम में शव मिला था. उनके शरीर पर गोली लगी हुई थी. परिजन हत्या की आशंका जता रहे हैं.

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हेमा मालिनी से नजदीकी बढ़ाने के लिए धर्मेन्द्र करते थे ये काम

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नई दिल्ली। ड्रीम गर्ल की अगर कोई परिभाषा होती तो हेमा मालिनी उसमें एकदम फिट बैठतीं. वह खूबसूरत हैं, अच्छी डांसर हैं, अच्छी ऐक्टर हैं, अच्छी मां और अच्छी पत्नी भी हैं. 16 अक्टूबर यानी आज उनका बर्थडे है. आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक किस्से…

हेमा मालिनी का जन्म 16 अक्टूबर 1948 में वीएस रामानुजम चक्रवर्ती और जया चक्रवर्ती के घर सबसे छोटी संतान के रूप में हुआ था. वह तमिलभाषी अयंगर फैमिली से हैं और हेमा की मां फिल्म प्रड्यूसर थीं. हेमा ने 1961 में एक तमिल फिल्म में डांसर के रूप में परफॉर्म करके अपने करियर की शुरुआत की थी.

ज्यादा इंट्रेस्टिंग बात यह है कि 1964 में उन्हें एक तमिल फिल्म डायरेक्टर ने हेमा को यह कहकर रिजेक्ट कर दिया था कि वह बहुत पतली हैं. खैर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और उन्होंने 1968 में राज कपूर के ऑपोजिट सपनो का सौदागर से बॉलिवुड में डेब्यू किया. यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई थी.

वैसे तो हेमा मालिनी ने अपने समय के ज्यादातर सभी बड़े स्टार्स के साथ किया लेकिन कुछ साथ उनकी जोड़ी काफी हिट रही. जिनमें से एक नाम है राजेश खन्ना. सुपरस्टार राजेश के साथ हेमा ने 10 हिट फिल्में दीं. वहीं धर्मेंद्र के साथ उन्होंने 35 फिल्मों में काम किया.

ऐसा कहा जाता है कि रमेश सिप्पी की ब्लॉक बस्टर फिल्म शोले के दौरान धर्मेंद्र को हेमा मालिनी से प्यार हो गया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अपनी ऑटोबायॉग्रफी में हेमा ने यह बात भी बताई है कि उन्हें जितेंद्र और संजीव कुमार ने भी शादी के लिए प्रपोज किया था लेकिन उन्होंने धर्मेंद्र से शादी कर ली. बता दें कि धर्मेंद्र औऱ हेमा की उम्र में 13 साल का फर्क है.

फिल्म शोले की शूटिंग के दौरान धर्मेंद्र और हेमा से जुड़ी एक और मजेदार कहानी रिपोर्ट्स में आ चुकी है. इस कहानी के मुताबिक, शोले की शूटिंग के वक्त जब धर्मेंद्र और हेमा का सीन शूट होता था तो धर्मेंद्र लाइटबॉय को सीन खराब करने के लिए पैसे दे देते थे. वह ऐसा इसलिए करते थे ताकि उन्हें हेमा के साथ ज्यादा से रीटेक का मौका मिले. खैर इस फिल्म के 5 साल बाद दोनों ने शादी कर ली.

हेमा के लिए धर्मेंद्र से शादी करना इतना आसान नहीं था क्योंकि वह पहले से ही शादीशुदा थे. उनकी बीवी ने धर्मेंद्र को तलाक देने से इंकार कर दिया. इसके बाद हेमा और धर्मेंद्र ने शादी करने के लिए इस्लाम अपनाया. हेमा और धर्मेंद्र की दो बेटियां एशा और अहाना देओल हैं.

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छत्तीसगढ़ में आधा दर्जन रैलियां करेंगी बहनजी, देखिए कार्यक्रम

फाइल फोटोः छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में आयोजित रैली के दौरान मायावती

नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में गठबंधन के अपने सहयोगी अजीत जोगी के साथ सफल रैली करने के बाद बसपा प्रमुख मायावती जल्दी ही एक बार फिर छत्तीसगढ़ में होंगी. इस बार वो अकेले ही बसपा उम्मीदवारों के पक्ष में चुनाव प्रचार करेंगी. नवंबर महीने में अपने तूफानी दौरे में बसपा अध्यक्ष तीन दिनों 4 नवंबर फिर 16 और 17 नवंबर को छत्तीसगढ़ में रैलियों को संबोधित करेंगी. इस दौरान वो भाजपा और कांग्रेस के सामने अपने ताकत को दिखाने की कोशिश करेंगी.

मायावती बीते 13 अक्टूबर को बिलासपुर में महारैली करके अपनी संयुक्त ताकत को अन्य दलों को दिखा चुकी हैं. इसी कड़ी में बसपा मुखिया एक बार फिर छत्तीसगढ़ में होंगी. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ओपी बाजपेयी के मुताबिक इन तीन दिनों में बहनजी तकरीबन 6 रैलियों को संबोधित करेंगी. सबसे पहले 4 नवंबर को सुश्री मायावती की रैली सुबह 10 बजे राजनांद गांव जिले के डोंगरगढ़, और उसी दिन दोपहर 12 बजे दुर्ग जिले के भिलाईनगर में होगी. इसके बाद 16 नवंबर की सुबह 10 बजे आमसभा बसपा के प्रभाव वाले जांजगीर चाम्पा जिले के जांजगीर में और उसी दिन दोपहर 12 बजे रायपुर में आमसभा करेंगी. 17 नवंबर को बसपा की रैली सुबह 10 बजे बेमेतरा जिले के नवागढ़ में और उसी दिन दोपहर 12 से जिला बलौदाबाजार के कसडोल में होगी.

बसपा सुप्रीमो मायावती अपना फोकस छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव पर ज्यादा कर रही हैं. यह फोकस इसलिए और बढ़ गया है. क्योंकि अजीत जोगी की पार्टी से उनकी पार्टी के साथ गठबंधन के बाद दोनों ही दल सरकार बनाने के प्रबल दावेदार मान रहे हैं.

MeToo अभियान पर मायावती का बड़ा बयान

नई दिल्ली। MeToo अभियान को लेकर जहां तमाम राजनीतिक दलों और मीडिया दिग्गजों ने चुप्पी साध रखी है, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती ने इस पर बड़ा बयान दिया है. सुश्री मायावती ने ‘मी टू’ अभियान के तहत 14 महिलाओं से दुर्व्यवहार और यौन शोषण के आरोपों में फंसे केंद्रीय मंत्री एम.जे. अकबर पर कार्रवाई नहीं करने को लेकर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाले पीएम मोदी को घेरा है. बसपा प्रमुख ने कार्रवाई नहीं करने को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार को हठधर्मी और अहंकारी कहा.

उन्होंने एम. जे. अकबर द्वारा अपने पर लगे आरोपों को राजनीतिक रंग दिए जाने की निंदा करते हुए कहा, “इस मी टू अभियान में जहां कई महिलाओं ने आगे आकर अपने साथ हुए शोषण और यौन उत्पीड़न के घटनाक्रमों को हिम्मत के साथ मीडिया के सामने रखा, वहीं बीजेपी एंड कंपनी इस अति संवेदनशील मुद्दे पर भी खामोश तमाशाई और मूकदर्शक बनी हुई है.”

एम. जे अकबर पर लगे आरोपों को आधार बनाते हुए बीएसपी प्रमुख ने भाजपा को भी कठघरे में खड़ा किया. उन्होंने कहा कि “आरोपों के कठघड़े में खड़े मंत्री से ज्यादा यह घटनाक्रम बीजेपी व केंद्र सरकार की महिला सम्मान के प्रति असंवेदनशील व इनके घोर महिला विरोधी चाल, चरित्र व चेहरे को देश दुनिया के सामने पूरी तरह से बेनकाब करता है.”

उन्होंने कहा कि- “बीजेपी सरकारों में कानून-व्यवस्था, महिला सुरक्षा व सम्मान का बहुत बुरा हाल है, लेकिन चुनावी और राजनीतिक स्वार्थ के लिए पीड़ित महिलाओं की आवाज को पूरी तरह से असंवेदनशील होकर एक सिरे से नजरअंदाज कर देना एक ऐसा कृत्य है, जिसे शायद देश में कभी भी भुलाया नहीं जा सकेगा. इसका खामियाजा भी बीजेपी को आने वाले चुनावों में भुगतना पड़ेगा.”

सुश्री मायावती ने कहा कि फिल्म, खेल, मीडिया सहित सभी जगहों पर ऐसे यौन उत्पीड़न व शोषण के लगने वाले आरोपों के संबंध में कार्रवाइयों के उदाहरण देखने को मिल रहे हैं और इसकी निंदा व विरोध किया जा रहा है. ऐसे में बीजेपी और केंद्र सरकार का अपने मंत्री के खिलाफ कोई भी कार्रवाई न करना हठधर्मी सरकार के अहंकारी होने का भी जीता-जागता प्रमाण है.

ऐसे वक्त में जब ‘मी टू’ पर राजनीति के दिग्गजों ने चुप्पी साध रखी है, बसपा प्रमुख मायावती के इस बयान से एक हलचल शुरू हो सकती है.

कांशीराम भवन का लोकार्पण हुआ

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जालंधर। बसपा संस्थापक मान्यवर श्री कांशीराम जी के 12वें प्रीनिर्वाण दिवस पर बहुजन समाज पार्टी की ओर से राज्य सत्र पर एक विशेष कार्यक्रम पार्टी के जालंधर के नकोदर रोड पर स्थित स्टेट ऑफिस में आयोजित किया गया. जिसमें हजारों की तादाद में बसपा कार्यकर्तायों ने भाग लिया. इस अवसर पर मान्यवर कांशी राम जी की याद में ‘‘मान्यवर साहेब कांशी राम भवन’’ का उदघाटन किया गया. इससे पहले बसपा के कार्यकर्ता खुले आसमान के नीचे बैठकें किया करते थे. अब बनाये गये भवन में बैठने के लिए डबल स्टोरी हॉल का बंदोबस्त हो गया है जो वातानुकूल है. एक तरफ एक मंच बनाया गया है और मंच पर बाबा साहेब डाः आंबेडकर, साहेब कांशी राम और बहन कुमारी मायावती जी की मीर्तियां लगाई गई हैं. इस भवन के द्वार पर बसपा के चुनाव चिन्ह हाथी का निशान लगाया गया है. ये भवन बसपा कार्यकर्तायों ने अपनी मेहनत की कमाई से बनाया है. इस अवसर पर बसपा के स्टेट इंचार्ज एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व एम.एल.सी. डाः मेघराज सिंह, प्रदेशाध्यक्ष रशपाल सिंह राजू ने पार्टी के संस्थापक साहेब श्री कांशी राम जी के नाम पर भव्य भवन के निर्माण पर पार्टी कार्यकर्तायों को बधाई पेश की.

जालंधर से कुलवंत सिंह टिब्बा की रिपोर्ट

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ऐसे बनाए जाते है देवी-देवता

(ऐसा नहीं है कि किसी व्यक्ति को भगवान बनाने का यह पहला मामला है. जैसी मेरी जानकारी है, फिल्मी कलाकार रजनीकांत, अमिताभ बच्चन, क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर आदि के मंदिर पहले से ही बने हुए हैं. भाजपा के वर्तमान शासनकाल में नाथूराम गोडसे का मन्दिर बनाने की बात भी जोरों पर है… शायद कहीं बना भी दिया गया हो. इनके पीछे के तर्कशास्त्रा को भी अपने-अपने तरीके से ईजाद किया जा चुका है, जैसा कि सिंधिया के विषय तर्क दिया जा रहा है कि वसुंधरा का अर्थ धरती माता होता है. यही नहीं वोहरा सिंधिया को मंदिर के माध्यम से मां कल्याणी के रूप में भी स्थापित करने जा रहे हैं…. और मोदी जी को भगवान बनाने की बारी है.)

13.10.2018 : एन डी टी वी के हवाले से खबर आई है कि महाराष्ट्र के भाजपा प्रवक्ता अवधूत वाध ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भगवान विष्णु का ‘ग्यारहवां अवतार’ बताया है. जिसका विपक्ष ने मजाक उड़ाया और कांग्रेस ने देवताओं का ‘अपमान’ करार दिया. प्रदेश भाजपा प्रवक्ता अवधूत वाघ ने ट्वीट किया, ‘सम्मानीय प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी भगवान विष्णु का ग्यारहवां अवतार हैं. ’ एक मराठी चैनल के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, ‘देश का सौभाग्य है कि हमें मोदी में भगवान जैसा नेता मिला है.’ उल्लेखनीय कि आज तक आर एस एस और भाजपा भगवान बुद्ध को विष्णु का दसवां अवतार बताते रहे हैं. अब सवाल ये उठता है कि विष्णु के कितने अवतार होंगे? क्या यह आर एस एस और भाजपा की नजरों मे उनके देवी-देवताओं का अपमान नहीं है? क्या यह भाजपा की खोती जा रही राजनीतिक जमीन को हासिल करने की कवायद नहीं है?

वैसे तो भाजपा प्रवक्ता अवधूत वाघ की इस टिप्पणी को ज्यादा तवज्जों देने की बात नहीं है किंतु भाजपा की संस्कृति के निम्नस्तर की झलक है, इसलिए इस टिप्पणी पर दिमाग देने की जरूरत तो है. अवधूत वाध की इस टिप्पणी पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने तो यहाँ तक कहा, ‘वाघ वीजेटीआई से अभियांत्रिकी स्नातक हैं. अब इस बात की जांच करने की जरुरत है कि उनका (डिग्री) सर्टिफिकेट असली है या नहीं. ऐसी उनसे आशा नहीं थी.’ वीरमाता जीजाबाई टेक्नोलोजी इंस्टीट्यूट (वीजेटीआई) एिशया में सबसे पुराने अभियांत्रिकी महाविद्यालयों में एक है. यह वीरमाता जीजाबाई टेक्नोलोजी इंस्टीट्यूट के शिक्षा स्तर पर भी यह एक दाग है. बताते चलें कि वीरमाता जिजाबाई तकनीकी संस्थान (वीजेटीआई) मुंबई में एक इंजीनियरिंग कॉलेज है. 1887 में स्थापित, यह एशिया के सबसे पुराने इंजीनियरिंग कॉलेजों में से एक है. इसे 26 जनवरी, 1 997 को अपना वर्तमान नाम अपनाए जाने तक विक्टोरिया जुबली तकनीकी संस्थान के रूप में जाना जाता था.

एक मराठी चैनल के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, ‘देश का सौभाग्य है कि हमें मोदी में भगवान जैसा नेता मिला है.’ …अब कोई वाध से पूछे कि अब तक बनाए गए देवी देवता और भगवानों की बल पर देश का कितना भला हुआ है अथवा सुरक्षित रहा है, तो शायद वो आसमान की ओर मुंह करके खड़े हो जाएंगे.

राजनीतिक बुद्धिजीवियों के इस वर्तमान प्रकरण में, मुझे बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा बुद्धिजीवियों के विषय में लिखी गई कुछेक पंक्तियां याद आ रही हैं. बाबा साहेब कहते हैं कि प्रत्येक देश में बुद्धिजीवी वर्ग सर्वाधिक प्रभावशाली वर्ग रहा है. वह भले ही शासक वर्ग न रहा हो. बुद्धिजीवी वर्ग वह है, जो दूरदर्शी होता है, सलाह दे सकता है और नेतृत्व प्रदान कर सकता है….बुद्धिजीवी वर्ग धोखेबाजों का गिरोह या संकीर्ण गुट के वकीलों का निकाय भी हो सकता है, जहां से उसे सहायता मिलती है. अब आप स्वयं सोचिए कि आज की भारतीय राजनीति में क्या हो रहा है? आप जैसे नेताओं को जैसे बुद्धिजीवियों कौन से श्रेणी में रखना चाहेंगे? क्या ध्रर्म व संस्कृति के ठेकेदारों को इस दिशा में ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है? कहने की जरूरत नहीं कि स्वार्थी तत्वों व अवसरवादियों ने सदैव धर्म का दुरुपयोग किया है. भगवा आतंकवाद भी धर्म के दुरुपयोग का एक बेहद घिनौना रूप है.

देवी-देवता और भगवान कैसे बनाए जाते हैं यह जानने के लिए मैं कुछ पुराने उदाहरण देना चाहता हूँ. सबसे पहले राजस्थान के हेमंत वोहरा का ही किस्सा ले लीजिए. उन्होंने अवसरवाद व संकीर्ण सोच के चलते राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को पहले तो पोस्टर के माध्यम से देवी बनाने का अभियान चलाया. संभवतः इसके उत्साही परिणाम निकलने बावजूद ही उसने वसुंधरा राजे का मंदिर बनाने की योजना को अंजाम दे डाला. इसके लिए स्थान, आर्किटेक्ट, पत्थर की किस्म, मूर्ति का आकार, शेर की सवारी व उद्घाटन आदि को अंतिम रूप भी प्रदान कर दिया गया है. ऐसा नहीं है कि किसी व्यक्ति को भगवान बनाने का यह पहला मामला है. जैसी मेरी जानकारी है, फिल्मी कलाकार रजनीकांत, अमिताभ बच्चन, क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर आदि के मंदिर पहले से ही बने हुए हैं. भाजपा के वर्तमान शासनकाल में नाथूराम गोडसे का मन्दिर बनाने की बात भी जोरों पर है… शायद कहीं बना भी दिया गया हो. इनके पीछे के तर्कशास्त्रा को भी अपने-अपने तरीके से ईजाद किया जा चुका है, जैसा कि सिंधिया के विषय तर्क दिया जा रहा है कि वसुंधरा का अर्थ धरती माता होता है. यही नहीं वोहरा सिंधिया को मंदिर के माध्यम से मां कल्याणी के रूप में भी स्थापित करने जा रहे हैं…. और मोदी जी को भगवान बनाने की बारी है.

यह अवसरवादी कवायद हमें सोचने पर विवश करती है – क्या किसी व्यक्ति का नाम ही वह कसौटी है, जिसके आधार पर देवी-देवता व भगवान बनाए जाते हैं. क्या यह देवी-देवता व भगवान बनाने की प्रक्रिया इस हकीकत को पुख्ता नहीं करती है कि अन्य देवी-देवता व भगवान भी संभवतः इसी प्रकार बनाए गए होंगे.

आकलन करें तो देवी-देवताओं और भगवानों संख्या 86 करोड़ से भी ऊपर पहुंच गई होगी. यदि यह हकीकत है तो निस्संदेह किसी भी धर्म के लिए यह बेहद खौफनाक है. यकीनन भगवान बनाने वाले व बनने वाले दोनों महान हो सकते हैं क्योंकि भगवान को बनाना और बनना दोनों ही बहुत बड़ी बात हैं. दूसरे, इनके रहमोकरम पर ही तो आजकल भारत में अमनचैन/अशांति निर्भर है. अच्छा है, ये जिसे चाहें देवी-देवता व भगवान बना दें, लेकिन जिनके कारण ये भगवान बनने और बनाने वाले आजादी की सांस ले सके हैं, उनका अपमान करने का अधिकार तो किसी को नहीं होना चाहिए. लेकिन ऐसा हो रहा है. दिल्ली से निकलने वाले अखबार ‘अमर उजाला’ दिनांक 11-7-2008 में देश के शहीदों को आतंकवादी शब्द से नवाजे जाने से दिल छलनी हो जाता है. राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान की 12वीं कक्षा की इतिहास की पुस्तक में एक ही पाठ में 9 जगह पर शहीद भगतसिंह को आतंकवादी का दर्जा दिया गया. इस प्रकरण से संस्थान के अधिकारी तो पल्ला झाड़ ही रहे हैं,

लेकिन राजनेता भी मौन धारण किए हुए हैं. जिन योद्धाओं के बलिदान पर भारत को राजनीतिक स्वतंत्राता मिली, उन्हीं का इस तरह अपमान किया जाना, क्या राष्ट्र का अपमान नहीं है? भगवान बनने व बनाने वालों को थोड़ी चिंता इसकी भी होनी चाहिए.

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अम्बेडकरनगर में बसपा नेता की हत्या

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अम्बेडकरनगर। उत्तर प्रदेश के अम्बेडकरनगर में सोमवार को बसपा नेता जुरगाम मेहंदी और उनके ड्राइवर की दिनदहाड़े गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई. जुगराम मेहंदी को बसपा के वरिष्ठ नेता लालजी वर्मा का करीबी बताया जाता है. हमले में गोलियों की चपेट में आने से दो राहगीर भी घायल हो गए.

गौरतलब है कि अम्बेडकरनगर के हंसवर थाना क्षेत्र में सोमवार को बसपा नेता जुरगाम मेहंदी की गाड़ी पर अज्ञात बदमाशों ने हमला किया. बाइक सवार बदमाशों ने बसपा नेता की गाड़ी को घेर लिया और ताबड़तोड़ फायरिंग की. हमले में गाड़ी में सवार जुरगाम के ड्राइवर की मौके पर ही मौत हो गई है. वहीं हमला करने के बाद हमलावर फरार हो गए. इसके बाद लोगों ने जुरगाम मेहंदी को जिला अस्पताल में भर्ती कराया. अस्पताल में डॉक्टरों ने जुरगाम को मृत घोषित कर दिया.

छत्तीसगढ़ः बसपा-जोगी गठबंधन के साथ आई ये बड़ी पार्टी

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी बहुजन समाज पार्टी और छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस को एक और सफलता मिल गई है. प्रदेश में मायावती और जोगी गठबंधन में अब कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया यानि सीपीआई भी शामिल हो गई है. इस नए गठबंधन के बाद सीपीआई को दो सीटें दी गई है. सीपीआई बस्तर के दंतेवाड़ा और कोंटा सीट से अपने उम्मीदवार उतारेगी. दोनों ही सीटों पर सीपीआई का दबदबा है और पहले ये दोनों सीटें उसी के कब्जे में थी.

इस मामले में बसपा प्रमुख मायावती से हरी झंडी मिलने के बाद सीपीआई को गठबंधन में शामिल किया गया. यही नहीं, बल्कि बसपा ने सीपीआई के लिए अपने कोटे की दोनों सीटें छोड़ दी है. अब बसपा 35 की बजाय 33 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इससे यह भी साफ हो गया है कि कांग्रेस और भाजपा को रोकने के लिए बसपा कितनी गंभीर है. इस घोषणा के दौरान बसपा की ओर से छत्तीसगढ़ के प्रभारी और राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ भी मौजूद थे.

14 अक्टूबर को बसपा और सीपीआई के पदाधिकारियों के साथ संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में जनता कांग्रेस सुप्रीमो अजीत जोगी ने कहा कि “छत्तीसगढ़ में बसपा और छजकां गठबंधन की लोकप्रियता को देखते हुए सीपीआई भी हमारे साथ शामिल हो रही है. सीपीआई के शामिल होने से गठबंधन को मजबूती मिलेगी और बस्तर, सरगुजा व भिलाई में फायदा होगा. इससे मजूदर और किसान वर्ग के बीच हमारी ताकत और बढ़ेगी.

जहां तक सीपीआई का सवाल है तो बस्तर संभाग की दंतेवाड़ा और कोंटा सीटों पर सीपीआई की शुरू से ही बहुत मजबूत पकड़ रही है. अविभाजित मध्यप्रदेश के समय 1990 और 1993 के चुनावों में इन दोनों सीटों पर सीपीआई ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद 1998 के विधानसभा चुनावों में इन दोनों सीटों पर सीपीआई के प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे. इस नए गठबंधन से अब प्रदेश भर के दलितों, आदिवासियों, कामगारों, मजदूरों और किसानों का एक ऐसा गठबंधन बन गया है, जो सबसे ज्यादा पीड़ित रहा है. वंचितों का यह गठजोर क्या गुल खिलाएगा, यह चुनाव के नतीजे तय करेंगे.

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दूसरे टेस्ट में शानदार जीत के साथ टीम इंडिया का सीरीज पर कब्जा

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हैदराबाद। भारत और विंडीज के बीच खेले गए दूसरे और आखिरी टेस्ट में भारत ने 10 विकेट से शानदार जीत दर्ज कर 2-0 से सीरीज भी अपने नाम कर ली. पहली और दूसरी पारी में भारतीय गेंदबाजों ने सधी हुई गेंदबाजी करते हुए अपना बेहतरीन खेल दिखाया और विंडीज के खिलाड़ियों को एक-एक कर चलता किया. भारत की ओर से उमेश यादव ने शानदार गेंदबाजी करते हुए कुल 10 विकेट लिए. इस तरह उन्होंने टेस्ट करियर में पहली बार किसी मैच में 10 विकेट लेने का भी कारनामा किया. उन्हें “मैन ऑफ द मैच” चुना गया. वहीं अपने डेब्यू टेस्ट में 134 रनों की शतकीय पारी और दूसरे टेस्ट में 70 रनों की अर्धशतकीय पारी खेलने वाले युवा बल्लेबाज पृथ्वी शॉ को “मैन ऑफ द सीरीज” चुना गया. बता दें कि ये टीम इंडिया की घरेलू धरती पर लगातार 10वीं जीत है.

पहली पारी में वापसी करने के बाद विंडीज की दूसरी पारी भारतीय गेंदबाजों की शानदार गेंदबाजी के आगे धराशाही हो गई. तीसरे दिन विंडीज के बल्लेबाजों ने टीम को ख़राब शुरुआत दी और टीम के 4 खिलाड़ी 50 रनों से पहले ही पैवेलियन लौट गए. टीम के ओपनर बल्लेबाज ब्रेथवेट और पावेल तो खाता तक नहीं खोल पाए. वहीं 28 रन बनाकर क्रीज पर डटने की नाकाम कोशिश में जुटे होप को जडेजा ने चलता किया. वहीं हेटमेयर को कुलदीप यादव ने पुजारा के हाथों 17 रन पर कैच आउच करवाया. अपने अर्धशतक के नजदीक पहुंच रहे सुनील अंबरीश को जडेजा ने 38 रन पर LBW आउट किया. तेज गेंदबाज उमेश यादव ने डोवरिच को दूसरा और चेज को अपना तीसरा शिकार बनाया. वहीं पहली पारी में अर्धशतक बनाने वाले विंडीज के कप्तान दूसरी पारी में 19 रन पर आउट हो गए, जडेजा ने उनका विकेट लिया. उमेश यादव ने गैब्रियल को 1 रन पर बोल्ड कर विंडीज की दूसरी पारी 127 रनों पर समेट दी. दूसरी पारी में उमेश यादव ने सर्वाधिक 4 विकेट लिए.

विंडीज के खिलाफ बेहतरीन फॉर्म में चल रहे उमेश यादव ने दूसरे टेस्ट में अपनी घातक गेंदबाजी से विंडीज के खिलाड़ियों को ज्यादा देर तक क्रीज पर टिकने नहीं दिया. बता दें कि पहली पारी में उन्होंने सर्वाधिक 6 विकेट झटके थे. वहीं दूसरी पारी में 4 विकेट लेकर उमेश ने एक टेस्ट में 10 विकेट लेने का कारनामा भी किया.

इससे पहले विंडीज की टीम ने रोस्टन चेज के शतक के दम पर पहली पारी में 311 रन बनाए थे. विंडीज की ओर से चेज ने 106 रन की शतकीय पारी खेली थी. वहीं भारत की ओर से पहली पारी में तेज गेंदबाज उमेश यादव ने 6 विकेट लिए थे.

पहली पारी में विंडीज को पहला झटका स्पिनर अश्विन ने दिया था, उन्होंने ओपनर कीरन पावेल को जडेजा के हाथों कैच आउट करवाया. इसके बाद कुलदीप यादव ने ब्रेथवेट को LBW आउट कर विंडीज को दूसरा झटका दिया था. वहीं उमेश यादव ने विंडीज को तीसरा झटका होप को LBW आउट कर दिया था. हेटमायेर कुलदीप का दूसरा शिकार बने, कुलदीप ने भी हेटमायेर को LBW आउट किया. कुलदीप ने ही सुनील अंबरीश को जडेजा के हाथों कैच आउट करवाकर अपना तीसरा और पारी का 5वां विकेट लिया था. उमेश ने डॉवरिच को LBW आउट कर विंडीज को छठा झटका दिया था. वहीं विंडीज के कप्तान जेसन होल्डर ने शानदार 52 रन की पारी खेलकर चेज के साथ 100 रनों से ज्यादा की साझेदारी भी की थी. होल्डर उमेश यादव का शिकार बने थे. इसके बाद दूसरे दिन उमेश यादव ने देवेंद्र बिशू, रोस्टन चेज और गैब्रियल को आउट कर विंडीज की पारी 311 रन पर समेट दी थी.

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दस दिन भी वादे पर खरी नहीं उतर सकी मोदी सरकार

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नई दिल्ली। मोदी सरकार पेट्रोल और डीजल के दाम में कमी कर अपनी पीठ थपथपाना चाहती थी. लेकिन सरकार द्वारा दिखाई गई दिलेरी की कलई दस दिन के भीतर ही खुल गई. दाम कम होने के बाद दाम स्थित नहीं रह पाएं और फिर से लगातार बढ़ते गए. ऐसे में पेट्रोल और डीजल की कीमत फिर से अपने पुराने स्तर पर आ गई है. सोमवार को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 82.72 रुपये प्रति लीटर जबकि डीजल की कीमत 75.46 रुपये प्रति लीटर हो गया.

गौरतलब है कि 5 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल के दामों में 2.5 रुपये की कटौती की थी. लेकिन ये कटौती स्थित नहीं रह सकी और तेलों के दाम बढ़ते गए, जिसके बाद कीमतें एक बार फिर पुराने स्तर पर पहुंच गई हैं.

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योगी सरकार का दिया सम्मान लेने नहीं जाएंगे जयप्रकाश कर्दम

नई दिल्ली। हिंदी के जाने माने साहित्यकार जय प्रकाश कर्दम उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में शामिल नहीं होंगे. जय प्रकाश कर्दम को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान की ओर से चार लाख रुपये का लोहिया सम्मान दिया गया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने 31 अगस्त को तमाम साहित्यकारों को सम्मान देने की घोषणा की थी. लेकिन दलित सहित्य से ताल्लुक रखने वाले कर्दम कुछ दलित साहित्यकारों द्वारा भाजपा की योगी सरकार द्वारा दिए गए इस सम्मान को लेकर जय प्रकाश कर्दम की आलोचना कर रहे थे. इसको लेकर वो काफी आहत थे, जिसके बाद उन्होंने ये फैसला किया है. हालांकि उन्होंने पुरस्कार लेने से इंकार नहीं किया है. फिलहाल वो सिर्फ कार्यक्रम में शामिल होने से मना कर रहे हैं.

दलित दस्तक को भेजे अपने मैसेज में उन्होंने लिखा- “मैं उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा 24 अक्टूबर 2018 को आयोजित सम्मान समारोह में भाग लेने के लिए लखनऊ नहीं जा रहा हूं. उस दिन मैं एक राष्ट्रीय सेमिनार में भाग लेने के लिए कन्नूर, केरल में रहूंगा.”

दलित दस्तक द्वारा यह पूछने पर की क्या वो सम्मान नहीं लेंगे? उनका कहना था कि- “सम्मान साहित्य के लिए मिला है तो सम्मान की अपेक्षा साहित्य को प्राथमिकता देकर साहित्य का सम्मान करना उचित समझ रहा हूं.”

दरअसल कर्दम कुछ दलित साहित्यकारों द्वारा अपनी आलोचना से काफी असहज थे. पिछले दिनों फेसबुक पर लिखे उनके एक पोस्ट से ये समझा जा सकता है. उन्होंने अपने एक पोस्ट में लिखा-

“उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा सन 2017 के लिए लोहिया सम्मान मुझे दिए जाने की घोषणा के बाद फोन और फेसबुक के माध्यम से बहुत से मित्रों और शुभचिंतकों ने मुझे बधाई और शुभ कामनाएँ दी हैं. बधाई संदेशों की कड़ी में कुछ मित्रों, शुभचिंतकों द्वारा मुझे ‘गऊ लेखक’ कहकर कटाक्ष किया गया है. आज के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में ‘गऊ’ शब्द के विशेष निहितार्थ हैं. मुझको ‘गऊ’ कहने वाली कुछ टिप्पणियाँ उसी निहितार्थ की ओर संकेत करती प्रतीत होती हैं. इन टिप्पणियों के शब्दों की व्याख्या की जाए तो यह अर्थ निकलता है कि जयप्रकाश कर्दम उस दलित विरोधी और हिंसक हिन्दुत्ववादी सोच का समर्थक लेखक है, जो गऊवाद की जनक और पोषक है. इन टिप्पणियों पर मैं अपनी ओर से कुछ नहीं कहना चाहता. मैं चाहूँगा कि पाठक, आलोचक और शोधार्थी मेरे लिखित साहित्य का मूल्यांकन करें और समाज को अपनी राय से अवगत कराएं.”

इस मुद्दे पर बहस ज्यादा बढ़ने पर जय प्रकाश कर्दम का एक और पोस्ट सामने आया. इसमें इन्होंने लिखा-

“पिछले कुछ दिनों से, जब से लोहिया सम्मान की घोषणा हुई है, लेखक मित्रों का एक वर्ग मेरा विशेष आलोचक बना हुआ है. अंबेडकरवाद के प्रमाण-पत्र बाँटने में लगा यह वर्ग अपनी समझ और चेतना के अनुसार मुझे ब्राह्मणवादी, दलित विरोधी, भ्रमित, भटका हुआ, बिका हुआ, आदि..आदि…विशेषणों से सुशोभित करके मुझे दलित समाज, साहित्य और आंदोलन का खलनायक सिद्ध करने में लगा है. मुझे नहीं पता इन लोगों ने मेरा लिखा साहित्य कितना पढ़ा है, पढ़ा भी है या नही. …..

मैं सिर्फ इतना कह सकता हूँ कि मैं जो था, वही हूँ और वही रहूँगा. खुद को सिद्ध करने के लिए मुझे किसी के प्रमाण-पत्र की आवश्यकता नहीं है.

इन दोनों पोस्ट से लोहिया सम्मान को लेकर वरिष्ठ लेखक के द्वंद को समझा जा सकता है. और आखिरकार उन्होंने सम्मान समारोह में शामिल नहीं होने का फैसला किया. लेकिन उनके इस फैसले ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है कि क्या एक दलित साहित्यकार को भाजपा सरकार में कोई सम्मान नहीं लेना चाहिए. भले ये सम्मान उसकी काबिलियत को देखते हुए दिया गया हो. क्योंकि जय प्रकाश कर्दम हिंदी दलित साहित्य की दुनिया में एक बड़ा नाम हैं.

उनका लिखा उपन्यास “छप्पर” दलित साहित्य का पहला उपन्यास माना जाता है. तो वहीं उनकी कई कहानियां भी काफी सराही गई हैं. उनमें से उच्च वर्ग के छद्म जातीय उदारवाद पर लिखी कहानी “नो बार” भी काफी प्रचलित कहानी है. इस पर डॉक्यूमेंट्री भी बन चुकी है. दरअसल जय प्रकाश कर्दम ऐसे साहित्यकार हैं, जिन्होंने साहित्य की हर विधा में शानदार काम किया है. इतना काम की उनको किसी सम्मान के लिए किसी विचारधारा या सरकार की पैरवी की जरूरत नहीं है. इस पूरे घटनाक्रम ने दलित साहित्यकारों के भीतर गुटबाजी की पोल भी खोल दी है. ‘दलित दस्तक’ ने इस खबर को प्रमुखता से दिखाना इसलिए जरूरी समझा क्योंकि जयप्रकाश कर्दम का निर्णय कितना सही है, इस पर पाठक खुद फैसला लें, और उनकी आलोचना करने वाले आलोचक कितने सही हैं, इसका फैसला भी पाठक खुद करें.

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