मोदी के खिलाफ बनारस में ताल ठोकेंगे शत्रुध्न सिन्हा?

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नई दिल्ली। क्या शत्रुध्न सिन्हा वाराणसी में नरेन्द्र मोदी के खिलाफ आगामी लोकसभा चुनाव में ताल ठोकेंगे. जी हां, यह सवाल उत्तर प्रदेश की राजनीति में बहुत तेजी से फैल रही है. चर्चा तेज है कि बिहारी बाबू 2019 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी से सांसद पीएम नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरेंगे.

दरअसल यह चर्चा 11 अक्टूबर को शत्रुध्न सिन्हा के लखनऊ में सपा कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के बाद शुरू हुई है. इस दिन अखिलेश यादव की अगुवाई में जयप्रकाश नारायण की जयंती मनाई गई. इसमें शॉट गन शत्रुध्न सिन्हा भी शामिल हुए, जिसके बाद यह चर्चा चल पड़ी है.

लखनऊ में सपा कार्यालय में शत्रुध्न सिन्हा की मौजूदगी सीधे-सीधे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को चुनौती थी. सिन्हा के साथ पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा भी कार्यक्रम में पहुंचे थे. कार्यक्रम में शत्रुघ्न सिन्हा उर्फ बिहारी बाबू ने कहा कि वे जेपी से प्रभावित होकर राजनीति में आए थे. अटल जी के वक्त लोकशाही थी, आज तानाशाही चल रही है. खोखली जुमलेबाजी नहीं चलेगी.

इस दौरान शत्रुध्न सिन्हा और अखिलेश यादव दोनों ने एक-दूसरे की जमकर तारीफ की. शत्रुध्न सिन्हा ने कहा कि अखिलेश के ऊर्जावान और ओजस्वी नेतृत्व में उत्तर प्रदेश जयप्रकाश जी के सपनों को पूरा करेगा और भाजपा का सफाया करने में सफल होगा. शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा- ‘यहां अखिलेश तैयार है, बिहार में तेजस्वी तैयार हो चुका है. अब डरने को जरूरत नहीं है.’ ईवीएम पर सवाल उठाते हुए बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा, ईवीएम पर भी निगाह और खयाल रखना.

इस कार्यक्रम के बाद सपा के शीर्ष नेतृत्व के बीच यह चर्चा जोरों पर है कि वाराणसी में पार्टी शत्रुध्न सिन्हा को मैदान में उतरने के लिए आग्रह कर सकती है. जल्दी ही इस संबंध में सिन्हा से बातचीत किए जाने की भी चर्चा है.

ये चर्चा खोखली नहीं है, बल्कि इसके पीछे ठोस वजह भी है. दरअसल बिहार में बिहारी बाबू शत्रुध्न सिन्हा के लाखों चाहने वाले हैं. वाराणसी बिहार से सी सटा हिस्सा है. यह पूर्वांचल बेल्ट कहा जाता है, जहां सिन्हा को उतना ही पसंद किया जाता है, जितना कि बिहार के किसी हिस्से में. दूसरी बात, वाराणसी में कायस्थ वोटों की संख्या भी शत्रुध्न सिन्हा के पक्ष में जाती है. वाराणसी कैंट विधानसभा को लें तो यहां कायस्थ वोटों की संख्या 35 हजार है। सन् 1991 से लेकर ताजा विधानसभा चुनाव पर यहां कायस्थ नेता का ही कब्जा है। शहर दक्षिणी विधानसभामें भी कायस्थ वोटों की संख्या ठीक-ठाक है.

तो ऐसे में अगर 2019 लोकसभा चुनाव से पहले शत्रुध्न सिन्हा भाजपा से इस्तीफा दे देते हैं तो उन्हें सपा से टिकट ऑफर किया जा सकता है. और अगर ऐसा होता है और मोदी फिर से वाराणसी से चुनाव लड़ने की हिम्मत दिखाते हैं तो अबकी लड़ाई एक तरफा नहीं रह जाएगी. शॉट गन उन्हें कड़ी टक्कर देंगे.

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