आरक्षण की मांग पर योगी जी के ढोंग की खुली पोल

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नई दिल्ली। आदित्यनाथ योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उत्तर प्रदेश में दलितों पर अत्याचार के मामले कम नहीं हुए हैं. योगीराज में दलितों को मारने-पीटने व हत्या करने की तमाम घटना इनके दलित चिंतन को साफ बयां करती है.

2019 का इलेक्शन देखते हुए इन अपराधों पर पर्दा डालने के लिए सीएम योगी ने दलितों को आरक्षण देने की बात उठाई है. सीएम योगी का कहना है कि अल्पसंख्यक यूनिवर्सिटी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, जामिला मिलिया इस्लामिया आदि में बीएचयू की तरह दलितों को आरक्षण मिले. लेकिन सीएम योगी को पता होना चाहिए कि भारतीय संविधान के आर्टिकल 30 (ए) के तहत अल्पसंख्यक यूनिवर्सिटी में दलितों को आरक्षण नहीं दिया जा सकता. वैसे भी इसको लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है तो कोर्ट के फैसले से पहले कुछ कहना उचित नहीं होगा.

लेकिन खुद को दलितों को हिमायती बताने के चक्कर में योगी जी तो भूल ही गए कि जिस बीएचयू का उदाहरण दे रहे हैं वहीं पर आरक्षण के नाम पर कुछ और ही चल रहा है. जो कि आरक्षण के सच का पर्दाफाश करती है.

हां, यह सही बात है कि BHU में रिजर्वेशन दिया जा रहा है. लेकिन यह भी तो बताइए किसे दिया जा रहा है. तो सच सुनिए, वहां सवर्णों को 50.5% आरक्षण दिया जा रहा है. सवर्णों के आरक्षित कोटे में आपकी सरकार किसी SC, ST, OBC को घुसने नहीं दे रही है, चाहे वह टॉपर ही क्यों न हो.

अब मिसाल के लिए इस साल का कट ऑफ देखिए.

बीएससी मैथ्य और बायोलॉजी आदि में अनारक्षित श्रेणी की कटऑफ़ ओबीसी से कम है. कुल मिलाकर बोला जाए तो 63 नंबर का अंतर है. मतलब कि बीएचयू में एडमिशन के लिए ओबीसी को अनरिजर्व कटेगरी से भी ज्यादा नंबर लाना होगा. यह है हमारे उच्च शिक्षण संस्थानों का मनुवादी सामंती चरित्र, जिसे 2018 में बीएचयू जी रहा है.

सबसे पहली बात कि किसी भी तरह की अकादमिक सूची में सामान्य श्रेणी की बजाय अनारक्षित शब्द का प्रयोग होना चाहिए. इसी से कॉन्सेप्ट क्लीयर होता कि अनारक्षित सीटों पर मेरिट में आने वाले सभी कैटेगरी के छात्रों को मौक़ा मिलता. जो कि यहाँ नहीं मिल रहा है.

किसी आरक्षित वर्ग की कटऑफ़ अनारक्षित वर्ग से तभी ज्यादा हो सकता है, जब अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को अनारक्षित मेरिट में आने के बाद भी उसे आरक्षित वर्ग में ही प्रवेश मिलेगा. इसका सीधा अर्थ है 15 फ़ीसदी सवर्ण आबादी को 50 फ़ीसदी असंवैधानिक आरक्षण. अब इससे पता चलता है कि योगी जी के कथनी व करनी में कितना फर्क है.

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