देश के वरिष्ठ पत्रकार और बहुजन चिंतक प्रो. दिलीप मंडल के खिलाफ मनुवादियों ने ट्विटर पर मुहिम छेड़ दी है। ट्विटर पर मौजूद तमाम लोगों ने वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल की गिरफ्तारी की मांग को लेकर मुहिम शुरु कर दी है। आलम यह है कि 16 फरवरी को भारत में हैशटैग #Arrestdilipmandal Political Trending में ट्रेंड कर रहा था। और 66 हजार से ज्यादा लोगों ने दिलीप मंडल की गिरफ्तारी की मांग कर दी थी। यहां तक की गौरव गोयल ने दिलीप मंडल के खिलाफ साइबर क्राइम में क्रिमिनल कंप्लेंट कर दिया है।
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दरअसल मामला शुरू हुआ 16 फरवरी को। इस साल यह दिन हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक बसंत पंचमी का दिन था। हिन्दू धर्म के मानने वाले बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा के रूप में मनाते हैं और हिन्दू सरस्वती को शिक्षा की देवी मानते हैं। दरअसल दिलीप मंडल ने इसी दिन एक ट्विट किया जो पूरे विवाद की जड़ बना हुआ है। दिलीप मंडल ने ट्विटर पर लिखा-
प्रधानमंत्री जी ने कहा है महात्मा फुले जी के रास्ते पर चलने के लिये। अब फुले जी की किताब में ब्रह्मा के बारे में जो लिखा है, वह तो सबको बताना ही पड़ेगा। ऐसा तो होगा नहीं कि वोट के लिए बहुजनों के महापुरुषों की पूजा कर लें और उनकी किताब न पढ़ें। पैकेज डील है। वोट के साथ किताब। pic.twitter.com/29zu7atkQF
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) February 16, 2021
सरस्वती को मैं शिक्षा की देवी नहीं मानता। उन्होंने न कोई स्कूल खोला, न कोई किताब लिखी। ये दोनों काम माता सावित्रीबाई फुले ने किए। फिर भी मैं सरस्वती के साथ हूँ। ब्रह्मा ने उनका जो यौन उत्पीड़न किया, वह जघन्य है। – संदर्भ Phule J. , Slavery(1991), Govt of Maharashtra Publication
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बस इसके बाद से ही एक धर्म विशेष के लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो गईं। उनकी आपत्ति इस बात को लेकर थी कि दिलीप मंडल ने ब्राह्मा और सरस्वती के संबंधों को लेकर जो कहा है, वह उनकी धार्मिक भावनाएं आहत करता है। इसके बाद कई लोगों ने दिलीप मंडल की गिरफ्तारी की मुहिम चलाते हुए हैशटैग #Arrestdilipmandal की मुहिम शुरू कर दी। दिलीप मंडल के विरोधी यहीं नहीं रुकें बल्कि उन्होंने उनके खिलाफ साइबर क्राइम के तहत कंप्लेंट भी दर्ज करा दिया।
तो वहीं दूसरी ओर दिलीप मंडल के समर्थन में भी तमाम लोग सामने आ गए और उन्होंने हैशटैग #SupportProfDilipMandal के जरिए इसका जवाब देना शुरू कर दिया। दिलीप मंडल ने भी प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी का एक पुराना ट्विट शेयर किया और विरोधियों को जवाब देते हुए लिखा-
प्रधानमंत्री जी ने कहा है महात्मा फुले जी के रास्ते पर चलने के लिये। अब फुले जी की किताब में ब्रह्मा के बारे में जो लिखा है, वह तो सबको बताना ही पड़ेगा। ऐसा तो होगा नहीं कि वोट के लिए बहुजनों के महापुरुषों की पूजा कर लें और उनकी किताब न पढ़ें। पैकेज डील है। वोट के साथ किताब।
अपने ऊपर साइबर क्रिमिनल केस करने वाले को करारा जवाब देते हुए दिलीप मंडल ने उसे अज्ञानी मू्र्ख कह दिया। साथ ही उन्होंने लिखा कि- क्या तुम जानते हो कि महात्मा फुले को कोट करना कोई अपराध नहीं है। उनकी प्रतिमा देश के संसद में है जिसका अनावरण 2013 में वाजपेयी ने किया था और देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उन्हें महानतम समाज सुधारक करते हैं। दिलीप मंडल यहीं नहीं रुकें, उन्होंने उसे चिढ़ाते हुए आगे लिखा कि आपकी नाजुक भावनाओं को आहत करने के लिए, मैं फिर से उनका उद्धरण साझा कर रहा हूं।
You ignorant fool. Do you know that quoting Mahatma Phule involves no criminality. His statue is there in the Parliament House. Unveiled by Vajpayee in 2013. @narendramodi calls him greatest social reformer. To hurt your fragile sentiments, I am again sharing his quote. https://t.co/5w3O8uXD7X pic.twitter.com/KFsTVDNdea
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) February 17, 2021
विरोधियों को चिढ़ाते हुए दिलीप मंडल ने एक और ट्विट किया और लिखा-
#Arrestdilipmandal ये हैशटैग बंद कीजिए। वरना मैं कबीर, संत रविदास महाराज, ज्योतिबा फुले, बाबा साहब, पेरियार, ललई यादव, जगदेव प्रसाद का लिखा हुआ सब उनकी किताबों से उठाकर पोस्ट कर दूँगा। फिर समेटते रहना। इनमें से ज़्यादातर किताबें सरकारों ने छापी हैं।
ये हैशटैग बंद कीजिए। वरना मैं कबीर, संत रविदास महाराज, ज्योतिबा फुले, बाबा साहब, पेरियार, ललई यादव, जगदेव प्रसाद का लिखा हुआ सब उनकी किताबों से उठाकर पोस्ट कर दूँगा। फिर समेटते रहना। इनमें से ज़्यादातर किताबें सरकारों ने छापी हैं। #ArrestDilipMandal pic.twitter.com/2gGc3xbxrs
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) February 16, 2021
दरअसल बहुजन समाज के बुद्धिजीवि अक्सर ज्योतिबा फुले और बाबासाहब आंबेडकर द्वारा लिखी गई बातों को कोट करते रहते हैं। इसमें तमाम बातें ऐसी भी हैं जो खुद हिन्दु धर्म ग्रंथों में लिखी हुई है। खुद हिन्दू धर्म में लिखी बातें को भी जब बहुजन समाज के लोग साझा करते हैं तो अपने धर्मग्रंथों और उसके लेखकों के खिलाफ आवाज उठाने की बजाय लोग बहुजनों पर ही भड़ास निकालने लगते हैं।

दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।
