दलित सांसदों के नाम खुली चिट्ठी

सेवा में,
आदरणीय सांसद/मंत्री महोदय
जय भीम – जय भारत – जय मूलनिवासी
उपरोक्त विषयक देशहित व जनहित से जुडे महत्वपूर्ण मामलों के संबंध में मैं एक साधारण सा भारतीय नागरिक आपके समक्ष कुछ विचारणीय प्रश्न रखने का प्रयास कर रहा हूं, कृपया इन बिन्दुओं से संज्ञानित होने के लिये अपने व्यस्त समय में से कुछ वक्त प्रदान कर देंगे तो निश्चित रूप से मैं आपका जीवन भर आभारी रहूंगा.
जैसा कि आप जानते ही हैं कि देश की आजादी और संविधान लागू होने से पहले एस.सी/एस.टी वर्ग के लोग हिन्दुओं की मनुस्मिृति के आधार पर बनाई गई वर्ण व्यवस्था के अंतर्गत शूद्र वर्ग के भी उपवर्ग अर्थात अछूत वर्ग की निम्न कही जाने वाली उन जातियों का हिस्सा थे जिनको ना तो पढने का अधिकार था, ना ही पक्के घर बनाने का अधिकार था, ना ही सम्पत्ति एकत्र करने का अधिकार था और ना ही गांव के अन्दर रहने का अधिकार था. गांव प्रधान, पार्षद, ब्लॉक प्रमुख, विधायक, सांसद, मंत्री बनने का तो सपना भी नहीं देख सकते थे. परन्तु बाबा साहब भीमराव आम्बेडकर के लम्बे संघर्ष और पूना पैक्ट के बाद निर्मित संविधान में निहित राजनैतिक आरक्षण की व्यवस्था ने आपको मौका उपलब्ध करवाया और जिसकी वजह से आज आप सांसद हैं.
चूंकि बाबासाहब ने यह समझा था कि किसी भी समाज की आर्थिक, शैक्षिक, सामाजिक और सांस्कृतिक समस्याओं को हल करने की कुंजी राजनैतिक शक्ति है, इसीलिये उन्होंने भारत के संविधान में राजनिति के हर स्तर पर आरक्षण की व्यवस्था की थी जिससे कि इस समाज के सांसद और विधान सभाओं में चुने हुए नेता न केवल एस.सी/एस.टी वर्ग के लिये संविधान में प्राविधानित अधिकारों की रक्षा करेंगे बल्कि समय और परिस्थितियों के बदलाव के साथ-साथ और अधिक अधिकारों को दिलवाना भी सुनिश्चित करेंगे. बाबासाहब का यह कहना कि जिस रथ को बड़े संघर्ष के बाद मैं यहां तक लेकर आया हूं उसे यदि आगे ना बढ़ा सको तो उसे इसी हालात में छोड़ देना परन्तु किसी भी हालात में उसे पीछे नहीं जाने देना हैं. किन्तु सोचनीय विषय है कि बाबा साहेब द्वारा दिलाये गये अधिकार क्या आप के सांसद रहते धीरे-धीरे समाप्त नहीं हो रहे हैं? क्या इन अधिकारों की रक्षा करना आपकी जिम्मेदारी नहीं है?
श्री सुब्रह्मनयम स्वामी जी कहते हैं कि हम आरक्षण को उस हालत में कर देंगे जिसका होना या ना होना बराबर होगा. यह बेहद पीड़ादायक है कि स्वामी जी के बयान पर किसी भी एस.सी/एस.टी वर्ग के सांसद की ओर से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई. आने वाले वक्त में जब ये संविधान बदल देंगे या बिना बदले ही राजनैतिक आरक्षण को समाप्त कर देंगे तो अधिकारों को पुनः प्राप्त करना असम्भव सा हो जायेगा और यदि सम्भव भी हुआ तो ना जाने कितनी लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ेगी, ना जाने कितना धन, समय और मेहनत लगेगी, क्योंकि आज तो हमारे पास संसद भी है और विधान सभाएं भी हैं जिनमें रहकर विरोध करने या कुछ कहने से अपनी बात मनवाने में सक्षम हैं. यदि राजनैतिक आरक्षण एक बार हमारे हाथों से निकल गया तो अपनी बात रखने के लिये हमारे पास कुछ भी नहीं बचेगा और हम सैंकड़ों साल पिछड़ जाएंगे जिसके जिम्मेदार केवल आप और आप जैसे लोग होंगे, जिसके लिये आपको आने वाली पीढ़ियां कभी माफ नहीं करेंगी.
आप यह भी जानते हैं कि हमारे देश में दो तरह की राजनैतिक विचारधाराएं हैं. एक लोकतान्त्रिक विचारधारा और दूसरी साम्प्रदायिक विचारधारा. साम्प्रदायिक विचारधारा के अंतर्गत मुख्य रूप से भारतीय जनता पार्टी है जो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की राजनैतिक इकाई है जिसका उद्देश्य भारत का नाम हिन्दुस्तान रखना, संविधान बदलना, आरक्षण समाप्त करना, मनुस्मृति को लागू करना, हिन्दु राष्ट्र घोषित करना और हिन्दु राष्ट्र बनाकर वर्ण व्यवस्था लागू करके अछूत समाज को फिर से अशिक्षा, बेरोजगारी और गरीबी के अंधेरे में ढकेलकर मानसिक रूप से अपना गुलाम बनाकर रखना है. अभी हाल में ही आर एस एस ने मेरठ में राष्ट्रोदय नाम से एक कार्यक्रम रखा था. जिसके पोस्टरों में हिन्दू धर्म के जिन पांच वर्णों का जिक्र किया था वो थे- ब्राहमण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र और अछूत. वाल्मिकी, डॉ. आम्बेडकर और संत रविदास को अछूत लिखा था. वर्तमान व्यवस्था/समय में इस वर्ण व्यवस्था का विरोध संसद भवन में आपको करना चाहिए था परन्तु आपकी चुप्पी के कारण इन पोस्टरों का भारी विरोध एस.सी/एस.टी वर्ग के युवाओं को करना पड़ा. परिणामतः आर एस एस को इन विवादित पोस्टरों को हटाना पड़ा, परन्तु उन्होंने अपनी सोच और अपनी विचारधारा का खुलकर प्रचार तो कर ही दिया.
आपको सम्भवतः यह भी ज्ञात ही होगा कि आजकल श्री रविशंकर प्रसाद टीवी पर और अपने कार्यक्रमों में नये संविधान की प्रतिलिपि यह कहकर दिखा और प्रचारित कर रहें हैं कि देखो इस संविधान की एक प्रतिलिपि सुप्रीम कोर्ट में रखी हुई है, जिस पर भगवान राम, कृष्ण, शिव, ब्रहमा और विष्णु की फोटो लगी है और जिस पर श्री जवाहर लाल, महात्मा गांधी, पटेल और डॉ. आम्बेडकर के हस्ताक्षर हैं. यानि कि संविधान बदलने मात्र से एस0सी0/एस0टी0 वर्ग के सारे अधिकार छीन लिये जायेंगे जिसमें उनका राजनैतिक आरक्षण भी शामिल है.
सम्भवतः आपको यह भी पता ही होगा कि ये सब प्रक्रियाएं वे पूरी कैसे करेंगे कैसे? किसी भी नियम या कानून में बदलाव के लिये लोकसभा और राज्य सभा में बहुमत का होना जरूरी होता है. आर एस एस भाजपा को ढाल बनाकर अपने गणित के अनुसार 2019 के लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद सन् 2022 तक राज्यसभा में भी बहुमत में होंगा और फिर संविधान बदलने का इनका सपना पूरा हो जायेगा फिर ये हमारे देश को हिन्दू राष्ट्र घोषित करके मनुस्मृति लागू कर देंगे तथा एस.सी/एस.टी. वर्ग एवं अन्य पिछड़े वर्गां के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक अधिकारों को बहुत हद तक सीमित कर देंगे और बड़े दुख और पीड़ा की बात यह होगी कि इस कार्य में आपकी भागीदारी भी शामिल रहेगी. यानि यह अपने पैरों पर कुल्हाडी मारने जैसा तो होगा ही साथ ही साथ बाबा साहेब के पूरे संघर्ष पर पानी फेर कर एस.सी/एस.टी वर्ग एवं अन्य पिछड़े वर्गों की लगभग 100 करोड़ आबादी को फिर से अंधेरे गर्त में डालने का काम होगा. और ऐसा भी नहीं है कि इसमें आपकी कोई हानि नहीं होगी आपकी खुद की आने वाली पीढियां भी सम्मान और स्वाभिमान का अधिकार खो देंगी और आपको कोसेंगी. ऐसे हालात में जब एस0.सी./एस.टी. वर्ग एवं अन्य पिछड़े वर्गां पर हर प्रकार से चारों तरफ हमले और अत्याचार हो रहे हों तो आपकी चुप्पी हम सबको बहुत हैरान करती है.
यह बिन्दु भी किसी हद तक सही है कि किसी भी राजनैतिक पार्टी के कार्यकर्ता या नेता को पार्टी के दिशा निर्देशों और नीतियों पर चलना पडता है परन्तु एस.सी/एस.टी. वर्गों की स्थिति कुछ भिन्न है, क्योंकि एस.सी/एस.टी वर्ग के सांसदों को बाबासाहब आम्बेडकर ने आरक्षण के माध्यम से दलितों के अधिकारों,सम्मान और सम्पत्ति की सुरक्षा के लिये दिया था. अतः इस वर्ग के सांसदों और विधायकों की पहली प्राथमिकता पार्टी के दिशा निर्देशों पर चलने की नहीं बल्कि इन वर्गों के अधिकारों और सम्मान की रक्षा करना होनी चाहिये. इसिलिये जब भी इन वर्गां पर अत्याचार होता है या उनके अधिकारों को छीना जाता है तो पूरे देश के एस.सी./एस.टी. वर्ग के लोग आपकी ओर बड़ी उम्मीदों से देखते हैं परन्तु आपकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया न आने से यह समाज बेहद निराश हो जाता है.
आज पूरे देश में लोकतन्त्र और भारतीय संविधान की धज्जियां उड़ाकर एस.सी./एस.टी. वर्ग के लोगों की सभाओं एवं कार्यक्रमों में जानलेवा हमले किये जा रहे हैं. जातिय आतंकवाद के तहत सरेआम पिटाई की जा रही है और नौजवानों की खुलेआम हत्यायें की जा रही हैं, यहां तक कि दलित महिलाओं को खुलेआम जलाया जा रहा है. बाबासाहब डॉ. भीमराव आम्बेडकर व अन्य मूलनिवासी महापुरूषों की मूर्तियां तोड़कर अपमानित किया जा रहा है. प्रमोशन में आरक्षण बिल्कुल समाप्त कर दिया गया है और योजनाबद्ध तरीके से सरकारी संस्थाओं का निजीकरण करके आरक्षण समाप्त किया जा रहा है. इस वर्ग का प्रत्येक क्षेत्र में बजट कम किया जा रहा है और अब तो हद ही हो गई है. एकमात्र एस.सी./एस.टी. एक्ट (कानून) जो इस वर्ग के सम्मान का सुरक्षा कवच था, सुप्रीम कोर्ट के एक जज द्वारा दिये गये आदेश के माध्यम से, वह भी छीन लिया गया है.
उपरोक्त दुःखद परिस्थितियों के लिये अगर मुख्य रूप से कोई जिम्मेदार हैं तो वो हैं लोकसभा और राज्यसभा में विराजमान एस.सी./एस.टी. वर्ग के सांसद. कृपया आप ईमानदारी और गम्भीरता से विचार करें और सोचें कि आप स्वयं क्या कर रहे हैं? यदि आपको लगता है कि आप चुप रहकर समाज के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहे हैं तो कुछ भी ना करें और यदि आपका आत्मावलोकन या अंतरआत्मा कहती है कि आप अपना कर्तव्य नहीं निभा रहे हैं तो शीघ्र ही निर्णय लीजिये और कांग्रेस और आर एस एस की विचारधारा को साहस के साथ छोड़कर एस.सी./एस.टी. एवं अन्य पिछड़े वर्गों की तरक्की के रास्ते प्रशस्त करने पर विचार करें.
अतः देशहित, जनहित एवं 100 करोड़ की आबादी वाले एस.सी./एस.टी. और अन्य पिछड़े वर्गों के हित में आपसे विनम्र अनुरोध है कि बचा लीजिये बाबासाहब द्वारा निर्मित भारतीय संविधान और इन वर्गों के अधिकारों को. यदि इस महान कार्य के लिये सांसद की कुर्सी छोड़ने के लिये मजबूर भी होना पड़े तो दे दीजिये यह बलिदान. इस बलिदान के लिये सदियों सदियों तक आपको याद रखा जायेगा.
यदि इस मुहिम में एस.सी./एस.टी. वर्ग के सभी सांसदों ने सामूहिक रूप से त्यागपत्र देने  का निर्णय लिया जाता है तो हमें पूरा विश्वास है कि आपकी सांसद की कुर्सी भी नहीं जायेगी और एस.सी./एस.टी. एवं अन्य पिछडे वर्गां के अधिकारों की वापसी भी हो सकेगी.
अत्यन्त सम्मान सहित।
जोगेन्द्र सिंह
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2 COMMENTS

  1. संघ भाजपा के नाम से.. बैठे बिठाए चुनकर आने वाले हमारे SC / ST राजनेता भी OBC वर्ग कि तरह चेतनाहीन हो चुके है..

    दोष हमारा भी है.. अघडो के साथ साथ हम भी इन्हे वोट दे देते है..

    जब कि सामने भी हमारा ऊम्मिदवार होता है..

  2. संघ भाजपा के नाम से.. बैठे बिठाए चुनकर आने वाले हमारे SC / ST राजनेता भी OBC वर्ग कि तरह चेतनाहीन हो चुके है….

    दोष हमारा भी है.. अघडो के साथ साथ हम भी इन्हे वोट दे देते है…

    जब कि सामने भी हमारा ऊम्मिदवार होता है..

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