हरामी व्यवस्थाः दलित ने फेसबुक नेम में ‘सिंह’ जोड़ा, राजपूतों ने घर पर हमला बोला

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गुजरात। एक बार फिर दलित युवक के नाम में सिंह जोड़ने को लेकर राजपूत समुदाय ने हमला बोला है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक दलित युवक के घर पर तोड़फोड़ व मारपीट हुई है. इसे मामले को लेकर दोनों पक्षों में जोरदार हिंसा हुई है. यह मामला बुधवार को प्रकाश में आया.

गुजरात के ढोलका नगर में एक दलित शख्स के अपने उपनाम में ‘सिंह’ जोड़ने से राजपूत बिरादरी के लोग भड़क गए और उसे बेरहमी से पीटा. दोनों पक्षों की ओर से हिंसा भड़काने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई है. पुलिस ने एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराया है.

फेसबुक पर घोषणा

मौलिक जाधव नाम के दलित युवक ने हालही में फेसबुक पर अपने नाम में ‘सिंह’ जोड़ने की घोषणा और लिखा कि, अब उसे मौलिक सिंह जाधव नाम से जाना जाएगा. पुलिस निरीक्षक एलबी तावड़ी ने कहा कि जाधव ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि अपने नाम में ‘सिंह’ जोड़ने पर सहदेव सिंह वघेला नाम के एक राजपूत व्यक्ति और पांच अन्य ने उससे धक्का मुक्की की और उसके घर मे तोड़फोड़ की.

सहदेव सिंह वघेला और अन्य के खिलाफ एसी/एसटी (अत्याचार रोकथाम) कानून की अलग-अलग धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. दोनों मामलों में फिलहाल कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. बता दें कि इससे पहले भी गुजरात में एक दलित युवक ने शादी कार्ड में सिंह जुड़वाया था जिसको लेकर ऊंची बिरादरी वालों  ने बारात पर हमला किया था.

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योगीराज में दिव्यांग बुजुर्ग महिला से दुष्कर्म के बाद पटक-पटक कर मार डाला

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वाराणसी। योगी सरकार के राज्य व पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में एक दिव्यांग महिला को रेप कर हत्या करने का मामला सामने आया है. मानसिक रूप से कमजोर महिला को रेप कर मार दिया गया है. ऐसे में योगी सरकार के महिला सुरक्षा देने का दावा खोखला साबित हो रहा है.

गुरूवार को पंजाब केसरी की खबर के मुताबिक मामला बड़ागांव थाना क्षेत्र का है. यहां बगीचे में स्थित हनुमान मंदिर पर बीते 3 सालों से मानसिक विक्षिप्त महिला रह रही थी. अंतिम बार मंगलवार रात को महिला मंदिर के पास चबूतरे पर सोई थी जबकि अगले दिन महिला का शव मंदिर के पास मिला. सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

फर्श पर पटक कर…

इस मामले में एसपी ग्रामीण अमित कुमार ने बताया कि मंगलवार की रात आरोपी को बगीचे में देखा गया था. सूचना पर जब उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की गई तो उसने बताया कि वह और उसके साथी ने मंदिर के पास बैठकर शराब पी. इसके बाद दोनों ने महिला के साथ बलात्कार किया और फिर विरोध किया तो दोनों ने महिला का सिर मंदिर के चबूतरे पर पटक-पटक कर मौत के घाट उतार दिया. फिलहाल पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.

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केवल इंटरव्यू देकर बनें रेलवे टीचर

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नई दिल्ली। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने टीचर के पदों पर वेकैंसी निकाली है. इसके लिए रेलवे ने आवेदन मांगी है. जिन लोगों को रेलवे में टीचर बनना है तो आवेदन कर सकते हैं. रेलवे ने 6 पदों पर भर्ती के लिए नोटिपिकेशन जारी कर आवेदन मांगे हैं. 12 वीं+डी.एल.एड. /बी.एल.एड./ डी.एड. /स्नातक डिग्री/ मास्टर डिग्री+बी.एड. वाले उम्मीदवार अपनी इच्छा से अप्लाई कर सकते हैं. रेलवे में टीचर बनने का सुनहरा मौका है.

ऐसे करें आवेदन

उपरोक्त पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवार विभाग की वेबसाइट www.secr.indianrailways.gov.in के जरिए 25 मई 2018 तक अप्लाई कर सकते है.

पद विवरण

पीजीटी, टीजीटी, पीएसटी

चयन प्रकिया

उम्मीदवार का चयन इंटरव्यू में प्रदर्शन के अनुसार किया जाएगा।

सैलरी

पीजीटी – 27,500 /- रुपये

टीजीटी  – 26,250 /- रुपये

पीएसटी  – 21,250 /- रुपये

इंटरव्यू की तिथि एवं समय

25 मई 2018

आयु सीमा

उम्मीदवार की आयु 18-65 साल की उम्र के बीच होनी चाहिए.

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कर्नाटक से लौटकर कैराना उपचुनाव में विपक्ष एकजुट, योगी की नींद उड़ी

लखनऊ। कर्नाटक से लौटकर यूपी के कैराना उपचुनाव में विपक्ष भाजपा को हराने के लिए नई चाल चली है. कैराना उपचुनाव में बीजेपी की मुसीबत बढ़ गई है. उत्तर प्रदेश के कैराना लोकसभा उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी कंवर हसन ने राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) को समर्थन दे दिया है. आरएलडी प्रत्याशी तबस्सुम के विपक्ष में उनके देवर कंवर हसन निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे.

महागठबंधन बनाम बीजेपी

सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस नेता इमराज मसूद कई दिनों से कंवर हसन को समर्थन के लिए मनाने में जुट गए थे. आखिरकार इमराद की मेहनत रंग लाई. इसके बाद लगभग साफ हो गया है कि अब कैराना में महागठबंधन बनाम बीजेपी की सियासी लड़ाई होगी. इससे बीजेपी का डर बढ़ता दिख रहा है.

28 मई को वोटिंग

कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए 28 मई को वोटिंग होनी है. कैराना में आरएलडी प्रत्याशी तबस्सुम और दिवंगत सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह (बीजेपी प्रत्याशी) के बीच सीधी टक्कर होनी है. वहीं, नूरपुर में एसपी ने नईमुलहसन को मैदान में उतारा तो बीजेपी ने अवनी सिंह पर दाव लगाई है.

बता दें कि मुख्यमंत्री योगी के क्षेत्र गोरखपुर व फुलपुर उपचुनाव में बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी थी. इस बात का ख्याल रखकर बीजेपी ने कैराना में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को तीन दिन तक यहां रखा और फिर प्रदेशाध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडेय भी लगातार दौरा कर किए हैं. साथ बी संगठन महामंत्री सुनील बंसल पांच दिन तक बैठक किए. केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह के अलावा दस से ज्यादा यूपी के मंत्री, सात सांसद और 19 विधायकों के साथ ही संगठन के पदाधिकारियों की एक बड़ी टीम यहां डेरा डाले हुए है. सीएम योगी आदित्यनाथ भी तीन दिन में दो सभाएं कर चुके हैं.

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कोहली के बाद मोदी को राहुल गांधी व तेजस्वी का चैलेंज

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री को एक के बाद एक चैलेंज मिल रहे हैं. गुरूवार को क्रिकेटर विराट कोहली के चैलेंज के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी व बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने चैलेंज दिया. लेकिन विराट कोहली की चैलेंज से इन दोनों युवा नेताओं की चैलेंज काफी अलग है. हालांकि विराट कोहली की चैलेंज को पीएम ने स्वीकार कर ली है लेकिन बाकि दो चैलेंज को नहीं स्वीकार किया है.

राहुल का चैलेंज

राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा है कि, प्रिय प्रधानमंत्री जी, मुझे खुशी है कि आपने विराट कोहली की चुनौती को स्वीकार किया है. एक चुनौती मेरी तरफ से भी है. पेट्रोल-डीजल के दाम करिये नहीं तो कांग्रेस देशव्यापी आंदोलन करेगी फिर और आपको ऐसा करने के लिये मजबूर होना पड़ेगा.

तेजस्वी के तीन चैलेंज

बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने विराट कोहली की तरह ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीन चैलेंज दिए हैं. तेजस्वी ने लिखा कि युवाओं को रोजगार दें, दलित अत्याचार जीरो कर दें व किसानों को राहत देने का काम करें.

बता दें कि #HumFitTohIndiaFit हैशटैग नाम से केंद्रीय मंत्री और ओलिंपिक सिल्वर मेडलिस्ट राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने टि्वटर पर एक फिटनेस चैलेंज शुरू किया था. उन्होंने विराट कोहली, रितिक रोशन और सायना नेहवाल को चैलेंज दिया था. जिसको विराट कोहली ने एक्सेप्ट किया और उन्होंने फिटनेस चैलेंज को आगे बढ़ाने के लिए महेंद्र सिंह धोनी, अनुष्का शर्मा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया था.

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‘महबूबा की मनमानी’ के कारण जम्मू में बढ़ी फायरिंगः बीजेपी विधायक

जम्मू। जम्मू सीमा पर बढ़ती फायरिंग व बिगड़ते हालात के लिए बीजेपी विधायक ने मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को जिम्मेदार बताया है. इस विवादित बयान के बाद भाजपा विधायक लाल सिंह कठुआ कांड के बाद एक बार फिर घिर गए हैं. कठुआ कांड में आरोपियों को बचाने के चक्कर में इसी विधायक को मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा था.

क्यों ठहराया जिम्मेदार

जम्मू सीमा पर बिगड़े हालात के लिए मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को इसलिए जिम्मेदार ठहराया है क्योंकि उन्होंने रमजान से पहले फायरिंग बंद करने के लिए केंद्र सरकार से अपील की थी. इसके बाद गृह मंत्रालय ने महबूबा की बात मानकर फैसला लिया था. इस फैसले के बाद ही जम्मू में हालात बदतर हो गए हैं.

कठुआ जिले की बशोली सीट से विधायक लाल सिंह ने कहा, “वास्तव में यह दुर्भाग्यपूर्ण है फायरिंग लगातार हो रही है. सरकार ने जब कहा कि रमजान में फायरिंग नहीं होगी तो इसके पीछे उसका नेक इरादा था, लेकिन इस औरत (महबूबा मुफ्ती) की जिद की वजह से आज हालात इतने खराब हुए हैं.”

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तान बीते 10 दिन से एक साथ कई सेक्टर में फायरिंग कर रहा है. खौफ के कारण करीब 76 हजार लोगों ने 100 से ज्यादा गांव खाली कर दिए हैं. भाजपा व महबूबा मुफ्ती की गठबंधन वाली सरकार जम्मू में है.

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हरामी व्यवस्थाः डॉक्टर ने दलित मरीज को स्ट्रेचर से धकेल मार डाला

उत्तर प्रदेश। डॉक्टर ने दलित मरीज होने के कारण उसे मरने दिया. मानवता को शर्मशार करने वाली यूपी के जौनपुर की घटना सामने आई है. डॉक्टर ने दलित मरीज को स्ट्रेचर से नीचे धकेल दिया. इसके बाद मरीज की मौत हो गई. आक्रोशित परिजनों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

मरीज को छूने एक हजार रुपए मांगी

अमर उजाला की एक खबर के मुताबिक जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मछलीशहर के डॉक्टर व उसके स्टाफ ने अनुसूचित जाति के वृद्ध मरीज को छूने के लिए 1000 रुपए फीस मांगी. फीस ना देने पर परिजनों के साथ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल कर अपमानित किया और स्ट्रेचर से धकेल दिया. मृतक के परिवार ने हत्या का आरोप लगाते हुए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया, जिस पर सीजेएम ने डॉक्टर व उनके स्टाफ समेत छह लोगों पर वाद दर्ज कर थाने से रिपोर्ट तलब की है.

स्ट्रेचर से धकेला

केशव प्रसाद गौतम निवासी परसूपुर, मछलीशहर ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र के अनुसार, 17 मई 2018 को उसके पिता नरेंद्र की तबीयत बहुत खराब थी. वह बाइक से पिता को सीएचसी मछलीशहर ले गया. पिता को स्ट्रेचर पर लिटाया और इमरजेंसी बताते हुए डॉक्टर से तुरंत इलाज करने की गुजारिश की. तब डॉक्टर, नर्स आदि ने जातिसूचक शब्दों से अपमानित करते हुए कहा कि मरीज को छूने की फीस एक हजार रुपए लूंगा. विरोध करने पर वे आग बबूला हो गए. जातिसूचक शब्द प्रयोग कर गालियां देते हुए बीमार पिता को स्ट्रेचर से धकेल दिया. गिरने के साथ ही मरीज की मौत हो गई. पुलिस अधीक्षक को घटना की सूचना दी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

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विपक्षी खेमें के केंद्र में क्यों हैं मायावती

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23 मई की बंगलुरू की तस्वीरें अब भी कई लोगों के जहन से नहीं उतर रही होगी. एक कतार में खड़े देश के दिग्गज नेताओं की तस्वीरें जाहिर है मोदी और अमित शाह की जोड़ी के माथे पर शिकन ले आई होगी. हालांकि यह भाजपा के साथ पीएम मोदी और अमित शाह की जोड़ी की जीत है, लेकिन इन दोनों ने ये नहीं सोचा होगा कि उनके खिलाफ इतनी जल्दी विपक्षी दलों का इतना बड़ा जमावड़ा लग जाएगा. इस कतार में राहुल और सोनिया गांधी से लेकर मायावती तक, ममता बनर्जी से लेकर चंद्रबाबू नायडू तक, अखिलेश यादव से लेकर तेजस्वी यादव और हेमंत सोरेन तक, शरद पवार से लेकर अजीत सिंह तक और केजरीवाल से लेकर लेफ्ट के सीताराम येचुरी तक एक-दूसरे का हाथ थामे दिखें.

विपक्ष के इस गठबंधन से भाजपा डरी हुई है. वह इसलिए ज्यादा डरी है क्योंकि पिछले दो मौके पर विपक्ष जब भी एकजुट हुआ है भाजपा को मुंह की खानी पड़ी है और मोदी और शाह की सारी रणनीति धरी की धरी रह गई है. अगर मोदी और शाह कर सकते तो वह हर हाल में गोरखपुर और फूलपुर का चुनाव जीतना चाहते, अगर ये दोनों कर सकते तो हर हाल में कर्नाटक में भाजपा की सरकार बनाकर विपक्षी दलों की एकजुटता को हताश करने की कोशिश करते. लेकिन भाजपा की ये करिश्माई जोड़ी ऐसा नहीं कर सकी.

23 मई की शपथ ग्रहण की दर्जनों तस्वीरों में जो तस्वीर सबसे खास रही और अखबारों और चैनलों में छाई रही वो मायावती और सोनिया गांधी की हाथ थामें तस्वीर रही. तो मायावती और अखिलेश यादव की बातचीत की तस्वीर भी चर्चा के केंद्र में है. यह तस्वीर कर्नाटक में सरकार के गठन में मायावती की महत्वपूर्ण भूमिका की ओर साफ इशारा कर रहा है. क्योंकि कर्नाटक चुनाव में बसपा से गठबंधन का फायदा कुमारस्वामी की पार्टी जेडीएस को मिला.

इसे संभवतः बसपा का साथ ही कहा जाएगा कि भाजपा के अच्छे प्रदर्शन के बावजूद जद (एस) ने अपना पिछला प्रदर्शन बरकरार रखा. तो बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती की राजनीतिक दूरदर्शिता ने कर्नाटक में कांग्रेस को हार के बाद भी बचाए रखा. अगर मायावती ने सोनिया गांधी और फिर देवगौड़ा को फोन नहीं किया होता तो भाजपा आराम से कर्नाटक में अपनी सरकार बना चुकी होती. लेकिन मायावती के एक फोन ने भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर दी. इसने जहां कांग्रेस-जेडीएस की सरकार बना दी तो वहीं विपक्षी एकता की नींव भी रख दी है.

तो क्या यह समझा जाए कि तीसरा मोर्चा बनने की स्थिति में मायावती में उसका नेतृत्व करने की संभावना है? यह सवाल इसलिए आ रहा है कि हरियाणा में बसपा से गठबंधन के बाद इनेलो नेता अभय चौटाला लगातार मायावती के नेतृत्व में तीसरे मोर्चे की घोषणा कर रहे हैं. तो दूसरी ओर ममता बनर्जी भी मायावती पर मेहरबान हैं. पिछले दिनों में ऐसा कई बार हुआ, जब ममता बनर्जी ने मायावती के बयान का समर्थन किया. अखिलेश यादव भी यूपी में बसपा के साथ खड़े हैं. बिहार से राजद भी मायावती के नाम पर लगभग राजी है.

तो क्या यह माना जाए कि तमाम दल मायावती में तीसरे मोर्चा का नेतृत्व करने की संभावना देख रहे हैं, और उन्हें लगता है कि ‘जय श्रीराम’ के नारे को ‘जय भीम’ का नारा ही चुनौती दे सकता है? जैसा कि पिछले दिनों बिहार के नेता विपक्ष तेजस्वी यादव कह चुके हैं. दलित समुदाय भले ही अलग-अलग राज्यों में तमाम अलग-अलग पार्टियों को वोट करते हों, उनकी सर्वमान्य नेता मायावती ही हैं. इस बात को इसलिए भी जोर देकर कहा जा सकता है क्योंकि मायावती के अलावा अम्बेडकरवाद का झंडाबरदार कोई दूसरा नहीं दिखता. तो 23 मई की तस्वीरों ने भी काफी कुछ कह दिया है.

ऐसे में इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि विपक्ष मायावती के नाम पर एकमत हो जाए और इसी बहाने देश भर में फैले 16 फीसदी दलित वोटों को अपने खेमें में एकजुट कर ले. यह इसलिए भी संभव है क्योंकि फिलहाल राहुल गांधी वो करिश्मा कर पाने में सफल नहीं दिख रहे हैं जिसकी कांग्रेस पार्टी को आस है. और भाजपा और कांग्रेस के बाद बसपा देश की तीसरी बड़ी और इकलौती ऐसी पार्टी भी है जिसका वोट बैंक देश भर में है.

जिस तरह सोनिया गांधी और मायावती की करीबी देखी गई, उसमें एक संभावना यह भी बनती है कि कांग्रेस पार्टी फिलहाल राहुल गांधी को आगे न करे और यूपीए के बैनर तले मायावती के नाम पर राजी होते हुए महागठबंधन तैयार करे. ऐसे में 2019 का मुकाबला दो ध्रुवों के बीच हो जाएगा, क्योंकि तब मोदी और अमित शाह सियासी अनुभव के आधार पर मायावती को नहीं घेर पाएंगे, न तो सीधे मायावती पर कठोर टिप्पणी कर पाएंगे. क्योंकि भाजपा मायावती को लेकर जितनी ज्यादा कठोर बयानी करेगी, दलित-आदिवासी समाज के 22 फीसदी मतदाताओं के मायावती के पीछे मजबूती से खड़ा होने की संभावना बढ़ती जाएगी.

लेकिन इन तमाम सवालों के बीच सबसे बड़ी चुनौती मायावती के सामने है. क्योंकि विपक्ष अगर मायावती के नाम पर भरोसा जताने को राजी होता है तो मायावती को भी विपक्ष को भरोसा दिलाना होगा कि वह तीसरे मोर्चे की नेता की जिम्मेदारी उठाने को तैयार हैं. हालांकि देश में तीसरा मोर्चा बनेगा या फिर सोनिया गांधी के नेतृत्व और मायावती के चेहरे को आगे करते हुए यूपीए फिर से मजबूती से खड़ा होगा यह इस साल के आखिर में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनाव के बाद साफ हो सकेगा.

इन तीनों राज्यों में सीधा मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच है तो बसपा भी यहां महत्वपूर्ण धुरी है. इन राज्यों में कांग्रेस और बसपा के बीच गठबंधन की खबरें भी आ रही हैं. अगर ऐसा होता है तो यहां से भाजपा की विदाई तय है. तब मायावती और मजबूत होकर उभरेंगी और जाहिर है ऐसे में गठबंधन की राजनीति में उनका कद और ज्यादा बढ़ेगा. और अगर दोनों अलग-अलग लड़ते हैं और बसपा बेहतर प्रदर्शन करती है तो उसका प्रदर्शन कांग्रेस को आईना दिखाने के लिए काफी होगा. अगर लोकसभा में एक भी सदस्य नहीं होने और यूपी में 19 सीटों पर सिमट जाने के बावजूद मायावती गठबंधन के केंद्र में दिख रही हैं तो इसकी वजह उनका वह वोटर है जो देश के हर गांव में मौजूद है.

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एक्टर परेश रावल ने मोदी को बताया जीजा

नई दिल्ली। कर्नाटक में सरकार बनने के बाद भी घमासान जारी है. कर्नाटक में कुमारस्वामी के सीएम पद की शपथ ग्रहण के दौरान पूरा विपक्ष एकजुट होकर हो गया था. इस बात को लेकर एक्टर परेश रावल चिड़चिड़ दिख रहे हैं. परेश रावल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जीजा तक कह दिया. इस बात को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है.

क्यों कहा मोदी को जीजा

बुधवार को कुमारस्वामी ने कर्नाटक सीएम पद की शपथ ली. इस मौके पर मायावती, ममता बनर्जी, सोनिया गांधी से लेकर तमाम विपक्षी नेता वहां मौजूद थे. तभी ममता बनर्जी ने ट्विटर पर कुमारस्वामी के लिए कुछ लिखा. इसके बाद परेश रावल ने ट्वीट किया कि, देख तमाशा देख और एक टेक्सट फोटो शेयर की जिसपर लिखा है कि, “मोदीजी को रोकने के लिए विरोधी ऐसे खड़े हैं जैसे जीजा को रोकने के लिए साली दरवाजे पर खड़ी हो जाती हैं. जबकि, पता साली को भी होता है कि जीजा तो आएगा ही.”

जीजा-साली बात को लेकर ममता ने अबतक कोई जवाब नहीं दिया है. लेकिन वहां पर कई यूजर्स ने जवाब लिखा है. बता दें कि कर्नाटक में ज्यादा सीट लाने के बाद भी बीजेपी सरकार बनाने से चूक गई. इसके बाद विपक्षी दलों को नई ऊर्जा मिल गई है और ऐसा कहा जा रहा है कि सभी एकजुट होकर मोदी को पटखनी देना चाहते हैं.

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दीपिका बनेगी रणवीर की दुल्हन

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मुंबई। वर्ष 2018 में एक और बॉलीवुड हस्ती की शादी होने वाली है. सोनम कपूर, नेहा धूपिया, हिमेश रेशमिया की शादी के बाद दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह की शादी की खबर ने खलबली मचा दी है. इनकी शादी की खबर सुनकर फैंस काफी खुश हो गए हैं.

एक अंग्रेजी वेबसाइट की खबर के मुताबिक दोनों इसी साल 18-20 नवंबर के बीच शादी करने वाले हैं. इनका शादी मुंबई में ही होगी. हालांकि इनके रिश्तों को लेकर पहले से ही चर्चाएं चल रही थी और सोनम कपूर ने तो एक इंटरव्यू में जिक्र भी किया था.

यहां पर थोड़ी निराशा हो सकती है क्योंकि अभी तक दोनों में से किसी ने भी इस खबर की पुष्टि नहीं की है. दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह की शादी की खबरें तो वैसे ही काफी दिनों से आ रही हैं. इससे पहले DNA की रिपोर्ट के मुताबिक दोनों की फैमिली में शादी की डेट्स पर बात चल रही है रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि नंवबर में शादी के चलते दीपिका की ने अपनी टीम के सदस्यों को छुट्टी लेने से मना कर दिया है. वैसे बॉलीवुड की अफवाहों के बारे में तो जानते ही हैं.

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दिल्ली का यह नामी स्कूल बच्चों के दिमाग में भर रहा आरक्षण विरोधी सवाल

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नई दिल्ली। ये देश की राजधानी का बड़ा स्कूल है जो संविधान के विरोध में बच्चों को तैयार कर रहा है. संवैधानिक अधिकारों को राष्ट्रीय बाधा व असमानता बता रहा है. इसके सवालों को देखकर लगता है कि बच्चों को आरएसएस व आईटी सेल द्वारा जारी सवालों के आधार पर बच्चों को पाठ पढ़ा रहा है. इतना ही नहीं स्कूल प्रशासन से बात करने पर इनकी मानसिकता का छिपा अध्याय भी पढ़ने को मिला.

एक नजर सवाल पर

शहीद राजपाल डीएवी स्कूल, दयानंद विहार, दिल्ली ने क्लास आठ के बच्चों के लिए छुट्टीयों के लिए अंग्रेजी का सवाल दिया है. इनका सवाल नंबर-04 कहता है कि,

“आरक्षण देश के विकास में सबसे बड़ी बाधा है. आरक्षण के कारण अयोग्य को मौका मिलता है और योग्य व्यक्ति को मौका नहीं मिलता. इससे देश में असमानता पैदा हो रही है.”

अब आप खुद सोचिए कि अंग्रेजी भाषा के पेपर में ऐसे सवाल का क्या संबंध है? संवैधानिक अधिकार को देश विरोधी बताना क्या देशहित है?
स्कूल का प्रश्न पत्र

आरएसएस व आईटी सेल का सवाल

फेसबुक या व्टॉसऐप पर हिंदू संगठन या आईटी सेल द्वारा इस तरह के सवाल अक्सर देखने को मिलते हैं. कई प्रकार के आरक्षण विरोधी असंवैधानिक फेसबुक पेज व ग्रुप में ठीक इसी प्रकार के सवाल व विचारों को फैलाने का काम करते हैं. जिनके पेज या वॉल पर भयंकर कट्टरवादी कमेंट, धमकी, गाली पढने को मिलती है. इस प्रकार के असंवैधानिक तत्वों को बढावा देने का काम शहीद राजपाल डीएवी स्कूल कर रही है.

बच्चों का ब्रेनवॉश कर रहा स्कूल

इस तरह के सवाल को देकर बच्चों के दिमाग में बारूद भरने का काम किया जा रहा है. मां-बाप स्कूल में बच्चों को सभ्य-सुशील व शिक्षित बनने के लिए भेजते हैं जो कि अनुशासन सीखे और समाज को विकास की राह पर बढाए. लेकिन बच्चों को ही असंवैधानिक पाठ पढाकर देश के भविष्य को बिगाड़ने की साजिश की जा रही है. बच्चों के अंदर जातिवाद का जहर भरा जा रहा है.

स्कूल का कहना

सवाल मिलने पर हमनें सबसे पहले स्कूल की वेबसाइट चेक की तो सवाल उनके वेबसाइट पर मौजूद मिला. इसके बाद इनके दिए गए नंबर हमनें कॉल कर बातचीत की लेकिन तीन-चार नंबरों पर बात करने के बाद हमें गोल-गोल घुमाया गया. इतना ही नहीं सवाल पूछने पर स्कूल प्रशासन हंसकर बात टाल दिया. इससे साफ जाहिर होता है कि स्कूल प्रशासन को अपनी असंवैधानिक करतूत पर कोई अफसोस नहीं.

रिपोर्ट- रवि कुमार गुप्ता

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सुप्रीम कोर्ट का फरमान, डीयू की प्रेग्नेंट स्टूडेंट नहीं दे सकती परीक्षा

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नई दिल्ली। दिल्ली यूनिवर्सिटी की एक गर्भवती छात्रा को परीक्षा में नहीं बैठने के कारण सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. लेकिन छात्रा को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिल पाई. कोर्ट ने गर्भवती छात्रा की याचिका को खारिज कर दिया है. इससे छात्रा को झटका लगा है.

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय की एक छात्रा को परीक्षा में बैठने की अनुमति देने संबंधी याचिका पर अंतरिम राहत देने से मना कर दिया. कानून (लॉ) की छात्रा गर्भवती होने की वजह से कई लेक्चर क्लास में अनुपस्थित थी. उपस्थिति नहीं होने के कारण परीक्षा में बैठने के योग्य नहीं है. फॉर्थ सेमेस्टर की छात्रा की उपस्थिति कम होने के कारण विश्वविद्यालय प्रशासन ने उसे परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी थी. इसके बाद उसने कोर्ट से मदद की गुहार लगाई थई.

जस्टिस एएम खानविल्कर और जस्टिस नवीन सिन्हा की पीठ ने परीक्षा देने संबंधी उसकी याचिका को खारिज कर दिया. याचिकाकर्ता के एक पेपर की परीक्षा बुधवार को हुई. छात्रा के वकील आशीष विरमानी और हिंमाशु धुपर इस मामले में मंगलवार को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और मामले की तत्काल सुनवाई करने की मांग की ताकि छात्रा परीक्षा में बैठ सके लेकिन फायदा ना हो सका.

विश्वविद्यालय की तरफ से पेश वकील मोहिंदर जेएस रूपल ने कहा कि फैकल्टी ऑफ लॉ के कानून और बार कॉउंसिल ऑफ इंडिया के नियम के मुताबिक परीक्षा  में बैठने के लिए न्यूनतम उपस्थिति 70 फीसदी होना अनिवार्य है. हमारी ओर से कानून का पालन किया जा रहा है.

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नॅन्सी फ्रेझर और सामाजिक न्याय की अवधारणा

समकालीन वास्तविकता में जीन कुछ गिने चुने विचारक एवं चिंतको का नाम जागतिक परिपेक्ष में आदरसे लिया जाता है, उनमे से एक नाम ‘नॅन्सी फ्रेजर’ जी का है. सामजिक सुधार के क्षेत्र में ‘चिकत्सक सिद्धांतवादी’ नॅन्सी अपने आप को ‘फ्रॅंकफुर्ट स्कूल’ से संबधित मानती है. जर्मनी स्थित ‘फ्रॅंकफुर्ट’ शहर के ‘इन्स्टिटूट फ्युर सोत्सियालफोर्शुंग’ अर्थात समाज संशोधन संस्थान में ‘फ्रांकफुर्ट स्कूल’ के विचारधारा कि शुरुवात पोथीनिष्ठ मार्क्सवाद पर उठे वैचारिक मतभेद की अपरिहार्यता थी. सन १९२० के दशक से चली आ रही वैचारिक चर्चाये तथा मूलगामी मार्क्सवादी विचारधारा के मतभेदों के बिच ‘फ्रॅंकफुर्ट स्कूल’ की निर्मिति यह एक महत्वपूर्ण कदम था. तत्कालीन कथित साम्यवादी विचारधारा के उपयोजन कार्यक्रम से असहमत मार्क्सवादी चिंतको ने इस ‘स्कुल’ के माध्यम से ‘नव मार्क्सवाद’ की नीव रखी. जिसमे टेओडोर आडोर्नो तथा युर्गेन हाबरमास आदि जर्मन चिंतक तथा फ्रेडरिक जेमिसन जैसे अमेरिकन विचारक प्रमुख है. नॅन्सी फ्रेजर अपने आप को इसी ‘फ्रॅंकफुर्ट स्कूल’ का चिंतक मानने के साथ ही समकालीन जागतिक परिपेक्ष में अपने चिकित्सक सिद्धांतो के माध्यम से उपयोजन का नवाचार प्रस्तुत करती है.

नॅन्सी फ्रेजर का जन्म २० मई १९४७ को अमेरिका में हुवा. सन १९६९ में तत्वज्ञान विषय में स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद सन १९८० में उन्होंने ‘दी ग्रॅज्युएशन सेंटर ऑफ़ दी सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यूयॉर्क’ से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की.

तदोपरांत कुछ वर्ष ‘नॉर्थवेस्टर्न’ विश्वविद्द्यालय के तत्वज्ञान विभाग में अध्यापन का कार्य शुरू कर न्यू यॉर्क स्थित ‘न्यू स्कूल’ में भी तत्वज्ञान विषयक अध्यापन कार्य शुरू किया. फिलहाल जर्मनी, फ़्रांस, स्पेन तथा नेदरलैंड आदि देशो के सुप्रसिद्ध विश्वविद्यालयो मे नॅन्सीजी आगंतुक अध्यापन का कार्य करती है.

सामाजिक न्याय की अवधारणा का तत्वज्ञानात्मक विश्लेषण यह नॅन्सी फ्रेजर जी का महत्वपूर्ण अकादमिक तथा सैद्धांतिक कार्य माना जाता है. साथ, ही समकालीन दौर के ‘आइडेंटिटी पॉलिटिक्स’ तथा उदारमतवादी स्त्रीवाद की गहन समीक्षा कर वैश्वीकरण के परिपेक्ष में अपने विचार रखती है.

आज समस्त मानवी समाज वैश्वीकरण के काल अनेक प्रकार के स्थित्यंतरो के बिच जूझ रहा है. वास्तविकतः वैश्वीकरण का बृहद परिणाम समस्त सामाजिक तबको पर हुवा है. अपितु वैश्विकरण के परिपेक्ष में बदलती सामाजिक न्याय, समता, बंधुता आदि मूल्य व्यवस्था एवं शास्वत मानवता के विकास की धारणा को बनाये रखने के लिए कार्य होना अत्यावश्यक है. इसी बिच नॅन्सी फ्रेजर के विचार महत्वपूर्ण साबित होते है. वैश्विक परिपेक्ष में जहा सामाजिक न्याय की अवधारणा आश्चर्य जनक रूप से तथा सापेक्षतापूर्ण ढंग से परिवर्तित होती जा रही है वही नॅन्सी फ्रेजर सामाजिक न्याय का तत्वज्ञानात्मक विश्लेषण कर उसके जागतिक उपयोजन का कार्यक्रम प्रस्तुत करती है.

आधुनिक समाज में भी जहां जागतिक जनसंख्या का बहुसंख्य हिस्सा सामाजिक न्याय के अभाव संकट से जूझ रहा है. सत्तावादी मानसिकता के समतामूलक समाज के सपनो के अनूपयोजन कारको के कारण सामाजिक अन्याय को बढ़ावा मिल रहा है. यह केवल एक राष्ट्र या समाज की स्थिति नहीं अपितु समूचे विश्व परिपेक्ष की स्थिति है. नॅन्सी फ्रेजर इसी स्थिति पर भाष्य कर उसे सुधारने के लिए सामजिक बदलाव का मॉडल प्रस्तुत करती है. वह आशा व्यक्त करती है की इस प्रकारसे सामाजिक व्यवस्था का निर्वहन किया जाए जिसके उपयोजन से सभी समाज घटक एक ही पायदान पर हो. सहभागी समता का यह तत्व सुचारु रुप से चलाने हेतु नॅन्सी नया सैद्धांतिक मॉडल प्रस्तुत करती है. जिसे वे ‘पार्टिसिपेटरी पॅरिटी’ अथवा ‘सहभागितावादी समता’ का सिद्धांत कहती है.

सहभागितावादी समता का सिद्धांत मूलतः पहचान (रिकग्नाइझेशन) तथा पुनर्वितरण (रेडिस्ट्रीब्यूशन) इन दो तत्वावधानो पर खड़ा है. मात्र, आधुनिक काल में वह बिना सहभागिता या प्रतिनिधित्व (रिप्रेसेंटेशन) के पूर्ण नहीं हो सकता है. यह त्रिमितीय परिमाण ही सहभागितावादी समता या सामजिक न्याय के सिद्धांत को पूर्णत्व को प्रदान कर सकता है. अपितु इसी सिद्धांत को उन्होंने ‘पोस्ट वेस्टफेलियन डेमोक्रेटिक जस्टिस थेअरी’ अथवा ‘उत्तर वेस्टफेलियन गणतांत्रिक न्याय सिद्धांत’ कहा है. उपरोक्त, पहचान, पुनर्वितरण तथा प्रतिनिधित्व आदि से निर्मित त्रिमितीय परिमाण सामाजिक न्याय के समतामूलक सिद्धांत के उपयोजन हेतु परस्पर व्यवहार पर सकारात्मक गहन प्रभाव प्रसारित करता है. जो की तांत्रिक तथा निति निर्धार के कार्य में मौलिक सिद्ध होता है. अथवा बगैर एक दूसरे तत्व के सामाजिक न्याय की अवधारणा का अपयोजन सिद्ध नहीं हो सकता.

इसी लिए नॅन्सी फ्रेजर ‘No redistribution or recognition without representation’ अपनी इस ऐतिहासिक घोषणा के माध्यम से ‘पुनर्वितरण एव पहचान, प्रतिनिधित्व के तत्व के बिना अपूर्ण’ होने की बात करती है.

वैश्वीकरण के दौर में जहा सामाजिक न्याय की अवधारणा पूर्णतः बदल रही है और समाज का हर एक तबका खुद की व्याख्या न्याय के संदर्भ में अमल में लाना चाहता हो उसी बिच संसाधनों का समानतापूर्वक पुनर्वितरण एवं नव आर्थिक व्यवस्था में मानवीय अधिकारों के मूलाधारो पर विराजित पहचान का अधिकार बगैर प्रतिनिधित्व के सिद्धांत के बुनियादी उपयोजन से कदापि संभव नहीं हो सकता.

अपितु, समकालीन परिपेक्ष में मानवाधिकारो का बढ़ता हनन वैश्विक परिपटल पर गहन चिंता का कारण बनता जा रहा है. वही फासीवादी सत्ताधारी ताकते शोषित वर्ग को अत्याधिक गुलामी की और खींच रही है. गरीबी अमीरी के बिच गहराती खाई घोर निराशा पैदा कर रही है. समाज का शक्तिशाली या सत्ताधारी वर्ग समाज के दबे – कुचले या शोषित वंचित तबके को और दबा कर सत्ता का दुरुपयोग करता है. इस शोषित वर्ग की सांस्कृतिक विरासते ध्वस्त कर अपना शासन मजबूत करने का प्रयास करता है. जिसके कारण आर्थिक, सांस्कृतिक एव राजनैतिक क्षेत्र में परिवर्तन शोषित वर्ग को सामाजिक न्याय का लाभ कराने हेतु उपरोक्त त्रिमितीय परिमाणो का उपयोजन महत्वपूर्ण हो जाता है. यद्यपि, मानवीयता के गहन सामाजिक संकट के बीच जुझ रहे समाज पर यदी पुनर्वितरण, पहचान एवं  प्रतिनिधित्व के त्रिमितीय तत्व के उपयोजन का अभाव समस्त शासक, सत्ताधारी एवं विकास के लाभकारी रहे वर्ग के लिये ‘राजनैतिक आत्महत्या’ के सामान सिद्ध होगा. यद्यपि, सामाजिक न्याय कि अनुपलब्धी ऐसे अमानवीय अन्याय को जन्म देगी. नॅन्सी फ्रेजर के यह विचार समकालीन वास्तविकता मे अत्याधिक प्रासंगिक साबित होते है.

वैश्विक पररीपटल पर सातत्यपूर्ण गहन सामाजिक बदलाव के समीक्षणात्मक तथा चिकित्सक चिंतन से युक्त नॅन्सी फ्रेजर अपनी किताबो के माध्यम से आज इसी विषय को आगे ले जा राही है. जिसमे, सामाजिक न्याय के संदर्भ मे ‘रिडिस्ट्रिब्युशन अँड रेकग्नाईझेशन अ पॉलिटिकल, फिलॉसॉफिकल एक्सचेंज’, तथा ‘ऍडींग इंसल्ट टू इंज्युरी’ आदी प्रमुख है. एक चिकित्सक चिंतक होने के नाते नॅन्सी फ्रेजर सामाजिक न्याय पर प्रस्तुत किया गया चिंतन बदलते दौर मे महत्वपूर्ण है.

लेखक-कुणाल रामटेके

विद्यार्थी, दलित-आदिवासी अध्ययन एवं कृती विभाग

टाटा सामाजिक विज्ञान संस्था, मुंबई

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SSC पेपर लीक मामले में सीबीआई का बड़ा एक्शन

नई दिल्ली। एसएससी पेपर लीक होने के मामले को लेकर सीबीआई ने केस दर्ज किया है. पेपर लीक मामले को लेकर छानबीन करने की खबर भी मिल रही है. हालांकि एसएससी पेपर लीक मामले को लेकर सीबीआई से जांच कराने की मांग की थी. नेटवर्क 18 की एक खबर के अनुसार एसएससी पेपर लीक मामले में सीबीआई ने केस दर्ज कर लिया है. सीबीआई इस मामले की गहनता से जांच कर रही है. सीबीआई ने करीब बारह जगहों पर छापेमारी कर सूत्र तलाश रही है. सीबीआई के सूत्रों के अनुसार सात छात्रों और 9 अधिकारियों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज हुई है. उल्लेखनीय है कि कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित सीजीएल 2017 के टियर2 की परीक्षा के प्रश्‍न पत्र और उत्तर पुस्तिका लीक हो गए थे. छात्रों का आरोप था चयन आयोग में व्‍याप्‍त भ्रष्‍टाचार के कारण पेपर लीक हुए हैं. इसको लेकर छात्रों ने देशभर में प्रदर्शन किया था.

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कर्नाटक से लौटकर कांग्रेस मनाएगी विश्वासघात दिवस

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नई दिल्ली। कर्नाटक में सरकार बनाने के बाद कांग्रेस को नई ऊर्जा मिली है. हालांकि इससे बीजेपी को करारा झटका लगा है. साथ ही बीजेपी के कार्यकाल के चार साल पूरे हो चुके हैं. कांग्रेस का मानना है कि चार सालों में भाजपा ने देश को धोखा दिया है. इसलिए चार साल पूरे होने पर देशभर में विश्वासघात दिवस मनाया जाएगा.

कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर मोदी सरकार पर हमला किया है. उन्‍होंने कहा कि, मोदी सरकार चार साल से जनता को लूट रही है, जो कि विश्वासघात जैसा है. केंद्र सरकार के 4 साल पूरे होने पर 26 मई को पूरे देश की राजधानियों में प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी के नेतृत्व में प्रदर्शन होगा. साथ ही हर जिले में भी कांग्रेस प्रदर्शन करेगी.

साथ ही यह भी कहा कि लोगों में भय, अविश्वास, हिंसा का माहौल है. एक तरफ राहुल गांधी अहिंसा, प्यार की राजनीति की बात करते हैं. दूसरी तरफ आरएसएस की विचारधारा इसके उलट है. हालांकि बुधवार को राहुल गांधी ने भी गुजरात में दलित की हत्या होने को लेकर आरएसएस-बीजेपी पर जमकर हमला बोला और मनुवादी जहर को फैलने से रोकने की बात कही. बीजेपी सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस कर्नाटक के बाद फिर विश्वासघात दिवस के जरिए घेरेगी.

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मायावती-सोनिया ने मंच पर मुस्कुराकर मिलाया हाथ, अखिलेश भी मिले

बेंगलुरू। कर्नाटक में सीएम शपथ ग्रहण के लिए मंच पर जाने के बाद मायावती व सोनिया गांधी ने करीब दो मिनट तक बात किया और जीत की मुस्कान छोड़ी. इससे पहले अखिलेश यादव भी मायावती से मिले. इस मंच पर सभी विपक्षी दल के दिग्गज नेता ने मिलकर एक नया संदेश दिया है जो कि बीजेपी की बेचैनी को बढ़ा दिया होगा.

बुधवार को बेंगलुरू में कुमारस्वामी ने कर्नाटक के सीएम की शपथ ली और इसके बाद जी परमेश्वर ने उप मुख्यमंत्री की शपथ ग्रहण की. इस दौरान राज्यपाल वजुभाई ने मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री को शपथ दिलाई. इस मौके पर एक पल के लिए वजुभाई मुस्कुराते नजर आए. मेगा शो के जरिए विपक्ष ने एकजुटता दिखाकर नया राजनिती का नया चैप्टर आरंभ कर दिया है. इस महागठबंधन ने बीजेपी के लिए नई चुनौती खड़ा कर दी है.

समारोह में शामिल होने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, सुप्रीमो मायावती, बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, सीपीआई (एम) नेता सीताराम येचुरी ने आदि मंच पर मौजूद थे.

रिपोर्ट- रवि कुमार गुप्ता

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कुमारस्वामी शपथ लाइवः समर्थकों ने उखाड़ा होर्डिंग्स-बैनर

PC-PTI

बेंगलुरू। कर्नाटक में सीएम शपथ ग्रहण पर कांग्रेस-जेडीएस समर्थक भारी भीड़ में पहुंचे हैं. लेकिन सजावट के लिए लगाए गए होर्डिंग्स-बैनर को समर्थकों ने उखाड़ दिया है. इसको उखाड़ने के बाद एक अलग-अलग चर्चा शुरू हो गई है. हालांकि मंचों पर मायावती, अखिलेश समेत कई दिग्गज विपक्ष नेता मंच पर बैठ गए हैं.

ओह इसलिए उखाड़ा बैनर…

होर्डिंग्स व बैनर उखाड़ने का मतलब आक्रोश नहीं बल्कि बारिश से बचने के लिए समर्थकों ने ऐसा किया है. शपथ के पहले ही बारिश ने आकार थोड़ी सजावट बिगाड़ दी है लेकिन समर्थक हटने का नाम नहीं ले रहे हैं. समर्थक शपथ ग्रहण देखने के लिए बेताब हैं और बारिश में डटे हुए हैं.

बुधवार को कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण के लिए मेगा शो की तैयारी की गई है. कर्नाटक में समर्थकों व विपक्षी एकजुट को देखकर बीजेपी की नींद उड़ती दिख रही है. इसे 2019 की तैयारी भी बताई जा रही है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इससे देश में बड़ा मैसेज जाएगा. हालांकि शपथ ग्रहण से पहले ही कुमारस्वामी की कई मुख्यमंत्रियों के साथ मुलाकात हो चुकी है.

समारोह में शामिल होने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बंगलुरु पहुंच चुके हैं. वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती, बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी बंगलुरू पहुंचे हैं. शपथ ग्रहण से पहले सीएम केजरीवाल, चंद्रबाबू नायडू और सीपीआई (एम) नेता सीताराम येचुरी ने की मुलाकात की है. कुमारस्वामी ने शपथग्रहण से पहले विपक्ष के कई दिग्गज नेताओं को आमंत्रित किया था.

रिपोर्ट- रवि कुमार गुप्ता

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मायावती पहुंची, शपथ से पहले कई सारे मुख्यमंत्री से मिले कुमारस्वामी

PC- thehindu

बेंगलुरू। बस थोड़ी देर में कुमारस्वामी कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री बन जाएंगे. इनके शपथ ग्रहण के लिए मेगा शो की तैयारी की गई है. जो कि पूरे देश का ध्यान खिंच रही है. इसकी सबसे खास बात है कि करीब सभी दिग्गज नेता यहां पर मौजूद होंगे. हालांकि शपथ ग्रहण से पहले ही कुमारस्वामी की कई मुख्यमंत्रियों के साथ मुलाकात हो चुकी है.

समारोह में शामिल होने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बंगलुरु पहुंच चुके हैं. वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती, बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी बंगलुरू पहुंचे हैं. शपथ ग्रहण से पहले सीएम केजरीवाल, चंद्रबाबू नायडू और सीपीआई (एम) नेता सीताराम येचुरी ने की मुलाकात की है. कुमारस्वामी ने शपथग्रहण से पहले विपक्ष के कई दिग्गज नेताओं को आमंत्रित किया है.

बता दें कि जेडीएस-कांग्रेस के साथ मिलकर राज्य में त्रिशंकु विधानसभा सरकार बना रही है. 222 सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा ने 104, तो वहीं कांग्रेस ने 78 और जेडीएस ने 38 सीटों पर जीत हासिल की है. फ्लोर टेस्ट में फेल बीजेपी के येदियुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया था.

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दलित हत्या वाले वीडियो को राहुल ने बताया मनुवादी जहर

प्रतिकात्मक फोटो, साभार- गूगल इमेज

नई दिल्ली। गुजरात के राजकोट में दलित हत्या को बेरहमी से पीटकर मारने वाले वीडियो पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जोरदार हमला बोला है. बुधवार को इस घटना पर बीजेपी व आरएसएस को घेरा और इसे मनुवादी सोच का नतीजा बताया है. सबसे पहले इस वीडियो को गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने शेयर किया था जिसके बाद मामला प्रकाश में आया.

राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा कि,

“ये रूह कंपा देने वाला वीडियो मनुवादी सोच का नतीजा है. इससे पहले ये बीमारी हमारे देश में और फैले, हमें इसे रोकना होगा. RSS/BJP की इस दमनकारी सोच को हम सब मिलकर हराएंगे. वक्त है बदलाव का.”

बता दें कि 20 मई को मामला सामने आया था. जिसमें वीडियो में साफ दिख रहा था कि एक दलित युवक को दो लोग बेरहमी से पीट रहे हैं. इसके बाद युवक की मौत हो गई थी और फिर उसकी पत्नी को भी पिटा गया. इसके बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले पर रिपोर्ट मांगी है. उल्लेखनीय है कि इससे पहले ऊना की घटना के कारण भी गुजरात को शर्मिंदा होना पड़ा था. आए दिन गुजरात में दलितों को पीटने व मारने की खबर मिल रही है.

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वॉट्सऐप ग्रुप से किया बाहर तो घोंप दी चाकू

मुंबई। वॉट्सऐप ग्रुप से एक मेंबर को बाहर करना एक युवक को भारी पड़ी. ग्रुप से बाहर तो कर दिया लेकिन बाहर किए गए लड़के ने तीन दोस्तों के साथ मिलकर चाकू से हमला कर दिया. इससे युवक को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

पुलिस के एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि 17 मई की रात अहमदनगर-मनमाड़ रोड पर यह घटना हुई. पुलिस के अनुसार, 18 वर्षीय चैतन्य अहमदनगर के एग्रीकल्चर कॉलेज में पढ़ता है और उसने कॉलेज स्टूडेंट्स का एक वॉट्सऐप ग्रुप बना रखा है.

इसलिए मारी चाकू

सचिन गदख नामक लड़के ने कॉलेज छोड़ दिया है इसलिए चैतन्य से उसे रिमूव कर दिया था. इस बात से नाराज सचिन गदख नाम के एक युवक ने इस मामूली सी घटना से नाराज हो कर चैतन्य पर जानलेवा हमला कर दिया. चैतन्य को गंभीर रूप में पुणे के एक अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. पुलिस के मुताबिक, हमलावर नेवासा के सोनई गांव के हैं. चैतन्य की शिकायत पर सचिन गदख, अमोल गदख और दो अन्य लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 307 और आर्म्स एक्ट के तहत अहमदनगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई गई है.

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