फिल्मी चेहरों की शरण में राजनीतिक दल

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नई दिल्ली। मार्च के आखिरी हफ्ते में एक के बाद एक कई फिल्मी सितारों ने राजनीति में कदम रखा. 27 मार्च को खबर आई कि भोजपुरी इंडस्ट्री के जुबली स्टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ बीजेपी में शामिल हो गए हैं. तो वहीं छम्मा-छम्मा गर्ल के नाम से मशहूर उर्मिला मंतोडकर ने कांग्रेस का दामन थाम लिया. एक खबर क्रिकेट की दुनिया से भी आई जब पूर्व भारतीय क्रिकेट सितारा गौतम गंभीर ने भाजपा ज्वाइन कर लिया.

लखनऊ में 27 मार्च को भोजपुरी फिल्म अभिनेता रवि किशन और दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने यूपी के मुख्यमंत्री CM योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की. चर्चा है कि दोनों अभिनेताओं को पूर्वांचल से बीजेपी का टिकट मिल सकता है. कहा जा रहा है कि रवि किशन को गोरखपुर से और निरहुआ को आजमगढ़ से टिकट मिलने के आसार हैं. दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ मूल रूप से गाजीपुर के गांव टंडवा से हैं. पूर्वांचल के एक और स्टार मनोज तिवारी पहले से ही भाजपा में हैं और उनके पास दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है. तो भाजपा मे ही हेमामालिनी भी लंबे समय से हैं. एक बार फिर से वह मथुरा से भाजपा की उम्मीदवार होंगी.

कलाकारों को राजनीति का यह चस्का सबसे पहले दक्षिण में लगा, जहां कई कद्दावर नेताओं ने न सिर्फ राजनीति में कदम रखा बल्कि प्रदेश के मुख्यमंत्री तक बनें. दक्षिण से ही 2019 के चुनाव में एक और जाने-माने चेहरे ने हुंकार भर दी है. हालांकि किसी पार्टी में शामिल होने की बजाय उसने चुनाव में निर्दलीय उतरने का फैसला किया है. दक्षिण भारत से लेकर हिंदी फिल्मों तक में अपने अभिनय क्षमता का लोहा मनवा चुके प्रकाश राज ने बेंगलूरु सेंट्रल लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल कर दिया है.

तो उधर पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने फिल्मी सितारों को साथ लेकर लोकसभा चुनाव में उतरने का मन बना लिया है. मुनमुन सेन, शताब्दी रॉय और दीपक अधिकारी जैसे फिल्मी सितारों के साथ ही इस बार खबर है कि टीएमसी ने मिमी चक्रबर्ती और नुसरत जहां जैसी कलाकारों को भी चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी कर ली है. खबरों के मुताबिक मिमी जादवपुर, नुसरत बशीरहाट, शताब्दी बीरभूम, मुनमुन आसनसोल और दीपक घाटल लोकसभा सीट से किस्मत आज़माने वाले हैं.

एक के बाद एक फिल्मी सितारों का राजनीति की दुनिया में कदम रखने से यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या लोगों का राजनेताओं पर से भरोसा उठता जा रहा है? और सभी दलों के लिए फिल्मी सितारें चुनाव जीताऊ कैंडिडेट बन गए हैं. एक सवाल यह भी है कि क्या राजनीतिक दलों का लक्ष्य महज अपने सीटों की गिनती को बढ़ाना है, चाहे वो जो जीता कर ले आए?

अंतरिक्ष में एयर स्ट्राइक का असली सच यह है

2019 में किसकी सरकार बनेगी यह तो चुनाव के नतीजों के बाद साफ होगा, लेकिन उसके पहले दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच शह-मात का खेल जारी है. यह साफ हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी और उसके ब्रांड नरेन्द्र मोदी 2019 के चुनाव में जीत के लिए एयर स्ट्राइक पर निर्भर हैं. ऐसे में मोदी के एयर स्ट्राइक को चुनौती देने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने NYAY स्कीम की घोषणा कर दी. इस योजना के मुताबिक कांग्रेस की सरकार बनने पर देश के तकरीबन पांच करोड़ गरीबों के खाते में सलाना 72 हजार रुपये डालने की बात कही जा रही है. इससे  बैकफुट पर आई भाजपा ने अबकी बार अंतरिक्ष में एयर स्ट्राइक का दांव चल दिया है.

कांग्रेस की सरकार में वित्त मंत्री रहे पी. चिदंबरम जब एक प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा घोषित NYAY स्कीम कैसे लागू होगी… यह बता रहे थे, उसी के आस-पास नरेंद्र मोदी ने एयर स्ट्राइक की खबर दे दी. भारत ने अंतरिक्ष के भीतर एक सेटेलाइट को मार कर गिरा दिया. इसी सूचना को लेकर मोदी देश की जनता के बीच मन की बात कहने आ गए. पहले उन्होंने ट्विट किया कि वो बड़ी खबर सुनाने वाले हैं, जिसके बाद फिर उन्होंने अंतरिक्ष में सेटेलाइट मारने की खबर सुनाई. ऐसा कर मोदी एक बार फिर से एयर स्ट्राइक के भरोसे चुनावी बढ़त लेने के मूड में हैं. लेकिन सवाल यह है कि क्या इसका असर चुनावों में भी होगा?

दरअसल यह वास्तव में एक बड़ी खबर है कि भारत ने यह उपलब्धि हासिल की है. अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत चौथा ऐसा देश बन गया है, जो अंतरिक्ष में किसी सेटेलाइट को माकर गिरा सकता है. देश के वैज्ञानिकों को इसके लिए बहुत बधाई. संभवतः परमाणु परीक्षण के बाद यह दूसरी बड़ी उपलब्धि है. लेकिन यहां सवाल राजनीति का है, तो चुनावों में इसका कितना असर होगा यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन जनता को यह समझना होगा कि प्रधानमंत्री मोदी ने जिस एंटी सैटेलाइन हथियार की बात कही, ऐसा करने का माद्दा भारत के पास 2012 से ही था. DRDO के तत्कालीन प्रमुख वीके सारस्वत ने 2012 में ही दावा कर दिया था कि भारत के पास दुश्मन सैटेलाइट को मार गिराने के सभी जरूरी तकनीक मौजूद हैं. तो ऐसा नहीं है कि यह वर्तमान सरकार की कोई बड़ी उपलब्धि है जो उसने बीते पांच साल में हासिल किया है. निस्संदे यह भारत सरकार की उपलब्धि है, जिसमें कांग्रेस की सरकार को भी क्रेडिट जाता है. लेकिन अगर इसे मोदी जी या भाजपा अपनी उपलब्धि कहते हैं तो ऐसा बिल्कुल नहीं है.

भले ही यह मोदी सरकार की निजी उपलब्धि नहीं है लेकिन इस परीक्षण का चुनावी फायदा लेने के लिए भाजपा और उसके नेता एयर स्ट्राइक का मुद्दा एक बार फिर से गरमाने में लग गए हैं.

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नही रही आदिवासी-दलितों और महिलाओं के संघर्ष का चेहरा

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नई दिल्ली। हिंदी की लोकप्रिय साहित्यकार और सामाजिक कार्यकर्ता रमणिका गुप्ता का मंगलवार को निधन हो गया. उन्होंने दिल्ली के अपोलो अस्पताल में दोपहर तीन बजे अंतिम सांस ली. वह 89 वर्ष की थीं.

22 अप्रैल 1930 को पंजाब में जन्मी रमणिका ने आदिवासी व दलित साहित्य को नया आयाम दिया. वह साहित्य, समाज सेवा और राजनीति कई क्षेत्रों से जुड़ी हुई थीं.

वह सामाजिक सरोकारों की पत्रिका ‘युद्धरत आम आदमी’ की संपादक थीं. उन्होंने स्त्री विमर्श पर बेहतरीन काम किया.

वह देश की वामपंथी प्रगतिशील धारा की प्रमुख रचनाकार थीं. उन्होंने मजदूर आंदोलन से अपने साहित्य को धार दी. उन्होंने झारखंड के हजारीबाग के कोयलांचल से मजदूर आंदोलनों को साहित्य के जरिए राष्ट्रीय फलक पर पहुंचाने का काम किया.

नारी मुक्ति के साथ झारखंड समेत देश के आदिवासी साहित्यिक स्वर को व्यापक समाज में लाने के उनके विशिष्ट योगदान को भुलाया नहीं जा सकता.

उनके आदिवासी एवं दलित अधिकारों से लेकर स्त्री विमर्श पर कई किताबें, कविता संग्रह प्रकाशित हो चुकी हैं. रमणिका गुप्ता की आत्मकथा ‘हादसे और आपहुदरी’ बहुत लोकप्रिय हैं. वह कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी हैं.

उनकी मशहूर कृतियों में ‘भीड़ सतर में चलने लगी है’, ‘तुम कौन’, ‘तिल-तिल नूतन’, ‘मैं आजाद हुई हूं’, ‘अब मूरख नहीं बनेंगे हम’, ‘भला मैं कैसे मरती’, ‘आदम से आदमी तक’, ‘विज्ञापन बनते कवि’, ‘कैसे करोगे बंटवारा इतिहास का’,‘दलित हस्तक्षेप’, ‘निज घरे परदेसी’, ‘सांप्रदायिकता के बदलते चेहरे’, ‘कलम और कुदाल के बहाने’, ‘दलित हस्तक्षेप’, ‘दलित चेतना- साहित्यिक और सामाजिक सरोकार’, ‘दक्षिण- वाम के कठघरे’ और ‘दलित साहित्य’, ‘असम नरसंहार-एक रपट’, ‘राष्ट्रीय एकता’, ‘विघटन के बीज’ प्रमुख हैं.

उनका उपन्यास ‘सीता-मौसी’ और कहानी संग्रह ‘बहू जुठाई’ भी खासा लोकप्रिय रहा.

सामाजिक आंदोलनों के लिए पहचानी जाने वाली रमणिका विधायक भी रहीं. उन्होंने बिहार विधानपरिषद और विधानसभा में विधायक के रूप में काम किया है. वह इसके अलावा ट्रेड यूनियन नेता के तौर पर भी काम कर चुकी हैं. वह चुनावी राजनीति से अलग होने के बाद भी मजदूर यूनियन से जुड़ी रहीं.

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मायावती ने ‘गरीबी हटाओं’ के नारे पर बीजेपी और कांग्रेस पर साधा निशाना

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने बुधवार को एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस पर निशाना साधा है. उन्होंने गरीबों और किसानों के मामले में दोनों को एक ही थाली के चट्टे-बट्टे बताया है. मायावती ने ट्वीट किया, “सत्ताधारी बीजेपी का कांग्रेस पार्टी पर आरोप कि उसका गरीबी हटाओ-2 का नारा चुनावी धोखा है, यह सच है, परन्तु क्या चुनावी धोखा व वादाखिलाफी का अधिकार केवल बीजेपी के पास ही है? गरीबों, मजदूरों, किसानों आदि के हितों की उपेक्षा के मामले में दोनों ही पार्टियां एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं.”

गौरतलब है इससे पहले बसपा मुखिया ने भाजपा सरकार पर नोटबंदी को लेकर हमला बोला था. इसके कारण कामगार बेरोजगार होकर गांव में गुजर-बसर करने के लिए मजबूर हैं.

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गुड्डू पंडित (फोइल फोटो)

लखनऊ। लोकसभा चुनाव के लिए हर राजनैतिक दल की एक ही ख्वाहिश है, किसी भी तरह ज्यादा से ज्यादा प्रत्याशी जीतना. इसके लिए हर पार्टी सीट जीताऊ उम्मीदवार पर दांव लगा रही है. इसी को ध्यान में रखते हुए बहुजन समाज पार्टी ने आखिरी वक्त पर फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार आखिरी वक्त में बदल दिया. खबर है कि इस सीट पर बसपा ने राजवीर सिंह का टिकट काटकर भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित को टिकट दे दिया है.

 फतेहपुर सीकरी से दिल्ली के राजवीर सिंह ने बसपा प्रत्याशी के तौर पर पर्चा दाखिल किया था. हालांकि पार्टी की ओर से उन्हें बी फॉर्म नहीं दिया गया था. इसके बाद अचानक गुड्डू पंडित का नाम चर्चा में आ गया. मंगलवार को ही गुड्डू पंडित अपना नामांकन दाखिल करेंगे क्योंकि आज नामांकन का अंतिम दिन है. गुड्डू पंडित दबंग छवि के नेता हैं. उन पर कई केस भी दर्ज हैं. गुड्डू पंडित समाजवादी पार्टी में भी रह चुका है.

गौरतलब है कि फतेहपुर सीकरी सीट को लेकर काफी उहापोह रही है. पहले बसपा ने इस सीट से रामबीर उपाध्याय की पत्नी सीमा उपाध्याय को यहां से प्रत्याशी घोषित किया, लेकिन सीमा उपाध्याय ने इस सीट पर समीकरण पक्ष में नहीं होने की बात कहते हुए यह सीट छोड़ दी. इसके बाद प्रत्याशी के तौर पर राजवीर सिंह का नाम आया. लेकिन ऐन आखिरी वक्त में गुड्डू पंडित को टिकट देने की बात सामने आई है.

गोरखपुर-बस्ती मंडल में दांव पर होगी बसपा की साख

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में गोरखपुर और बस्ती मंडल में बहुजन समाज पार्टी की कड़ी परीक्षा है. पार्टी इन दोनों मंडलों की नौ लोकसभा सीटों में से छह पर चुनाव मैदान में है. सीटों के बंटवारे में बसपा के हिस्से में बस्ती, संतकबीरनगर, डुमरियागंज, बांसगांव, देवरिया व सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र बसपा के हिस्से में आया है.

इन सभी सीटों को जीतने के लिए बसपा पूरा जोर लगा रही है. पार्टी ने इन सीटों पर खास रणनीति बनाई है. सूचना के मुताबिक मायावती और अखिलेश यादव की संयुक्त रैली 13 मई को गोरखपुर में प्रस्तावित है. इस रैली में गोरखपुर, महाराजगंज व कुशीनगर के लोकसभा क्षेत्रों के कार्यकर्ता शामिल होंगे. इस संयुक्त रैली के अलावा बसपा प्रमुख मायावती दो अन्य रैलियों को अकेले संबोधित करेंगी. खबर है कि बहनजी बांसगांव लोकसभा क्षेत्र व सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र में अकेले रैली करेंगी. रैली का कार्यक्रम 14 अप्रैल को तय होन की बात सामने आई है.

टिकट ना मिलने से अब जोशी हुए खफा

सत्ता में बने रहने के लिए भारतीय जनता पार्टी एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है. 2019 की जीत सुनिश्चित करने के लिए पार्टी चुन-चुनकर उम्मीदवारों को टिकट दे रही है. लेकिन इसी वजह से बीजेपी के दिग्गज ही पार्टी से खफा हो गए हैं. बताया जा रहा है कि लालकृष्ण आडवाणी की तरह ही बीजेपी ने वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी को टिकट ना देने का मन बनाया है. जब पार्टी की ओर से संगठन महासचिव रामलाल ने उन्हें इस बात की जानकारी दी तो इस पर वह खफा हो गए.

दरअसल, सोमवार को बीजेपी के संगठन महासचिव रामलाल ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी से मुलाकात की थी. रामलाल ने मुरली मनोहर जोशी से कहा कि पार्टी ने डिसाइड किया है कि आपको चुनाव नहीं लड़वाया जाए. रामलाल ने कहा कि पार्टी चाहती है कि आप पार्टी ऑफिस आकर चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान करें.

हालांकि, पार्टी की इस अपील को मुरली मनोहर जोशी ने सीधे तौर पर नकार दिया. जोशी ने कहा कि ये पार्टी के संस्कार नहीं हैं, अगर हमें चुनाव ना लड़वाने का फैसला हुआ है तो कम से कम पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को हमें आकर सूचित करना चाहिए. मुरली मनोहर जोशी ने साफ कहा कि वह पार्टी दफ्तर आकर इसकी घोषणा नहीं करेंगे.

आपको बता दें कि इससे पहले बीजेपी दिग्गज लालकृष्ण आडवाणी का गांधीनगर से टिकट कटने पर काफी बवाल हुआ था. गांधीनगर से अब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह चुनाव लड़ रहे हैं. आडवाणी का टिकट कटने पर शत्रुघ्न सिन्हा समेत कांग्रेस के नेताओं ने भी सवाल खड़े किए थे.

गौरतलब है कि इससे पहले भी रामलाल ने ही लालकृष्ण आडवाणी, कलराज मिश्र से मुलाकात कर और शांता कुमार, करिया मुंडा से फोन पर बात करके उन्हें टिकट ना देने के फैसले के बारे में जानकारी दी थी. तब भी रामलाल ने इन नेताओं को सूचित किया था कि वह अपनी ओर से चुनाव ना लड़ने का ऐलान करें.

लेकिन लालकृष्ण आडवाणी भी मुरली मनोहर जोशी की तरह तैयार नहीं हुए. सूत्रों की मानें तो आडवाणी ने भी मुरली मनोहर जोशी की तरह रामलाल से कहा था कि पार्टी हमें चुनाव में टिकट नहीं देना चाहती है तो पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को खुद आकर पार्टी के फैसले की जानकारी देनी चाहिए.

श्रोत- आजतक इसे भी पढ़ें-उत्तर भारत में सवर्ण वर्चस्व विरोधी बहुजन राजनीति के प्रणेता मान्यवर कांशीराम

दलित दंपत्ति व पुत्र के साथ मारपीट में सजा

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झांसी। विशेष न्यायाधीश एससी एसटी एक्ट शकील अहमद खां की अदालत ने दलित दंपती व पुत्र के साथ गाली गलौच, मारपीट कर जान से मारने की धमकी देने का दोष सिद्ध होने पर तीन लोगों को तीन – तीन साल की सजा व अर्थदंड लगाया है.

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता बीके राजपूत के अनुसार थाना गरौैठा इलाके में रहने वाले एक व्यक्ति ने तहरीर देते हुए बताया था कि उसके पुत्र ने 25 मार्च 2002 को छेड़खानी का मुकदमा दर्ज कराया था. 26 मार्च को गांव के ही हरिदास पुत्र वंशीधर, लालता, अखिलेश, झरपोटे उर्फ बृजेश कुमार पुत्रगण मक्खन लाल लोधी ने उक्त मुकदमे में राजीनामा करने का दबाव बनाते हुये जान से मारने की धमकी दी. मना करने पर एक राय होकर लाठी-डंडा से उसे, उसकी पत्नी व पुत्र को पीटकर जान से मारने की धमकी दी. इस घटना में तीनों घायल हो गए थे. पुत्र का पैर फ्रेक्चर हो गया था. पुलिस ने मामला दर्ज कर विवेचना के बाद आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया. मुकदमा दौरान अभियुक्त अखिलेश की मौत हो गई. न्यायालय में प्रस्तुत साक्ष्यों व गवाहों के आधार पर अभियुक्त हरिदास, लालता व झरपोटे उर्फ बृजेश कुमार को धारा 506 व धारा 3 (1)10 एससी/एसटी एक्ट में तीन- तीन साल की सजा और एक – एक हजार रुपये जुर्माना लगाया. अर्थदंड अदा न करने पर एक – एक माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी.

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गठबंधन के लिए दलित-मुस्लिम मतों को बचाना बड़ी चुनौती

भाजपा के विजय रथ को रोकने के लिए सपा-बसपा और रालोद पहली बार इस लोकसभा चुनाव में प्रदेश में एकसाथ आए हैं. मगर, गठबंधन के लिए अपनी रणनीति को अंजाम तक पहुंचाने की राह आसान नहीं है. राज्य में दलित, मुस्लिम और जाट मतों को बचाना गठबंधन के लिए बड़ी चुनौती होगी. इस वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए कांग्रेस जहां लगातार प्रयास कर रही है, वहीं भाजपा ने भी दलित और जाट समुदायों का साथ पाने के लिए खास रणनीति बनाई है.

कांग्रेस की बात करें तो सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखकर उसने मुस्लिम प्रत्याशियों को भी चुनावी रण में उतारा है. इसके साथ ही भीम आर्मी के सहारे भी कांग्रेस दलितों में सेंध लगा रही है. कांग्रेस का मानना है कि दलित और मुस्लिम उनका ही वोट बैंक है, जिसे वह फिर से अपने साथ जोड़ना चाहती है.

वहीं, जाट और दलित मतदाताओं में सेंध लगाने के लिए भाजपा ने भी पूरी बिसात बिछा रखी है. इन दोनों ही वर्गों के बीच भाजपा की ओर से लगातार कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. जाट और दलित नेताओं को भाजपा ने संगठन में अहम पद देने के साथ ही कुछ नेताओं को राज्यसभा में भी भेजा है. इतना ही नहीं इन वर्गों के पार्टी नेताओं को अपने समुदायों के बीच भेजकर उन्हें केंद्र सरकार की लाभकारी योजनाओं का हवाला देकर भी वोट पक्के करने की कोशिश की जा रही है.

26 साल पहले भी सपा-बसपा की दोस्ती रंग लाई थी

सपा और बसपा के बीच सियासी दोस्ती 26 साल पहले भी रंग लाई थी. 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की सरकार बर्खास्त कर दी गई थी. वर्ष 1993 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को रोकने के लिए सपा-बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा और सत्ता पर काबिज हुए. मगर, जून 1995 में हुए बहुचर्चित गेस्ट हाउस कांड के बाद दोनों दलों की दोस्ती टूट गई.

बसपा का सफर

14 अप्रैल 1984 को कांशी राम ने बसपा का गठन किया. उनके बाद मायावती ने इस पार्टी की कमान संभाली. मायावती उस दौरान दिल्ली में शिक्षिका थी. उन्होंने नौकरी छोड़कर राजनीतिक सफर की शुरुआत की. बसपा का पहला चुनाव चिन्ह चिड़िया था, लेकिन 1989 तक इस चुनाव चिन्ह पर उसे कोई जीत नहीं मिली. बाद में हाथी के निशान पर जीत मिलने पर बसपा ने हाथी को ही अपनी पार्टी का चुनाव चिन्ह बना लिया. मायावती चार बार यूपी की मुख्यमंत्री रहीं. मगर, 2014 के लोकसभा चुनाव में वह एक भी सीट नहीं जीत सकी.

बसपा का इतिहास

चुनावी वर्ष          जीती सीटें (लोकसभा)         मिले मत (प्रतिशत में) 2014                   00                                19.77 2009                   20                                27.42 2004                   19                                24.67 1999                   14                                22.08 1998                   04                                20.90 1996                   06                                20.61

सपा का सफर

समाजवादी पार्टी (सपा) का गठन 4 अक्तूबर 1992 को हुआ था. मुलायम सिहं यादव ने जनता परिवार से अलग होकर समाजवादी पार्टी बनाई. उन्होंने पहली बार बसपा के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें वह मुख्यमंत्री बने. 2012 में चुनाव जीतने पर मुलायम सिंह ने अपने बेटे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बना दिया. पिछले लोकसभा चुनाव में सपा पांच सीटों पर ही जीत दर्ज करा सकी थी. 2017 के विधानसभा चुनाव में वह सत्ता से बाहर हो गई.

सपा का इतिहास

चुनावी वर्ष      जीती सीटें (लोकसभा)      मत मिले (प्रतिशत में) 2014               05                           22.35 2009               23                           23.26 2004               35                           26.74 1999               26                           24.06 1998               20                           28.70 1996               16                           20.84

श्रोत- हिन्दुस्तान.कॉम Read it also-2014 में चायवाला और अब चौकीदार, मायावती ने नरेंद्र मोदी पर साधा निशाना

वादाफरामोशी: जब तोप मुकाबिल हो, किताब निकालो….

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इसलिए कि अखबार जब तोप का बारूद बन जाए, तो निशाना जनता को ही बनना है. सूचित नागरिक ही सचेत नागरिक होता है और सचेत नागरिक ही सशक्त राष्ट्र बनाता है.

तो सूचित कहां से हो? उन अखबारों से जिनके लिए सच वही है, जो सत्ता कहे. या फिर उन स्वनामधन्य पत्रकारों से, जिनकी पत्रकारिता का आधार ही उनकी कुंठा और अवधारणा है. या फिर उन पत्रकारों से जो अपने स्टूडियो में बैठ ज्ञान गंगा बहाते हुए दूसरे पत्रकारों को गाली देते है कि आज मीडिया में सूचना नहीं सिर्फ भाव है. आखिर, अन्धविरोध और अन्धविश्वास में आखिर फर्क ही क्या रह गया है?

मान लिया कि सरकारी सच ही यथार्थ है और बाकी सब भ्रम. तो ठीक है. आप इस किताब “वादाफरामोशी” को पढिए. जानिए उस सच को, जो सरकारी है. सरकारी दस्तावेजों में दर्ज है. अब कुछ को इस बात से भी आपत्ति हो सकती है कि आरटीआई तो ब्लैकमेलिंग का हथियार होता है. तो भाई ब्लैकमेल भी तो वही होता है जिसकी ढाढी में तिनका हो.

यह किताब क्यों पढे? ये किताब आप इसलिए भी पढे ताकि आप अपने पर्सेप्शन को एक दिशा दे सके, जो फिलहाल एक अनगाइडेड मिसाइल बना हुआ है. ये किताब सत्ता की चेरी बन चुकी सच के साथ आपको एक साक्षात्कार कराने का मौका देती है, इसलिए भी इसे पढे. यह जानने के लिए भी इसे पढे कि लोकतंत्र में जब नेता को नायक/रहनुमा का दर्जा देंगे तो आपके साथ क्या-क्या हो सकता है? जैसे कभी हमने इन्दिरा को दुर्गा बना कर अपने लिए मुसीबत मोली थी. ये किताब आपको एक नागरिक के तौर पर आपके जानने के हक को भी पारिभाषित करती है. यह बताती है कि आप व्हाट्स एप्प यूनिवर्सिटी के आकडों के बजाए उन आकडों पर विश्वास करे जो खुद सरकार ने मुहैया कराए है. वजाहत साहब ने जो भूमिका लिखी है, वह इस पुस्तक के उद्धेश्य को काफी सटीक तरीके से बताती है.

कुछ लोगों को इस बात से भी दिक्कत हो सकती है कि मोदी सरकार के सिर्फ 5 साल के कार्यकाल का ही हिसाब क्यों है इस किताब में? तो इसका जवाब ये है कि अव्वल तो इसमें कुछ ऐसी भी योजनाएं है जो यूपीए काल से चली आ रही है. दूसरा ये कि जब 70 साल की भारत दुर्दशा (जिसे मैं नहीं मानता) के लिए एक राजनीतिक दल को दोषी मान ही लिया गया है तो फिर हम भी वही काम करते तो क्या अनोखा करते? एक पत्रकार के तौर पर तो हमें यही पता है कि सत्ता से, सरकार से सवाल किया ही जाना चाहिए, जो हमने किया? आप भी कीजिए. अपने राज्य की सरकारों/आने वाली केन्द्रीय सरकारों से सवाल पूछिए. सवाल नहीं पूछेंगे तो जवाब नहीं मिलेगा. और सही सवाल नहीं पूछेंग तो सही जवाब नहीं मिलेगा. तो तय कीजिए कि आपके जीवन के लिए, आपके देश के लिए सही सवाल क्या है? यह तय करने में भी यह किताब आपकी मदद करेगी.

कुछेक मित्रों को इस बात से भी दिक्कत हो सकती है कि किताब का विमोचन अरविंद केजरीवाल से क्यों करवाया गया? तो, मित्र अरविन्द अभी 5 साल से राजनीति में है. हमने उन्हें 15 सालों से भी ज्यादा समय तक आरटीआई पर काम करते हुए देखा है. ये देखा है कि किस जूनून से उन्होंने हर बार जनता के इस अधिकार की रक्षा के लिए सडक पर लडाई लडी. आरटीआई पर आधारित एक किताब के विमोचन के लिए हमारे पास उनसे और वजाहत हबीबुल्लाह साहब से बेहतर नाम कोई और नहीं था. और इस बात पर तो मैं फिलहाल चर्चा भी नहीं करना चाहता कि किस-किस को हमने बुलाने की कोशिश की और किस-किस ने क्यों-क्यों हमें मना कर दिया.

अंत में, कल 24 मार्च को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में पुस्तक विमोचन-परिचर्चा के अवसर पर इतने पुराने मित्र, गुरु, शुभेच्छू मिले कि मन गदगद हो गया. उनका आशीर्वाद, उनकी शुभकामनाओं से इतना अभिभूत हूं कि उन्हें धन्यवाद बोल कर उनके प्रेम को कमतर नहीं बना सकता. मैं उनके इस स्नेह से नि:शब्द हूं.

तो आप सभी मित्रों से सादर अनुरोध है, इस किताब को पढिए. आलोचना कीजिए, समालोचना कीजिए. सबका स्वागत है.

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UP: मॉर्निंग वॉक पर निकले बसपा नेता की हत्या

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लोनी। दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में दिल्ली-यूपी बॉर्डर थाना क्षेत्र की उत्तरांचल विहार कॉलोनी में बदमाशों ने सोमवार सुबह मॉर्निंग वॉक करने जा रहे बहुजन समाज पार्टी नेता शब्बर ज़ैदी की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी. बदमाशों ने घर से महज 100 मीटर की दूरी पर इस वारदात को अंजाम दिया. पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेज कर बदमाशों की तलाश में जुट गई है.

मिली जानकारी के मुताबिक, बसपा नेता शब्बर ज़ैदी (55) बेहटा हाजीपुर गांव में रहते थे. सोमवार सुबह करीब छह बजे वह मॉर्निंग वॉक के लिए घर से बाहर निकले थे. वह सहज भाव से मॉर्निंग वॉक कर रहे थे, तभी घर से महज 100 मीटर दूर पहले से घात लगाए बैठे बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी.

बताया जा रहा है कि गोलियां लगने से उनकी मौके पर मौत हो गई. लोगों की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने शव पोस्टमार्टम को भेज दिया है. बॉर्डर थाना प्रभारी शैलेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि बदमाशों की तलाश की जा रही है.

इस घटना से शिया समाज के लोगों में रोष है. जानकारी मिलने पर समाज के सैकड़ों लोग मौके पर एकत्र हुए और घटना पर विरोध प्रकट किया. बसपा नेता शब्बर की पत्नी का नाम शहनाज है, जबकि तीनों बेटियों के नाम शदब, निगार और फराह हैं. बहुजन समाज पार्टी के नेता शब्बर जैदी 2007 में लोनी नगर पालिका का चेयरमैन का चुनाव भी लड़ चुके थे.

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हत्या की यह वारदात सोमवार सुबह 6:20 की है, जब शब्बर जैदी मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे. घर से महज 100 मीटर दूरी पर एक बदमाश बाइक पर सवार होकर खड़ा था, जबकि कुछ बदमाश पास ही खड़ी स्विफ्ट कार में सवार थे. इस बीच बाइक और कार में सवार बदमाशों ने शब्बर को घेर लिया, इसके बाद बाइक सवार बदमाश उन्हें 20 मीटर तक घसीट कर ले गए फिर उन्हें गोली मार दी. छह गोलियां सीने के ऊपर मारी गईं, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई. हत्या के तरीके को देखकर कहा जा रहा है कि यह राजनीतिक के साथ निजी दुश्मनी का भी नतीजा हो सकती है.

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IPL 2019: रिषभ पंत ने की चौकों-छक्कों की बरसात

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मुंबई। रिषभ पंत को पिछले कुछ सालों से टीम इंडिया में महेंद्र सिंह धोनी के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता रहा है. पंत ने अपने शानदार प्रदर्शन के जरिए भारतीय टेस्ट टीम में अपनी जगह पक्की कर ली है और सफेद जर्सी में लगातार धोनी के बनाए रिकॉर्ड्स को तेजी से अपने नाम कर रहे हैं. लेकिन सीमित ओवरों की क्रिकेट में वो अभी धोनी की जगह लेने के लिए संघर्ष करते नजर आ रहे हैं. उन्हें टीम इंडिया में सीमित ओवरों की क्रिकेट में अब तक जो मौके मिले वो चयनकर्ताओं के साथ-साथ प्रशंसकों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे. ऐसे में एक बार फिर उनके सामने अपनी काबीलियत साबित करने का आईपीएल के रूप में शानदार मौका है. जहां किया शानदार प्रदर्शन उनके लिए आगामी वर्ल्डकप के लिए टीम इंडिया के दरवाजे खोल देगा. इस राह पर चलते हुए उन्होंने आईपीएल के 12वें सीजन का आगाज वानखेड़े स्टेडियम में मुंबई के खिलाफ धमाकेदार अंदाज में किया और चौकों छक्कों की बारिश करते हुए रिकॉर्ड्स की झड़ी लगा दी.

टूटा धोनी का 7 साल पुराना रिकॉर्ड

रविवार को पंत ने दिल्ली कैपिटल्स के लिए सीजन के पहले मैच में 27 गेंदों में नाबाद 78 रन की पारी खेलकर विश्वकप की टीम में शामिल होने के लिए अपना दावा पेश कर दिया. अपनी इस पारी के दौरान उन्होंने 7 चौके और 7 गगनचुंबी छक्के जड़े. यानी 70 रन उन्होंने केवल चौकों छक्कों के जरिए बनाए. अपनी पारी के 8 रन उन्होंने केवल दौड़कर लिए. मुंबई के गेंदबाजों की जमकर धुनाई करते हुए उन्होंने अपना अर्धशतक 18 गेंदों में पूरा किया. इसके साथ ही उन्होंने धोनी का एक और रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया. रिषभ अब मुंबई के खिलाफ आईपीएल में सबसे तेज अर्धशतक जड़ने वाले बल्लेबाज बन गए हैं. साल 2012 में धोनी ने मुंबई के खिलाफ 20 गेंदों में अर्धशतक जड़ा था. रिषभ की पारी की सबसे रोचक बात यह रही कि उन्होंने शुरुआती 5 गेंद में केवल 1 रन बनाए थे इसके बाद अगली 13 गेंदों में ताबड़तोड़ रन बनाते हुए अर्धशतक पूरा कर लिया.

आईपीएल पारी में सबसे ज्यादा स्ट्राइक रेट

पंत की 27 गेंद पर 78 रन की पारी आईपीएल इतिहास की 20 गेंद की चौथी सबसे ज्यादा स्ट्राइक रेट वाली चौथी पारी बन गई. पंत ने 288.89 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए. 20 गेंदों से ज्यादा गेंद खेलने के बाद सबसे ज्यादा स्ट्राइक रेट से रन बनाने वाले खिलाड़ियों की सूची में पहले पायदान पर सुरेश रैना हैं. रैना ने किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ साल 2014 में 348 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए थे. उस मैच में उन्होंने 25 गेंद पर 87 रन की पारी खेली थी. इस सूची में दूसरे पायदान पर यूसुफ पठान(327.27) और तीसरे पर इशान किशन(295.24) हैं.

आईपीएल पारी में सबसे ज्यादा स्ट्राइक रेट( 20+ गेंद) खिलाड़ी            स्कोर          बनाम          वेन्यू             साल सुरेश रैना        87(25)       पंजाब         वानखेड़े         2014 यूसुफ पठान     72(22)       हैदराबाद      इडेन गार्डन्स   2014 इशान किशन    62(21)       कोलकाता    इडेन गार्डन्स    2018 रिषभ पंत        78*(27)     मुंबई         वानखेड़े          2019

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दिल्ली यूनिवर्सिटी में इस तारीख से शुरू होगी एडमिशन की प्रक्रिया

नई दिल्ली। दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन की प्रक्रिया अप्रैल में शुरू हो जाएगी. अंडर ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट, एमफिल और पीएचडी में एडमिशन की प्रक्रिया 15 अप्रैल से शुरू हो जाएगी. इस साल एडमिशन की प्रक्रिया 1 महीने पहले शुरू हो रही है. अंडर ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट, एमफिल और पीएचडी कोर्स में एडमिशन की प्रक्रिया 7 मई को समाप्त होगी. एडमिशन के लिए अप्लाई करने वाले स्टूडेंट्स को अपने एप्लीकेशन फॉर्म में सुधार करने का मौका दिया जाएगा. स्टूडेंट्स 20 मई से अपने एप्लीकेशन फॉर्म में सुधार कर पाएंगे.

डीयू में दाखिले के लिए एक्स्ट्रा को-करिकुलर एक्टिविटीज और स्पोर्ट्स फिटनेस ट्रायल 20 मई से शुरू होगा. इन ऑप्शन के माध्यम से एडमिशन कट ऑफ जारी होने से पहले शुरू हो जाएगा. डीयू के सभी कॉलेजों में स्पोर्ट्स और एक्स्ट्रा-करिकुलर कोटा के तहत 5 प्रतिशत सीटें रिजर्व है. इस बार अगर स्टूडेंट अपनी स्ट्रीम बदलता है तो उसके 2 फीसदी अंक ही काटे जाएंगे. जबकि पहले ऐसा करने पर स्टूडेंट्स के 5 फीसदी अंक काटे जाते थे.

बता दें कि पिछले साल दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) की 60 हजार सीटों पर ए़डमिशन के लिए 3 लाख के करीब स्टूडेंट्स ने आवेदन किया था. पिछले साल यूनिवर्सिटी ने 9 कट ऑफ लिस्ट जारी की थी. दिल्ली यूनिवर्सिटी की पहली कट ऑफ लिस्ट आने के बाद उसके विभिन्न कॉलेजों में 11,000 से ज्यादा स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया था.

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महागठबंधन के लिए कांग्रेस ने खड़ी की मुश्किल

नई दिल्ली। 2019 के सियासी संग्राम में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने का जो अभियान कांग्रेस लेकर चली थी, खासकर यूपी में वो बिखरता नजर आ रहा है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी जिस तरह से टिकटों का बंटवारा कर रही है, वह महागठबंधन के लिए मुश्किल पैदा करने वाला है. कांग्रेस ने जिस तरह टिकटों के बंटवारे में मुस्लिम प्रत्याशियों को तरजीह दी है, वह दलित-यादव-मुस्लिम समीकरण के भरोसे उत्तर प्रदेश की 78 सीटें फतह करने का सपना देखने वाली सपा-बसपा गठबंधन के लिए परेशान करने वाला है. इससे बहुजन समाज पार्टी के लिए ज्यादा मुश्किलें दिखाई दे रही हैं.

कांग्रेस की ओर से जारी उम्मीदवारों की लिस्ट में मुरादाबाद, बिजनौर, सहारनपुर और अमरोहा चार ऐसे लोकसभा क्षेत्र हैं, जिसने कांग्रेस की मंशा बता दी है. इन सभी जगहों पर कांग्रेस ने कद्दावर मुस्लिम चेहरों को मौका दिया है. कांग्रेस पार्टी ने मुरादाबाद से जाने-माने शायर इमरान प्रतापगढ़ी, बिजनौर से नसीमुद्दीन सिद्दीकी, सहारनपुर से इमरान मसूद और अमरोहा से राशिद अलवी को टिकट दिया गया है. ये चारों सिर्फ प्रत्याशी भर नहीं हैं, बल्कि इनकी अपनी अलग खास पहचान भी है. इमरान प्रतापगढ़ी मशहूर शायर हैं और जनता के बीच उनका क्रेज काफी है. नसीमुद्दीन सिद्दीकी कभी मायावती के राइट हैंड कहे जाते थे, और यूपी के कुछ खास क्षेत्रों में मुस्लिमों के बीच उनकी पैठ से इंकार नहीं किया जा सकता. तो वहीं इमरान मसूद पश्चिम यूपी में कांग्रेस के सबसे मुखर चेहरे के तौर पर उभरे हैं. इसी तरह राष्ट्रीय प्रवक्ता होने के नाते राशिद अलवी पूरे देश में अपनी पहचान रखते हैं. अल्वी एक दौर में बसपा में भी रह चुके हैं.

इन चारों सीटों के समीकरण को देखें तो गठबंधन के लिए विपरीत परिस्थितियां पैदा हो सकती हैं. इन चारों लोकसभा क्षेत्रों में मुसलमान वोट निर्णायक भूमिका में है. मुरादाबाद सीट पर वह 45 फीसदी, बिजनौर सीट पर 38 फीसदी, सहारनपुर सीट पर 39 फीसदी और अमरोहा सीट पर37 फीसदी मुस्लिम वोट हैं. मुरादाबाद में तो अब तक इस सीट पर हुए 17 चुनावों में से 11 बार मुस्लिम प्रत्याशियों ने बाजी मारी है. जहां तकसहारनपुर सीट की बात है तो राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले इमरान मसूद को 2014 में मोदी लहर के बाजवूद 34 फीसदी वोट मिले थे, जबकि बीजेपी से जीतने वाले राघव लखनपाल को 39 फीसदी मत प्राप्त हुए थे. ऐसा की कड़ा मुकाबला अमरोहा सीट पर भी होता दिख रहा है. जेडीएस छोड़कर बसपा में शामिल हुए कुंवर दानिश अली अमरोहा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, इसी सीट पर कांग्रेस ने राशिद अल्वी को उतारकर उनकी चुनौती बढ़ा दी है. ऐसे में इन दोनों की लड़ाई में बीजेपी को भी बड़ा मौका मिल सकता है.

अब सवाल यह है कि कांग्रेस आखिर महागठबंधन और खासकर मायावती को नुकसान क्यों पहुंचाना चाहती है. राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि कांग्रेस ऐसा एक खास रणनीति के तहत कर रही है. चर्चा यह भी है कि जिस तरह बसपा प्रमुख मायावती कांग्रेस पर एक के बाद एक हमले कर रही थीं, उससे खार खाए कांग्रेस ने भी उन जगहों पर बसपा को घेरना शुरू कर दिया है, जहां वह बड़े नामों को उतार सकती है. अब बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस की इस नीति से महागठबंध और खासकर बसपा को नुकसान होगा या फिर बसपा अपनी रणनीति के जरिए अपने प्रत्याशियों की नैया पार लगाने में कामयाब होगी. या फिर कहीं बसपा और कांग्रेस की इस लड़ाई में कहीं भाजपा तो बाजी नहीं मार ले जाएगी. एक बड़ा सवाल यह भी है कि कहीं कांग्रेस की इस रणनीति का प्रभाव पूरे उत्तर प्रदेश में न हो, क्योंकि अगर ऐसा होता है तो यह महागठबंधन के लिए खतरे ही घंटी होगी.

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12वीं के बाद क्या करें? CBSE ने सुझाए 113 कॅरियर ऑप्शन

नई दिल्ली। 12वीं के बाद नए कोर्सेज को एक्सप्लोर करने में स्टूडेंट्स की मदद के लिए सीबीएसई ने स्टेम और नॉन स्टेम कोर्सेज की लिस्ट जारी की है. न्यू एज कोर्सेज के बारे में जरूरी जानकारी जैसे ऐरॉनॉटिकल इंजिनियरिंग, रोबॉटिक्स, साइबर सिक्यॉरिटी, फॉरेस्ट्री, क्यूरेशन लिबरल स्टडीज आदि भी सीबीएसई के ऑफिशल पोर्टल cbse.nic.in पर जारी की गई है.

जिसका लिंक हम आपको शेयर कर रहे है-http://cbse.nic.in/newsite/attach/Compendium%20of%20Courses%20after%20+2.pdf

सीबीएसई की चेयरपर्सन अनीता करवाल ने अपने बयान में कहा, ‘बोर्ड ने स्टूडेंट्स के लिए कोर्सेज का संग्रह तैयार किया है, ताकि उन्हें अलग-अलग कोर्स, इंस्टीट्यूट्स के बारे में जानकारी मिल सके.’ इस लिस्ट में 113 कॅरियर ऑप्शन उपलब्ध हैं जिनमें ऐस्ट्रोनॉमी और ऐस्ट्रोफिजिक्स, फ्लोरीकल्चर/हॉर्टीकल्चर, फिशरीज, स्पीच लैंग्वेज और हियरिंग, कॉस्ट एंड वक्र्स अकाउंट, इंस्ट्रुमेंटेशन इंजीनियरिंग, फूड टेक्नोलॉजी जैसे कोर्स शामिल हैं.

अनीता करवाल ने कहा कि यह सब करने के पीछे का उद्देश्य स्टूडेंट्स में पर्याप्त जिज्ञासा पैदा करना है. बता दें कि इस संग्रह में भारत की करीब 900 यूनिवर्सिटीज और 41 हजार कॉलेजों की जानकारी है. इसमें एलिजबिलिटी क्राइटेरिया और अलग-अलग कोर्सेज की लिस्ट भी शामिल है.

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आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर रोडवेज बस में लगी आग, 4 की मौत

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सोमवार देर रात तकरीबन दो बजे दिल्ली से लखनऊ जा रही रोडवेज बस में आग लग गई. बस में आग लगते ही यात्रियों में चीख़पुकार मच गई. जब तक बस में सवार यात्री उतर पाते तब तक एक बच्चा एक महिला सहित 4 यात्री जिंदा जल गए. घटना की जानकारी पाते ही जिले के आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं. फायर ब्रिगेड और डॉक्टरों की टीम को मौके पर बुला लिया गया है.

दिल्ली के आनंद विहार से लखनऊ के आलमबाग जा रही रोडवेज बस में आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे पर माइलस्टोन 77 के निकट अचानक आग लग गई. आग लगने से बस पूरी तरह जलकर राख हो गई. घटना की जानकारी मिलते ही डीएम पीके उपाध्याय, एसपी अजय शंकर राय, एएसपी ओमप्रकाश सिंह, सीओ करहल राकेश पांडेय भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गए. चिकित्सकों की टीम भी मौके पर बुला ली गई.

घटना की जानकारी पाकर करहल मैनपुरी से पहुची फायर ब्रिगेड की गाड़ियों ने आग पर काबू पाया. लेकिन तब तक बस जलकर पूरी तरह राख हो गई. इस दौरान ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई.

बस में कितने यात्री थे इसकी कोई जानकारी नहीं हो सकी है. आग लगने के कारणों का भी अभी पता नहीं चला है. हालांकि शॉर्ट सर्किट से आग लगने की बात फिलहाल सामने आई हैं. सीओ सिटी का कहना है बस अंदर से पूरी तरह बंद है. बस काटने के लिए कटर मंगाने के प्रयास किए जा रहे हैं. इसके बाद ही मरने वालों की संख्या का ठीक से पता चल सकेगा.

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अब ट्रेन से अयोध्या जाएंगी प्रियंका गांधी

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नई दिल्ली। गंगा नदी के रास्ते इलाहाबाद से वाराणसी जाने के बाद प्रियंका गांधी अब रेल से अयोध्या जाएंगी. कांग्रेस की महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका 27 मार्च को दिल्ली से फैजाबाद के बीच रेल यात्रा करेंगी. इस यात्रा के दौरान वह ट्रेन में मौजूद लोगों से बातचीत भी करेंगी. अयोध्या यात्रा के दौरान प्रियंका गांधी हनुमान गढ़ी भी जाएंगी.

सूचना यह भी आ रही है कि प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश के अयोध्या में रोड शो भी करेंगी. उत्तर प्रदेश कांग्रेस समिति के सचिव राजेन्द्र प्रताप सिंह के मुताबिक प्रियंका गांधी दिल्ली से कैफियत एक्सप्रेस से फैजाबाद के लिये रवाना होंगी. ट्रेन के सुबह 5 बजकर 30 मिनट पर फैजाबाद पहुंचने का समय है.

सिंह के मुताबिक, ‘फैजाबाद रेलवे स्टेशन के नजदीक थोड़ी देर होटल में रुकने के बाद वह सुबह 10 बजे अयोध्या में रोड शो करेंगी. लगभग 50 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद रोड शो कुमारगंज में समाप्त होगा.’ इस रोड शो में 32 पड़ाव होंगे. इस दौरान प्रियंका स्थानीय लोगों से मिलेंगी और फैजाबाद में दो जनसभाओं को भी संबोधित करेंगी. उनका एक स्थानीय स्कूल में बच्चों से भी मिलने का कार्यक्रम है.

वाराणसी के बाद, विंध्याचल और फिर अब अयोध्या की यात्रा के जरिए प्रियंका गांधी भाजपा के कट्टर हिन्दुत्व का जवाब नरम हिन्दुत्व के जरिए दे रही है. साथ ही इसके जरिए कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश के अपने परंपरागत ब्राह्मण वोटरों को भी अपने पाले में खिंचने की कोशिश कर रही हैं.

अक्षय कुमार ने ‘केसरी’ से बनाया साल की सबसे बड़ी ओपनिंग का रिकॉर्ड

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मुंबई।होली के दिन रिलीज़ हुई अक्षय कुमार की फ़िल्म ‘केसरी’ ने बॉक्स ऑफ़िस पर ज़बर्दस्त प्रदर्शन किया है. पहले दिन की कमाई देखकर ऐसा लगता है कि होली पर इस बार सिर्फ़ केसरिया रंग ही फ़िज़ा में उड़ा है.

21 मार्च को ‘केसरी’ देश में 3600 स्क्रींस और ओवरसीज़ में 600 स्क्रींस पर रिलीज़ की गयी. ट्रेड जानकारों के मुताबिक, फ़िल्म ने बॉक्स ऑफ़िस पर ₹21.06 करोड़ का कलेक्शन पहले दिन किया है, जो 2019 में सबसे बड़ा ओपनिंग कलेक्शन है. फ़िल्म ने इस साल रिलीज़ हुई सभी फ़िल्मों को पीछे छोड़ दिया है. जानकार बताते हैं कि ‘केसरी’ ने गुरुवार को 3 बजे के बाद रफ़्तार पकड़ी, क्योंकि दोपहर तक देशभर में होली के त्योहार का असर रहता है. गोल्ड के बाद केसरी अक्षय कुमार की दूसरी सबसे बड़ी ओपनर है. गोल्ड ने ₹25.25 करोड़ का कलेक्शन किया था. ‘केसरी’ को चार दिनों का ओपनिंग वीकेंड मिला है और उम्मीद की जा रही है कि फ़िल्म ₹100 करोड़ का पड़ाव आसानी से छू लेगी.

2019 की सबसे बड़ी ओपनिंग का रिकॉर्ड

इस साल सबसे बड़ी ओपनिंग का रिकॉर्ड अब तक रणवीर सिंह की ‘गली बॉय’ के नाम था, जिसने पहले दिन ₹19.40 करोड़ का कलेक्शन किया था. केसरी के पहले नंबर पर आने के बाद अब तीसरे स्थान पर अजय देवगन की ‘टोटल धमाल’ आ गयी, जिसे ₹16.50 करोड़ की ओपनिंग मिली थी. चौथे स्थान पर कंगना रनौत की ‘मणिकर्णिका- द क्वीन ऑफ़ झांसी’ है, जिसने ₹8.75 पहले दिन जमा किये थे. वहीं, पांचवें नंबर पर विक्की कौशल की ‘उरी द सर्जीकल स्ट्राइक’ है, जिसने ₹8.20 करोड़ की ओपनिंग ली थी.

इतिहास का सबसे भीषण युद्ध है बैटल ऑफ़ सारागढ़ी

अनुराग सिंह निर्देशित ‘केसरी’ एक वॉर फ़िल्म है, जो इतिहास प्रसिद्ध बैटल ऑफ़ सारागढ़ी पर आधारित है. अक्षय कुमार ने हवलदार ईशर सिंह का रोल निभाया है, जिनके नेतृत्व में महज़ 21 सिख जवानों ने 10 हज़ार की तादाद में आये अफ़ग़ान हमलावरों से मोर्चा लिया था और अपनी चौकी पर क़ब्ज़ा करने से रोका था. ये सारे 21 जवान इस युद्ध में शहीद हुए थे. बैटल ऑफ़ सारागढ़ी को भारतीय इतिहास के सबसे भीषण युद्धों में से एक माना जाता है, जिसमें शौर्य और बलिदान की एक ऐसी दास्तां लिखी गयी थी, जिसका असर शायद ही कभी ख़त्म हो. हालांकि ब्रिटिश हुकूमत के लिये किये इस युद्ध को भारतीय इतिहास में उस तरह से सेलिब्रेट नहीं किया गया, जो सम्मान इसे मिलना चाहिए था.

‘केसरी’ को ज़्यादातर समीक्षकों ने अच्छे नंबर दिये हैं और अक्षय की सबसे बेहतरीन परफॉर्मेंसेज़ में से एक बताया है. परिणीति चोपड़ा पहली बार अक्षय के साथ पेयर अप हुई हैं. फ़िल्म में वो उनकी पत्नी के रोल में हैं.

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विराट बनाम धोनी से होगा IPL-12 के टूर्नामेंट का आगाज

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दुनिया की सबसे लोकप्रिय क्रिकेट लीग आईपीएल यानी इंडियन प्रीमियर लीग के 12वें संस्करण की शुरुआत शनिवार से होने जा रही है.इस सीज़न का पहला मैच पिछले साल की चैंपियन चेन्नई सुपर किंग्स और रॉयल चैलेंजर्स बैंग्लोर के बीच खेला जाएगा. महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में खेलने वाली चेन्नई सुपर किंग्स साल 2010, 2011 और पिछले साल 2018 में यानी तीन बार चैंपियन रही है. इतना ही नहीं चेन्नई सुपर किंग्स चार बार उपविजेता भी रही. साल 2008, 2012, 2013 और 2015 में ऐसा हुआ. यानी यह एकमात्र ऐसी टीम है जिसने सबसे अधिक सात बार आईपीएल का फ़ाइनल मुक़ाबला खेला.इतनी कामयाबी हासिल करने के बावजूद इस टीम को सबसे अधिक बदनामी का सामना भी करना पड़ा.

पिछले सीज़न की चैम्पियन सीएसके

चेन्नई सुपर किंग्स जब शनिवार को अपने ही घर के एमए चिदांबरम स्टेडियम में भारत के कप्तान विराट कोहली की कप्तानी में खेलने वाली रॉयल चैलेंजर्स बैंग्लोर के ख़िलाफ मैदान में उतरेगी तो पिछले साल की सुनहरी यादें भी उनके दिमाग़ में होंगी. महेंद्र सिंह धोनी ने लगभग अपने ही दम पर बीते साल चेन्नई को चैंपियन बना कर तमाम क्रिकेट पंडितो को हैरान कर दिया. उन्होंने दो साल का प्रतिबंध झेलने वाली टीम के हर सदस्य में इतना जोश भर दिया कि तमाम विरोधी टीमें त्राहीमाम त्राहीमाम कर उठीं. पिछला फ़ाइनल तो चेन्नई सुपर किंग्स के शेन वॉटसन ने एकतरफ़ा ही बना दिया था. फ़ाइनल में उनके सामने सनराइजर्स हैदराबाद थी. फ़ाइनल में जीत के लिए 178 रनों का लक्ष्य चेन्नई ने शेन वॉटसन के नाबाद 117 रनों की मदद से 18.3 ओवर में केवल दो विकेट खोकर हासिल कर लिया.

चेन्नई की टीम में इस बार भी कप्तान धोनी के अलावा आईपीएल के सबसे कामयाब बल्लेबाज़ों में से एक सुरेश रैना, फॉफ डुप्लेसी, अंबाती रायडू, मुरली विजय और सैम बिलिंग जैसे धुरंधर बल्लेबाज़ हैं. इसके अलावा केदार जाधव, ड्वेन ब्रावो, रविंद्र जाडेजा और शेन वॉटसन जैसे आलराउंडर हैं. हरभजन सिंह में भले ही पहले जैसी धार नहीं है पर उनका अनुभव किसी से कम नहीं है. और फिर इमरान ताहिर कभी भी विकेट लेने की क्षमता रखते हैं.

दूसरी तरफ विराट कोहली की कप्तानी में खेलने वाली रॉयल चैलेंजर्स बैंग्लौर पिछली बार प्लेऑफ में भी यानी अंतिम चार में भी अपनी जगह नहीं बना सकी. इस बार बैंग्लौर का दारोमदार कप्तान विराट कोहली के अलावा एबी डिविलियर्स, पार्थिव पटेल, नाथन कल्टर नाइल और शिमरोन हेटमायर पर होगा. गेंदबाज़ी में अनुभवी तेज़ गेंदबाज़ उमेश यादव, टिम साउदी, स्पिनर युज्वेन्दर चहल और पवन नेगी पर सबकी नज़रें रहेंगी. वैसे आईपीएल शुरू होने से पहले चेन्नई को तब बड़ा झटका लगा जब उसके तेज़ गेंदबाज़ दक्षिण अफ्रीका के लुइंगी एनगिडी मांसपेशियों में खिचाव के कारण टूर्नामेंट से बाहर हो गए है.

पिछली बार चेन्नई सुपर किंग्स के अंबाती रायडू ने 16 मैचों में एक शतक और तीन अर्धशतक सहित 602 रन बनाए और वह सर्वाधिक रन बनाने वालों में चौथे स्थान पर थे. उनके अलावा शेन वॉटसन ने 15 मैचों में दो शतक और दो अर्धशतक की मदद से पांचवें स्थान पर रहते हुए 555 रन बनाए. गेंदबाज़ी में पिछली बार बैंग्लोर के तेज़ गेंदबाज़ उमेश यादव ने चौथे स्थान पर रहते हुए 14 मैचों में 20 विकेट झटके.

इस बार का आईपीएल पूरी तरह भारत में ही खेला जाएगा.

पहले अटकले थीं कि शायद आगामी लोकसभा चुनाव के कारण आईपीएल का दूसरा चरण विदेश में आयोजित हो सकता है, लेकिन बीसीसीआई ने नॉकआउट मुक़ाबलों के अलावा पूरा कार्यक्रम घोषित कर दिया है. आईपीएल 23 मार्च से शुरू होगा और 12 मई तक खेला जाएगा. इस बार आईपीएल इसलिए भी चर्चा में रहेगा क्योंकि इसके बाद विश्व कप क्रिकेट टूर्नामेंट होना है. विश्व कप का क्रिकेट टूर्नामेंट 30 मई से 14 जुलाई तक इंग्लैंड में होगा. ज़ाहिर सी बात है कि भारत के कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री चाहते हैं कि सभी खिलाड़ी ख़ुद को बचाकर खेलें और अपनी फिटनेस और फॉर्म पर अधिक ध्यान दें.

हांलांकि यह एक बहुत बड़ी चुनौती है. कोई भी फ्रैंचाइज़ी यह नहीं चाहेगी कि उसके खिलाडी उन्हें चैंपियन बनाने में कोताही बरते. इसी बीच किंग्स इलेवन पंजाब के कोच माइक हेसन ने कहा है कि भारत के तेज़ गेंदबाज़ केएल राहुल और तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद शमी को मैचों के बीच में प्रयाप्त आराम भी दिया जाएगा.

ख़ैर अब जो होगा देखा जाएगा. शुरुआती दौर में हार-जीत से कोई असर नही पड़ेगा लेकिन फिर भी हर टीम जीत के साथ ही शुरुआत करना चाहेगी.

इस आईपीएल के साथ ही गेंद से छेडछाड़ करने के मामले में निलंबन का सामना कर रहे ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज़ और पूर्व कप्तान स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर की भी अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी हो जाएगी. स्टीव स्मिथ राजस्थान रॉयल्स और डेविड वार्नर सनराइजर्स हैदराबाद से खेलेंगे. इनका आईपीएल में किया गया प्रदर्शन ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए विश्व कप में खेलने का दावा भी मज़बूत करेगा.

और हां इस बार आईपीएल में दिल्ली डेयरडेविल्स दिल्ली कैपिटल्स के नाम से खेलती नज़र आएगी. अब देखना है कि इस बार का आईपीएल विश्व कप से पहले खिलाड़ियों के जोश, दमख़म, फिटनेस और प्रदर्शन पर कितना खरा उतरता है.

फ़िलहाल तो शनिवार को चेन्नई सुपर किंग्स और रॉयल चैलेंजर्स का मुक़ाबला देखते है जिसमें किसके हाथ जीत की बाज़ी लगती है इसे छोड ही दिया जाए तो बेहतर है. वैसे आईपीएल में दोनो टीमें 23 बार आमने-सामने हुई हैं जिनमें से 15 बार जीत चेन्नई की हुई है. सात बार बैंग्लौर जीती है. पिछली बार तो दोनों मुक़ाबलों में चेन्नई ने बैंग्लोर को मात दी थी.

दोनों टीमें इस तरह हैं : चेन्नई सुपर किंग्स : महेंद्र सिंह धौनी (कप्तान) , सुरेश रैना, अंबाती रायडू, शेन वॉटसन, फाफ डु प्लेसिस, मुरली विजय, केदार जाधव, सैम बिलिंग्स, रविंद्र जडेजा, ध्रुव शोरे, चैतन्य विश्नोई, रितुराज गायकवाड़, ड्वेन ब्रावो, कर्ण शर्मा, इमरान ताहिर, हरभजन सिंह, मिशेल सेंटनेर, शार्दुल ठाकुर, मोहित शर्मा, के एम आसिफ, डेविड विले, दीपक चाहर, एन जगदीशन.

रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर : विराट कोहली (कप्तान), एबी डिविलियर्स , पार्थिव पटेल, मार्कस स्टोइनिस, शिमरोन हेटमायर, शिवम दुबे, नाथन कूल्टर नाइल, वाशिंगटन सुंदर, उमेश यादव, युजवेंद्र चहल, मोहम्मद सिराज, हेनरिच क्लासेन, मोईन अली, कोलिन डि ग्रैंडहोम, पवन नेगी, टिम साउदी, अक्षदीप नाथ, मिलिंद कुमार, देवदत्त पी, गुरकीरत सिंह, प्रयास राय बर्मन, कुलवंत केजरोलिया, नवदीप सैनी, हिम्मत सिंह.

पाक ने पहली बार भगत सिंह को क्रांतिकारी माना

पाकिस्तान के लाहौर में शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का 88वां शहीदी समागम शनिवार को मनाया जाएगा. इससे पहले लाहौर प्रशासन ने एक लेटर जारी किया, जिसमें तीनों के शहादत स्थल शादमान चौक को भगत सिंह चौक के तौर पर जिक्र किया. वहीं, प्रशासन ने भगत सिंह को क्रांतिकारी नेता भी बताया. इसके अलावा शहीदी समागम के लिए कड़ी सुरक्षा मुहैया करने के भी आदेश दिए.

भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन के चेयरमैन इम्तियाज राशिद कुरैशी की पहल पर शादमान चौक पर हर साल शहीदी समागम होता है. कई बार कट्टरपंथियों ने ऐतराज जताया, लेकिन कुरैशी ने समागम मनाना बंद नहीं किया. इस बार 88वां शहीदी समागम शनिवार शाम मनाने जा रहे हैं. उन्होंने 19 मार्च को डीसी लाहौर को सुरक्षा मुहैया करवाने की मांग की थी. उनकी अर्जी को मंजूरी दे दी गई.

डीसी की तरफ से जारी लेटर में समागम वाले स्थान को भगत सिंह चौक (शादमान चौक) लिखा गया है. पहला मौका है जब जिला प्रशासन ने भगत सिंह को क्रांतिकारी माना है. इम्तियाज यह मांग लंबे समय से उठाते आ रहे हैं. उन्होंने इसके लिए अदालत का दरवाजा भी खटखटाया था. अदालत ने लाहौर के मेयर को इस पर काम करने के निर्देश दिए थे.

शादमान चौक वही जगह है जहां शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को अंग्रेजों ने (23 मार्च 1931 को) फांसी दी थी. कुरैशी ने बताया कि हम चौक का नाम बदलने की मांग लंबे समय से करते आ रहे थे. अब चाहते हैं को इस चौक पर भगत सिंह की प्रतिमा लगाई जाए. इसके अलावा हम उन्हें (भगत सिंह) निशान-ए-हैदर का खिताब देने की भी मांग भी कर रहे हैं. प्रशासन ने भगत सिंह को पहली बार क्रांतिकारी माना. यह अच्छी पहल है.

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