मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के एक गाँव से दलित उत्पीड़न की खबर है। जिले में दलितों की बरात रोकने के मामले लगातार आ रहे हैं और शासन-प्रशासन इन मामलों पर लगाम लगाने में बेअसर साबित हो रहा है। सवर्ण समाज के जातिवादी गुंडों द्वारा दलितों की बरात रोकने सहित दलितों के परिवारों के अपमान करने और उन्हें डराने धमकाने की खबरें भी लगातार आ रही हैं। गौरतलब है कि हालिया मामले के पहले भी दो ऐसे ही मामलों में पुलिस की मदद से दलितों की बारात निकाली गयी थी।
इन दो मामलों के बाद ठीक ऐसा ही एक मामला मंदसौर के शामगढ़ थाना क्षेत्र के गुराडिया माता स्थान पर देखा गया है।शनिवार छह फरवरी की रात इस स्थान पर एक दलित समाज के युवक दीपक की बरात निकल रही थी। इसी दौरान रात साढ़े आठ बजे इस बारात को जातिवादी गुंडों ने बारात रोककर दलित परिवार के साथ मारपीट और अभद्रता की। दूल्हे को घोड़ी से उतार दिया गया। पीड़ित दलित परिवार ने इन जातिवादियों के खिलाफ शामगढ़ थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। हालांकि साकारात्मक बात यह रही कि शिकायत के आधार पर शामगढ़ पुलिस ने आठ नामजद आरोपियों के खिलाफ रविवार सात फरवरी को एफआईआर दर्ज की है। लेकिन पुलिस के सामने पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने की भी चुनौती है।
बीते कुछ दशकों में न केवल दलितों के खिलाफ जातीय उत्पीडन के मामले बढ़े हैं, बल्कि हालिया अनुभव बता रहा है कि शासन प्रशासन में दलितों बहुजनों के प्रति संवेदनशीलता कम होती जा रही है। उत्पीड़न के मामले में फौरी राहत और न्याय नहीं मिल पाने या इसमें दिक्कत आने के कारण स्थानीय पुलिस, मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग या फिर न्यायालय ही क्यों न हो, दलित-बहुजनों का इन संस्थाओं में विश्वास घटा जा रहा है। यह भारतीय समाज और लोकतंत्र के लिए एक खतरनाक बात है।
गौरतलब है कि यह विधानसभा क्षेत्र कैबिनेट मंत्री हरदीप सिंह डंग का है जो स्वयं सिख अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं। इसके बावजूद उनके अपने इलाके में हाल ही में यहाँ इस तरह का यह दूसरा मामला आया है।

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