देश के महान समाजवादी विचारक और राजनीतिज्ञ डॉ. राममनोहर लोहिया के जीवन में विचार ही नहीं बल्कि चरित्र और प्रजातांत्रिक मूल्यों का सर्वाधिक महत्व था. वे राजनीति में शुद्ध आचरण के सबसे बड़े पैरोकार थे. उनके विचारों में अवसरवादिता को कोई जगह नहीं थी....
भारत में ऐसे विद्धानों की कमी नहीं है जो प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति का गुणगान करते नहीं थकते और लॅार्ड मैकाले की आधुनिक शिक्षा पद्धति को पानी-पी पीकर गालियां देते हैं. लेकिन इन्हीं लार्ड मैकाले की वजह से दलितों के लिए शिक्षा का रास्ता...
पत्रकारिता और राजनीति की थोड़ी-बहुत समझ होने के बावजूद मुझे आज भी रीता बहुगुणा जैसे दल-बदल पर हैरत और खीज होती है. गुस्सा आता है कि कोई ऐसा अवसरवादी कैसे हो सकता है कि बिल्कुल उलट विचारधारा के साथ चला जाए. हालांकि कांग्रेस और...
जम्बूद्वीप में दीर्घकाल तक रामराज्य स्थापित रहा, जहां पर पुरूषों को शक करने ,पत्नियों की अग्नि परीक्षा लेने तथा गर्भावस्था में भी उन्हें त्याग देने जैसे विशेषाधिकार प्राप्त थे. रामजी की कृपा से तब पुरूष शक्ति का आज जैसा क्षरण नहीं हुआ था. तब...
इसे पहचानिये, यह है ओम जी महाराज बिग बॉस का प्रतिभागी है. इसे मैं तबसे जानता हूं जबसे इसका दिल्ली में अवतरण हुआ था. उस वक्त मैं नई दुनिया दिल्ली में स्टेट कोआर्डिनेटर हुआ करता था. यह ओम जी महाराज जंतर-मंतर पर आशाराम बापू...
पिछले महीने आई एक खबर ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा. ये खबर थी एक आदिवासी दाना माझी की. वीडियो में अपनी पत्नी की लाश ढोता हुआ दाना मांझी अचानक से ही पूरे देश का सबसे अभागा और चर्चित व्यक्ति बन गया....
मैं मुजफ्फरपुर (बिहार) का रहने वाला हूँ, मेरी स्कूली शिक्षा इंग्लैंड में नहीं बल्कि मुज़फ्फरपुर में ही हुई. दिवंगत रघुनाथ पांडे द्वारा बनवाए गए- विद्या बिहार स्कूल में. दसवीं तक वहीँ पढ़ा. जाहिर है, उम्र नाबालिग थी और मेरे साथ पढ़ने वाले छात्र भी...
भारतीय समाज में चातुर्वर्ण व्यवस्था भारतीय संस्कृति का आधार मानी जाती है. परन्तु दलित समाज के लिए एक सामान संस्कृति जैसी कोई चीज कभी नहीं रही. चतुर्वर्ण व्यवस्था से अधिक निकृष्ट और कोई सामाजिक संगठन कभी नहीं पनप पाया, बल्कि इस व्यवस्था ने तो...
जिस समाज में हम रहते हैं वह उत्सव प्रेमी है, ईश्वर प्रेमी है, पशु प्रेमी तो है मगर मानवता प्रेमी नहीं है. ऐसा इसलिए कि मरे हुए पशु की खाल को रोजी-रोटी का साधन बनाने वाले गुजरात के ऊना शहर में दलित युवकों की...
मेरा प्रिय अखबार बॉम्बे क्रॉनिकल अब नहीं है. 1910 में इसकी स्थापना एक राष्ट्रवादी विकल्प के रूप में हुई थी. यह बीसवीं सदी का पूर्वार्द्ध था, जब बंबई (अब मुंबई) रहने और काम करने के लिहाज से रोमांचक शहर माना जाता था. बंबई ब्रिटिश...
बोधिसत्व भारत रत्न बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 में विजयदशमी के दिन नागपुर में अपने लाखों अनुयायियों के साथ धम्म दीक्षा ली थी. यह वह तारीख थी, जब भारत में धम्म कारवां को नयी गति और दिशा मिली थी. अब उस...
बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अशोक विजयदशमी के दिन 14 अक्तूबर 1956 को नागपुर में बौद्ध धम्म ग्रहण कर भारत में तथागत बुद्ध के धम्म चक्र को पुनः गतिमान ही नहीं किया, बल्कि विश्व में नई धम्म क्रांति की. पांच लाख से अधिक दलितों...
भूख के ग्लोबल सूचकांक के ताजा आंकड़े बताते हैं कि हमारे देश में हर तीन बच्चे में से एक बच्चे का विकास बाधित है. इस देश में अब भी आबादी के पंद्रह फीसद लोग कुपोषण के शिकार है. दुनिया के जिन 118 देशों में...
रामचरितमानस मध्ययुग की रचना है. कथा का तानाबाना तुलसीबाबा ने कुछ ऐसा बुना की रावण रावण बन गया. हर युग के देशकाल का प्रभाव तत्कालीन समय की रचनाओं में सहज ही परीलक्षित होता है. रावण के पतन का मूल कारण सीताहरण है. पर सीताहरण की...
अपको नहीं लगता कि पीओके में हुए कथित सर्जिकल स्ट्राइक के बाद देश की वर्तमान स्थिति आम भारतीय को आतंकित करने वाली है. वैसे तो ऐसा कोई भी समय नहीं रहा जब आम भारतीय आतंकित न रहा हो. आम जनता कल भी भूखी थी,...
9 अक्टूबर को बसपा सुप्रीमों मायावती ने अपने संबोधन में एक गंभीर मुद्दा उठाया. उन्होंने राष्ट्र का ध्यान इस बात की ओर आकृष्ट कराया कि उरी में शहीद हुए भारत के 18 जवानों की चिता की आग अभी भी ठंडी नहीं हो पाई है....
पदार्थ की तीन अवस्थाएं होती हैं. ठोस, द्रव और गैस. लेकिन इसके साथ ही चौथी अवस्था जिसको प्लाज्मा कहा गया है, उसको खोज लिया गया है. समुद्र की गहराई से लेकर आसमान की ऊंचाई तक, चांद से लेकर मंगल ग्रह तक विज्ञान ने कदम...
कांशीरामजी से मेरी पहली मुलाकात 21 अगस्त 1977 को बामसेफ के तात्कालिन केंद्रीय कार्यालय, करोल बाग के रैगरपुरा के मकान में हुई थी. उसके पश्चात उनसे मेरी दूसरी मुलाकात ठीक दस दिन के बाद हुई. यह वह दौर था जब कांशीरामजी को जानने और...
मैं सबसे पहले यह बता दूं की दुनिया में किसी भी समाज, व्यवस्था और धर्म का निर्माण किसी भी ईश्वर, अल्लाह या गॉड ने नहीं किया है. इससे साफ जाहिर होता है की जाति को भी ईश्वर ने नहीं बनाया है. दुनिया की सभी...
भारत के मूलनिवासी दलित समाज की दशा और दिशा किसी से छुपी नहीं है. आए दिन दलितों पर भंयकर जुल्म से हाथ रंग कर अपने आप को उच्च जाति बताने वाले लोगों का देश में अपराध की श्रेणी में ग्राफ कम होता नजर नहीं...