नई दिल्ली। आध्यात्मिक गुरु आसाराम को नाबालिग से रेप मामले में जोधपुर की अदालत ने दोषी करार दे दिया है. चाय बेचने वाले से लेकर आध्यात्मिक गुरु बनने तक आसाराम का जीवन काफी दिलचस्प रह है. असल में आसाराम का असली नाम असुमल थाउमल हरपलानी है. उसका परिवार मूलतः सिंध, पाकिस्तान के जाम नवाज अली तहसील का रहनेवाला था, लेकिन भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद उसका परिवार अहमदाबाद में आकर बस गया था.
आसाराम के परिवार के बारे में जो सूचना है, उसके मुताबिक आसाराम के पिता लकड़ी और कोयले के कारोबारी थे. आसाराम को पढ़ने में मन नहीं लगता था. किसी तरह उसने तीसरी क्लास तक ही पढ़ाई की. पिता के निधन के बाद उसने कभी टांगा चलाया तो कभी चाय बेचने का काम तक किया. 15 साल की उम्र में आसाराम ने घर छोड़ दिया और गुजरात के भरुच स्थित एक आश्रम में आ गया. यहां आध्यात्मिक गुरु लीलाशाह की सेवा करने लगा. यहीं रहते हुए उसने साधना भी की. बाद में इन्हीं से दीक्षा ली. दीक्षा के बाद लीलाशाह ने ही असुमल थाउमल हरपलानी का नाम आसाराम बापू रखा था.
1973 में आसाराम ने अपने पहले आश्रम और ट्रस्ट की स्थापना अहमदाबाद के मोटेरा गांव में की. इसके बाद वक्त बीतने के साथ आसाराम का साम्राज्य बढ़ता चला गया. 1973 से 2001 तक उसने कई गुरुकुल, महिला केंद्र बनाए. इसी दौरान आसाराम के आश्रम में भक्तों की बढ़ती हुई भीड़ के कारण राजनीति में भी उसकी साख बढ़ती गई. नेताओं को लोगों के वोट चाहिए थे और आसाराम के पास लोग थे, जो उसकी सारी बातें मानते थे.
1997 से 2008 के बीच उस पर रेप, जमीन हड़पने, हत्या जैसे कई आरोप लगते गए. 2008 में जब एक बच्चे की मौत आसाराम के स्कूल में हुई तो उस पर तांत्रिक क्रियाओं को लेकर हत्या करने के आरोप लगे. इसके बाद तत्कालीन मोदी सरकार ने आसाराम के ऊपर जांच बैठाई. तब आसाराम ने कहा था कि मोदी भस्म हो जाएगा. अगस्त 2013 में एक नाबालिग ने आसाराम पर रेप का आरोप लगाया. घटना जोधपुर के आश्रम की बताई गई. इस केस की एफआईआर दिल्ली में दर्ज कराई गई. जोधपुर पुलिस ने 1 सितंबर को 2013 को आसाराम को अरेस्ट कर ही लिया. आसाराम के खिलाफ धारा 342, 376, 506 और 509 के तहत केस दर्ज हैं. इसके अलावा पॉक्सो एक्ट भी लगा. इसी मामले में अदालत ने आसाराम को उम्र कैद की सजा सुनाई है.