जहां से भगत सिंह ने फेंका था बम, वह सीट हो रिजर्व

नई दिल्ली। भगत सिंह कहा करते थे कि सरकारें गूंगी होती है और उस तक आवाज पहुंचाने के लिए धमाके की जरूरत होती है. भगत सिंह खुद संसद में धमाकार कर अपनी बात पहुंचाई थी. अकाली दल के सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन को पत्र लिखकर स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह की पुण्यतिथि यानि 23 मार्च पर संसद में अवकाश घोषित करने की मांग की है. साथ ही उन्होंने दर्शक दीर्घा की उन 2 सीटों को रिजर्व करने की मांग की है जिनपर चढ़कर 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर ने असेंबली में बम फेंका था.

सांसद ने पत्र में लिखा है कि ब्रिटिश शासन की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए भगत सिंह और बटुकेश्वर ने सेंट्रल असेंबली (वर्तमान संसद) में बम कांड किया था. सांसद ने कहा कि उस दौर में यह बहुत बड़ा साहसी कदम था. प्रेम सिंह ने कहा कि अगर संसद की दर्शक दीर्घा में शहीदों के लिए 2 सीटें रिजर्व कर दी जाएं, यह न सिर्फ शहीदों को श्रद्धांजलि होगी बल्कि इससे हम अपने सेनानियों को संघर्ष को भी याद करते रहेंगे. उन्होंने लिखा कि जब भी उन सीटों पर लगे पोस्टर देखेंगे तो हमेशा गुलामी और जनविरोधी नीतियों के खिलाफ दोनों शहीदों के बलिदान को याद करेंगे. अकाली सांसद आज भी इस मुद्दे को सदन में उठाना चाह रहे थे लेकिन हंगामे की वजह से वह अपनी बात नहीं कर सके.

इससे पहले भगत सिंह के जीवन पर शोध करने वाले जेएनयू से रिटायर्ड प्रोफेसर चमन लाल भी सोमनाथ चटर्जी के लोकसभा स्पीकर रहने के दौरान यह मांग उठा चुके हैं. शुक्रवार यानी 23 मार्च को भगत सिंह की पुण्यतिथि है और इस दिन को शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. महज 23 साल की उम्र में 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह फांसी पर झूल गए थे. इनके साथ सुखदेव और राजगुरू को भी लाहौर की सेंट्रल जेल में फांसी दी गई थी.

करन

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