नई दिल्ली। बाबासाहेब डॉ. आम्बेडकर भारत के उन गिने-चुने विद्वानों में हैं, जिनकी विद्वता का डंका दुनिया के तमाम देशों में बजता है. खास बात यह है कि बाबासाहेब के परिनिर्वाण के छह दशक बाद भी उनकी प्रतिभा को लगातार सम्मान मिलना जारी है. यही वजह है कि विश्व विख्यात कोलंबिया विश्वविद्यालय सहित तमाम अन्य देशों के विश्वविद्यालयों में भी डॉ. अम्बेडकर का बस्त लगाया गया है. इसी कड़ी में विगत 24 अगस्त को आस्ट्रेलिया के मेलबोर्न युनिवर्सिटी में डॉ. अम्बेडकर का बस्त लगाया गया है. यह प्रतिमा युनिवर्सिटी के इंडिया इंस्टीट्यूट में लगाया गया है. इस इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर क्रेग जैफरी हैं.
खास बात यह है कि मेलबोर्न युनिवर्सिटी आस्ट्रेलिया का दूसरा विश्वविद्यालय है जहां बाबासाहेब का बस्त लगाया गया है. इसके पहले आस्ट्रेलिया की क्विंसलैंड युनिवर्सिटी में भी बाबासाहेब का बस्त लगाया जा चुका है.
कुल मिलाकर मेलबोर्न युनिवर्सिटी विश्व का नौवां विश्वविद्यालय है, जहां बाबासाहेब का बस्त लगा है. यह भारत के उन लोगों के मुंह पर एक जोरदार तमाचा है जो आए दिन भारत रत्न डॉ. अम्बेडकर की प्रतिमा को खंडित करने में जुटे हैं.
Read it also-रिटायर्ड कर्नल-एडीएम विवाद ने लिया राजनीतिक रंग, सीएम योगी और मायावती आमने-सामने
- जन मीडिया को मजबूत करने के लिए और हमें आर्थिक सहयोग करने के लिये दिए गए लिंक पर क्लिक करेंhttps://yt.orcsnet.com/#dalit-dast

दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।
