मुंबई। जिन राज्यों में प्रधानमंत्री जनधन खातों की संख्या अधिक है, उनमें ग्रामीण महंगाई निम्न स्तर पर आ गयी है. यह बात एक रिपोर्ट में सामने आई है. नोटबंदी के बाद से जनधन खातों में तेजी से इजाफा हुआ और अब तक ऐसे 30 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले जा चुके हैं. इस तरह के खाते वाले दस शीर्ष राज्यों में करीब 23 करोड़ खाते खोले गये हैं, जो कुल जनधन खातों के 75 प्रतिशत हैं. इसमें सर्वाधिक खातों की संख्या उत्तर प्रदेश में है जो 4.7 करोड़ के स्तर पर है. इसके बाद बिहार में 3.2 करोड़ और पश्चिम बंगाल में 2.9 करोड़ जनधन खाते खुले हैं.
करीब 60 प्रतिशत जनधन खाते केवल ग्रामीण इलाकों में ही खुले हैं. एसबीआई की एक रिसर्च रिपोर्ट ईकोरैप में कहा गया है, ‘‘आंकड़े दिखाते हैं कि जिन राज्यों में जनधन खाते अधिक संख्या में खुले हैं, उनमें ग्रामीण महंगाई निम्न स्तर पर है. यह दिखाता है कि अर्थव्यवस्था औपचारिक रूप ले चुकी है.’’ गौरतलब है कि जनधन योजना के अगस्त में तीन साल पूरे हो गए हैं. पीएम नरेंद्र मोदी ने इस योजना को गरीबों के लिए ऐतिहासिक पहल बताया था. उन्होंने कहा था, “जनधन क्रांति गरीबों, दलितों व हाशिए के लोगों को वित्तीय मुख्यधारा में लाने का एक ऐतिहासिक आंदोलन है”. पिछले महीने जनधन के तीन साल पूरे होने पर पीएम ने कहा था, “हमारा प्रयास गरीबों व हाशिए के लोगों के जीवन में गुणात्मक व परिवर्तनकारी बदलाव लाना है, जिसे मजबूती के साथ जारी रखा है.”
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 23 सिंतबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 72वें सत्र में संबोधन देते हुए जनधन योजना की तारीफ की थी. उन्होंने कहा, ‘‘जनधन योजना निश्वित रूप से विश्व की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशी योजना के तौर पर गिनी जानी चाहिए.’’ उन्होंने कहा कि कम से कम ऐसे 30 करोड़ भारतीयों के पास आज बैंक खाते हैं जिन्होंने कभी बैंक के दरवाजे को पार नहीं किया था . यह जनसंख्या अमेरिका की जनसंख्या के बराबर है. उन्होंने कहा, ‘‘जाहिर है कि इसे तीन वर्षों में पूरा करना आसान नहीं था लेकिन हमारे बैंकों ने हमारे प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित किये गए इस दूरदर्शी लक्ष्य को हासिल किया. लक्ष्य निर्धारित किया गया है कि प्रत्येक भारतीय परिवार का एक बैंक खाता होगा.’’ उन्होंने इसके साथ ही यह भी कहा कि ये खाते ‘जीरो बैलेंस’ पर खोले गए.

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