सर्वोच्च न्यायालय में संविधान दिवस पर लगी डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा के मायने

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26 नवंबर को संविधान दिवस के मौके पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय में बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण किया गया। दिल्ली स्थित सुप्रीम कोर्ट के मुख्य गुंबद के ठीक सामने संविधान निर्माता डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डॉ. डी. वाई चंद्रचूड़ भी मौजूद थे। जस्टिस चंद्रचूड़ ने ही इसकी पहल की थी, जिसके बाद एक समिति बनी, जिसने सर्वोच्च न्यायालय में बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा लगाने को लेकर काफी काम किया। खास बात यह है कि डॉ. आंबेडकर की यह प्रतिमा एक वकील के रूप में लगाई गई है। बाबासाहेब की यह पहली और इकलौती प्रतिमा है जो वकील के रूप में लगाई गई है। देखें वीडियो- 

इस दौरान सुप्रीम कोर्ट में हुए कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संभा को संबोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट में जजों की भर्ती के लिए आईएएस और आईपीएस की सिविल सेवा परीक्षा की तरह ही परीक्षा आयोजित करने का सुझाव चीफ जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ को दिया।

मुख्य न्यायधीश जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड ने बीते एक साल में सुप्रीम कोर्ट में हुए काम काज के बारे में बताया। इस दौरान एक पोर्टल को भी लांच किया गया। अब शीर्ष न्यायलयों में जजों द्वारा दिये गए फैसले को तमाम अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा।

कार्यक्रम में अतिथि के तौर पर कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल भी पहुंचे थे। उन्होंने बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर द्वारा संविधान निर्माण में दिये गए योगदान की चर्चा की।

इस दौरान हालांकि डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा को आम लोगों के लिए नहीं खोला गया था, लेकिन इसके बावजूद तमाम लोग सुप्रीम कोर्ट के प्रांगण में इस प्रतिमा को देखने पहुंचे। लेकिन उन्हें दूर से ही प्रतिमा को देख कर संतोष करना पड़ा। दलित दस्तक ने जब उनलोगों से सुप्रीम कोर्ट में बाबासाहेब की प्रतिमा के महत्व को लेकर बात की तो तमाम लोगों ने इसे जरूरी कदम बताया।

सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट डॉ. के. एस चौहान से जब सुप्रीम कोर्ट में बाबासाहेब की प्रतिमा, यूपीएससी की तर्ज पर जजों की नियुक्ति के लिए कदम उठाने के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बयान और मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ के काम को लेकर बात की गई तो उन्होंने इसके बारे में विस्तार से बताया। यह पूछने पर की क्या संविधान पर खतरा है? सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट ने इससे साफ इंकार किया।

हालांकि दूसरी ओर अब इसी बीच राजस्थान हाई कोर्ट परिसर में स्थापित मनु की मूर्ति के हटाने की मांग भी जोर पकड़ने लगी है। बहुजन समाज के तमाम लोगों का कहना है कि एक ओर तो सुप्रीम कोर्ट में बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा लगाई जाती है लेकिन वहीं दूसरी ओर राजस्थान हाई कोर्ट में मनु की प्रतिमा लगी है। इसको जल्द से जल्द हटा देना चाहिए।

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