उत्तर प्रदेश के राज्यसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार की हार पर अखिलेश यादव ने ये कहा कि उनकी पहली ज़िम्मेदारी अपने पार्टी के उम्मीदवार को जिताने की थी, बीएसपी उम्मीदवार के पक्ष में पर्याप्त वोट नहीं जुटा पाने की वजहों के बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें राजनीतिक धोखे का एहसास नहीं था.
बीबीसी हिंदी के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में अखिलेश यादव ने इस गठबंधन के भविष्य और 2019 के आम चुनाव को लेकर विपक्ष की चुनौतियों पर विस्तार से बातचीत की है. बीबीसी से साभार पेश है उसके प्रमुख अंश-
सवाल: मायावती जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि उनकी पार्टी का सपा के साथ 2019 में भी गठबंधन बना रहेगा, इस पर आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या है?
जवाब: जो परिणाम आया था, उससे ये लग रहा था कि कहीं वो नाराज़ तो नहीं हैं, लेकिन मुझे इस बात की ख़ुशी है कि उन्होंने एक बार फिर से कॉन्फिडेंस बिल्ड अप कर दिया है कि एलाएंस हो. अगर कॉन्फिडेंस से ये एलाएंस होगा तो ये लंबा चल सकता है, जो मक़सद है वो पूरा होगा.
जो लोग सत्ता में बैठे हैं, जो ना तो संविधान को मान रहे हैं और ना क़ानून को मान रहे हैं, उन्हें हटाने में मदद मिलेगी. जो लोग करप्शन हटाने की बात कर रहे थे उन्होंने चुनाव जीतने के लिए किस तरह पैसे का इस्तेमाल किया है, आप देख लीजिए.
इसके अलावा उन्होंने कुछ सुझाव दिया है, उन्होंने राजनीति के बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं. उन्होंने करीब से देखा है कि लोग किस तरह से बदल जाते हैं. राजनीति का लंबा रास्ता तय करने के लिए कहीं ना कहीं सावधान रहना पड़ेगा.
सवाल: आपने उन सुझावों पर विचार किया, जो उन्होंने आपको दिया है?
जवाब: अगर कोई सावधान करता है और वो सच्चाई के आस-पास है तो हमें समझना पड़ेगा कि धोखा क्या होता है, कोई किस तरह साज़िश कर सकता है.
हमारे सदस्यों को जेल से नहीं आने दिया गया, एक ही धरती पर दूसरे प्रदेश के लिए दूसरा क़ानून है, उत्तर प्रदेश के लिए दूसरा. पूरा प्रशासन लगा हुआ था कि हमारा विधायक वोट नहीं दे पाए. मुख्यमंत्री ने फिरोज़ाबाद का दौरा खासकर लगाया था ताकि हमारे विधायक को वोट डालने से रोका जाए. पर्सनल लेवल पर ज़िलाधिकारी तक को निर्देश दिए गए थे.
सवाल: इसके अलावा कोई और चूक जो आपसे रणनीतिक स्तर पर हुई हो?
जवाब: कोई किस सीमा तक साज़िश कर सकता है, इसका अंदाज़ा मुझे नहीं था. उन लोगों ने हमारे लोगों को तोड़ लिया. हमारे एक सांसद को तोड़ लिया, जिन्हें शराब में कौन-कौन से भगवान नज़र आ रहे थे.
हमने लोगों पर भरोसा किया लेकिन राजनीतिक तौर पर साज़िश करके हमारे दो विधायकों को वोट नहीं देने दिया, एक का वोट रद्द कर दिया. हर तरह के हथकंडे अपना कर विधायकों का वोट खरीदा गया.
सवाल: लेकिन आप चाहते तो ये बिसात बदल सकते थे, आख़िरी समय में अगर आपने बीएसपी उम्मीदवार को पहले जिताने का फ़ैसला लिया होता तो शायद जया जी की सीट भी निकल आती?
जवाब: इस सवाल पर मेरा बस इतना कहना है कि मेरी ज़िम्मेदारी अपनी पार्टी की थी और मैं ये मानकर चल रहा था कि मुझे अच्छे वोट मिल रहे हैं, मुझे साज़िश का पता नहीं था. दो वोट कैंसिल हो जाएंगे, इसका अंदाज़ा भी नहीं था. लोग वोट अंदर जाकर दे रहे थे, तो हमें अंदाज़ा था कि हमारे पास पूरे वोट हो जाएंगे लेकिन उनकी साज़िश बड़ी थी और हम उसे पूरी तरह समझ नहीं पाए थे.
सवाल: लेकिन आपकी ग़लती को माफ़ करने के साथ-साथ मायावती जी गेस्ट हाउस कांड तक को भूलने की बात कर रही हैं?
जवाब: साज़िश से सावधान तो रहना ही होगा, ये हमने सीखा है. मायावती जी काफ़ी परिपक्व हैं,वो सब समझती हैं. जहां तक गेस्ट हाउस कांड की बात है, तो उसका सबसे बेहतरीन जवाब ख़ुद मायावती जी ने दे दिया है. मैं तो उस वक़्त था ही नहीं और वो भी उससे काफ़ी आगे बढ़ चुकी हैं.
प्रदीप कुमार

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