जयपुर। ऐसे समय में जब सरकारें महिला सशक्तिकरण और महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर दे रही हैं, उसी समय में राजस्थान शिक्षा विभाग की तरफ से लैंगिक भेदभाव पर आधारित एक सलाह की चारों तरफ आलोचना हो रही है. दरअसल, राजस्थान के शिक्षा विभाग ने महिलाओं को स्वस्थ रहने के लिए घर में झाड़ू-पोंछा करने और चक्की पीसने की अजीब सलाह दी है.
राजस्थान शिक्षा विभाग की मासिक पत्रिका में ये बातें कही गई हैं. ये लेख नवंबर के एडिशन में प्रकाशित किया गया था. जिस पत्रिका में ये लेख प्रकाशित हुआ है, उसका नाम ‘शिविरा’ है. ये पत्रिका मुख्य रूप से स्कूल टीचर्स पर फोकस करती है. इसमें शिक्षा संबंधित बातें प्रकाशित की जाती है. इस सिलसिले में पी.यू.सी.एल. की राष्ट्रीय सचिव कविता श्रीवास्तव कहती हैं कि यह बेहद शर्मनाक है. जिन घिसे-पिटे तौर-तरीकों से शिक्षा के जरिए छुटकारा दिलाने की कोशिश होती है. शिक्षा विभाग उन्हीं को मजबूत करने में लगा हुआ है.
इस मसले पर पत्रिका के प्रधान संपादक और माध्यमिक शिक्षा निदेशक नथमल डिडेल ने कहा कि घरेलू कामकाज को खास महिलाओं के लिए व्यायाम की तरह नहीं बताया जाना चाहिए लेकिन शायद लेखक अपने आसपास हो रही चीजों से प्रभावित रहे हों, इसलिए वह ऐसा लिख गए. अलबत्ता इसके पीछे महिलाओं से भेदभाव का कोई इरादा नहीं है. यह मैं भरोसा दिलाता हूं.
आमतौर पर इसमें शिक्षा के विषय पर कुछ निबंध, महान व्यक्तियों के प्रसंग और सामान्य रुचि के मसलों पर आलेख आदि होते हैं. इन्हीं के तहत इस बार स्वस्थ रहने के सरल उपाय बताए गए हैं. कुल 52 पेज की पत्रिका के पेज नंबर 32 पर 14 उपायों के जिक्र हैं, जिसमें तीसरे प्वाइंट में लिखा है कि महिलाएं चक्की पीसना, विलौना बिलोना (मक्खन मथना), रस्सी कूदना, पानी भरना, झाड़ू-पोंछा लगाना आदि घर के कामों में भी अच्छा व्यायाम कर सकती हैं.

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