पटना। एक दूसरे से अगल राजनैतिक राह पर चल चुके नीतीश कुमार और शरद यादव आज पटना में आमने-सामने होंगे. नीतीश कुमार ने जहां पटना में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है तो वहीं शऱद यादव गुट इससे दूर है. शरद यादव औऱ उनके समर्थक अन्य नेताओं ने इस बैठक के बहिष्कार का ऐलान किया है. शरद यादव भी पटना में ही अपने समर्थकों के साथ सामानांतर बैठक कर रहे हैं. अपने विरोध को लेकर नीतीश कुमार इतने डरे हुए हैं कि पहले दिल्ली में प्रस्तावित बैठक को पटना में शिफ्ट किया गया, फिर होटल मौर्या में होने वाली बैठक नीतीश ने मुख्यमंत्री आवास पर ही बुला ली है.
इसके साथ ही यह लगभग तय है कि इस बैठक के साथ ही शऱद यादव औऱ नीतीश कुमार का सत्रह साल का गठबंधन टूट जाएगा. नीतीश कुमार ने वर्ष 2003 में अपनी समता पार्टी का विलय शरद यादव के जनता दल में किया था. वे लोग 17 साल तक बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन का हिस्सा रहे. जब वर्ष 2013 में बीजेपी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया, तो नीतीश कुमार ने गठबंधन से रिश्ता तोड़ लिया था.
2015 में बिहार विधानसभा चुनाव भी नीतीश कुमार ने मोदी और भाजपा गठबंधन के खिलाफ लड़ा. लालू यादव के साथ अपनी पिछली सारी अदावतों को भूलते हुए नीतीश कुमार ने बिहार के विधानसभा चुनाव के लिए लालू यादव के राष्ट्रीय जनता दल औऱ कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था मिलकर सरकार बनाई. हालांकि पिछले महीने ही लालू यादव समेत पूरे परिवार पर तमाम आरोप लगाते हुए औऱ दबाव की बात कहते हुए नीतीश कुमार ने महागठबंधन से नाता तोड़ कर भाजपा के साथ सरकार बना लिया था. जिसे अनैतिक बताते हुए शरद यादव ने नीतीश कुमार से अपना रास्ता अलग कर लिया है.
लेखक स्वतंत्र पत्रकार और लेखक हैं। इनकी दिलचस्पी खासकर ग्राउंड रिपोर्ट और वंचित-शोषित समाज से जुड़े मुद्दों में है। दलित दस्तक की शुरुआत से ही इससे जुड़े हैं।