बस्तर। निलंबित दिनेश ध्रुव गोंड आदिवासी समुदाय से आते हैं. छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिला स्थित जेल में अधीक्षक के पद पर है. इन्हें आदिवासियों के समर्थन, हित व मुद्दे पर लिखने के कारण रायपुर के डीजी द्वारा निलंबन का फरमान मिला है. डीजी ने दिनेश ध्रुव को नक्सली समर्थक बताया और निलंबित करने का आदेश दे दिया.
दिनेश ध्रुव की बलौदा बाजार में सबसे ईमानदार अफसरों में गिनती होती है. दिनेश ध्रुव के आने बाद जेल में काफी सुधार हुआ. इनकी ईमानदारी जग जाहिर है. इसी ईमानदारी के वजह से सोशल मीडिया में अपने आदिवासी समुदाय के हित, मुद्दे एवं चुनौतियों को भी लगातार लिखते हैं.
बस्तर के रहनेवाले दिनेश ध्रुव अपने अनुभवों को भी सोशल मीडिया से सांझा करते हैं. इस तरह से दिनेश ध्रुव कापर लिखना भाजपा शासित रमन सरकार की आंख को खटका तो तुरंत ही इनके आला अफसरों ने उन्हें नक्सली समर्थक बताकर निलंबित कर दिया. आदिवासियों के हित व मुद्दे लिखना आज महंगा पड़ गया इसकी सजा निलंबन से मिली.
इससे पहले रायपुर केंद्रीय जेल सहायक अधीक्षक राजेन्द्र गायकवाड़ और वर्षा डोंगरे जोकि दोनों दलित समुदाय से आते है. दोनों को निलंबित कर दिया गया है, वर्षा डोंगरे को नक्सली समर्थक बताकर निलंबित कर दिया गया. दोनों की बेहद काबिल अफसरों में गिनती होती है. रायपुर जेल को सुधारने में इन दोनों अफसरों की बड़ी भूमिका मानी जाती है.
छत्तीसगढ़ में वर्तमान समय में आदिवासी हित, मुद्दे समर्थन में लिखना का मतलब भाजपा के रमन सरकार के लिए नक्सल समर्थक हो जाना है. खासकर आप दलित, आदिवासी समुदाय से तो आपको नक्सली समर्थन का प्रमाण पत्र के साथ ही निलंबन का प्रमाण पत्र भी पकड़ा दिया जाता है. फिर आप लड़ते रहिए कोई सुनने वाला नहीं है. इस तरह से भाजपा सरकार में आदिवासियों पर लिखने का मतलब आप नक्सली समर्थक है. दलितों व अल्पसंख्यकों पर लिखने का मतलब आप देशद्रोही, आतंकवादी घोषित कर देंगे. अभिव्यक्ति की आजादी भारत में पूर्णत: खत्म हो चुकी है.
नरेश कुमार साहू की रिपोर्ट

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