बसपा, सपा व रालोद गठबंधन की एका केवल उम्मीदवार उतारने तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उनके पक्ष में चुनावी माहौल बनाने के लिए मायावती, अखिलेश व अजित सिंह ने तपती गर्मी में खूब पसीना बहाया. यूपी में मायावती व अखिलेश ने कुल 21 साझा चुनावी रैलियां कीं. यूपी में साझा रैली की शुरुआत पश्चिमी यूपी के देवबंद सहारनपुर से शुरू हुई और समापन पूर्वांचल के चंदौली सीट से हुआ.
मायावती की नजर प्रदेश के बाहर भी रही: बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपी में सपा व रालोद से गठबंधन किया. बसपा यूपी में 38 सीटों पर मैदान में उतरी. बसपा ने यूपी के बाहर अन्य प्रदेशों में भी उम्मीदवार उतारे. मायावती ने चुनावी अभियान की शुरुआत 2 अप्रैल को भुवनेश्वर ओडिसा से की थी. वह लगातार पांच दिनों तक यूपी के बाहर चुनावी सभाओं को संबोधित करती रहीं.
यूपी लौटने के बाद पहली संयुक्त साझा रैली देवबंद में हुई. पश्चिमी यूपी की यह पहली चुनावी सभा 7 अप्रैल को सहारनपुर में हुई. इसमें मायावती के साथ सपा प्रमुख अखिलेश यादव और रालोद मुखिया अजित सिंह ने उनके साथ मंच को साझा किया.
यूपी में हर दिन दो-दो सभाएं :मायावती व अखिलेश ने लोकसभा चुनाव में अगर देखा जाए तो प्रत्येक दिन अमूमन दो-दो चुनावी सभाएं की. दूसरे चरण में 16 अप्रैल को अगरा में संयुक्त रैली हुई. तीसरे चरण में बदायूं, मैनपुरी, रामपुर, फिरोजाबाद व बरेली में रैलियां हुईं.
चौथे चरण में कन्नौज व जालौन के साथ 30 अप्रैल को लखीमपुर खीरी व लखनऊ में अकेले रैलियां कर माहौल बनाया. इसके बाद के चरणों में बाराबंकी, जौनपुर, भदोही, आजमगढ़ में संयुक्त चुनावी रैलियां करके मायावती व अखिलेश ने गठबंधन के पक्ष में माहौल बनाया.
पूर्वांचल की सीटों पर खासा ध्यान :बसपा सुप्रीमो व सपा प्रमुख ने गठबंधन उम्मीदवारों के पक्ष में उम्मीदवार बनवाने के लिए पूर्वांचल पर खासा ध्यान दिया. किसी जमाने में पूर्वांचल सपा-बसपा का गढ़ हुआ करता था, लेकिन 2014 के चुनाव में आजमगढ़ को छोड़ दिया जाए तो सभी सीटों पर भाजपा जीती. इसीलिए 13 से 17 मई तक गठबंधन की साझा रैलियां अमूमन रोजाना हुईं. प्रचार बंद होने से एक दिन पहले 16 मई को गठबंधन के तीनों प्रमुख नेता मायावती, अखिलेश व अजित सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में रैली की और प्रचार समाप्त होने के अंतिम दिन यानी 17 मई को मिर्जापुर व चंदौली में गठबंधन ने रैलियां की.
आयोग के प्रतिबंध पर 48 घंटे रहीं मौन
देवबंद सहारनपुर में मायावती द्वारा दिए गए एक बयान के बाद चुनाव आयोग ने 48 घंटे का प्रतिबंध भी लगाया. मायावती को इसके चलते 48 घंटे खामोश भी रहना पड़ा, लेकिन प्रतिबंध शुरू होने से पहले रात में 9 बजे पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि साजिश के तौर पर प्रतिबंध लगाया गया है.
खूब दिखा तालमेल
गठबंधन के तीनों नेताओं मायावती, अखिलेश व अजित सिंह के बीच चुनावी प्रचार के दौरान खूब तालमेल दिखा. चुनाव अभियान के दौरान मायावती गठबंधन की बड़ी नेता बनकर उभरीं. मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव की सभा हो या कन्नौज में डिंपल यादव या फिर कहें अखिलेश यादव की सीट पर आजमगढ़ में हुई चुनावी सभा, मायावती सभी में अहम रोल में नजर आईं.
मायावती ने यूपी के बाहर भी माहौल बनाया
2 अप्रैल ओडिसा के भुवनेश्वर
3 अप्रैल आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा
4 अप्रैल हैदराबाद
5 अप्रैल महाराष्ट्र नागपुर
6 अप्रैल हरिद्वार व उद्धमसिंह नगर
7 अप्रैल यूपी के देवबंद सहारनपुर में पहली साझा रैली
8 अप्रैल को हापुड़ व नोएडा साझा रैली
17 मई को चंदौली में हुई आखिरी सभा
इसे भी पढ़ें-नरेंद्र मोदी की जाति के विवाद का अंत
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।