नरेंद्र मोदी की ओबीसी जाति को लेकर मायावती, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल के आरोप सामने आए हैं. चारों ने ये कहा है कि मोदी असली ओबीसी नहीं है. बाद में कागज के खेल से ओबीसी बन गए हैं.
नरेंद्र मोदी और अरुण जेटली ने इसका जवाब अपने तरीके से दिया है,
पत्रकारिता का दायित्व है कि ऐसे मौके पर सच का पता लगाए और तथ्य सामने रखे. ये देखे बगैर की इसमें किसका लाभ और किसका नुकसान है. पूरी ईमानदारी से. दस्तावेजी सच. क्योंकि दो तरह के दावे हैं, तो पब्लिक को सच जानने का अधिकार है.
चूंकि टीवी और अखबार वाले दूसरे जरूरी कामों में बिजी हैं, इसलिए ये काम मुझे करना पड़ रहा है.
इस मामले में फैक्ट इस प्रकार हैं.
1. मोदी जी की मोढ घांची या मोध घांची जाति शुरुआत में ओबीसी की लिस्ट मे नहीं थी. राज्य की पिछड़ी जाति की लिस्ट में ये जाति 1994 में लाई जाती है.
2. ओबीसी या अदर बैकवर्ड क्लासेस की लिस्ट केंद्र सरकार की होती है. ये लिस्ट मंडल कमीशन ने बनाई थी. इस रिपोर्ट के अंत में पिछड़ी जातियों की जो लिस्ट है, उसमें मोढ घांची जाति नहीं है. इसकी पुष्टि आप किसी भी विश्वविद्यालय या संस्थान की लाइब्रेरी में रखी मंडल कमीशन की रिपोर्ट से कर सकते हैं.
3. इसलिए नरेंद्र मोदी ये बात तो गलत कह रहे हैं कि वे पिछड़ी मां की संतान हैं. जब उनका जन्म हुआ तो उनकी जाति न गुजरात में पिछड़ी जाति में थी, न केंद्र में ओबीसी लिस्ट में.
4. केंद्र की ओबीसी लिस्ट में इस जाति को नोटिफिकेशन संख्या – 12011/68/98-BCC dt 27/10/1999 के जरिए लाया जाता है. उसके गजट नोटिफिकेशन का लिंक आप इस पोस्ट के कमेंट बॉक्स में जाकर देख सकते हैं. यानी नरेंद्र मोदी पहले ओबीसी नहीं थे. लेकिन अब हैं.
5. इस नोटिफिकेशन के जरिए 27 अक्टूबर 1999 को नरेंद्र मोदी की जाति ओबीसी लिस्ट में शामिल की जाती है. उस समय गुजरात और केंद्र दोनों जगह बीजेपी की सरकार थी. केशुभाई पटेल मुख्यमंत्री और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे.
6. फैक्ट ये हुआ कि जब बीजेपी की सरकार थी, तब नरेंद्र मोदी की जाति को ओबीसी की लिस्ट में शामिल किया गया. इसके लिए गुजरात की ओबीसी लिस्ट में 23 नंबर की एंट्री में संशोधन किया गया. इस नंबर पर पहले सिर्फ घांसी (मुस्लिम) का जिक्र था. 1999 में इसमें मोढ घांची को शामिल किया गया.
7. नई जातियों को ओबीसी लिस्ट में शामिल किया जाता रहा है.
8. ये रिसर्च का विषय है कि मोढ घांची जाति में पिछड़ेपन के किन लक्षणों के आधार पर राज्य सरकार ने उसे ओबीसी बनाने की सिफारिश की और केंद्र सरकार ने उसे किस आधार पर ओबीसी में शामिल कर लिया.
9. नरेंद्र मोदी जब कहते हैं कि वे ओबीसी हैं तो वो गलत नहीं है. कानूनी स्थिति यही है कि उनकी जाति अब ओबीसी है.
10. लेकिन जब वे कहते हैं कि वे पिछड़ी मां के बेटे हैं तो वे झूठ बोलते हैं.
दिलीप मंडल के फेसबुक पेज से
Read it also-ममता के समर्थन में उतरी मायावती

दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।
