जम्‍मू-कश्‍मीर में किश्तवाड़ के जंगलों में मिली आतंकी गुफा, सेना ने किया ध्वस्त

जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ भारतीय सुरक्षाबलों के ऑपरेशन ऑलआउट के बाद से आतंकियों ने अपने ठहरने का ठिकाना बदल लिया है. यहां किश्तवाड़ के केशवान क्षेत्र में आतंकियों के नए ठिकानों का पता चला है. बताया जा रहा है कि आतंकियों ने जंगलों के बीच पहाड़ काटकर उसमें सुरंग बना रखी थी और उसमें ही रहा करते थे. सेना की 26 राष्ट्रीय राइफल और पुलिस के विशेष दस्ते ने आतंकी ठिकाने को ध्वस्त कर दिया है. सुरक्षाबलों की कार्रवाई के पहले ही आतंकी वहां से भाग निकले थे. सेना को सुरंग से गोला बारूद और खाने-पीने का सामान बरामद हुआ है.

भारतीय सुरक्षाबलों को खुफिया जानकारी मिली थी कि केशवान के जंगलों में लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी जमाल दीन मौजूद है. जानकारी के आधार पर सेना और पुलिस के जवानों ने पूरे जंगल में सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया. सर्च ऑपरेशन के दौरान एक पहाड़ का सामने का हिस्सा कटा दिखाई दिया. इस पहाड़ में छोटा सा रास्ता कटा गया था, जिसे सूखे पौधों से ढक दिया गया था.

सुरक्षाबलों ने पौधों को हटाया तो पहाड़ी के बीच में से एक रास्ता निकला हुआ था. रास्ता देखते ही जवान अलर्ट हो गए और पूरे इलाके को घेर लिया. एक जवान जब पहाड़ी के अंदर घुसा तो अंदर से पहाड़ को काटकर पूरा घर बनाया गया था. इस घर में खड़े होने की जगह तो नहीं थी लेकिन उसकी लंबाई काफी ज्यादा थी. सेना को वहां से एके-47 की गोलियों से भरी हुई तीन मैगजीन, खाने-पीने का सामान, जिसमें आटा, चावल, मैगी, जूस, गैस सिलेंडर, चूल्हा, कंबल, कपड़े, दवाइयां आदि बरामद किए गए हैं. बताया जाता है कि सेना के आने से पहले आतंकी वहां से फरार हो गए थे. सेना ने आतंकी ठिकाने को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है

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युवराज ने लिया अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास

टीम इंडिया के दिग्गज ऑलराउंडर युवराज सिंह ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया है. युवराज ने साउथ मुंबई होटल में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में यह ऐलान किया. युवराज ने अपने करियर की शुरुआत सौरव गांगुली की कप्तानी में साल 2000 में नैरोबी में की थी. तब केन्या के खिलाफ पदार्पण वनडे मुकाबले में उनकी बैटिंग नहीं आई थी. युवी ने अपना आखिरी वनडे दो साल पहले 30 जून 2017 को वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था.

युवराज सिंह टीम इंडिया के ऐसे चुनिंदा खिलाड़ियों में से रहे, जिन्होंने वनडे और टी-20 में जबरदस्त सफलता हासिल की. हालांकि टेस्ट में उनका प्रदर्शन औसत रहा. युवी ने देश के लिए 304 वनडे खेलकर 8701 रन बनाए. उन्होंने 14 शतक भी जड़े. वनडे क्रिकेट में युवराज के नाम 111 विकेट भी हैं. वहीं टी-20 क्रिकेट में युवराज ने 58 मैच खेलकर 117 रन बनाए. इस प्रारूप में उनके नाम 8 अर्धशतक हैं. टी-20 में उन्होंने 28 विकेट चटकाए हैं. टेस्ट क्रिकेट में युवराज का बल्ला खामोश रहा है. उन्होंने 40 टेस्ट खेलकर 1900 रन बनाए. इनमें 3 शतक भी शामिल हैं.

1983 में कपिल देव की कप्तानी में वर्ल्ड कप जीतने के बाद से विश्व खिताब के लिए तरस रही टीम इंडिया का कप का सूखा युवराज सिंह की बदौलत ही खत्म हो सका. तब टीम इंडिया ने 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप में उन्होंने 6 मैचों में 148 रन बनाए और मैन ऑफ द सीरीज रहे. इसी टूर्नामेंट में उन्होंने इंग्लैंड के तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड की छह गेंदों पर छह छक्के जड़े थे. वहीं 2011वर्ल्ड कप में भी युवराज मैन ऑफ द टूर्नामेंट रहे थे.

माना जा रहा है कि भारत के सर्वश्रेष्ठ वनडे क्रिकेटरों में से एक युवराज ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से इसलिए संन्यास लिया क्योंकि वे आईसीसी से मान्यता प्राप्त विदेशी टी-20 लीग में फ्रीलांस करियर बनाना चाहते हैं. बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने हाल में बताया था कि युवराज अंतरराष्ट्रीय और प्रथम श्रेणी क्रिकेट से संन्यास के बारे में सोच रहे हैं. वो जीटी-20 (कनाडा) और आयरलैंड व हालैंड में यूरो टी-20 स्लैम टूर्नामेंट में खेलने पर विचार कर रहे हैं. उन्हें इन टूर्नामेंटों में खेलने की पेशकश मिल रही हैं.

युवराज इस साल आईपीएल में मुंबई इंडियंस की ओर से खेले थे, लेकिन उन्हें ज्यादा मौके नहीं मिले. यही कारण है कि वो भविष्य की योजनाओं पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं.

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गुलाबी नगरी के हेरिटेज से इंस्पायर्ड ‘पुराने डाक टिकटों से बनी हैंडमेड पेंटिंग्स‘ देखेंगी दुनिया !

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जयपुर दुनिया का इकलौता ऐसा शहर है जिसके पास हस्तनिर्मित अद्भुत और असाधारण कला का ख़ज़ाना है यहाँ की निर्मित ज्वेलरी, सांगानेरी प्रिंट, व ब्ल्यू पॉटरी की कारीगरी देश दुनिया में जयपुर को एक अलग पहचान दिलाती आयी है. ऐसी ही ‘पुराने भारतीय डाक टिकटों’ से बनी ‘विंटेज हेंडमेड आर्ट’ पेंटिंग्स जयपुर को देश विदेश में प्रसिद्धि दिला रही है. अगले वर्ष न्यूज़ीलैंड में 19 से 22 मार्च तक आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय टिकट प्रदर्शनी में शहर के आर्टिस्ट राहुल जैन द्वारा जयपुर के हेरिटेज से जुड़ी पेंटिंग्स की एक विशेष शृंखला को प्रदर्शित किया जाएगा.

जयपुर की हेरिटेज से इंस्पायर्ड ‘विंटेज हेंडमेड आर्ट’ पेंटिंग्स का आउटडोर फ़ोटो शूट रविवार काे किया गया, जिसमें इन पेंटिंग्स के साथ जयपुर की हेरिटेज साइट्स – अल्बर्ट हॉल, जवाहर सर्किल, हवामहल, विधानसभा, सवाई मानसिंह स्टेडियम, मोती डूंगरी गणेशजी सहित शहर की अन्य प्रसिद्ध लोटस बिल्डिंग, राज मंदिर सिनेमा, मसाला चौक, वर्ल्ड ट्रेड पार्क, एयरपोर्ट, सरस पार्लर को फोटोशूट में शामिल किया गया, जिन्हें वर्ष 2020 में न्यूज़ीलैंड में होने वाले अंतरराष्ट्रीय टिकट प्रदर्शनी में दिखाया जाएगा जिससे की देश दुनिया गुलाबी नगरी जयपुर की ख़ूबसूरती से अवगत हो सकें.

देश व विदेश के पुराने डाक टिकटों से बनी इन ‘विंटेज हेंडमेड आर्ट’ पेंटिग्स में महात्मा गांधी, सिनेमा के 100 वर्ष, बर्ड्स, वाइल्ड लाइफ़, नेचर, डांस, सिलाई मशीन, कार, हेंडफेन आदि विषयों पर बनी पेंटिंग काफ़ी पसंद की जा रही है इस आर्ट की पॉपुलरटी का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है की ‘हेरिटेज आर्ट एंड ज्वैलस’ नाम के इस इंस्टाग्राम पेज को सिर्फ़ इस जून महिनें में ही देश दुनिया के 5000 से अधिक लोग फ़ॉलो कर चुके हैं l

भारत व अन्य देशों के डाक विभाग (फ़िलेटली ब्यूरो) द्वारा हर वर्ष अलग-अलग विषयों जैसे कला, प्रकृति, तकनीक, खेल, फुड, सिनेमा इत्यादि पर एक सीमित संख्या में डाक टिकट जारी किए जाते है जो की डाक टिकट संग्रह के कलेक्शन की हॉबी रखने वाले फिलैटलिस्ट पीढ़ी दर पीढ़ी अपने कलेक्शन में जमा करते रहते है. आधुनिक दुनिया में लोगों का इन डाक टिकटों के प्रति आकर्षण कम हो रहा है क्योंकि उनके पास इन्हें देखने-समझने का समय व माध्यम ही नहीं है और ट्रेडिशनल डाक टिकट कलेक्टर इन टिकटों को अपनी तिजोरी में ही बंद रखते हैं इसी समस्या का समाधान निकालने व लोगों की इन विंटेज डाक टिकटों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए जयपुर के आर्टिस्ट राहुल जैन इन पुराने डाक टिकटों से ‘विंटेज हेंडमेड आर्ट’ पेंटिंग्स पिछले दो वर्षों से बना रहे हैं. वह रोज़ाना इस हॉबी के लिए 2-3 घंटे का अतिरिक्त समय इसमे लगाते हैं. आर्टिस्ट राहुल जैन के पास भारत सहित 70 से अधिक देशों के 50,000 से अधिक देश विदेश के डाक टिकटों का थीम बेस्ड कलेक्शन संजोया हुआ है व अब तक विभिन्न विषयों पर 100 से अधिक ‘हेंडमेड विंटेज आर्ट‘ बना चुके हैं. उनकी योजना इस क्षेत्र में वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज कराने के बाद जयपुर शहर वासियों के लिए इन कलाकृतियों का म्यूज़ियम खोलने की है.

हेरिटेज आर्ट एंड ज्वैल्स के फ़ाउंडर आर्टिस्ट राहुल जैन मूल रूप से अलवर ज़िले से हैं जो गत 10 वर्षों से जयपुर के ज्वेलरी उद्योग से जुड़े हुए हैं. जयपुर के हेरिटेज व ज्वेलरी कारीगरी से इंस्पायर्ड इन ‘विंटेज हेंडमेड आर्ट‘ में कैनवास पर सब्जेक्ट को थीम बेस्ट डाक टिकटों से एक विशेष क्रम में कोलाज के रूप में चिपकाया जाता है, विशेष यह है कि काम में लिए जाने वाले डॉक टिकट रेयर कैटिगरी के होते हैं जो की भारतीय डाक विभाग द्वारा देश की आज़ादी वर्ष 1947 के बाद से विभिन्न विषयों पर छापे गए हैं व साथ ही दुनिया के लगभग हर देश के डाक टिकट इस आर्ट को मनाने में काम लिए जाते हैं. इस आर्ट की एक विशेषता यह भी है कि इसमें काम में लिए जाने वाले डाक टिकट सब्जेक्ट से संबंधित थीम पर ही होते हैं जैसे हाथी की आर्ट में सिर्फ़ हाथी की फ़ोटो वाले देश दुनिया के टिकट काम में लिए जाते हैं. कभी कभी एक पेंटिंग को बनाने में 10 दिन तक का भी समय लग जाता है, डॉक टिकटों का कलेक्शन व अशॉर्टिंग करने में लगने वाला समय अलग है. इन्वेस्टमेंट ग्रेड के टिकटों से बनी यह ‘विंटेज हेंडमेड आर्ट‘ पेंटिंग्स शीघ्र ही जयपुर वासियों के लिए भी प्रदर्शित की जाएगी.

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मध्यप्रदेश प्रदेश की यूनिवर्सिटीज और कॉलेज में एससी/एसटी सेल के गठन की मांग, राज्यपाल को नाजी ने लिखा पत्र.

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राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति युवा संघ( najjys) ने राज्यपाल को पत्र लिख कर विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में एससी/एसटी सेल के गठन करने की मांग की है.

जानकारी अनुसार संघ के राष्ट्रीय महासचिव अंकित पचौरी (ankit pachauri) ने देश मे हाल ही में चल रहे डॉ. पायल तड़वी मामले का हवाला देकर प्रदेश के सभी कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में एससी/एसटी वर्ग के छात्रों के लिए सेल का गठन करने की बात कही है पचौरी का कहना है कि अनु.जाति और अनु.जनजाति के विद्यार्थी अपनी समाज को लेकर प्रताड़ित और भेदभाव का शिकार होते है, पर शिकायत नही कर पाते और या तो पढ़ाई वीच में छोड़ते है या फिर अनुचित कदम उठा लेते है. अंकित पचौरी ने यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में ही एससी/एसटी सेल बनाने की मांग की है.

शिकायत पर कार्रवाई होती तो नही जाती डॉ पायल की जान.

डॉ पायल तड़वी सुसाइड मामला शोसल मीडिया पर ट्रोल कर रहा है. देश का ज्वलंत मुद्दा भी बन चुका है. डॉ पायल तड़वी ने अपनी ही सीनियर के जातिगत तानों से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी, इस मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति युवा संघ (नाजी) के राष्ट्रीय महासचिव अंकित पचौरी ने कहा कि यदि समय पर डॉ पायल की शिकायत पर अस्पताल प्रशासन कार्यवाही करता तो पायल आत्महत्या नही करती. पचौरी ने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई- दिल्ली के निर्देश अनुसार विश्वविद्यालय और महाविद्यालय में इस वर्ग के छात्रों की शिकायत और समस्याओं के लिए एससी/एसटी सेल गठित होना चाहिए. लेकिन कई महाविद्यालयों में आज तक गठन नही हुआ है.

हमने मध्यप्रदेश के महामहिम राज्यपाल को अनुसूचित जाति एवं जनजाति छात्रों पर प्रताड़ना, भेदवाव एवं अन्य समस्याओं की शिकायत और निराकरण के लिये एससी/एसटी सेल का गठन यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों किये जाने का निवेदन किया है.

अंकित पचौरी, राष्ट्रीय महासचिव राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति युवा संघ(नाजी)

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बिलखती बेटियां, स्तब्ध समाज

छोटी बच्चियों के साथ निरंतर हो रही आपराधिक घटनाएं हमारे समाज के माथे पर कलंक ही हैं. यह दुनिया बेटियों के लिए लगातार असुरक्षित होती जा रही है और हमारे हाथ बंधे हुए से लगते हैं. कोई समाज अगर अपनी संततियों की सुरक्षा भी नहीं कर सकता, उनके बचपन को सुरक्षित और संरक्षित नहीं रख सकता तो यह मान लेना चाहिए सडांध बहुत गहरी है. ऐसे समाज का या तो दार्शनिक आधार दरक चुका है या वह सिर्फ एक पाखंडपूर्ण समाज बनकर रह गया है जो बातें तो बड़ी-बड़ी करता है, किंतु उसका आचरण बहुत घटिया है.

स्त्रियों की तरफ देखने का हमारा नजरिया, उनके साथ बरताव करने का रवैया बताता है कि हालात अच्छे नहीं हैं. किंतु चिंता तब और बढ़ जाती है, जब निशाने पर मासूम हों. जिन्होंने अभी-अभी होश संभाला है, दुनिया को देख रहे हैं. परख रहे हैं. समझ रहे हैं. उनके अपने परिचितों, दोस्तों, परिजनों के हाथों किए जा रहे ये हादसे बता रहे हैं कि हम कितने सड़े हुए समाज में रह रहे हैं. हमारी सारी चमकीली प्रगति के मोल क्या हैं, अगर हम अपने बच्चों के खेल के मैदानों में, पास-पड़ोस में जाने से भी सहमने लगें. किंतु ऐसा हो रहा है और हम सहमे हुए हैं. बेटियां जिनकी मौजूदगी से यह दुनिया इतनी सुंदर है, वहशी दरिंदों के निशाने पर हैं.

कानूनों से क्या होगाः बच्चों और स्त्रियों की सुरक्षा को लेकर कानूनों की कमी नहीं है. किंतु उन्हें लागू करने, एक न्यायपूर्ण समाज बनाने की प्रक्रिया में हम विफल जरूर हुए हैं.इन घटनाओं के चलते पुलिस, सरकार और समाज सबका विवेक तथा संवेदनशीलता कसौटी पर है. निर्भया कांड के बाद समाज की आई जागरूकता और सरकार पर बने दबावों का भी हम सही दोहन नहीं कर सके. कम समय में न्याय, संवेदनशील पुलिसिंग और समाज में व्यापक जागरूकता के बिना इन सवालों से जूझा नहीं जा सकता. हमारी ‘परिवार’ नाम की संस्था जो पारिवारिक और सामाजिक मूल्यों की स्थापना का मूल स्थान था, पूरी तरह दरक चुकी है. पैसा इस वक्त की सबसे बड़ी ताकत है और जायज-नाजायज पैसे का अंतर खत्म हो चुका है. माता-पिता की व्यस्तताएं, उनकी परिवार चलाने और संसाधन जुटाने की जद्दोजहद में सबसे उपेक्षित तो बच्चा ही हो रहा है. सोशल मीडिया ने इस संवादहीनता के नरक को और चौड़ा किया है. संयुक्त परिवारों की टूटन तो एक सवाल है ही. ऐसे कठिन समय में हमारे बच्चे क्या करें और कहां जाएं? अवसरों से भरी पूरी दुनिया में जब वे पैदा हुए हैं, तो उनका सुरक्षित रहना एक दूसरी चुनौती बन गया है. भारतीय परिवार व्यवस्था पूरी दुनिया में विस्मय और उदाहरण का विषय रही है, किंतु इसके बिखराव और एकल परिवारों ने बच्चों को बेहद अकेला छोड़ दिया है.

स्कूल निभाएं जिम्मेदारीः ऐसे समय में जब परिवार बिखर चुके हैं, समाज की शक्तियां अपने वास्तविक स्वरूप में निष्क्रिय हैं, हमारे विद्यालयों, स्वयंसेवी संगठनों को आगे आना होगा. एक आर्थिक रूप से निर्भर समाज बनाने के साथ-साथ हमें एक नैतिक, संवेदनशील और परदुखकातर समाज भी बनाना होगा. संवेदना का विस्तार परिवार से लेकर समाज तक फैलेगा तो समाज के तमाम कष्ट कम होगें. शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता इस काम में बड़ा योगदान दे सकते हैं. सही मायने में हमें कई स्तरों पर काम करने की जरूरत है, जिसमें परिवारों और स्कूलों दोनों पर फोकस करना होगा.

परिवार और स्कूलों में नई पीढ़ी को संस्कार, सहअस्तित्व, परस्पर सम्मान और शुचिता के संस्कार देने होगें. स्त्री-पुरुष में कोई छोटा-बड़ा नहीं, कोई खास और कोई कमतर नहीं यह भावनाएं बचपन से बिठानी होगीं. पशुता और मनोविकार के लक्षण हमारी परवरिश, पढ़ाई- लिखाई और समाज में चल रहीं हलचलों से ही उपजते हैं. मोबाइल और मीडिया के तमाम माध्यमों पर उपलब्ध अश्लील और पोर्न सामग्री इसमें उत्प्रेरक की भूमिका निभा रहे हैं. इसके साथ ही समाज में बंटवारे की भावनाएं इतनी गहरी हो रही हैं कि हम स्त्री के विरूद्ध अपराध को पंथों को हिसाब से देख रहे हैं. निर्मम हत्याएं, दुराचार की घटनाएं मानवता के विरुद्ध हैं. पूरे समाज के लिए कलंक हैं. इन घटनाओं पर भी हम अपनी घटिया राजनीति और पंथिक मानसिकता से ग्रस्त होकर टिप्पणी कर रहे हैं. दुनिया के हर हिस्से में हो रहे हमलों, युध्दों, दंगों और आपसी पारिवारिक लड़ाई में भी स्त्री को ही कमजोर मानकर निशाना बनाया जाता है. यह बीमार सोच और मनोरोगी समाज के लक्षण हैं.

पाखंडपूर्ण समाज और शुतुरमुर्गी सोचः समाज की पाखंडपूर्ण प्रवृत्ति और शुतुरमुर्गी रवैया ऐसे सामाजिक संकटों में साफ दिखता है. साल में दो नवरात्रि पर कन्यापूजन कर बालिकाओं का आशीष लेने वाला समाज, उसी कन्या के लिए जीने लायक हालात नहीं रहने दे रहा है. संकटों से जूझने, दो-दो हाथ करने और समाधान निकालने की हमारी मानसिकता और तैयारी दोनों नहीं है. अलीगढ़, भोपाल से लेकर उज्जैन तक जो कुछ हुआ है, वह बताता है कि हमारा समाज किस गर्त में जा रहा है. हमारी परिवार व्यवस्था, शिक्षा व्यवस्था, समाज व्यवस्था, धर्म सत्ता सब सवालों के घेरे में है. हमारा नैतिक पक्ष,दार्शनिक पक्ष चकनाचूर हो चुका है. हम एक स्वार्थी, व्यक्तिवादी समाज बना रहे हैं, जिसमें पति-पत्नी और बच्चों के अलावा कोई नहीं है. विश्वास का यह संकट दिनों दिन गहरा होता जा रहा है. शायद इसीलिए हमें परिजनों और पड़ोसियों से ज्यादा हिडेन कैमरों और सर्विलेंस के साधनों पर भरोसा ज्यादा है. भरोसे के दरकने का यह संकट दरअसल संवेदना के छीज जाने का भी संकट है.

कैसे बचेंगी बेटियाः बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा जब हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने दिया होगा, तब शायद वे कोख में मारी जानी वाली बेटियों की चिंता कर रहे थे. हमारे समय के एक बड़े संकट भ्रूण हत्या पर उनका संकेत था. लेकिन अब इस नारे के अर्थ बदलने से लगे हैं. लगता है कि अब दुनिया में आ चुकी बेटियों को बचाने के लिए हमें नए नारे देने होगें. एक बेहतर दुनिया किसी भी सभ्य समाज का सपना है. हमारी संस्कृति और परंपरा ने हमें स्त्री के पूजन का पाठ सिखाया है. हम कहते रहे हैं- ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता’ (जहां नारियों की पूजा होता है, वहां देवता वास करते हैं). हमारी बुद्धि, शक्ति और धन की अधिष्ठात्री भी सरस्वती, दुर्गा-काली और लक्ष्मी जैसी देवियां हैं. बावजूद इसके उन्हें पूजने वाली धरती पर बालिकाओं का जीवन इतना कठिन क्यों हो गया है? यह सवाल हमारे समाने है, हम सबके सामने, पूरे समाज के सामने. हादसे की शिकार बेटियों की चीख हमने आज नहीं सुनी तो मानवता के सामने हम सब अपराधी होगें, यकीन मानिए.

प्रो. संजय द्विवेदी

बंगाल हिंसा: गृह मंत्रालय की अडवाइजरी पर ममता सरकार का जवाब, आज बीजेपी मनाएगी ब्लैक डे

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कोलकाता। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच जारी टकराव से राज्य में तनाव का माहौल है. आज गवर्नर केशरीनाथ त्रिपाठी दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करेंगे. समझा जा रहा है कि वह सूबे में हिंसा पर पीएम को रिपोर्ट सौपेंगे. हालांकि, खुद राज्यपाल ने इन खबरों का खंडन करते हुए कहा है कि वह पीएम से मुलाकात कर उन्हें चुनाव में जीत की बधाई देंगे. राज्य में टीएमसी-बीजेपी की टक्कर के हिंसक रूप से लेने से राज्य में चिंताजनक स्थिति पैदा हो गई है. इस पर गंभीरता दिखाते हुए गृह मंत्रालय ने रविवार को राज्य सरकार को अडवाइजरी जारी करते हुए कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूर कदम उठाने को कहा है. वहीं राज्य ने इस पर जवाब देते हुए कहा है कि हिंसा के मामलों में उचित और त्वरित कार्रवाई की जा रही है. साथ ही, बीजेपी ने आज बशीरहाट में 12 घंटे का बंद और पूरे बंगाल में काला दिवस मनाने का ऐलान किया है.

गौरतलब है कि शनिवार को 24 परगना जिले के भंगीपारा में हुई झड़प में 4 लोगों की मौत हो गई थी. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस बारे में अडवाइजरी जारी कर कहा है, ‘पिछले कुछ हफ्तों से जारी हिंसा राज्य में कानून व्यवस्था लागू करने और लोगों के बीच विश्वास जगाने में व्यवस्था की असफलता को दर्शाता है.’ राज्य से कानून व्यवस्था बनाए रखने और शांति स्थापित करने के लिए कहा गया है. साथ ही अपनी ड्यूटी सही से न करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए भी कहा गया है.

राज्य का दावा, कानून व्यवस्था लागू करने में असफल नहीं दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल के चीफ सेक्रटरी ने भी गृह मंत्रालय को खत लिखकर जानकारी दी है कि राज्य में स्थिति नियंत्रण में है. साथ ही यह भी कहा है कि किसी भी तरह से यह समझा नहीं जाना चाहिए कि राज्य की कानून व्यवस्था लागू करने वाली मशीनरी ऐसा करने और लोगों में विश्वास जगाने में असफल रही है. उन्होंने कहा है, ‘राज्य में चुनावों के बाद कुछ घटनाओं को असामाजिक तत्वों ने अंजाम दिया है लेकिन कानून लागू करने वाली अथॉरिटीज ने इन मामलों में बिना किसी देरी के उचित और कड़ी कार्रवाई की है.

बीजेपी मनाएगी ‘काला दिवस’ गौरतलब है कि उत्तर 24 परगना में शनिवार को हुई झड़प में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ताओं के अंतिम संस्कार को लेकर राज्य की पुलिस और बीजेपी नेताओं के बीच रविवार को टकराव हो गया. बशीरहाट में रविवार को अंतिम दर्शन के लिए पार्टी कार्यालय ले जाए जा रहे शवों को पुलिस ने रोक लिया. इस बीच पुलिस पर मनमानी करने का आरोप लगाकर बीजेपी ने सोमवार को बशीरहाट में 12 घंटे का बंद और पूरे बंगाल में ‘काला दिवस’ मनाने का ऐलान किया.

बीजेपी-टीएमसी के बीच जारी हिंसक टकराव बता दें कि लोकसभा चुनावों के दौरान, खासकर नतीजे आने के बाद राज्य में टीएमसी और बीजेपी के कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़पें जारी हैं. चुनाव में बीजेपी ने राज्य की 42 संसदीय सीटों में से 18 अपने नाम कर राज्य में पहली बार बड़ी जीत दर्ज की थी. उसके बाद से ही हिंसा का दौर चल रहा है. पश्चिम बंगाल में 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं.

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सलमान की फिल्म ने तीसरे दिन भी कर डाली तूफानी कमाई, कमाए इतने करोड़

नई दिल्ली। सलमान खान की फिल्म ‘भारत’ की बॉक्स ऑफिस पर तूफानी कमाई जारी है. इस फिल्म में दर्शकों को सलमान खान और कैटरीना कैफ की जोड़ी खूब जम रही है. भारत ने पहले दिन जहां बंपर ओपनिंग लेते हुए 42.30 करोड़ की रिकॉर्ड कमाई की थी, तो दूसरे दिन भी ‘भारत’ ने 31 करोड़ की कमाई की थी. अब खबर आ रही है फिल्म ने तीसरे दिन यानी शुक्रवार को 25 करोड़ से ऊपर की कमाई कर डाली है. इस तरह से फिल्म ने तीन दिन में 96 करोड़ से ऊपर की कमाई कर डाली है. सलमान खान की फिल्म ‘भारत’ की कमाई को लेकर बॉक्स ऑफिस इंडिया ने जानकारी दी है. सलमान खान और अली अब्बास जफर की जोड़ी जब भी बॉक्स ऑफिस पर आई है, उसने तहलका मचाया है और इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है.

सलमान खान, कैटरीना कैफ और दिशा पटानी की फिल्म ‘भारत’ को लेकर अनुमान लगाया जा रहा है कि अपने पहले वीकेंड पर फिल्म रिकॉर्ड तोड़ कमाई करेगी. वैसी भी ‘भारत’ तीन दिन में 100 करोड़ के करीब पहुंच चुकी है, जो कि एक रिकॉर्ड है. फिल्म दिल्ली, यूपी, बिहार, पंजाब, मुंबई जैसी जगहों पर धाकड़ कमाई कर रही है. फिल्म में सलमान खान और दिशा पटानी पहली बार काम कर रहे हैं. इन दोनों की जोड़ी दर्शकों को काफी पसंद आ रही है.

सलमान खान ने फिल्म ‘भारत’ की कमाई से एक बार फिर दिखा दिया है कि वो ही बॉलीवुड के सुल्तान हैं ये सलमान की किसी भी फिल्म को अब तक की सबसे बड़ी ओपनिंग है. यह फिल्म अपने पहले वीकेंड में जोरदार कमाई करेगी इसकी सभी को उम्मीद है. सलमान खान जब भी डायरेक्टर अली अब्बास जफर के साथ आए हैं, उन्होंने बॉक्स ऑफिस पर इस तरह का करिश्मा किया है. फिर वह चाहे ‘सुल्तान’ हो या फिर ‘टाइगर जिंदा है’. इस तरह सलमान खान की अली अब्बास जफर के साथ मिलकर तीसरी बार जोरदार करिश्मा किया है. सलमान खान की फिल्म ‘भारत’ को बॉलीवुड से भी अच्छा रिस्पॉन्स मिला है और खूब तारीफें मिल रही हैं.

सलमान खान वैसे भी अपनी पिछली कुछ फिल्मों में कुछ हटकर करने की कोशिश कर रहे हैं जो ‘भारत’ में भी साफ नजर आती है. सलमान खान की ‘भारत’ न सिर्फ एक शख्स की कहानी है बल्कि इसके जरिये देश के बदलते स्वरूप और इसकी आत्मा की बात भी कही गई है. लेकिन फिल्म की लंबाई और बेवजह भरे गए गाने जरूर तंग करते हैं. हालांकि फिल्म को मिक्स रिव्यू मिले हैं. लेकिन आने वाले दिन ‘भारत’ के लिए काफी अहम रहने वाले हैं. सलमान खान और कैटरीना कैफ की जोड़ी को लोग खूब पसंद कर रहे हैं.

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कैम्पटी जा रही पर्यटकों की कार खाई में गिरी, बच्चे सहित चार की मौत

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आज सुबह मसूरी में दर्दनाक हादसा हो गया. जहां कैम्पटी की ओर जा रही एक स्विफ्ट कार खाई में गिर गई. हादसे में एक बच्चे सहित तीन लोगों की मौत हो गई है. सूचना पर पुलिस टीम मौके पर पहुंच गई है. चालक कार में फंसा हुआ है. चालक को निकालने की कोशिश की जा रही है.

वाहन में चार वयस्क व पांच बच्चे बताए जा रहे हैं. जिनमें से तीन बच्चों को घायल अवस्था में मसूरी अस्पताल पहुंचाया गया है. जबकि अन्य लोग वाहन में फंसे हुए हैं. जिन्हें कटर के माध्यम से वाहन को काटकर बाहर निकाला जाएगा. पर्यटक मुरादाबाद के बताए जा रहे हैं.

कार सवार लोगों के नाम: असद पुत्र रिहान उम्र 10 साल अनस पुत्र रिहान उम्र 5 साल आहिशा पत्नी रिहान उम्र 28 साल रिहान पुत्र मुशर्रफ उम्र 35 साल (सभी निवासी हाथीपुर मुरादाबाद)

अर्श पुत्र अर्शद उम्र 10 साल आहद पुत्र अर्शद उम्र 4 साल अलीजा पुत्री अर्शद उम्र 3 साल यासमीन पत्नी अर्शद उम्र 30 साल अर्शद उम्र 35 साल (सभी निवासी नानका मुरादाबाद)

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नंदा देवी रेस्क्यू: डेप्युटी टीम लीडर मार्क नाराज, प्रशासन हमारी सुनता जो बच जाती कुछ जानें

नई दिल्ली। नंदा देवी चोटी पर लापता 8 पर्वतारोहियों के सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन पर अब गंभीर सवाल उठ रहे हैं. यह सवाल उठाया है उस पर्वतारोही दल के डेप्युटी टीम लीडर मार्क थॉमस ने. मार्क ने एनबीटी को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा कि अगर प्रशासन ने हमारी सुनी होती और हमें सर्च और रेस्क्यू में शामिल किया होता तो बहुत कुछ हो सकता था और मुमकिन है कि कुछ जानें बचाई जा सकतीं. ब्रिटेन लौटने से पहले मार्क ने इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन को भी लिखित में सारी चीजों की जानकारी दी है.

उत्तराखंड की नंदा देवी चोटी पर 8 लापता पर्वातारोहियों में 4 ब्रिटेन, 2 अमेरिका, एक ऑस्ट्रेलिया और एक भारत के नागरिक हैं. टीम को जाने माने ब्रिटिश माउंटेनियर मार्टिन मोरन लीड कर रहे थे. मार्क उस टीम के डेप्युटी लीडर थे. मार्क ने एनबीटी से बात करते हुए कहा कि जब वह 8 लोग लापता हुए तो हमने पहले खुद ही उन्हें ढूंढने की कोशिश की फिर इमरजेंसी सर्विस के हेलिकॉप्टर भेजने को कहा.

अगले दिन हेलिकॉप्टर आया तब हम उस साइट पर गए जहां एक्सीडेंट हो सकता था. हमने एवलांच देखा. फिर हेलिकॉप्टर से बेस कैंप में आ गए. मैं और मेरे साथ जो तीन लोग थे सब बिल्कुल ठीक थे और हम फिर से अगले दिन सर्च करने जाना चाहते थे. लेकिन हमसे तुरंत एयरस्ट्रीप लौटने को कहा और कहा कि यह डीएम (जिलाधिकारी) पिथौरागढ़ का आदेश है. हमें जबरन हेलिकॉप्टर में बैठाकर ‘रेस्क्यू’ किया गया. फिर एंबुलेस में हमें हॉस्पिटल की इंटेंसिव केयर यूनिट ले गए, जिसका हमने विरोध किया और कहा कि हम बिल्कुल ठीक हैं. हम एवलांच विक्टिम नहीं हैं. हमें दो घंटे हॉस्पिटल में रुकने का ऑर्डर दिया और फिर आईटीबीपी के कपाउंड में ले गए. वहां हमें किसी से मिलने नहीं दिया गया. मैं सर्च और रेस्क्यू मिशन में जाना चाहता था लेकिन मुझे इजाजत नहीं दी गई, क्योंकि मुझे ‘रेस्क्यू’ किया गया था और प्रेस की नजरों में यह अच्छा नहीं लगता कि जिसे ‘रेस्क्यू’ किया गया है वह कैसे रेस्क्यू मिशन में जा रहा है.

मार्क ने एनबीटी से कहा कि पिथौरागढ़ में जिस तरह से डीएम विजय कुमार जोगदंडे ने हमें ट्रीट किया हम उससे काफी निराश हैं. उन्होंने किसी को भी मुझसे मिलने आईटीबीपी हाउस नहीं आने दिया और न ही हम कहीं जा सकते थे. डीएम और पुलिस ने मुझसे कई सवाल पूछे जो माउंटेन सर्च और रेस्क्यू से तो बिल्कुल जुड़े नहीं थे और मैं बार बार मेरी हेल्प लेने को कह रहा था क्योंकि मैं अनुभवी माउंटेन प्रफेशनल हूं लेकिन उन्होंने इजाजत नहीं दी. वहां इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन की टीम भी थी जो पूरी तरह एक्लेमटाइज भी थे वह भी डीएम के निर्देश का इंतजार कर रहे थे लेकिन डीएम ने उन्हें भी शामिल नहीं किया. उन्होंने सिर्फ आईटीबीपी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ के लोगों को शामिल किया जो रेस्क्यू मिशन के लिए एक्लेमटाइज ही नहीं थे.

मार्क ने कहा कि जब पहले मैं हेलिकॉप्टर में गया था और पहली बार 5 बॉडी दिखी थी और कई अनआइडेंटिफाई ऑब्जेक्ट भी इधर उधर बिखरे थे, मैंने नीचे जाने और बॉडी को रिकवर करने या पहचान करने की इजाजत मांगी ताकि कोई अभी भी जिंदा हो तो उसे बचाया जा सके. पर हमारी नहीं सुनी गई. मैं बिल्कुल असहाय महसूस कर रहा था. अगर डीएम ने हमारी सुन ली होती और हमें शामिल किया होता तो 3 जून को ही बहुत कुछ हो सकता था और कुछ जिंदगी बचाई जा सकती थीं.

मार्क ने कहा कि जब 5 जून को पता चला कि जो आईटीबीपी जवान बेस कैंप जा रहे हैं उनके पास रेस्क्यू के लिए हाई एल्टीट्यूट इक्विपमेंट नहीं है और डिजास्टर टीम तो बोगदियार से ही वापस आ गई और बेस कैंप गई ही नहीं.

मार्क ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कुछ ऐसे न्यूज आर्टिकल देखकर मैं अचंभित हुआ जिसमें कहा कि मार्टिन मोरन और उनके साथी पीक पर इललीगल तरीके से चढ़ने की कोशिश कर रहे थे. मार्क ने कहा कि अनाम (अनआइटेंटिफाईड) पीक पर जाने का फैसला मार्टिन मोरन का था जो इंडियन माउंटियरिंग फाउंडेशन की गाइडलाइन के हिसाब से ही था. इसके मुताबिक पर्वातारोही बेस कैंप की वेसिनिटी की कोई भी पीक पर जा सकते हैं. किसी ने कोई इललीगल प्रयास नहीं किया. अगर वह पीक समिट की होती तो हम इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन को उसकी फीस देते और रिपोर्ट जमा करते. अगर हम समिट नहीं भी कर पाते तो रिपोर्ट देते ताकि भविष्य के माउंटेनियर्स के काम आए.

‘मार्टिन मोरन का अपमान हुआ’ उन्होंने कहा कि मार्टिन मोरन माउंटेनियरिंग की दुनिया के बड़े नाम हैं. उन्होंने इंडियन हिमालय को अच्छे से एक्सप्लोर किया है. नेपाल जाने की बजाए उन्होंने अपना एक्सपिडिशन भारत को और इंडियन हिमालय को डेडिकेट किया. ऐसी कोई भी बात कि वह इललीगल क्लाइंबिग कर रहे थे यह उनके लिए बेहद अपमान की बात है और उनका ऐसा अनादर नहीं करना चाहिए.

मार्क ने कहा कि जिस स्पीड में प्रशासन काम कर रहा है उससे मैं थोड़ा शॉक में हूं. वह भी तब जब हमने मेरी एंबेंसी, ऑस्ट्रेलियन एबंसी और यूएस एंबेसी से भी दबाव डलवाया. मुझे पता है कि ब्रिटेन सरकार का भी दबाव है. काश ज्यादा स्पीड और इफिसिएंसी होती और डीएम ने ओपन माइंड दिखाया होता, जब हम प्लान के साथ गए थे कि कैसे रेस्क्यू करें. काश वे माउंटेनियर्स और आईएमएफ की सर्विल ले लेते जो उस फील्ड के बेस्ट हैं. मैं निराश हूं कि उन्होंने ऐसे नहीं किया. अब बस यही चाहता हूं कि चीजें तेजी से हों और बॉडी जल्द से जल्द रिट्रीव कर उनके परिवार वालों तक पहुंचाई जाएं.

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गुजरात के आदिवासी इलाकों में पेड़ों से लटकते शवों के जरिए इंसाफ की गुहार!

आदिवासी गांव टाढ़ी वेदी में एक शव पिछले 6 महीनों से नीम के एक पेड़ से लटका हुआ है. चादर में लिपटा शव भातियाभिया गामर का है, जिसकी जनवरी के शुरुआत में रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हुई थी. यह गांव साबरकांठा जिले के पोशिना तालुका में गुजरात-राजस्थान बॉर्डर से 2 किलोमीटर दूर है. गामर के शव को पेड़ से लटकाने के बाद से उसके रिश्तेदार पहले की तरह अपनी रोजमर्रा की जिंदगी जी रहे हैं.

22 साल के गामर का शव सबसे पहले पोशिना के नजदीक एक पेड़ से लटकता मिला था. उसके पिता मेमनभाई मान चुके हैं कि उसने आत्महत्या की थी. लेकिन गामर के बाकी रिश्तेदारों का मानना है कि उसकी हत्या की गई है. उनके मुताबिक, जिस लड़की से वह प्रेम करता था, उसी के परिवार ने उसकी हत्या कर दी.

गामर के चचेरे भाई निमेश ने बताया, ‘शव पर मारपीट के निशान थे. उसके चेहरे पर किसी भारी चीज से हमला हुआ था. लड़की के परिजनों ने गामर को चेतावनी दी थी कि अगर वह उसके साथ रिलेशनशिप को जारी रखता है तो इसके गंभीर नतीजे होंगे.’

6 महीने से पेड़ पर टंगा है युवक का शव गामर का शव जमीन से करीब 15 फीट की ऊंचाई पर लटक रहा है. गामर की एक चाची रायमाबेन कहती हैं, ‘इस दृश्य से शायद हो कोई विचलित होगा क्योंकि वह इलाका सुनसान है. लेकिन इन इलाकों में लोग इसी तरह इंसाफ की मांग कर रहे हैं.’

शुरुआती जांच में हत्या का संकेत नहीं मिलने के बाद स्थानीय पुलिस ने हादसे से मौत का केस दर्ज किया है. लेकिन परिजनों को पुलिस जांच से खास लेना-देना नहीं है, उन्हें समाज के इंसाफ पर भरोसा है. रायमाबेन कहती हैं, ‘जिन्होंने भी इस कृत्य को अंजाम दिया है उन्हें आगे आना चाहिए और नतीजों का सामना करना चाहिए. तबतक, शव झूलता रहेगा, इंसाफ के लिए चीखता रहेगा.’

‘चडोतरु’ के नाम से जानी जाती है यह परंपरा पोशिना, खेड़रहमा, वडाली और विजयनगर के आदिवासी इलाकों में इंसाफ मांगने की यह परंपरा ‘चडोतरु’ के नाम से जानी जाती है जो पीढ़ियों से चली आ रही है. इस परंपरा के तहत किसी अप्राकृतिक मौत, जिसमें हत्या का संदेह हो, के मामले में आरोपियों द्वारा मुआवजे के भुगतान की मांग की जाती है. जो पैसे मिलते हैं, उन्हें पीड़ित परिवार और समुदाय के नेताओं में बांट दिया जाता है. यह परंपरा डुंगरी गरासिया भील आदिवासियों में प्रचलित है, जो देश के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम से ज्यादा इस परंपरा को पसंद करते हैं.

क्या है इंसाफ की ‘चडोचरु’ परंपरा? चडोतरु की शुरुआत तब होती है जब एक पक्ष दूसरे पक्ष को आरोपी घोषित करता है. इसके बाद दोनों ही परिवार बातचीत के लिए समुदाय के बुजुर्गों के पास पहुंचते हैं. निपटारे के बाद मुआवजे का 10 प्रतिशत बुजुर्गों को मिलता है. मुआवजा तय करने में संबंधित पक्ष की आर्थिक क्षमता, सामाजिक हैसियत आदि का ध्यान रखा जाता है. अक्सर पैसों की मांग 50-60 लाख रुपये से शुरू होती है जो आखिर में 5-6 लाख तक पर आ सकती है. बातचीत की प्रक्रिया पूरी होने के बाद मुआवजे की रकम से ही गुड़ भी खरीदा जाता है जिसे वहां मौजूद सभी लोगों को बांटा जाता है.

चोट या संपत्ति के नुकसान में भी इसका इस्तेमाल खेड़ब्रह्म से विधायक और आदिवासी नेता अश्विन कोतवाल ने कहा कि तडोतरु को सिर्फ गंभीर मामलों में ही नहीं अपनाया जाता. उन्होंने बताया, ‘चोट या संपत्ति को नुकसान के विरोध में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. सबसे पहले, पीड़ित पक्ष और आरोपी मिलकर बातचीत से हल की कोशिश करते हैं. लेकिन अगर बातचीत फेल हो गई तो पीड़ित पक्ष चडोतरु का ऐलान कर देता है. हालांकि, अब यह बहुत कम होता है लेकिन कुछ हिस्सों में अब भी यह प्रचलित है.’

17 साल की लड़की के शव को 36 दिनों तक रखा गया हाल ही में खेड़ब्रह्म में बीए फर्स्ट इयर की एक 17 साल की छात्रा के पिता ने चडोतरु का ऐलान किया था. लड़की का शव इस साल फरवरी में एक पेड़ से लटकता मिला था. उसके परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार नहीं किया. उन्हें हत्या की आशंका है और उन्होंने पंचमहुडा गांव में अपने घर में शव को बर्फ पर डालकर एक लकड़ी के बॉक्स में 36 दिनों तक रखा. उनका आरोप था कि लड़की का रेप के बाद मर्डर हुआ है. शव का अंतिम संस्कार मार्च में तब हुआ जब पुलिस ने इस मामले में 7 लोगों को गिरफ्तार किया.

सदोशी गांव में एक हफ्ते से घर में रखा है युवक का शव स्थानीय लोगों का कहना है कि इसी तरह एक और शव अंतिम संस्कार का इंतजार कर रहा है. दांता के नजदीक सदोशी गांव का राहुल डाभी पिछले हफ्ते एक बाइक के पीछे बैठकर जा रहा था, जो हादसे का शिकार हो गया. डाभी को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. अब उसके परिवार वाले बाइक चला रहे शख्स से मुआवजे की मांग कर रहे हैं और डाभी के शव को अपने घर में सुरक्षित रखा है.

पुलिस कर रही कोशिश, आदिवासी यह परंपरा छोड़ें पुलिस आदिवासियों को इस परंपरा को त्यागने के लिए मनाने की कोशिश करती रही है. हालांकि, यह काफी मुश्किल अभियान है. साबरकांठा जिले के एसपी चैतन्य मांडलिक ने बताया, ‘हमें जब भी इस तरह के कृत्य की जानकारी मिलती है तो हम ऐक्शन लेते हैं. लेकिन यह एक बड़ी चुनौती है क्योंकि आदिवासी समुदाय पीढ़ियों से इस परंपरा का पालन करता आ रहा है.’

साभार- नवभारत टाइम्स Read it also-जी हां, चमार चमार होते हैं

अलीगढ़ मर्डर: आंखों पर जख्म, कटा कंधा, पोस्टमार्टम रिपोर्ट से सामने आई हैवानियत

अलीगढ़ में ढाई साल की बच्ची की हत्याकर आंखें निकालने के मामले में शुक्रवार को देश का गुस्सा फूट पड़ा. मां-बाप द्वारा उधार लिए गए महज 10 हजार रुपये न चुकाने पर बच्ची से बर्बरता की लोगों ने सोशल मीडिया पर भी तीखी आलोचना की और इंसाफ की आवाज बुलंद की. पीड़ित परिवार ने हत्यारों के लिए फांसी की मांग की है. उन्हें राजनीति, खेल और बॉलिवुड की तमाम हस्तियों का भी समर्थन मिल रहा है.

दूसरी ओर, मामला सुर्खियों में आने के बाद एडीजी लॉ ऐंड ऑर्डर आनंद कुमार ने अलीगढ़ के एसपी ग्रामीण की अगुआई में एसआईटी गठित कर दी है. साथ ही डीजीपी मुख्यालय ने एसएसपी अलीगढ़ से पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है. राष्ट्रीय बाल आयोग ने भी पुलिस से रिपोर्ट मांगी है.

मामला तूल पकड़ने के बाद गुरुवार देर रात पांच पुलिसवालों को सस्पेंड कर दिया गया था. आरोप है कि बच्ची जब गायब हुई थी तो इन्होंने रिपोर्ट नहीं लिखी थी और जांच में भी देरी की. पीड़ित परिवार ने जब प्रदर्शन शुरू किया और आत्महत्या की धमकी दी, तब पुलिस जागी दो लोगों की गिरफ्तारी की गई.

तत्काल हो कार्रवाई: मायावती बीएसपी प्रमुख मायावती ने कहा कि यूपी में कानून का राज कायम करने के लिए प्रदेश सरकार को तत्काल सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. सोशल मीडिया पर भी यह मामला दिनभर ट्रेंड करता रहा. सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने इसे सांप्रदायिक रंग से देखा तो ऐक्ट्रेस सोनम कपूर ने ट्वीट किया कि इस मुद्दे का इस्तेमाल निजी स्वार्थ के लिए न करें. छोटी-सी बच्ची की मौत आपके नफरत फैलाने की वजह नहीं है.

कोई इंसान बच्ची के साथ ऐसा कैसे कर सकता है: राहुल गांधी शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के ट्वीट से मामले ने तूल पकड़ा. राहुल ने लिखा कि बच्ची की भयावह हत्या से वह सदमे में हैं. कोई इंसान एक बच्ची से ऐसी बर्बरता कैसे कर सकता है … यूपी पुलिस को हत्यारों को सजा दिलाने के लिए तेजी से कार्रवाई करनी चाहिए. पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने इसे अमानवीय बताते हुए कहा कि इस घटना ने उन्हें हिलाकर रख दिया है.

वरादात अलीगढ़ के टप्पल की है. पुलिस के मुताबिक, आरोपित जाहिद से बच्ची के परिवार ने 50 हजार रुपये उधार लिए थे. इनमें से 10 हजार बकाया थे, पैसे नहीं देने पर 28 मई को जाहिद की बच्ची के दादा से कहासुनी हुई. इसके बाद 30 मई को जाहिद ने बच्ची को अगवा किया और उसकी हत्या कर साथी असलम की मदद से शव को ठिकाने लगाया. परिवार को बच्ची का शव 2 जून को घर के पास क्षत-विक्षत हालत में कूड़े के ढेर में मिला था. आंखें बाहर निकली थीं, एक हाथ गायब था.

पुलिस ने बच्ची की मौत की वजह गला घोंटना बताया है. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक बच्ची की सारी पसलियां टूटी हैं. बाएं पैर में फ्रैक्चर, आंखों में जख्म, सिर पर चोट के निशान हैं. पीड़ित परिवार ने आंखें निकाल लेने का आरोप लगाया है. लखनऊ में एडीजी आनंद कुमार ने कहा कि बच्ची से सेक्सुअल असॉल्ट से इनकार नहीं किया जा सकता. फरेंसिक जांच के लिए नमूने भेजे गए हैं. हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि शव इस लायक नहीं थी कि रेप की जांच हो सके.

लखनऊ में एडीजी (कानून-व्यवस्था) आनंद कुमार ने कहा कि मामले के दोनों आरोपियों जाहिद और असलम ने जुर्म कबूल कर लिया है. इन दोनों पर एनएसए और पॉक्सो ऐक्ट की धाराएं भी लगाई गई हैं. मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में भेजा जाएगा, जिससे जल्द न्याय मिल सके. आरोपी मोहम्मद असलम 2014 में रिश्तेदार की बच्ची से यौन शोषण में गिरफ्तार हुआ था. 2017 में उस पर दिल्ली के गोकलपुरी में छेड़छाड़ और अपहरण का मामला दर्ज है.

मौत का दूसरा नाम है ‘निपाह वायरस’

केरल में जानलेवा निपाह वायरस ने एक बार फिर वहां लोगों को मौत से दो दो हाथ करने पर मजबूर कर दिया है. इस वायरस को लेकर केरल में पूरा स्वास्थ्य महकमा हाई अलर्ट पर है. हर दिन निपाह वायरस की चपेट में लोगों के आने का सिलसिला जारी है. बुधवार को एक 23 साल के छात्र में निपाह वायरस के लक्षण पाए गए जिसके बाद इसका इलाज किया जा रहा है.

केरल में निपाह वायरस से पीड़ित होने की आशंका में स्वास्थ्य विभाग ने 314 लोगों को अपनी देखरेख में रखा है और उनकी हर स्वास्थ्य गतिविधि पर नजर रखी जा रही है. बता दें कि बीते साल इसी निपाह वायरस ने केरल में 10 लोगों की जान ले ली थी. राज्य में स्थिति खराब होने से पहले ही केंद्र सरकार ने भी 6 सदस्यों की एक टीम को केरल भेज दिया है जो इस वायरस से फैलने वाली बीमारी पर पैनी नजर बनाए हुए है. केंद्रीय मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने भी लोगों से संयम बनाए रखने की अपील की है और कहा है कि मामला नियंत्रण में है. सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की समीक्षा की जा रही है.

सबसे पहले इस वायरस का पता साल 1998 में मलेशिया में चला था. उस वक्त इस बीमारी को इंसानों तक पहुंचाने का जरिया सूअर बने थे. हालांकि बाद में इस तर्क को नकार दिया गया था कि इस वायरस को ले जाने वाला कोई माध्यम है. साल 2004 में बांग्लादेश में इस वायरस की फिर पहचान हुई और जो इनसे पीड़ित थे उन्होंने खजूर के पेड़ से निकलने वाले एक तरल (लिक्विड) को चखा था. बाद में पता चला कि इस वायरस को उस पेड़ तक चमगादड़ लेकर आया.जिन्हें फ्रूट बैट कहा जाता है. तभी से चमगादड़ को इस वायरस का वाहक माना जाने लगा है.

इस वायरस के प्रकोप से दिमागी बुखार होता है और संक्रमण तेजी से पूरे शरीर में फैलता है. इसका वायरस इतना खतरनाक होता है कि अगर किसी स्वस्थ आदमी के शरीर में चला जाए तो सिर्फ 48 घंटे के भीतर उसे कोमा में पहुंचा सकता है. इसकी चपेट में आने के बाद जो रोगी में सबसे प्रमुख लक्षण दिखता है वो है सांस लेने में दिक्कत के साथ सिर में भयानक दर्द और तेज बुखार. अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ होता है तो इसे नजरंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

निपाह जैसे खतरनाक वायरस से बचने के लिए अभी तक कोई दवा या टीका आधिकारिक तौर पर नहीं आया है. लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार साफ सुथरा रहकर और कोई भी खाद्य पदार्थ खाने से पहले उसे अच्छी तरह साफ कर पका के खाने से दिमाग को क्षति पहुंचाने वाले इस वायरस से बचा जा सकता है.

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नलिन खंडेलवाल ने नीट की परीक्षा में किया टॉप

राजस्थान के नलिन खंडेलवाल की ऑलइंडिया में पहली रैंक आई है. नलिन ने 720 में से 701 अंक हासिल किए हैं. दूसरे स्थान पर रहे दिल्ली के भाविक बंसल को 700 अंक मिले हैं. वहीं उत्तर प्रदेश के अक्षत कौशिक 700 अंकों के साथ तीसरे स्थान पर हैं. इन्होंने इंटरमीडिएट में कम अंक हासिल किए हैं जिस कारण से इनको तीसरा स्थान दिया गया.

राजस्थान के जयपुर के रहने वाले नलिन खंडेलवाल ने NEET 2019 में 99.99 पर्सेंटाइल और 720 में से 701 अंकों के साथ नीट परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक (AIR) 1 हासिल की है. नलिन के पिता राकेश खंडेलवाल सीकर के रहने वाले हैं और एक प्राइवेट हॉस्पिटल चलाते हैं. उनकी मां विनीता खंडेलवाल भी गाइनोलॉजिस्ट हैं. नलिन के बड़े भाई निहित अभी जोधपुर से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं.

ये है नलिन की सफलता का मूलमंत्र नलिन बताते हैं कि नीट को क्रैक करने के लिए एनसीईआरटी के हर विषय का सिलेबस बहुत महत्वपूर्ण है. नलिन बताते हैं कि उन्होंने भी इसकी एनसीईआरटी का सिलेबस कई बार पढ़ा. नलिन रोजाना कोचिंग क्लास के अलावा 6 से सात घंटे की पढ़ाई करते हैं. नलिन का कोई सोशल मीडिया अकांउट नहीं है और ना ही उनके पास कोई स्मार्टफोन है.

इसके अलावा पिछले साल आए पेपरों से सभी विषयों को टॉपिकवाइज पढ़ा. इससे उन्हें पेपर का पैटर्न समझ में आ गया. नलिन का कहना है कि वो ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस नई दिल्ली में एडमिशन लेना चाहते हैं. उन्होंने इसका पेपर भी दिया है और रिजल्ट का इंतजार है. हालांकि एमबीबीएस में वो कौन सी स्ट्रीम लेना चाहते हैं इसके बारे में उन्होंने कोई फैसला नहीं लिया है.

नलिन ने एलन करियर इंस्टीट्यूट जयपुर सेंटर से मेडिकल के लिए कोचिंग ली है. नलिन ने 12वीं में सीबीएसई बोर्ड से 95.8% फीसदी अंक भी हासिल किए हैं.

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RBI ने लाखों लोगों को दिया बड़ा तोहफा, NEFT और RTGS से हटाया चार्ज

रिजर्व बैंक (RBI) ने आरटीजीएस (RTGS) और एनईएफटी (NEFT) से चार्जेस हटा दिए हैं. आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में बड़े फंड ट्रांसफर के लिए इस्तेमाल होने वाले रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम यानी आरटीजीएस और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर यानी एनईएफटी के लिए चार्ज हटा दिए हैं.

आरबीआई के इस फैसले के बाद बैंक भी अपने ग्राहकों के लिए चार्ज कम कर सकते हैं. अभी तक आरबीआई आरटीजीएस और एनईएफटी पर चार्ज वसूलता था. ज्यादातर सभी बड़े बैंक 2 लाख रुपए से 5 लाख रुपए तक के आरटीजीएस फंड ट्रांसफर के लिए 25 रुपए और टाइम वैरिंग चार्ज लेते हैं. वहीं 5 लाख रुपए से अधिक के लिए ये बैंक 50 रुपए और टाइम वैरिंग चार्ज वसूलते हैं.

आरटीजीएस और एनईएफटी के जरिए कोई भी व्यक्ति, कंपनी, फर्म अपने बड़े फंड ट्रांसफर करती है.

आज रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में नीतिगत दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर दी है. अब रेपो रेट (Repo Rate) 6 फीसदी से घटकर 5.75 फीसदी हो गई है. इससे आपके होम लोन, कार लोन का बोझ कम होगा. रेपो रेट के अलावा आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) को 5.50 और बैंक रेट को 6 फीसदी कर दिया है. ऐसा माना जा रहा था कि मौद्रिक नीति की समीक्षा में नीतिगत दरों (रेपो रेट) में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है. आर्थिक विकास की रफ्तार सुस्त पड़ने से रिजर्व बैंक पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव बढ़ गया था.

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मोदी सरकार की आठ नई समितियां, हर समिति में अमित शाह, राजनाथ केवल दो में

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को आठ अहम समितियों का पुनर्गठन किया गया है. खास बात यह है कि इन सभी समितियों में सदस्य के तौर पर गृहमंत्री अमित शाह मौजूद हैं जबकि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को केवल दो समितियों में स्थान मिला है. इन समितियों में नियुक्ति, आवास, सुरक्षा, संसदीय, राजनीतिक, निवेश और वृद्धि, रोजगार और स्किल डेवलपमेंट और आर्थिक मामलों की समितियां शामिल हैं. जिनमें प्रधानमंत्री मोदी को छह, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को सात, रेलमंत्री पीयूष गोयल को पांच में जगह मिली है.

वहीं आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए निवेश एवं विकास पर और बेरोजगारी से निपटने के लिए रोजगार एवं कौशल विकास पर बुधवार को समितियों का गठन किया था. यह संभवत: पहली बार है जब दो मुद्दों पर कैबिनेट समितियों का गठन किया गया है

सुरक्षा संबंधी समिति के प्रमुख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे. वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसके सदस्य होंगे. यह समिति विदेशी मामलों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों को देखेगी. गुरुवार को जिन समितियों की घोषणा की गई उनमें मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (एसीसी) की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करेंगे जबकि शाह इसके सदस्य होंगे.

शाह आवास को लेकर बनाई गई मंत्रिमंडलीय समिति की अध्यक्षता करेंगे. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, सीतारमण और रेल एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल इसके सदस्य होंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह और आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री एवं नागर विमानन मंत्री हरदीप पुरी आवास समिति के विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे.

आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडल की प्रमुख समिति (सीसीईए) की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करेंगे और इसके सदस्यों के तौर पर राजनाथ सिंह, शाह, गडकरी, रसायन एवं उर्वरक मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा, सीतारमण, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद, खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल शामिल होंगी. सीसीईए में एस जयशंकर, गोयल एवं पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी शामिल होंगे.

संसदीय मामलों पर मंत्रिमंडल समिति की अध्यक्षता शाह करेंगे और सीतारमण, उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान, तोमर, प्रसाद, सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत, पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी इसके सदस्य होंगे. यह समिति संसद का सत्र बुलाने के लिए तारीखों की सिफारिश करती है. संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और वी मुरलीधरन इसके विशेष आमंत्रित सदस्य हैं.

महत्वपूर्ण नीतिगत फैसलों पर सरकार की मदद करने वाली राजनीतिक मामलों पर मंत्रिमंडल समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करेंगे. शाह, गडकरी, सीतारमण, गोयल, पासवान, तोमर, प्रसाद, हरसिमरत कौर, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, भारी उद्योग मंत्री अरविंद सावंत और जोशी इसके सदस्य होंगे. मंत्रिमंडलीय समितियों का गठन या पुनर्गठन तब किया जाता है जब नयी सरकार काम-काज संभालती है या मंत्रिमंडल में फेरबदल होते हैं.

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मायावती ने क्यों कहा- अब पछताये क्या हो, जब चिड़िया चुग गई खेत

बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने बेरोज़गारी शीर्ष पर और विकास दर न्यूनतम होने सम्बंधी आधिकारिक आंकड़ों के हवाले से केंद्र में मोदी सरकार को फिर से जिताने वाले ग़रीब और बेरोज़गारों पर तंज कसते हुए कहा है, “अब पछताने से क्या होगा, जब चिड़िया चुग गयी खेत.”

मायावती ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा, “श्रम मंत्रालय ने लोकसभा चुनाव के बाद अब अपने डाटा से इस बुरी खबर को प्रमाणित कर दिया है कि देश में बेरोजगारी की दर पिछले 45 सालों में सबसे अधिक 6.1 प्रतिशत हो चुकी है. परन्तु गरीबी और बेरोजगारी के शिकार करोड़ों लोगों के अब पछताने से क्या होगा, जब चिड़िया चुग गई खेत .”

उन्होंने देश की विकास दर घट कर न्यूनतम स्तर पर पहुंचने के बारे में कहा, “देश के लिए यह भी अच्छी खबर नहीं है कि भारत के आर्थिक विकास की दर घट कर 5.8 पर आ गई जो बहुत नीचे है.

मायावती ने इसकी वजह कृषि विकास दर में गिरावट को बताते हुए कहा, “जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) विकास की यह दर कृषि और फैक्ट्री उत्पाद में भारी गिरावट का परिणाम है. पहले से ही काफी त्रस्त देश की गरीब जनता के जीवन का सही कल्याण कैसे होगा?”

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नेताओं की आपाराधिक छवि का ग्राफ

भारत का मतदाता हमेशा से चहाता रहा है कि आपराधिक छवि वाले लोगों को किसी भी प्रकार के चुनाव में प्रत्याशी न बनाया जाए, लेकिन होता हमेशा इसके विपरीत ही है, सभी राजनीतिक दलों द्वारा आपराधिक और दबंगई की छवि रखने वाले लोगों को ही विधान सभा/लोकसभा हेतु चुनावों में प्रत्याशी बनाया जाता है/जाता रहा है. कारण ये है कि सभी राजनीतिक दल सत्ता हथियाने के ही पक्षधर होते हैं, स्वच्छ और लोक्तांत्रिक आचरण के समर्थक नहीं होते. ऐसा नही है कि राजनीतिक दलों के लिए यह करना नामुमकिन है किंन्तु नजर तो सबकी कुर्सी पर होती है…जनता के भले-बुरे से किसी को कुछ लेना – देना होता ही नही. यदि सभी द्ल स्वच्छ छवि वाले लोगों को अपना-अपना प्रत्याशी बनाने की ठान लें तो आपराधिक छवि वाले लोग राजनीति में आ ही पाएंगे. धनी लोग लोकसभा में आने के बजाय राज्यसभा में जाना पसंद करते हैं, जिसके लिए आम मतदाता से वोट नहीं मांगने पड़ते…बस! राजनीतिक दलों को चन्दे के रूप में धन मुहैया करना होता है.

नवभारत टाइम्स (22.01.2019) के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को चुनाव में प्रत्याशी नहीं बनाने संबंधी याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता इस मामले को चुनाव आयोग के सामने उठा सकता है. याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने अर्जी दाखिल कर चुनाव आयोग को प्रतिवादी बनाया था. उन्होंने अपनी अर्जी में अनुच्छेद-32 का सहारा लिया था. इसमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट राजनीतिक पार्टियों को उन लोगों को उम्मीदवार नहीं बनाने का निर्देश दे, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं. अदालत को राजनीति में अपराधीकरण को रोकने के लिए कदम उठाना चाहिए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या याचिकाकर्ता चुनाव आयोग के सामने गए हैं. इस बारे में इंकार करने पर अदालत ने सुनवाई से मना कर दिया.

पिछले वर्ष (2018) भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करके मांग की गई थी कि गंभीर अपराधों में, यानी जिनमें 5 साल से अधिक की सजा संभावित हो, यदि व्यक्ति के खिलाफ आरोप तय होता है तो उसे चुनाव लड़ने से रोक दिया जाए. 26.09.2018 के नवभारत टाइम्स में छपी एक खबर के अनुसार तब दागी नेताओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दागी विधायक, सांसद और नेता आरोप तय होने के बाद भी चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें खुद पर निर्धारित आरोप भी प्रचारित करने होंगे. अदालत ने यह भी कहा था कि केवल चार्जशीट के आधार पर जनप्रतिनिधियों पर कार्रवाई नहीं की जा सकती. अदालत ने इस मामले में एक गाइडलाइन भी जारी की थी, जिसके अनुसार राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के नामांकन के बाद कम से कम तीन बार प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए उनके आपराधिक रेकॉर्ड मतदाताओं के सामने रखेंगे. सभी पार्टियां वेबसाइट पर दागी जनप्रतिनिधियों के ब्यौरे डालेंगी ताकि वोटर अपना फैसला खुद कर सकें…किसको वोट दें, किसको न दें.

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने कहा था कि वक्त आ गया है कि संसद कानून बनाकर आपराधिक छवि वालों को जनप्रतिनिधि न बनने दे. सुप्रीम कोर्ट ने अपनी राय स्पष्ट कर दी है कि उसका यह तय करना कि कौन चुनाव लड़े, कौन नहीं, जनतंत्र के मूल्यों पर आघात होगा. सबसे आदर्श स्थिति यही होगी कि मतदाताओं को इतना जागरूक बनाया जाए कि वे खुद ही आपराधिक छवि वाले कैंडिडेट को रिजेक्ट कर दें. लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक ऐसे लोगों को जनप्रतिनिधि न बनने देने की जिम्मेदारी संसद की है. तब भी यह बात सामने आई थी कि इस प्रकार के मामले चुनाव आयोग के दायरे में आते हैं. (यहाँ सवाल ये है कि भला संसद में बैठे लोग ऐसा कानून क्यों लाएंगे)

जाहिर है कि यदि सुप्रीम कोर्ट के सुझाव के अनुसार राजनीतिक दल अपनी साइटों पर और मीडिया में अपने उम्मीदवारों का आपराधिक रेकॉर्ड डाल भी दें तो क्या गारंटी है सही आंकड़े ही प्रस्तुत किए जाएंगे. शतप्रतिशत कहा जा सकता है कि राजनीतिक दल ऐसे मामलों में केवल और केवल खानापूरी करेंगे और सही जानकारी जनता तक नहीं पहुंच पाएगी. (अब सुप्रीम कोर्ट को ये कौन बताए कि ज्यादातर मतदाताओं की पहुँच अखबारों या मीडिया तक है ही नहीं) ऐसे में चुनाव आयोग को इन सभी कामों के लिए कुछ ठोस मानक तय करके उन पर अमल सुनिश्चित करना चाहिए. कई दागी नेता आज कानून-व्यवस्था के समूचे तंत्र को प्रभावित करने की स्थिति में हैं. उनके खिलाफ मामले थाने पर ही निपटा दिए जाते हैं. किसी तरह वे अदालत पहुंच भी जाएं तो उनकी रफ्तार इतनी धीमी रखी जाती है कि आरोप तय होने से पहले ही आरोपी की सियासी पारी निपट जाती है. इसका हल फास्ट ट्रैक कोर्ट के रूप में खोजा गया, लेकिन कई राज्यों में ये कोर्ट बने ही नहीं और जहां बने भी वहां कागजों से नीचे नहीं उतर पा रहे हैं.

ये कहना अतिशयोक्ति नहीं कि देश की सियासत में राजनेताओं और अपराध का ‘चोली-दामन’ का साथ रहा है. देश में ऐसी कोई भी राजनीतिक पार्टी नहीं, जो पूरी तरह से अपराध मुक्त छवि वाली हो. यानी उनके किसी भी एक नेता पर अपराध के मामले दर्ज नहीं हों. यही वजह है कि राजनीति में अपराधीकरण के मामले पर अपने फैसले में भले ही सुप्रीम कोर्ट ने दागी सांसदों, विधायकों को अयोग्य ठहराने से इनकार कर दिया, मगर कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि अब संसद के भीतर कानून बनाना इसकी जरूरत है. दरअसल, राजनीति में अपराधीकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने अयोग्य ठहराने से इनकार कर दिया. इस मामले पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वक्त आ गया है कि संसद ये कानून लाए ताकि अपराधी राजनीति से दूर रहें. राष्ट्र तत्परता से संसद द्वारा कानून का इंतजार कर रहा है. अब यहाँ सवाल उठता है कि जिन आपाराधिक छवि वाले दबंगों के कन्धों पर बैठकर राजनीतिक दल सरकार बनाने तक पहुँच पाते हैं, उन पर चुनाव में प्रत्याशी न बनाने की कौन सा राजनीतिक दल मन बना पाएगा?

एडीआर ने 2019 में नवनिर्वाचित 542 सांसदों में 539 सांसदों के हलफनामों के विश्लेषण के आधार पर बताया कि इनमें से 159 सांसदों (29 फीसदी) के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, बलात्कार और अपहरण जैसे गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं. इसी मामले पर चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी शोध संस्था ‘एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक अलायंस’ (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक, आपराधिक मामलों में फंसे सांसदों की संख्या दस साल में 44 प्रतिशत बढ़ गई है. पिछले तीन लोकसभा चुनाव में निर्वाचित होकर आने वाले सांसदों में करोड़पति और आपराधिक मामलों में घिरे सदस्यों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. पिछली लोकसभा में गंभीर आपराधिक मामलों के मुकदमों में घिरे सदस्यों की संख्या 112 (21 फीसदी) थी, वहीं 2009 के चुनाव में निर्वाचित ऐसे सांसदों की संख्या 76 (14 फीसदी) थी. स्पष्ट है कि पिछले तीन चुनाव में गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे सांसदों की संख्या में 109 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है.

बीजेपी के 303 में से 301 सांसदों के हलफनामे के विश्लेषण में पाया गया कि साध्वी प्रज्ञा सिंह सहित 116 सांसदों (39 फीसदी) के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं. वहीं, कांग्रेस के 52 में से 29 सांसद (57 फीसदी) आपराधिक मामलों में घिरे हैं. दोबारा सत्तारूढ़ होने जा रहे एनडीए की हिस्सेदार पार्टी लोजपा के निर्वाचित सभी 6 सदस्यों ने अपने हलफनामे में उनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित होने की जानकारी दी है. इसके अलावा एआईएमआईएम के दोनों सदस्यों और 1-1 सांसद वाले दल आईयूडीएफ, एआईएसयूपी, आरएसपी और वीसीआर के सांसद आपराधिक मामलों में घिरे हैं.

रिपोर्ट में नए चुने गए सांसदों के आपराधिक रिकॉर्ड के राज्यवार विश्लेषण से पता चलता है कि आपराधिक मामलों में फंसे सर्वाधिक सांसद केरल और बिहार से चुन कर आए हैं. केरल से निर्वाचित 90 फीसदी और बिहार के 82 फीसदी सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं. इस मामले में पश्चिम बंगाल से 55 फीसदी, उत्तर प्रदेश से 56 और महाराष्ट्र से 58 फीसदी नए चुने गए सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं. वहीं सबसे कम 9 फीसदी सांसद छत्तीसगढ़ के और 15 फीसदी गुजरात के हैं. रिपोर्ट के अनुसार पिछली 3 लोकसभा में आपराधिक मुकदमों से घिरे सांसदों की संख्या में 44 फीसदी का इजाफा दर्ज हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2009 के लोकसभा चुनाव में आपराधिक मुकदमे वाले 162 सांसद (30 फीसद) चुनकर आए थे, जबकि 2014 के चुनाव में निर्वाचित ऐसे सांसदों की संख्या 185 (34 फीसदी) थी.

नए सांसदों में कांग्रेस के डीन कुरियाकोस पर सबसे ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं. केरल के इडुक्की लोकसभा क्षेत्र से चुनकर आए एडवोकेट कुरियाकोस ने अपने हलफलनामे में बताया है कि उनके खिलाफ 204 आपराधिक मामले लंबित हैं. इनमें गैर इरादतन हत्या, लूट, किसी घर में जबरन घुसना और अपराध के लिए किसी को उकसाने जैसे मामले शामिल हैं. इनके अलावा बसपा के 10 में से 5, जदयू के 16 में से 13 (81 फीसदी) , तृणमूल कांग्रेस के 22 में से 9 (41 फीसदी) और माकपा के 3 में से 2 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं. इस मामले में बीजद के 12 निर्वाचित सांसदों में सिर्फ एक सदस्य ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले की हलफनामे में घोषणा की है.

ऐसे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा आपराधिक मामलों के लिप्त लोगों को प्रत्याशी न बनाने वाली याचिका को चुनाव आयोग के पाले में डाल देने से समस्या का समाधान नहीं होने वाला. समस्या ये है कि चुनाव आयोग घोषित रूप से तो एक स्वतंत्र इकाई है किंतु ऐसा है नहीं. चुनाव आयोग पर सरकार का खासा दबाव रहता है. शायद आपराधिक रेकॉर्ड वालों को जनप्रतिनिधि न बनने देने के आदेश देना चुनाव आयोग के बूते से बाहर है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वक्त आ गया है कि संसद ये कानून लाए ताकि अपराधी राजनीति से दूर रहें. राष्ट्र तत्परता से संसद द्वारा कानून का इंतजार कर रहा है. अब यहाँ सवाल उठता है कि जिन आपाराधिक छवि वाले दबंगों के कन्धों पर बैठकर राजनीतिक दल सरकार बनाने तक पहुँच पाते हैं, उन पर चुनाव में प्रत्याशी न बनाने का मन कौन सा राजनीतिक दल बना पाएगा? कदापि कोई नहीं. आखिर निश्कर्ष यह निकलता है कि आपराधिक छवि वाले लोगों से राजनीतिक दलों का दामन बचने वाला नहीं है. यहाँ यह भी सवाल उठता कि जनता आपराधिक छवि वाले अपने प्रतिनिधियों से न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है.

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गठबंधन एक प्रयोग था, भले सफल न रहा हो लेकिन कमियां पता चल गईं: अखिलेश यादव

लखनऊ। समाजवादी पार्टी (एसपी) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) गठबंधन को लेकर एसपी चीफ अखिलेश यादव ने एक बार फिर बयान दिया है. अखिलेश ने कहा है कि जिंदगी में कई बार प्रयोग असफल होते हैं लेकिन उससे कमियों का पता चल जाता है. इतना ही नहीं उन्होंने इशारों-इशारों में मायावती के साथ भविष्य में चुनाव न लड़ने की बात भी कही. अखिलेश ने गठबंधन के सवाल पर कहा कि अब राजनीति का रास्ता खुला हुआ है.

लखनऊ ईदगाह पहुंचे अखिलेश यादव ने लोगों को ईद की मुबारकबाद दी. अखिलेश ने यहां पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि यह गठबंधन मेरे लिए एक प्रयोग की तरह था जो भले ही सफल न रहा हो लेकिन मुझे कमियां पता चल गईं. उन्होंने कहा, ‘मैं साइंस का छात्र रहा हूं. कई ट्रायल होते हैं. कई बार आप कामयाब नहीं होते हैं, लेकिन कम से कम आपको कमी पता चल जाती है.’

बीएसपी चीफ मायावती ने कहा था कि उनकी पार्टी उपचुनाव अकेले लड़ेगी हालांकि उसके बाद के चुनावों के लिए उन्होंने कहा था कि भविष्य में फैसला लिया जाएगा. अखिलेश ने इशारों में अब दोनों पार्टियों के अलग रास्ते होने की बात कही है. अखिलेश ने कहा, ‘जहां तक सवाल गठबंधन का है अकेले लड़ने का है, अब रास्ता राजनीति में खुला है. अगर गठबंधन में उपचुनाव में अकेले-अकेले लड़ रहे हैं तो मैं पार्टी के सभी नेताओं से राय मशविरा करके आगे की रणनीति बनाने की दिशा में काम करूंगा.’

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ईद पर बोलीं ममता बनर्जी, ‘सभी धर्मों की करेंगे रक्षा

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कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को ईद के मौके पर लोगों को मुबारकबाद दी. इस दौरान उन्‍होंने विरोधी दलों, खासकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बंगाल में किसी को डरने की जरूरत नहीं है. हम हिंदू-मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी धर्मों की रक्षा करेंगे… जो हमसे टकराएगा वह चूर चूर हो जाएगा.

ममता बनर्जी ने कहा कि त्‍याग का नाम है हिंदू, इमान का नाम है मुसलमान, प्‍यार का नाम है इसाई, सिखों का नाम है बलिदान, ये है हमारा प्‍यारा हिंदुस्‍तान…. इसकी रक्षा हम लोग करेंगे, जो हमले टकराएगा वो चूर चूर हो जाएगा. यही हमारा स्‍लोगन है. मुख्‍यमंत्री ने आगे कहा कि मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है, वही होता है जो मंजूर-ए-खुदा होता है.

ममता ने केंद्र सरकार पर हमला बोलने हुए कहा कि कभी-कभी जब सूरज उगता है तो उसकी रोशनी बड़ी तीखी होती है लेकिन बाद में वह मद्धिम पड़ जाती है. उन्होंने जिस तेजी से ईवीएम पर कब्जा किया था, उतनी ही तेजी से पलायन कर जाएंगे. बता दें कि राज्‍य में भाजपा की मजबूत होती पकड़ के चलते सियासी तनाव बढ़ गया है. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलने का कोई मौका नहीं चूक रही हैं.

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‘सुपर 30’ का ट्रेलर रिलीज, जानिए साइकिल पर पापड़ बेचने वाले टीचर आनंद कुमार के बारे में

बिहार के मैथेमटिशियन आनंद कुमार और उनकी सुपर 30 पर फिल्मकार विकास बहल फिल्म बना रहे हैं. इस फिल्म में अभिनेता ऋतिक रोशन आनंद कुमार की भूमिका में हैं. कुछ देर पहले ही फिल्म का ट्रेलर रिलीज हुआ है. कुल मिलाकर ट्रेलर दमदार है. इससे पहले फिल्म के कई पोस्टर्स सामने आ चुके हैं. अब ट्रेलर आने से पहले जान लीजिए जिन पर फिल्म बन रही है उनके बारे में.

आनंद पटना में सुपर 30 के अलावा एक रामानुजम क्लासेस भी चलाते हैं. यहां पैसे लेकर पढ़ाया जाता है. आनंद का कहना है कि वो इसी पैसे से सुपर 30 चलाते हैं. रामानुजम क्लासेस में 300 या 400 बच्चे होते हैं. 27 हजार डेढ़ साल की फीस ली जाती हैं. जो फीस नहीं दे पाते हैं, उन्हें फ्री में भा पढ़ाया जाता है. पिछले 15 सालों में उनके पढ़ाए 450 बच्चों में से 396 बच्चों ने IIT क्वालिफाई किया है. कहा जाता है कि साइकिल पर घूम-घूमकर आनंद कुमार ने पापड़ बेचकर पढा़ई की. सुपर 30 में ऋतिक की पापड़ बेचते हुए तस्वीर भी सामने आई थी.

आनंद की पर्सनल लाइफ की बात करें तो उन्होंने ऋतु रश्मि से अंतरजातीय विवाह किया है. दरअसल ऋतु भूमिहार हैं तो वहीं आनंद कुमार कहार हैं. ऋतु और आनंद की शादी 2008 में हई थी. ऋतु को आनंद का मैथ्स पढ़ाने का तरीका बहुत पसंद था. बाद में ऋतु का चयन भी 2003 में बीएचयू आईटी के लिए हुआ. दोनों की शादी पर काफी बवाल भी काटा गया था.

वहीं दूसरी तरफ बिहार के कई कोचिंग संस्थानों, मीडिया और बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद के आनंद कुमार और सुपर 30 पर कई आरोप हैं. इतना ही नहीं आनंद कुमार पर आरोप लगते हैं कि सुपर-30 में रामानुजम क्लासेस से चुने जाने वाले स्टू़डेंट्स भी शामिल किए जाते हैं. आनंद कुमार को राष्ट्रीय कल्याण पुरस्कार के साथ कई अन्य पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है.

ये फिल्म बनने के दौरान लगातार कंट्रोवर्सी में रही और बनने के बाद भी. फिल्म में बतौर डायरेक्टर विकास बहल का नाम है जिनपर #मीटू का आरोप है. मेकिंग के दौरान भी ये फिल्म आनंद कुमार की वजह से सुर्खियों में थी. आनंद की कहानी पर बन रही फिल्म के बारे में जानने के बाद लोगों ने आरोप लगाने शुरू कर दिए थे कि आईआईटी की तैयारी कराने वाले इंस्टिट्यूट ‘सुपर 30’ को आनंद ने अकेले नहीं खड़ा किया है. हालांकि बाद में मेकर्स ने ये साफ कर दिया कि ये फिल्म आनंद कुमार की बायोपिक नहीं है.

बात करें फिल्म की तो सुपर 30 में ऋतिक के अलावा टीवी सीरियल्स में काम कर चुकी एक्ट्रेस मृणाल ठाकुर नजर आएंगी. मृणाल इससे पहले टीवी सीरियल ‘कुमकुम भाग्य’ में काम कर चुकी हैं. ‘सुपर 30’ उनकी पहली हिंदी फिल्म होगी. इन दोनों के अलावा पंकज त्रिपाठी, नंदिश सिंह संधू, विरेंद्र सक्सेना और अमित साध जैसे कलाकार भी इस फिल्म में दिखाई देंगे.

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