मायावती की ऐसी 6 बातें सुनकर अखिलेश यादव क्या सोच रहे होंगे

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले जब सपा और बीएसपी के गठबंधन का ऐलान हो रहा था तो उस दिन मायावती और अखिलेश यादव के हावभाव को देखकर ऐसा लग रहा था कि अब यह दोनों पार्टियां मिलकर लंबे समय तक राजनीति करेंगी. अंकगणित भी उनके पक्ष में था और गोरखपुर-फूलपुर-कैराना के उपचुनाव में मिली जीत से उत्साह चरम पर था. लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान दोनों ही नेता जमीनी हकीकत को भांप नहीं पाए और करारी हार का सामना करना पड़ गया. इस हार के साथ ही गठबंधन भी बिखर गया है. सपा को जहां 5 सीटें मिली हैं वहीं बीएसपी को 10 सीटें. एक तरह से देखा जाए तो बीएसपी को ज्यादा फायदा हुआ है क्योंकि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी को एक भी सीट नहीं मिली थी. दूसरी ओर सारे समीकरणों को ध्वस्त करते हुए बीजेपी 62 सीटें कामयाब हो गई. इस हार के साथ ही बीएसपी सुप्रीमो मायावती सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को निशाने पर ले लिया और कहा कि सपा अपने कोर वोट यादवों का भी समर्थन नहीं पा सकी और यही वजह है कि उनकी पत्नी चुनाव हार गईं. इतना ही नहीं मायावती ने उत्तर प्रदेश की 11 सीटों पर होने वाले विधानसभा उप चुनाव में भी अकेले लड़ने का ऐलान कर डाला. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अखिलेश यादव से उनके रिश्ते पर व्यक्तिगत तौर पर अच्छे हैं. वहीं दूसरी ओर अखिलेश यादव अभी तक पूरी तरह से सधे और रक्षात्मक बयान दे रहे हैं. लेकिन रविवार को हुई बीएसपी की एक अहम बैठक में मायावती ने रही-सही कसर भी पूरी कर डाली और उन्होंने अपने बयान से जाहिर कर दिया कि उनकी नजर में अब अखिलेश यादव की कोई अहमियत नहीं है.

बीएसपी सुप्रीमो मायावती के 6 हमले

  1. गठबंधन के चुनाव हारने के बाद अखिलेश ने मुझे फोन नहीं किया. सतीश मिश्रा ने उनसे कहा कि वे मुझे फोन कर लें, लेकिन फिर भी उन्होंने फोन नहीं किया. मैंने बड़े होने का फर्ज निभाया और काउंटिग के दिन 23 तारीख को उन्हें फोन कर उनके परिवार के हारने पर अफसोस जताया.
  2. तीन जून को जब मैंने दिल्ली की मीटिंग में गठबंधन तोड़ने की बात कही तब अखिलेश ने सतीश चंद्र मिश्रा को फोन किया, लेकिन तब भी मुझसे बात नहीं की.
  3. अखिलेश ने मिश्रा से मुझे मैसेज भिजवाया कि मैं मुसलमानों को टिकट न दूं, क्योंकि उससे और ध्रुवीकरण होगा, लेकिन मैंने उनकी बात नहीं मानी.
  4. मुझे ताज कॉरिडोर केस में फंसाने में बीजेपी के साथ मुलायम सिंह यादव का भी अहम रोल था. अखिलेश की सरकार में गैर यादव और पिछड़ों के साथ नाइंसाफी हुई, इसलिए उन्होंने वोट नहीं किया.
  5. समाजवादी पार्टी ने प्रमोशन में आरक्षण का विरोध किया था इसलिए दलितों, पिछड़ों ने उसे वोट नहीं दिया.
  6. बीएसपी के प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा को सलीमपुर सीट पर समाजवादी पार्टी के विधायक दल के नेता राम गोविंद चौधरी ने हराया. उन्होंने सपा का वोट बीजेपी को ट्रांसफर करवाया, लेकिन अखिलेश ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.

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