अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद कोर्ट पहुंचे राहुल गांधी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े एक मानहानि केस में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को अग्रिम जमानत मिल गई है. राहुल गांधी के खिलाफ एक आरएसएस कार्यकर्ता ने मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है. आरोप है कि राहुल गांधी ने पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या को बीजेपी-आरएसएस की विचारधारा से जोड़ा था.

कोर्ट में सुनवाई के दौरान राहुल गांधी ने अपने आपको बेकसूर बताया. इसके बाद कोर्ट ने 15 हजार रुपये के निजी मुचलके पर अग्रिम जमानत दे दिया. पूर्व सांसद एकनाथ गायकवाड़ ने राहुल गांधी की जमानत ली. बता दें कि गौरी लंकेश की सितंबर 2017 में बेंगलुरु में उनके घर के गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

इस दौरान, राहुल गांधी की अगुआई में पार्टी नेता कृपाशंकर सिंह, बाबा सिद्दीकी, मिलिंद देवड़ा, संजय निरूपम अदालत के अंदर मौजूद रहे. जब राहुल गांधी कोर्ट में पेशी के लिए मुंबई पहुंचे तो एयरपोर्ट के बाहर मौजूद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनके समर्थन में नारे लगाए. कांग्रेस समर्थकों ने ‘राहुल तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं’ के नारे लगाए.

शिकायतकर्ता ध्रुतिमन जोशी ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और सीपीएम नेता सीताराम येचुरी पर भी ऐसे मामले दायर किए थे जिन्हें खारिज कर दिया गया था. जोशी ने अपनी याचिका में कहा कि लंकेश की हत्या के मुश्किल से 24 घंटों के बाद ही राहुल गांधी ने हत्या के लिए आरएसएस और उसकी विचारधारा को जिम्मेदार ठहरा दिया था.

महाराष्ट्र में राहुल गांधी के खिलाफ किसी आरएसएस कार्यकर्ता द्वारा दायर की गई यह दूसरी याचिका है. इससे पहले 2014 में, एक स्थानीय कार्यकर्ता राजेश कुंते ने महात्मा गांधी की हत्या के लिए कथित रूप से आरएसएस पर आरोप लगाने के लिए राहुल के खिलाफ याचिका दायर की थी. वह मामला ठाणे में भिवंडी अदालत में लंबित है.

वहीं, खबर है कि राहुल गांधी आगामी हफ्ते में कई केसों पर सुनवाई के चलते अपनी अमेरिका यात्रा को रद्द कर सकते हैं. उन पर पटना और अहमदाबाद में भी केस दर्ज हैं. सूत्रों के हवाले से खबर है कि राहुल कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक से दूरी बना सकते हैं.

गौरतलब है कि राहुल गांधी ने बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. राहुल गांधी के मुताबिक, उन्हें लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन के लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए क्योंकि पार्टी 542 में से केवल 52 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई. राहुल ने कहा कि बीजेपी की व्यापक जीत ने यह साबित कर दिया है कि देश के संस्थागत ढांचे पर कब्जा करने का आरएसएस का लक्ष्य अब पूरा हो गया है.

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ओपन लेटर जारी कर राहुल गांधी ने दिया कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा

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नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आखिरकार अपने पद से इस्तीफा दे ही दिया. एक ओपन लेटर जारी कर कांग्रेस अध्यक्ष ने अपना इस्तीफा दे दिया है. इस ओपन लेटर में राहुल गांधी ने लिखा, ‘कांग्रेस पार्टी के लिए काम करना मेरे लिए सम्मान की बात थी’. उन्होंने पत्र में 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को मिली हार का जिक्र करते हुए लिखा ‘अध्यक्ष के नाते हार के लिए मैं जिम्मेदार हूं. इसलिये अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहा हूं’.

उन्होंने आगे लिखा, पार्टी को जहां भी मेरी जरूरत पड़ेगी मैं मौजूद रहूंगा. बता दें कि बुधवार को राहुल गांधी ने कहा कि एक महीने पहले ही नए अध्यक्ष का चुनाव हो जाना चाहिए था. राहुल गांधी ने कहा, ‘बिना देर किए हुए नए अध्यक्ष का चुनाव जल्द हो. मैं इस प्रक्रिया में कहीं नहीं हूं. मैंने पहले ही अपना इस्तीफा सौंप दिया है और मैं अब पार्टी अध्यक्ष नहीं हूं. सीडब्ल्यूसी को जल्द से जल्द बैठक बुलाकर फैसला करना चाहिए.’

गौरतलब है कि राहुल गांधी ने 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस्तीफे की पेशकश की थी. तब से तमाम तरह की अटकलें लगनी शुरू हो गई थी. हालांकि राहुल गांधी ने साफ कर दिया था कि वो अब कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर नहीं रहेंगे और आखिरकार आज एक ओपन लेटर जारी कर उन्होंने पद छोड़ने की घोषणा कर दी. राहुल के इस फैसले के बाद कांग्रेस पार्टी मुसीबत में दिख रही है. देखना यह है कि अब पार्टी का नया अध्यक्ष कौन होगा.

लूटे हुए धन लौटाएं, फिर देश से बाहर जाएं शरीफ और जरदारी – इमरान खान

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ऐलान किया है कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार के मामलों के आरोपियों- पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ जैसे नेताओं को कोई क्षमादान नहीं देगी लेकिन यदि वे लूटे हुए धन को गुनाह कबूलने संबंधी समझौते के तहत लौटा देते हैं तो वे देश से जा सकते हैं. इमरान खान ने यह भी खुलासा किया कि जेल में बंद शरीफ (69) के बेटों ने दो मित्र राष्ट्रों की मदद से अपने पिता की रिहाई कराने का प्रयास किया. प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के नाम तो नहीं बताए लेकिन कहा कि उन्होंने मुझे केवल संदेश दिया, शरीफ की रिहाई के लिए दबाव नहीं बनाया.

इमरान खान खान ने कहा, “उन्होंने मुझे कहा कि हम हस्तक्षेप नहीं करेंगे.” इस दौरान प्रधानमंत्री के साथ वित्त सलाहकार हाफीज शेख और फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के अध्यक्ष शब्बार जैदी मौजूद थे. शरीफ 24 दिसंबर 2018 से लाहौर के कोट लखपत जेल में सात साल की कैद की सजा काट रहे हैं. जवाबदेही अदालत ने पनामा पेपर्स मामले में शीर्ष अदालत के 28 जुलाई, 2017 के आदेश के आलोक में दर्ज किये गये तीन मामलों में से एक में उन्हें दोषी ठहराया था. हालांकि शरीफ और उनके परिवार ने पूरे मामले को राजनीति से प्रेरित बताया है.

इमरान खान ने कहा कि भ्रष्टाचार के लिए दोषी ठहराए गए लोगों को तब तक बाहर नहीं जाने दिया जाएगा जब तक कि वे चोरी किय गया धन लौटा नहीं देते. उन्होंने कहा, “यदि नवाज इलाज के लिए बाहर जाना चाहते हैं तो उन्हें पहले लूटे हुए धन को लौटाना चाहिए. यदि अली जरदारी के साथ भी ऐसी बात है तो उन्हें भी धन लौटाना चाहिए.” उन्होंने राष्ट्रीय मेलमिलाप अध्यादेश जैसे सौदे का जिक्र करते हुए कहा, “एनआरओ नहीं दी जाएगी.”

न्यायपालिका में जातिवाद पर ब्राह्मण जज का बड़ा बयान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश रंगनाथ पांडेय

 नई दिल्ली। न्यायपालिका एक ऐसा क्षेत्र है, जहां दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों को मौका नहीं मिल पाया है. लोअर कोर्ट में वंचित समुदाय के जज दिख भी जाते हैं तो हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में एससी/एसटी और ओबीसी जजों का नहीं होना हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रहा है. वंचित समाज के तमाम वकील और एक्टिविस्ट इसका कारण उच्च न्यायालयों में फैले जातिवाद और परिवारवाद बताते हैं. यही आरोप इस बार इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज ने लगाया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज रंगनाथ पांडे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस संबंध में पत्र लिख कर यह मामला उठाया है. उन्होंने पत्र में लिखा है कि ‘न्यायपालिका दुर्भाग्यवश वंशवाद और जातिवाद से बुरी तरह ग्रस्त हैं और जजों के परिवार से होना ही अगला न्यायधीश होना सुनिश्चित करता है. जस्टिस रंगनाथ पांडे ने अपने खत में लिखा है, ‘भारतीय संविधान भारत को एक लोकतांत्रिक राष्ट्र घोषित करता है तथा इसमें सबसे अहम न्यायपालिका दुर्भाग्यवश वंशवाद और जातिवाद से बुरी तरह ग्रस्त हैं. यहां न्यायधीशों के परिवार का सदस्य होना ही अगला न्यायधीश होना सुनिश्चित करता है.’

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज द्वारा पीएम मोदी को लिखी गई चिट्ठी

उन्होंने उस बहस को भी हवा दी है जिसमें हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त होने के लिए प्रतियोगी परीक्षा को अनिवार्य करने की बात की जाती है. प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने लिखा है, ‘राजनीतिक-कार्यकर्ता का मूल्यांकन अपने कार्य के आधार पर ही चुनाव में जनता द्वारा किया जाता है. प्रशासनिक अधिकारी को सेवा में आने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओँ की कसौटी पर उतरना होता है. अधीनस्थ न्यायालय के न्यायाधीशों को भी प्रतियोगी परीक्षाओं में योग्यता सिद्ध करके ही चयनित होने का अवसर मिलता है. लेकिन उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में जजों की नियुक्ति के लिए हमारे पास कोई निश्चित मापदंड नहीं है. प्रचलित कसैटी है तो केवल परिवारवाद और जातिवाद.’

एक जुलाई को लिखे अपने पत्र में जस्टिस पांडेय ने लिखा है कि उन्हें 34 वर्ष के सेवाकाल में बड़ी संख्या में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों को देखने का अवसर मिला है जिनमें कई न्यायाधीशों के पास सामान्य विधिक ज्ञान तक नहीं था. कई अधिवक्ताओं के पास न्याय प्रक्रिया की संतोषजनक जानकारी तक नहीं है. कोलेजियम सदस्यों का पसंदीदा होने के आधार पर न्यायाधीश नियुक्त कर दिए जाते हैं. यह स्थिति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. अयोग्य न्यायाधीश होने के कारण किस प्रकार निष्पक्ष न्यायिक कार्य का निष्पादन होता होगा, यह स्वयं में विचारणीय प्रश्न है. अपने इस पत्र में न्यायाधीश ने प्रधानमंत्री से राष्ट्रीय न्यायिक चयन आयोग स्थापित करने का प्रयास करने की मांग की है.

दो दिन में UP समेत Delhi-NCR पहुंचेगा मानसून

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नई दिल्ली। बंगाल की खड़ी में बने निम्न दबाव क्षेत्र ने उत्तर भारत में असर दिखाना शुरू कर दिया है. निम्न दबाव क्षेत्र की वजह से मानसून की चाल तेज हो चुकी है. मानसून ने मंगलवार दोपहर राजस्थान में दस्तक दे दी है. अगले दो-तीन दिन में मानसून उत्तर भारत के आठ राज्यों को भिगोने के लिए बढ़ रहा है.

भारतीय मौसम विभाग के मौसम वैज्ञानिक नरेश के अनुसार उत्तर-पश्चिम भारत के हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और मध्य प्रदेश के शेष हिस्सों में अगले 72 घंटे में मानसून की झमाझम बारिश होने वाली है. उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में भी अगले दो दिन में मानसून की अच्छी बारिश होने की उम्मीद है. अगले चार-पांच दिनों में उत्तराखंड में भी बहुत अच्छी बारिश होने की संभावना है. मौसम विभाग ने इस पूरे सप्ताह मुंबई समेत चार राज्यों में लगातार बारिश होने का अनुमान जताया है.

मालूम हो कि पिछले कुछ दिनों से मुंबई, ओडिशा और गुजरात में मानसून की बारिश बहुत से लोगों के लिए आफत बनी हुई है, दूसरी तरफ उत्तर भारत समेत देश के ज्यादातर इलाके में अब भी लोगों को राहत की बूंदों का इंतजार है. उत्तर भारत व देश के ज्यादातर राज्य अब भी लू और भीषण उमस का सामना कर रहे हैं. उधर, मानसून की वजह से मुंबई व झारखंड में कई लोगों की मौत भी हो चुकी है. मौसम विभाग ने सात जुलाई तक मुंबई, ओडिशा, मध्य प्रदेश और गुजरात के कई इलाकों में लगातार बारिश होने का अनुमान जताया है.

मौसम विभाग व स्काईमेट के अनुसार मानसून बंगाल की खाड़ी से उठकर द्वारका, अहमदाबाद, भोपाल, जबलपुर, पेंड्रा, सुल्तानपुर, लखीमपुरी खेरी, मुक्तेश्वर होते हुए उत्तर भारत की तरफ बढ़ रहा है. साथ ही बंगाल की खाड़ी के उत्तर व आसपास के क्षेत्र जैसे उत्तरी ओडिशा, पश्चिमी बंगाल और बांग्लादेश के तटीय इलाकों व पश्चिम बंगाल के उत्तर-पश्चिम एरिया में एक निम्न दबाव क्षेत्र भी बन रहा है. अगले 24 घंटे में इसके और सघन होने की उम्मीद है. मानसून राजस्थान तक पहुंच चुका है और अगले दो-तीन दिन में इसके यूपी-दिल्ली समेत शेष भारत के ज्यादातर हिस्सों तक पहुंचने की उम्मीद है.

मौसम विभाग का अनुमान है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल के कुछ हिस्से में भी दो से चार जुलाई तक मानसून की बारिश हो सकती है. मौसम विभाग के अनुसार उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी से सघन हो रहे कम दबाव क्षेत्र से हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में अगले कुछ दिनों में मौसम करवट लेगा.

3 से 7 जुलाई तक दिल्ली-एनसीआर पहुंचेगा मानसून मानसून का बेसब्री से इंतजार कर रहे लोगों के लिए राहत की खबर है. पहले मानसून के 7 जुलाई तक एनसीआर पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही थी. अब बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव क्षेत्र सघन होने से मानसून की रफ्तार बढ़ने का अनुमान है. लिहाजा मौसम वैज्ञानिकों को उम्मदी है कि 3 जुलाई तक मानसून दिल्ली-एनसीआर में दस्तक दे सकता है. हालांकि इसे पूरे दिल्ली-एनसीआर व आसपास के इलाकों तक फैलने में सात जुलाई तक का समय लग सकता है. मौसम विभाग के अनुसार बंगाल की खाड़ी से मानसूनी हवाएं उत्तर प्रदेश होते हुए दिल्ली की तरफ आएंगी. इसलिए दो जुलाई के बाद दिल्ली आसपास बारिश होने की उम्मीद है. दिल्ली में आमतौर पर मानसून के दौरान मूसलाधार बारिश 15 के बाद होती है. ऐसे में 20 जुलाई के बाद दिल्ली में झमाझम बारिश के आसार बन रहे हैं.

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यूपीः OBC जातियों को SC में शामिल करने के फैसले पर केंद्र के बयान से आया ट्विस्ट

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नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के राज्य सरकार के फैसले में केंद्र के बयान से नया ट्विस्ट आ गया है. माना जा रहा था कि केंद्र और राज्य दोनों जगह भाजपा की सरकार होने से मामला आसान होगा, लेकिन केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत के बयान से मामले में नया मोड़ आ गया है.

केंद्र ने मंगलवार को कहा कि उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार को निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना, अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल 17 समुदायों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल नहीं करना चाहिए था. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान यह बात कही. दरअसल शून्यकाल में यह मुद्दा बीएसपी के सतीश चंद्र मिश्र ने उठाया. संविधान के अनुच्छेद 341 के उपवर्ग (2) का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल 17 समुदायों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने का उत्तर प्रदेश सरकार का फैसला असंवैधानिक है क्योंकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की सूचियों में बदलाव करने का अधिकार केवल संसद को है.

इस पर सहमति जताते हुए गहलोत ने भी कहा कि किसी भी समुदाय को एक वर्ग से हटा कर दूसरे वर्ग में शामिल करने का अधिकार केवल संसद को है. उन्होंने कहा कि पहले भी इसी तरह के प्रस्ताव संसद को भेजे गए लेकिन सहमति नहीं बन पाई. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को समुचित प्रक्रिया का पालन करना चाहिए अन्यथा ऐसे कदमों से मामला अदालत में पहुंच सकता है.

इससे पहले बसपा के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय महासचिव सतीशचंद्र मिश्र ने कहा ‘‘बीएसपी चाहती है कि इन 17 समुदायों को अनुसूचित जाति में शामिल किया जाए लेकिन यह निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार होना चाहिए और आनुपातिक आधार पर अनुसूचित जाति का कोटा भी बढ़ाया जाना चाहिए.” उन्होंने कहा कि संसद का अधिकार संसद के पास ही रहने देना चाहिए, यह अधिकार राज्य को नहीं लेना चाहिए. बसपा नेता ने केंद्र से राज्य सरकार को यह ‘‘असंवैधानिक आदेश” वापस लेने के लिए परामर्श जारी करने का अनुरोध किया.

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 24 जून को जिला मजिस्ट्रेटों और आयुक्तों को आदेश दिया था कि वे अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल 17 समुदायों कश्यप, राजभर, धीवर, बिंद, कुम्हार, कहार, केवट, निषाद, भार, मल्लाह, प्रजापति, धीमर, बठाम, तुरहा, गोड़िया, मांझी और मचुआ को जाति प्रमाणपत्र जारी करें.

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जब संसद में सोनिया गांधी ने उठाया बड़ा सवाल

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नई दिल्ली। यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को संसद में मोर्चा संभाला. इस दौरान उन्होंने को जमकर घेरा और सरकार पर रेलवे की बहुमूल्य संपत्तियों को निजी क्षेत्र के चंद हाथों को कौड़ियों के दाम पर बेचने का आरोप लगाया. रायबरेली के रेल कोच फैक्ट्री का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि सरकार ने निगमीकरण के प्रयोग के लिए रायबरेली के माडर्न कोच कारखाने जैसी एक बेहद कामायाब परियोजना को चुना है. कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने निगमीकरण को निजीकरण की शुरुआत करार दिया.

लोकसभा में शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए उन्होंने कहा कि सरकार एक योजना के तहत उनके संसदीय क्षेत्र रायबरेली के मॉडर्न कोच कारखाने समेत रेलवे की कुछ उत्पादन इकाइयों का निगमीकरण करने जा रही है जो इन इकाइयों के निजीकरण की शुरूआत है. उन्होंने कहा, ‘जो निगमीकरण का असली मायने नहीं जानते, उन्हें मैं बताना चाहती हूं कि यह दरअसल निजीकरण की शुरुआत है. यह देश की बहुमूल्य संपत्तियों को निजी क्षेत्र के चंद हाथों को कौड़ियों के दाम पर बेचने की प्रक्रिया है.’ गांधी ने कहा कि इससे हजारों लोग बेरोजगार हो जाते हैं. सोनिया गांधी ने कहा कि इस कारखाने में आज बुनियादी क्षमता से ज्यादा उत्पादन होता है. यह भारतीय रेलवे का सबसे आधुनिक कारखाना है. सबसे अच्छी इकाइयों में से एक है. सबसे बेहतर और सस्ते कोच बनाने के लिए मशहूर है.

यूपीए अध्यक्ष ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि सरकार ने संसद में अलग से रेल बजट पेश करने की परंपरा क्यों बंद कर दी? उन्होंने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने इस फैसले को गहरा राज बनाकर रखा गया. कारखानों की मजदूर यूनियनों और श्रमिकों को विश्वास में नहीं लिया गया. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसयू) का बुनियादी उद्देश्य लोक कल्याण है, निजी पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना नहीं. उन्होंने कहा कि सरकार से मेरा अनुरोध है कि रायबरेली की मॉडर्न कोच फैक्टरी और सार्वजनिक क्षेत्र की सभी संपत्तियों की पूरी रक्षा करे और इन्हें चलाने वाले मजदूरों और कर्मचारियों तथा उनके परिवारों के प्रति आदर और सम्मान का भाव रखे.

बेमतलब है फिल्म ‘आर्टिकल 15’ का ब्राह्मण विरोध

28 जून को फिल्म आर्टिकल-15 देश भर में रिलीज हुई। रिलीज के पहले से ही इस फिल्म के विरोध की खबरें आ रही थी। वजह यह थी कि इस फिल्म में समाज के भीतर की जातीय व्यवस्था की बात थी। वजह यह थी कि फिल्म के केंद्र में जाति व्यवस्था और दलित समाज था। चाहे राजनीति हो, बिजनेस हो, साहित्य या फिर फिल्म… जैसे ही इसमें दलित शब्द आता है, एक खास समुदाय के तकरीबन 90 फीसदी लोगों का मुंह कसैला हो जाता है। मैं 10 फीसदी को इसलिए छोड़ रहा हूं क्योंकि उस खास समुदाय के कुछ लोग सुलझे भी हुए हैं। तो आर्टिकल 15 के केंद्रीय विषय में दलितों के होने के कारण फिल्म की रिलीज के बाद देश के कुछ हिस्सों में इसके विरोध की खबर है।

उत्तराखंड के रुड़की में फिल्म आर्टिकल 15 की स्क्रीनिंग को बैन कर दिया गया है। फिल्म रिलिज होने के दूसरे ही दिन 29 जून को जिला प्रशासन ने सिनेमाघरों में फिल्म को चलाने पर रोक लगा दिया। शहर के एसडीएम रविन्द्र सिंह नेगी की ओर से कहा गया कि फिल्म के कारण शहर में लॉ एंड आर्डर की समस्या खड़ी हो सकती है। एसडीएम साहब का कहना था कि शहर के हिन्दू सेना के लोग उनसे मिलने आए थे और उनका कहना था कि फिल्म आर्टिकल 15 में एक विशेष जाति समूह को गलत तरीके से पेश किया गया है। हिन्दू सेना ने जो कहा सो कहा, एसडीएम साहब नेगी जी को भी हिन्दू सेना की चिंता पर चिंता होने लगी और उन्होंने हिन्दू सेना को समझाने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पाठ पढ़ाने की बजाय आदेश दे दिया कि फिल्म नहीं चलेगी। रुड़की में यह फिल्म एकमात्र सिनेमा हॉल R.R Cinema में लगी थी और एसडीएम साहब के आदेश के बाद उसे हटा लिया गया है।

रूड़की के बाद अब कानपुर से भी फिल्म के विरोध की खबर है। यहां तो हिन्दूवादी संगठनों ने जिला प्रशासन से गुहार लगाने की भी जहमत भी नहीं उठाई, बल्कि सीधे सिनेमाघर में जा घुसे और चलती फिल्म रोक दी। इस दौरान उन्होंने फिल्म बनाने वालों के खिलाफ जमकर नारे लगाएं और फिल्म के पोस्टर फाड़ डाले। कानपुर के आईनॉक्स मल्टीप्लेक्स और सपना पैलेस थिएटर में आर्टिकल 15 फिल्म लगी थी। इस हंगामे के बाद थिएटर मालिकों ने तय किया है कि जब तक प्रशासन सुरक्षा मुहैया नहीं कराता, वह फिल्म को नहीं दिखाएंगे। प्रशासन खामोश है।

उधर पटना में भी फिल्म को लेकर कहर बरपा हुआ है। फिल्म रिलीज होने के बाद से ही पटना के ब्राह्मण संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। पटना में भूमिहार ब्राह्मण एकता मंच के लोग फिल्म रिलीज होने के दूसरे ही दिन पटना के मोना सिनेमा और सिनेपोलिस के बाहर जमा हो गए और सड़क जाम कर दिया। विरोध के बाद दोनों जगह शो रद्द करना पड़ा। हालांकि यहां की घटना में थोड़ा ट्विस्ट है। फिल्म रोके जाने की खबर सुनकर पटना में दलित छात्र मोना सिनेमा हाल में पहुंच गए और फिल्म को शुरू करने की मांग करने लगे, जिसके बाद पुलिस ने दलित छात्रों पर जमकर लाठियां बरसाई। ये वही पुलिस थी, जिसने सिनेमा बंद कराने आए लोगों पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की थी। तो इलाहाबाद में भी राष्ट्रीय हिन्दू संगठन की ओर से फिल्म आर्टिकल-15 का विरोध किया गया।

अब आते हैं इस पर आखिर फिल्म का विरोध क्यों? तो विरोध करने वाले सभी संगठनों का कहना है कि फिल्म में ब्राह्मणों की छवि को गलत तरीके से पेश किया गया है। तो हम आपको बताते हैं कि आखिर हकीकत क्या है…

यह सच है कि फिल्म जातीय व्यवस्था पर है और फिल्म में समाज में मौजूद जाति व्यवस्था को दिखाया गया है। लेकिन फिल्म के निर्देशक अनुभव सिन्हा सीधे तौर पर किसी जाति का विरोध करने से खुद को और फिल्म को बचाने में सफल रहे हैं। ब्राह्मण समाज के जो संगठन फिल्म का विरोध करने के लिए सड़कों पर हैं, दरअसल वो खुद की टीआरपी बढ़ा रहे हैं, क्योंकि फिल्म में ब्राह्मणों के बारे में कुछ है ही नहीं। स्वामी जी के किरदार के रूप में एक ब्राह्मण किरदार को दिखाया भी गया है तो वह राजनीति में मशगूल रहता है, न की दलित उत्पीड़न में।

निगेटिव कैरेक्टर की बात करें तो फिल्म में सिर्फ दो निगेटिव किरदार हैं। पुलिस थाने में ब्रह्मदत सिंह और कंट्रेक्टर। पुलिस अधिकारी को फिल्म में ठाकुर यानि राजपूत समाज का दिखाया गया है। वह दलितों के खिलाफ मामले को दबाता है और शहर के मजबूत लोगों की गलत कामों में मदद करता है। लेकिन इसकी जड़ में सिर्फ जातीय विद्वेष ही नहीं है, बल्कि डर भी है। क्योंकि एक बार वह कहता भी है कि हमें इसी शहर में रहना है। बड़े अधिकारियों का ट्रांसफर होता है और हमारी हत्या हो जाती है।

दूसरा निगेटिव किरदार कांट्रेक्टर होता है जो पोलिटिशियन स्वामी जी का करीबी होता है और जो दोनों लड़कियों के गैंगरेप और फिर उनकी हत्या का दोषी होता है। और वह उसी किरदार को पेश करता है जिसकी चर्चा आपको हर रोज अखबारों में मिल जाएंगी। वह उन दोनों लड़कियों को उनकी औकात दिखाने के लिए पहले गैंगरेप और फिर हत्या करता है। और समाज के भीतर दलितों-पिछड़ों को औकात में रहने और उनकी हद दिखाने वाले डायलॉग हर रोज सुनने को मिल जाते हैं। और इसमें वह समाज अपनी शान समझता है।

इसलिए कथित सभ्य समाज के गुस्से की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि इस फिल्म में न तो सवर्ण वर्चस्ववाद को चुनौती दी गई है न ही दलितों और सवर्णों का संघर्ष दिखाया गया है। बल्कि यह फिल्म एक प्रगतिशील ब्राह्मण नायक के जरिए दलितों को इंसाफ दिलाने की कोशिश की कहानी भर है। हां, अगर ब्राह्मण समाज खुद को एक प्रगतिशील और अच्छे इंसान के तौर पर भी देखना पसंद नहीं करता तो फिर उनका विरोध जायज है।

गहरी खाई में गिरी मिनी बस, 35 लोगों की मौत

किश्तवाड़। जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में एक भीषण सड़क हादसा सामने आया है. यहां एक मिनी बस एक गहरी खाई में गिर गई और हादसे का शिकार हो गई. इस हादसे में अबतक 35 लोगों की मौत हो चुकी हैं. वहीं, घायलों की संख्या 16 बताई जा रही है. घायल लोगों में से तीन को जम्मू एयरलिफ्ट किया गया है. घायलों को एयरलिफ्ट करने के लिए एक और हेलिकॉप्टर किश्तवाड़ रवाना हो चुका है.

इस बीच जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किश्तवाड़ सड़क दुर्घटना में मारे गए लोगों के लिए अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है. राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने मृतक के परिजनों को 5-5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की और किश्तवाड़ सड़क दुर्घटना में घायलों को सर्वोत्तम चिकित्सा प्रदान करने के लिए प्रशासन को निर्देश दिया.

इस बीच जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में सड़क दुर्घटना पर पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में हुआ हादसा दिल दहला देने वाला है. हम उन सभी लोगों के प्रति शोक व्यक्त करते हैं जिन्होंने अपना जीवन खो दिया और शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की. उन्होंने घायलों के जल्द से जल्द ठीक होने की कामना की.

गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस हादसे पर दुख जताया है. गृह मंत्री अमित शाह ने हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट की है. अमित शाह ने घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना की है.

जिन घायलों को एयरलिफ्ट कर जम्मू राजकीय मेडिकल कालेज लाया गया है उनमें प्रवीण बानो पुत्री अब्दुल गफार, तारिक हुसैन पुत्र गुलाम मोहम्मद, मोहम्मद अब्दुल्ल वानी पुत्र अब्दुल सुबान, दीपा पुत्री जोध राम, मोहम्मद इलियास पुत्र सुबान बट्ट, हमीद राथर पुत्र मोहम्मद वली, अजरा बानो पुत्री गुलाम मोहम्मद, कुलसुमा बानो पुत्री मोहम्मद अशरफ मीर, अब्दुल रहमान पुत्र अहमद बट्ट, हसीना बानो पुत्री गुलाम मोहम्मद, मुनीमा बेगम पत्नी याकीर हुसैन, प्रवीण बानो पुत्री मोहम्मद अशरफ, इरशाद पुत्र सरदारो सभी निवासी केशवान, लेख राज पुत्र बिदिया लाल सभी निवासी सरवान, अर्जुन पुत्र नेक राम निवासी अंजोल, रइस अहमद पुत्र गुलाम मोहिउदीन, अदिबा सहित तीन साल की बच्ची शामिल है, जिसकी पहचान नहीं हो पाई है.

सड़क दुर्घटना में मरने वालों के नाम

अमजद मीर पुत्र अब्दुल लतीफ निवासी केशवन, गुलाम मोहम्मद बट्ट, बेगामा बेगम पत्नी उस्मान खांडे निवासी नगनी केशवान, दीपक कुमार पुत्र नायब चंद, ताहिरा बेगम पत्नी स्वर्गीय अरशद अहमद, नूरदीन चौहान, शाफिया बानो पत्नी अख्तर हुसैन, बाल कृष्ण पुत्र देव आनंद, बिनोता देवी पत्नी बाल कृष्ण, ताजा बेगम पत्नी गुलाम हुसैन मीर, साजा बेगम पत्नी अहमदू वानी, नाहिदा बानो पुत्री बशीर अहमद, अख्तर हुसैन पुत्र अब्दुल समद, रूखसाना बेगम पत्नी अख्तर हुसैन व उसका 45 दिन का बच्चा, वसीम राजा पुत्र अब्दुल समद, बीरी बेगम पुत्री जम्वाल अहमद, जयतूना बेगम पुत्री शफी अहमद, नूर दीन पुत्र जवान अहमद, हाजिरा बेगम पत्नी बशीर अहमद, परमीला देवी पत्नी नेक राम, बशीर अहमद पुत्र गुलाम हुसैन, अश्विनी पुत्र जिया लाल, बशीर पुत्र कासिम दीन, हकनवाज बट्ट पुत्र गुलाम मोहम्मद बट्ट, तारिक हुसैन राथर पुत्र गुलाम मोहम्मद राथर, अब्दुल हमीद पुत्र मोहम्मद वली, मसूम अली पुत्र मोहम्मद शफी, साजन शर्मा, पुत्र राकेश शर्मा, जुनेद शेख पुत्र जावेद शेख, अाकीब हुसैन पुत्र अख्तर बट्ट, आसिया तबस्सुम पुत्री मोहम्मद उस्मान, नवाजा बेगम पत्नी जावेद अहमद शेख, वाहन चालक राकेश कुमार पुत्र दीनानाथ, गुलाबा बेगम पत्नी खेर दीन गुज्जर शामिल हैं.

बता दें, यह हादसा किश्तवाड़ के सिरगवारी केशवन इलाके में हुआ, जहां एक मिनी बस के एक गहरी खाई में गिर गई. मिनीबस का नंबर जेके-17-6787 बताया जा रहा है. यह हादसा सुबह करीब पौने आठ बजे हुआ. मिनीबस में क्षमता से कहीं ज्यादा यात्री सवार थे. यह मिनीबस यात्रियों को लेकर केशवन से किश्तवाड़ की तरफ आ रही थी.पुलिस और सेना के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए हैं. राहत और बचाव अभियान चल रहा है और घायलों को अस्पताल में शिफ्ट किया जा रहा है.

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बारिश से बेहाल हुई मुंबई

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मुंबई में रविवार देर रात से लगातार भारी बारिश हो रही है. कई इलाकों में लोग जलभराव की समस्या का सामना कर रहे हैं. पालघर में जल जमाव के कारण चार ट्रेनों को रद्द और पांच ट्रेनों को डायवर्ट कर दिया गया है. रेलवे ट्रेक भी पानी में डूब हुए हैं. इस बीच, मौसम विभाग ने आज दिन में भी भारी बारिश की चेतावनी और हाई टाइड का अलर्ट जारी किया है.

बहरहाल, मुंबई में रात भर की बारिश से तमाम इलाकों में पानी भरा है. लोकल ट्रेन पर असर पड़ा है. स्कूल और दफ्तर जाने वालों को भारी परेशानी हो रही है. बारिश की वजह से बीएमसी के दावे की पोल खुल गई है. ये मुंबई की नियति है जहां बारिश होते ही जिंदगी डूबने-उतरने लगती है.

मुंबई में मॉनसून शबाब पर क्या आया पूरी मुंबई समंदर में तब्दील हो गई. निचले इलाके में जबदरस्त तेजी से पानी भरा और मायानगरी मुंबई त्राहि-त्राहि करने लगी. हर साल जुलाई-अगस्त का महीना आते ही सैलाब से सराबोर हो जाता है. इस साल भी तस्वीर कुछ अलग नहीं है.

वहीं अंधेरी इलाके का हाल भी कुछ अलग नहीं है, जहां रात भर की बारिश से जिंदगी बेहाल हो गई. चंद घंटे बाद बारिश का पानी घटा जरूर लेकिन मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं. इसी तरह पालघर में भी बारिश के पानी ने इलाके की सूरत बदलकर रख दी. रात भर मुंबई में रुक-रूककर ठहर-ठहरकर बारिश होती रही..और इलाके जलमग्न होत रहे.

मुंबई में भारी बारिश का अलर्ट है. मौसम विभाग का कहना है कि मुंबई के साथ-साथ महाराष्ट्र के कई इलाकों में भी भारी बारिश हो सकती है. महराष्ट्र के ठाकुरबाड़ी इलाके में बारिश की वजह से एक मालगाड़ी पटरी से उतर गई तो पुणे की तरफ जाने वाली तमाम ट्रेनों की रफ्तार पर ब्रेक लग गया है.

पिछले दो दिनों से मुंबई में बारिश हो रही है. इस कारण गली-गली पानी के सिवा कुछ नहीं दिख रहा है. सड़कों पर खड़ी गाड़ियां डूबने लगी हैं. कई जगहों पर गाड़ी में पानी घुसने से वे बंद पड़ गई हैं. लोगों को पैदल उतरकर गाड़ी को धक्का देना पड़ रहा है, जिसकी वजह से ट्रैफिक की रफ्तार सुस्त पड़ गई है. आने जाने वालों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है

मजबूर हो गए हैं. लगातार बारिश होने से पानी का बहाव नहीं हो पा रहा है. सोमवार होने की वजह से ऑफिस जाने वाले लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. बारिश के बाद कई स्थानों पर जलभराव की समस्या पैदा हो गई, जिससे ट्रैफिक जाम जैसी परेशानियों का सामना लोगों को करना पड़ा. इसके अलावा कई ट्रेनों और विमानों की उड़ान पर भी बारिश का असर पड़ा.

इन रास्तों में किया गया ट्रैफिक डायवर्जन

1. गांधी मार्केट के ट्रैफिक को भाऊदाजी रोड और सुलोचना शेट्टी रोड पर डायवर्ट किया गया.

2. नेशनल कॉलेज, एसवी रोड, बांद्रा रोड के ट्रैफिक को लिंक रोड पर डायवर्ट किया गया.

हेल्प डेस्क नंबर जारी 

मुंबई सेंट्र्ल रेलवे स्टेशन- 02267645526/02223087299 बांद्रा टर्मिनस- 02267647594/02226435756 दादर- 02267640704 अंधेरी- 02267630053 बोरीवली- 02267634146 भोइसर- 02267638062 विरार- 02267639014 नवसारी- 02267641731/02637250289 वापी- 02267649438/02602462341 वलसाड- 02267649453/026332241904 सूरत- 02267641178/02612401792 Read it also- सरकारी कर्मचारी से जूते पहनते कैमरे में कैद हुए योगी के मंत्री

भारत को मिली इस विश्व कप में पहली हार

बर्मिंघम में खेले गए आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप के मुकाबले में इंग्लैंड ने टीम इंडिया को 31 रनों से हरा दिया. इस टूर्नामेंट में भारत की यह पहली हार है. टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी इंग्लैंड की टीम ने ताबड़तोड़ बैटिंग करते हुए 50 ओवर में 7 विकेट के नुकसान पर 337 रन बनाए. इंग्लैंड ने आखिरी 10 ओवरों में 92 रन बटोरे और भारत के सामने 338 रनों का विशाल लक्ष्य रखा. इंग्लैंड के लिए जॉनी बेयरस्टो ने 111 रन, जेसन रॉय ने 66 रन और बेन स्टोक्स ने 79 रनों की धमाकेदार पारी खेली. इंग्लैंड के इस पहाड़ जैसे लक्ष्य के सामने टीम इंडिया 50 ओवर में 5 विकेट पर 306 रन ही बना पाई. इस जीत से इंग्लैंड को संजीवनी मिली है और सेमीफाइनल के लिए उसकी उम्मीदें अब भी बरकरार हैं. भारत को मिली हार के बाद कई कमियां उभरकर समाने आई. यही कमियां हार की वजह भी बनी. आइये जानते हैं इन कमियों के बारे में-

धीमी शुरुआत

भारतीय टीम ने एक बार फिर धीमी शुरुआत हुई. शिखर धवन के बाहर होने के बाद टीम को एक बार फिर सही शुरुआत नहीं मिल सका. केएल राहुल बिना खाता खोले ही पवेलियन वापस चले गए. इसके बाद टीम ने शुरू के 10 ओवर में सिर्फ 29 रन ही बना सकी. जब आप 338 रनों का पीछा कर रहे हैं, तो आप प्वारप्ले को इस तरीके से बरबाद नहीं कर सकते. शिखर के बाहर जाने के बाद से दोनों ओपनर्स ने अभीतक एक भी मैच में अच्छी शुरुआत नहीं दे सके हैं. अब अगर टीम इंडिया को वापसी करना है, तो इस हिस्से पर काम करना जरूरी है.

कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल का फ्लॉप होना

टीम इंडिया के सबसे बड़े तुरुप के इक्के कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल का इस मैच में फ्लॉप होना बहुत महंगा पड़ा. युजवेंद्र चहल ने इस मैच में बिना कोई सफलता हासिल किए 10 ओवर में 88 रन लुटा दिए. वहीं कुलदीप यादव ने 10 ओवर में 72 रन लुटाए. भारत की ऐसी घटिया गेंदबाजी से इंग्लैंड के ओपनरों ने जमकर रन लुटे. चहल ने अपने 10 ओवरों के कोटे में 7 चौके और 6 छक्के खाए थे. वर्ल्ड कप 2019 में चहल ने 6 मैचों में 10 विकेट हासिल किए हैं. रनों के लिहाज से यह युजवेंद्र के वनडे करियर का सबसे खराब प्रदर्शन रहा. इससे पहले उन्होंने वनडे में इसी साल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मार्च में मोहाली वनडे में कुल 80 रन दिए थे. इंग्लैंड ने आखिरी 10 ओवरों में 92 रन बटोरे और भारत के सामने 338 रनों का विशाल लक्ष्य रखा.

धोनी का DRS के लिए मना करना

इस मैच में टीम इंडिया का जेसन रॉय के आउट होने पर DRS नहीं लेना सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हुआ. भारत के लिए सिरदर्द बनी जेसन रॉय और जॉनी बेयरस्टो की जोड़ी को तोड़ने के लिए कप्‍तान विराट कोहली ने हार्दिक पंड्या को इंग्लैंड की पारी के 11वें ओवर में उतारा. हार्दिक पंड्या के 11वें ओवर की पांचवीं गेंद जेसन रॉय के ग्लव्स को चूमती हुई धोनी के पास चली गई. जिसके बाद पंड्या और धोनी ने विकेट के पीछे कैच की अपील की, लेकिन अंपायर ने इसे वाइड दिया. इसके बाद कोहली ने धोनी से बात की. धोनी की सलाह पर कोहली ने डीआरएस नहीं लिया.

कोहली ने उस समय धोनी की सुनी और डीआरएस का इस्तेमाल नहीं किया और बाद में रिप्ले से साफ हुआ कि गेंद जेसन रॉय के ग्लव्स को चूमती हुई गई है. जेसन रॉय उस समय 21 के निजी स्कोर पर बल्लेबाजी कर रहे थे. इसके बाद अगली दो गेंदों पर रॉय ने छक्के और चौके बरसाए. कोहली अगर रिव्यू लेते तो रॉय को पवेलियन लौटना पड़ता. इस फैसले के बाद इंग्लैंड के ओपनिंग बल्लेबाजों ने और भी तूफानी बैंटिग की. जेसन रॉय और जॉनी बेयरस्टो ने मिलकर 22.1 ओवर में ही 160 रनों की ओपनिंग पार्टनरशिप कर दी. जेसन रॉय अगर सस्ते में आउट होते तो इंग्लैंड इतने बड़े लक्ष्य तह नहीं पहुंचती.

चोट के बावजूद राहुल से ओपनिंग करवाना

इंग्लैंड के 338 रनों के लक्ष्य के जवाब में रोहित शर्मा और केएल राहुल की ओपनिंग जोड़ी मैदान पर उतरी. इंग्लैंड की पारी में फील्डिंग के दौरान केएल राहुल चोटिल हो गए थे. इंग्लैंड की पारी के 16वें ओवर में राहुल बाउंड्री पर छक्का रोकने की कोशिश में पीठ के बल गिर पड़े. जिसके बाद उन्हें मैदान से बाहर जाना पड़ा. चोटिल राहुल से ओपनिंग करवाने का टीम इंडिया का यह फैसला गलत साबित हुआ और वह 9 गेंदों का सामना करने के बाद शून्य के स्कोर पर पवेलियन लौट गए. भारत ने अपना पहला विकेट 8 रन के स्कोर पर ही गंवा दिया था.

जीत के जुनून का नहीं दिखना

अफगानिस्तान के खिलाफ मैच के बाद सचिन तेंदुलकर ने मिडिल ऑर्डर के बल्लेबाजी की आलोचना की थी. इस मैच में भी वही कमी फिर से सामने आया. मिडिल ऑर्डर ने ऐसा रक्षात्मक खेल दिखाया, मानों उन्हें मैच जीतना न हो. खासकर महेंद्र सिंह धौनी और केदार जाधव दोनों में मैच जीतने का जुनून नजर नहीं आया. धौनी जब बल्लेबाजी करने आए, तब टीम इंडिया को 10 रन/ ओवर के हिसाब से रन चाहिए थे. लेकिन धौनी बड़े शॉट्स मारने का प्रयास ही नहीं किया. इस रवैये की आलोचना कमेंट्री कर रहे पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने भी की.

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डॉक्टर ने खेला खूनी खेल, पत्नी व बेटा-बेटी की हत्या कर लगा ली फांसी

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गुरुग्राम। दिल्ली से सटे हरियाणा के गुरुग्राम से बुरी खबर आई है. शहर के सेक्टर-49 स्थित उप्पल साउथ एंड एस ब्लॉक के फ्लैट नंबर 299 ग्राउंड फ्लोर में रहने वाले डॉक्टर प्रकाश सिंह (55) ने पत्नी सोनू सिंह (50), अदिति (22) और आदित्य (13) का रविवार रात को कत्ले-ए-आम किया फिर कुछ देर बाद खुद भी जान दे दी.

मूलरूप से यूपी के वाराणसी के रहने वाले प्रकाश सिंह पिछले 8 साल से गुरुग्राम के सेक्टर 49 में रह रहे थे. बताया जा रहा है कि प्रकाश सिंह की पत्नी सोनू सिंह के चार प्ले स्कूल थे. खुद डॉक्टर प्रकाश सिंह भी एक फार्मेसी कंपनी से जुड़े हुए थे. गुरुग्राम पुलिस की मानें तो उनके पास से एक सुसाइड नोट भी मिला है, जिसमें उऩ्होंने लिखा है- ‘मैं अपने परिवार को संभाल नहीं पा रहा था.’

वहीं, सुसाइड नोट को लेकर पड़ोसियों का कहना है कि प्रकाश सिंह का परिवार आर्थिक रूप से बहुत ही मजबूत था. पत्नी डॉक्टर सोनू सिंह हर सामाजिक कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थी और कभी भी चंदा देने में पीछे नहीं हटती थीं.

ऐसे में सबसे अहम बात यह है कि आर्थिक रूप से मजबूत होने के बाद इतना बड़ा कदम क्यों उठाया? मृतक पत्नी सोनू सिंह के स्टाफ का कहना है कि उनका स्वभाव बहुत अच्छा था, साथ ही बच्चों का व्यवहार भी शांत था. बेटा आदित्य सेक्टर 49 स्थित डीएवी स्कूल में पढ़ता था, तो बेटी दिल्ली जामिया कॉलेज से पढ़ाई कर रही थी.

सोनू सिंह के स्टाफ ने यह चौंकाने वाला दावा किया है कि डॉ. प्रकाश सिंह बेहद गर्म स्वभाव के थे. वह सन फार्मा कंपनी में साइंटिस्ट थे. बताया जा रहा है कि 2 महीने पहले उनकी नौकरी छूट गई थी. पूरे परिवार के खत्म हो जाने से लगभग 35 लोगों की नौकरी के ऊपर ही संकट छा गया है.

बेटा, बेटी और पत्नी का कत्ल प्रकाश सिंह ने रात कितने बजे किया और फिर खुद कितने बजे फांसी लगाई? इसका सटीक पता तो पोस्टमार्टम के बाद ही चलेगा, लेकिन बताया जा रहा है कि डॉक्टर प्रकाश सिंह ने रविवार रात को अपने पूरे परिवार को तेजधार हथियार से मार डाला. इनमें पत्नी के अलावा, एक लड़का और एक लड़की है. इसके बाद खुद भी फांसी पर लटक गए. यह महज इत्तेफाक है कि ठीक एक साल पहले दिल्ली के बुराड़ी इलाके में 30 जून, 2018 की रात को भी खूनी खेल खेला गया था, जिसमें ललित की सनक के चलते 11 लोगों ने फांसी लगा ली, जिसमें ललित भी शामिल था.

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माब लिंचिंग की घटनाओं में राज्य और पुलिस की अपराधिक भूमिका

इधर कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजरता जबकि किसी न किसी राज्य से माब लिंचिंग (भीड़ द्वारा हिंसा) की खबर न आ रही हो. यह स्थिति देश के अन्दर अराजकता, कानून के राज्य का भाव एवं विभिन्न समुदायों में गहरा अविश्वास तथा शत्रुता का प्रतीक है. इसकी एक विशेषता यह है कि माब लिंचिंग अधिकतर अल्प संख्यक (मुसलमान), ईसाई, दलित तथा कमज़ोर तबकों के साथ हो रही है. इसमें अधिकतर हिन्दू- मुसलमान, सवर्ण-दलित वैमनस्य तथा विभिन्न समुदाय/धर्म के व्यक्तियों के बीच प्रेम सम्बन्ध आदि कारक पाए जाते हैं. इसके अतिरिक्त राजनीतिक प्रतिद्वंदिता भी इसका कारक पायी जाती है.

पूर्व में इस प्रकार की घटनाएँ बहुत कम होती थीं. यदाकदा आदिवासियों में किसी महिला को डायन करार देकर उस पर हिंसा की जाती थी. कभी कभार साम्प्रदायिक दंगों में इस प्रकार की हिंसा होना पाया जाता था. परन्तु इधर कुछ वर्षों से भीड़ द्वारा हिंसक हो कर माब लिंचिंग की घटनाओं में वृद्धि हुयी है. डाटा दर्शाता हैं कि 2012 से 2014 तक 6 मामलों की अपेक्षा 2015 से अब तक 121 घटनाएँ हो चुकी हैं. यह वृद्धि भाजपा शासित राज्यों में अधिक पायी गयी है. उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार पाया गया है कि 2009 से लेकर अब तक माब लिंचिंग के 297 मामले हुए हैं जिनमें से 66% भाजपा शासित राज्यों में हुए हैं. इनमें अभी तक 98 लोग मर चुके हैं तथा 722 घायल हुए हैं. 2009 से 2019 तक माब लिंचिंग की घटनाओं में 59% मुसलमान थे. इनमें से 28% घटनाएँ पशु चोरी/तस्करी के सम्बन्ध में थीं. काफी घटनाएँ गोमांस लेजाने की आशंका को लेकर थीं. कुछ घटनाएँ बच्चा चोरी की आशंका को ले कर भी थीं.

माब लिंचिंग की घटनाओं में देखा गया है कि इनमें हिंदुत्व के समर्थकों की अधिक भागीदारी रही है. यह सर्वविदित है कि भाजपा/आरएसएस की हिंदुत्व की राजनीति का मुख्य आधार हिन्दू- मुस्लिम विभाजन एवं ध्रुवीकरण है. माब लिंचिंग के दौरान मुसलमानों से “जय श्रीराम” तथा “भारत माता की जय” के नारे लगवाना समाज के हिन्दू-मुस्लिम ध्रुवीकरण और आरएसएस के हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा के अंग हैं. इधर की काफी घटनाओं में इस प्रकार की हरकत दृष्टिगोचर हुयी है. काफी जगह पर लोगों के पहनावे तथा दाढ़ी-टोपी का भी उपहास उड़ाया गया है. दरअसल ऐसा व्यवहार मुसलमानों का मनोबल गिराने तथा अपमानित करने के इरादे से किया जाता है. वास्तव में माब लिंचिंग भाजपा की नफरत की राजनीति का एक महत्वपूरण अंग है. भाजपा शासित राज्यों में माब लिंचिंग के आरोपियों पर प्रभावी कार्रवाही न करना उनको प्रोत्साहन देना है.

माब लिंचिंग की घटनाओं में यह पाया गया है कि पुलिस का व्यवहार अति पक्षपातपूर्ण रहता है. बहुत सी घटनायों में पाया गया है कि मौके पर पुलिस की उपस्थिति के बावजूद घटना को रोकने की कोई कोशिश नहीं की जाती. अधिकतर मामलों में पुलिस मूक दर्शक बनी रहती है जोकि उसकी कर्तव्य की अवहेलना का प्रतीक है और एक सरकारी कर्मचारी का दंडनीय अपराधिक कृत्य है. यह एक दृष्टि से राज्य की अपने नागरिकों की जानमाल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के कर्तव्य की अवहेलना है तथा कुछ विशेष समुदायों के प्रति वैमनस्य का भी प्रतीक है. यह राज्य के फासीवादी रुझान का प्रतीक है जो अपने विरोधियों को नुकसान पहुँचाने तथा मनोबल गिराने का उपक्रम है.

इसके अतिरिक्त यह भी पाया गया है कि एक समुदाय की हिंसा को उचित ठहराने और अपराध को हल्का करने के इरादे से हिंसा के शिकार हुए लोगों के विरुद्ध झूठे/ सच्चे क्रास केस दर्ज कर दिए जाते हैं और उनको भी आरोपी बना दिया जाता है. इससे हिंसा के दोषी लोगों को बहुत लाभ पहुँचता है और केस कमज़ोर हो जाता है. इन मामलों की तफ्तीश में पुलिस की भूमिका बहुत पक्षपात पूर्ण रहती है. वह हिंसा के शिकार पक्ष के सुबूत या बयान को सही ढंग से दर्ज नहीं करती जिस कारण उनका केस कमज़ोर हो जाता है. कई मामलों में पाया गया कि भीड़ द्वारा हिंसा के शिकार लोग वैध तरीके से जानवर खरीद कर ले जा रहे थे और उनके पास खरीददारी सम्बन्धी कागजात भी थे जो गोरक्षको द्वारा छीन लिए गये और उन पर पशु तस्करी का आरोप लगा कर मारपीट की गयी. पुलिस ने भी गोरक्षको की बात मान कर पीड़ित लोगों पर ही पशु तस्करी का आरोप लगा कर चालान कर दिया जबकि पुलिस को उनकी बात का सत्यापन करना चाहिए था. परन्तु ऐसा जानबूझ कर नहीं किया जाता. पहलू खान का मामला इसका ज्वलंत उदहारण है.

जैसा कि ऊपर अंकित किया गया है कि माब लिंचिंग के मामलों में पुलिस का व्यवहार अधिकतर पक्षपातपूर्ण पाया जाता है. यह वास्तव में पीड़ित वर्गों के प्रति राज्य के व्यवहार को ही प्रदर्शित करता है. हाल में झारखण्ड में तबरेज़ की हुयी माब लिंचिंग इसका ज्वलंत उदाहरण है. 18 जून को तबरेज़ पर चोरी की आशंका में तब हमला किया गया जब वह रात में जमशेदपुर से अपनें गाँव सराइकेला जा रहा था. उसे रात भर बुरी तरह से पीटा गया. अगले दिन उसे पुलिस के सुपुर्द किया गया परन्तु पुलिस ने उसे कोई डाक्टरी सहायता नहीं दिलवाई जबकि वह बुरी तरह से घायल था. इतना ही नहीं जब उसके घर वाले उसे मिलने थाने पर गए तो उनके अनुरोध पर भी उसे इलाज हेतु नहीं भेजा गया. इसके बाद उसे चोरी के मामले में अदालत में पेश करके जेल भेज दिया गया. जहाँ पर भी उसे उचित डाक्टरी सहायता नहीं दिलाई गयी जिसके फलस्वरूप 22 जून को उसकी मौत हो गयी. यह बड़ी चिंता की बात है कि तबरेज़ के मामले में न तो पुलिस, न अदालत और न ही जेल अधिकारियों ने उसे नियमानुसार डाक्टरी सहायता दिलाने की कार्रवाही की जिसके अभाव में उसकी मौत हो गयी. राज्य/पुलिस का यह व्यवहार राज्य के कानून के शासन को जानबूझ कर लागू न करना बहुत चिंता की बात है.

उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि माब लिंचिंग केवल हिन्दू-मुस्लिम, हिन्दू-दलित या हिन्दू- ईसाई समस्या नहीं है बल्कि राज्य द्वारा नागरिकों की जानमाल की सुरक्षा की गारंटी, कानून का राज एवं न्याय व्यवस्था को सुचारू रूप से लागू होने देने में विफलता है. यह राज्य के जनविरोधी फासिस्ट रुझान का प्रबल प्रतीक है जिसका डट कर मुकाबला किये जाने की ज़रुरत है. इसके साथ ही यह यह भाजपा/आरएसएस की नफरत की राजनीति का दुष्परिणाम भी है जिसके विरुद्ध सभी धर्मनिरपेक्ष, जनवादी एवं लोकतान्त्रिक ताकतों को गोलबंद होना होगा.

लेखक आई.पी.एस. (से.नि.) एवं जन मंच के संयोजक हैं.

17 पिछड़ी जातियों को SC में शामिल करने पर मायावती का बड़ा बयान

नई दिल्ली। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती ने 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने को लेकर बड़ा बयान दिया है. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यह फैसला लेने के तीन दिन बाद मायावती ने इस संबंध में बयान दिया है. इस संबंध में बसपा प्रमुख ने लखनऊ में मीडिया को संबोधित करने के बाद जारी प्रेस नोट में अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के बाद अनुसूचित जाति का आरक्षण का कोटा बढ़ाने की मांग की है.

बसपा प्रमुख ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश बीजेपी सरकार का यह आदेश इन 17 जातियों के साथ सबसे बड़ा धोखा है क्योंकि वास्तव में अब इन जातियों के लोगों को ना तो ओ.बी.सी. का लाभ मिलेगा और ना ही अनुसूचित जाति का लाभ मिलेगा. ओ.बी.सी. का लाभ इसलिये नहीं मिलेगा, क्योंकि अब उत्तर प्रदेश सरकार इस आदेश के बाद उन्हें ओ.बी.सी. नहीं मानेगी और अनुसूचित जाति के होने का लाभ इसलिये नहीं मिलेगा क्योंकि कोई भी राज्य सरकार किसी भी जाति को अपने आदेशों से न तो अनुसूचित जाति की सूची में डाल सकती है और न ही उससे हटा सकती है. इस प्रकार योगी सरकार का यह आदेश पूरी तरह से गैर कानूनी और असंवैधानिक है.

उन्होंने योगी सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा, “ऐसा सिर्फ इन 17 जातियों के लोगों को धोखा देने की नियत से ही किया गया है क्योंकि इन जातियों को ओ.बी.सी. होने के नाते 27 प्रतिशत आरक्षण का जो लाभ मिल रहा है, वो अब इनसे छिन जायेगा और संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत ये अनुसूचित जाति के नहीं माने जा सकते हैं.”

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यंत्री ने इसी प्रकार की मांग बहुजन समाज पार्टी द्वारा कई बार की गई है और मैं एक बार फिर केंद्र सरकार से अपील करती हूं कि संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत संवैधानिक प्रक्रिया पूरी करते हुये इन 17 जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में डाला जाये, लेकिन ऐसा करते समय वर्तमान का जो अनुसूचित जाति का कोटा है उसे इसी अनुपात में बढ़ाया जाये, जिससे कि जो पूर्व में अनुसूचित जाति की सूची के लोग हैं उनको कोई नुकसान न हो और इन 17 जातियों को भी फिर आरक्षण का उचित लाभ मिल सके.

भारी बारिश से मुम्बई में तबाही

महाराष्ट्र के पुणे में शनिवार को बड़ा हादसा हो गया. कोंधवा में दीवार गिरने से 15 लोगों की मौत हो गई जबकि 2 लोग गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं. मलबे में कई लोगों के फंसे होने की आशंका है. राहत बचाव का काम जारी है. मौके पर एनडीआरएफ की टीम भी पहुंच गई है.

खबरों के मुताबिक कोंधवा इलाके में झुग्गियों पर दीवार गिर गई. मलबे में 3 लोग फंसे हैं जिन्हें निकाला जा रहा है. कुल 15 लोगों के फंसे होने की खबर आई थी. बारी बारिश के चलते यह दर्दनाक हादस हुआ. 60 फुट लंबे चौड़े कंपाउंड की दीवार बगल में झुग्गियों पर गिर गई जिसमें सोए कई लोग दब गए. दमकल विभाग के मुताबिक मरने वालों में 4 बच्चे भी शामिल हैं. गंभीर रूप से घायल दो लोगों का अस्पताल में इलाज चल रहा है.

घटना के बारे में पुणे के जिलाधिकारी ने कहा कि ‘भारी बारिश के कारण दीवार गिरी. इस घटना के बाद शुरुआती जांच में कंस्ट्रक्शन कंपनी की गड़बड़ी सामने आ रही है. 15 लोगों की मौत छोटी घटना नहीं है. मृतकों में ज्यादातर बिहार और बंगाल के लोग हैं. पीड़ितों की हरसंभव सहायता की जा रही है.

घटना का कारण भारी बारिश बताया जा रहा है. शुक्रवार से मुंबई और पुणे से सटे इलाकों में भारी बारिश हो रही है. इसके कारण जमीन दरकने की भी खबरें आ रही हैं. मुंबई में बारिश के कारण करंट लगने से दो लोगों की मौत हो गई, जबकि कई इलाकों में पेड़ गिरने से लोग घायल हो गए. एक ऐसी ही खबर मुंबई के चेंबूर से आई जहां ऑटो रिक्शा पर एक दीवार गिर गई. घटना 2 बजे रात की है. मलबा हटा लिया गया है. इसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.

पुणे में अगले 4 दिन तक भारी बारिश की आशंका जताई गई है. मुंबई समेत अन्य कोंकण क्षेत्र में भी भारी बारिश का पूर्वानुमान है. मौसम विभाग के मुताबिक अरब सागर के ऊपर मॉनसून का दबाव बना हुआ है जो अगले कुछ दिनों में भारी से अति भारी बारिश करा सकता है. मुंबई में शुक्रवार से बारिश हो रही है. कई जगहों पर जलभराव की समस्या खड़ी हो गई है. सड़कों पर पानी भरने से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मुंबई में कुछ देर बारिश रुकने के बाद पिछली रात फिर बारिश शुरू हो गई. मुंबई में मौसम विभाग ने कहा है कि अगले 24 घंटे में काफी तेज बारिश होने की आशंका है.

 

उत्तर प्रदेश में अति-पिछड़ी जातियों को अनुसूचित-जातियों की सूची में शामिल करने की राजनीति

कल योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश की 17 अति-पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति के प्रमाणपत्र जारी करने का आदेश जारी किया है जोकि पूरी तरह से असंवैधानिक एवं दलित विरोधी है. यह आदेश इलाहबाद हाई कोर्ट के अखिलेश यादव सरकार द्वारा 17 अति–पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के आदेश पर लगे स्टे के हट जाने के परिणामस्वरूप जारी किया गया है जबकि इसमें इस मामले के अंतिम निर्णय के अधीन होने की शर्त लगायी गयी है. इससे पहले अखिलेश यादव की समाजवादी सरकार ने दिसंबर 2016 को 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल करने का निर्णय लिया था जिनमें निषाद, बिन्द, मल्लाह,केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआरा, प्रजापति,राजभर,कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुरहा तथा गौड़ आदि जातियां शामिल हैं. यह ज्ञातव्य है कि सरकार का यह कदम इन जातियों को कोई वास्तविक लाभ न पहुंचा कर केवल उनको भुलावा देकर वोट बटोरने की चाल थी. यह काम लगभग सभी पार्टियाँ करती रही हैं / कर रही हैं. इस सम्बन्ध में यह उल्लेखनीय है कि इस से पहले भी वर्ष 2006 में मुलायम सिंह की सरकार ने 16 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची तथा 3 अनुसूचित जातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने का शासनादेश जारी किया था जिसे आंबेडकर महासभा तथा अन्य दलित संगठनों द्वारा न्यायालय में चुनौती देकर रद्द करवा दिया गया था. परन्तु सपा ने यह दुष्प्रचार किया था कि इसे मायावती ने 2007 में सत्ता में आने पर रद्द कर दिया था.

वर्ष 2007 में सत्ता में आने पर 2011 में मायावाती, जो कि अपने आप को दलितों का मसीहा घोषित करती है, ने भी इसी प्रकार से 16 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों की सूचि में शामिल करने की संस्तुति केन्द्रीय सरकार को भेजी थी. इस पर केन्द्रीय सरकार ने इस के औचित्य के बारे में उस से सूचनाएं मांगी तो वह इस का कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सकी और केन्द्रीय सरकार ने उस प्रस्ताव को वापस भेज दिया था.

इस विवरण से स्पष्ट है कि समाजवादी पार्टी और बसपा तथा अब भाजपा इन अति-पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों में शामिल कराकर उन्हें अधिक आरक्षण दिलवाने का लालच देकर केवल उनका वोट प्राप्त करने की राजनीति कर रही हैं क्योंकि वे अच्छी तरह जानती हैं कि न तो उन्हें स्वयं इन जातियों को अनुसूचित जातियों की सूचि में शामिल करने का अधिकार है और न ही यह जातियां अनुसूचित जातियों के माप दंड पर पूरा ही उतरती हैं. वर्तमान संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार किसी भी जाति को अनुसूचित जातियो की सूची में शामिल करने अथवा इस से निकालने का अधिकार केवल पार्लियामेंट को ही है. राज्य सरकार औचित्य सहित केवल अपनी संस्तुति केन्द्रीय सरकार को भेज सकती है जो इस सम्बन्ध में केन्द्रीय सरकार ही रजिस्ट्रार जनरल आफ इंडिया तथा रष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग से परामर्श के बाद पार्लियामेंट के माध्यम से ही किसी जाति को सूचि में शामिल कर अथवा निकाल सकती है. संविधान की धारा 341 में राष्ट्रपति ही राज्यपाल से परामर्श करके संसद द्वारा कानून पास करवा कर इस सूचि में किसी जाति का प्रवेश अथवा निष्कासन कर सकता है. इस में राज्य सरकार को कोई भी शक्ति प्राप्त नहीं है. वास्तव में यह पार्टियाँ अपनी संस्तुति केन्द्रीय सरकार को भेज कर सारा मामला कांग्रेस की झोली में डालकर यह प्रचार करती हैं कि हम तो आप को अनुसूचित जातियों की सूचि में डलवाना चाहते हैं परन्तु केंद्र सरकार उसे नहीं कर रही है. यह अति पिछड़ी जातियों को केवल गुमराह करके वोट बटोरने की राजनीति रही है जिसे अब शायद ये जातियां भी बहुत अच्छी तरह से समझ गयी हैं. इसके पहले भाजपा सरकार ने सोनभद्र की धांगर जाति को अनुसूचित जाति की सूची से बाहर करके पिछड़ी जाति की धनगर (पाल/गडरिया) को अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र जारी करने का अवैधानिक आदेश पारित किया था जिस पर आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की आदिवासी वनवासी महासभा ने हाई कोर्ट से स्थगन आदेश प्राप्त कर रोक लगवा रखी है.

इस सम्बन्ध में यह भी उल्लेखनीय है कि अखिलेश यादव अथवा मायावती की बसपा एवं अब भाजपा सरकार द्वारा जिन अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों की सूचि में डालने की जो संस्तुति पहले की गयी थी अथवा अब की गयी है वह मान्य नहीं होगी क्योंकि यह जातियां अनुसूचित जातियों की अस्पृश्यता की आवश्यक शर्त को पूरा नहीं करती हैं. यह सर्व विदित है कि अनुसूचित जातियां सवर्ण हिन्दुओं के लिए अछूत हैं जबकि सम्बंधित पिछड़ी जातियां उन के लिए सछूत हैं. इस प्रकार उनका किसी भी हालत में अनुसूचित जातियों की सूचि में शामिल किया जाना संभव नहीं है.

यदि भाजपा सरकार इन पिछड़ी जातियों को आरक्षण का वांछित लाभ वास्तव में देना चाहती है जोकि वार्तमान में उन्हें पिछड़ों में समृद्ध जातियों (यादव, कुर्मी तथा जाट आदि ) के शामिल रहने से नहीं मिल पा रहा है तो उसे इन जातियों की सूची को तीन हिस्सों में बाँट कर उनके लिए 27% के आरक्षण को उनकी आबादी के अनुपात में बाँट देना चाहिए. देश के अन्य कई राज्य बिहार, तमिलनाडु, कर्नाटक अदि में यह व्यवस्था पहले से ही लागू है. मंडल आयोग की रिपोर्ट में भी इस प्रकार की संस्तुति की गयी थी.

उत्तर प्रदेश में इस सम्बन्ध में 1975 में डॉ. छेदी लाल साथी की अध्यक्षता में सर्वाधिक पिछड़ा आयोग गठित किया गया था जिस ने अपनी रिपोर्ट 1977 में उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपी थी परन्तु उस पर आज तक कोई भी कार्रवाही नही की गयी. साथी आयोग ने पिछड़े वर्ग की जातियों को तीन श्रेणियों में निम्न प्रकार बाँटने तथा उन्हें 29.5 % आरक्षण देने की संस्तुति की थी:

“अ” श्रेणी में उन जातियों को रखा गया था जो पूर्ण रूपेण भूमिहीन, गैर-दस्तकार, अकुशल श्रमिक, घरेलू सेवक हैं और हर प्रकार से ऊँची जातियों पर निर्भर हैं. इनको 17% आरक्षण देने की संस्तुति की गयी थी. “ब” श्रेणी में पिछड़े वर्ग की वह जातियां, जो कृषक या दस्तकार हैं. इनको 10% आरक्षण देने की संस्तुति की गयी थी. “स” श्रेणी में मुस्लिम पिछड़े वर्ग की जातियां हैं जिनको 2.5 % आरक्षण देने की संस्तुति की गयी थी.

वर्तमान में उत्तर प्रदेश में पिछड़ी जातियों के लिए 27% आरक्षण उपलब्ध है. अतः इसे डॉ. छेदी लाल साथी आयोग की संस्तुतियों के अनुरूप पिछड़ी जातियों को तीन हिस्सों में बाँट कर उपलब्ध आरक्षण को उनकी आबादी के अनुपात में बाँटना अधिक न्यायोचित होगा. इस से अति पिछड़ी जातियों को अपने हिस्से के अंतर्गत आरक्षण मिलना संभव हो सकेगा.

इन अति पिछड़ी जातियों को यह भी समझना होगा कि भाजपा सरकार इन जातियों को इस सूची से हटा कर समृद्ध जातियों यादव, कुर्मी और जाट के लिए आरक्षण बढ़ाना चाहती है और उन्हें अनुसूचित जातियों से लड़ाना चाहती है. अतः उन्हें भाजपा की इस चाल को समझाना चाहिए और उन के इस झांसे में न आ कर डॉ. छेदी लाल साथी आयोग की संस्तुतियों के अनुसार अपना आरक्षण अलग कराने की मांग उठानी चाहिए. इसी प्रकार कुछ जातियां जो वर्तमान में अनुसूचित जातियों की सूचि में हैं परन्तु उन्हें अनुसूचित जनजातियों की सूचि में पीपुल्स फ्रंट ने पैरवी करके सोनभद्र जिले की कई जनजातियों को अनुसूचित जातियों की सूची से हटवा कर अनुसूचित जनजातियों की सूची में डलवाया भी है. इतना ही नहीं सोनभद्र जिले में जनजातियों के लिए विधानसभा की दो सीटें भी 2013 में अरक्षित करवाई हैं. वर्तमान में कोल जनजाति को अनुसूचित जाति से निकलवा कर अनुसूचित जाति की सूचि में डलवाने की कार्रवाही चल रही है.

यह भी विचारणीय है कि जब निजीकरण के कारण सरकारी नौकरियां लगातार कम हो रही है तो फिर आरक्षण को बाँटने अथवा नया आरक्षण देना का क्या लाभ है. असली ज़रुरत तो रोज़गार के अवसर पैदा करने की है जो कि बढ़ने की बजाये कम हो रहे हैं. बेरोज़गारी की समस्या तभी हल होगी जब बड़ी संख्या में रोज़गार सृजन किया जाये, रोज़गार को मौलिक अधिकार बनाया जाये तथा बेरोज़गारी भत्ता दिया जाये. आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट इस मांग को काफी लम्बे समय से उठाता आ रहा है.

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शूटर का कबूलनामा- ‘हां, मैंने ही दाभोलकर को मारी थीं दो गोलियां’

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मुंबई। डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के एक आरोपी शरद कलस्कर ने अपने इकबालिया बयान में कबूल किया है कि उसने ही दाभोलकर की हत्या की थी. कलस्कर ने पुलिस को बताया कि उसने दाभोलकर को दो गोलियां मारी थीं, एक उनके सिर और दूसरी उनकी आंख में. उसने जंगल में पहले एयरगन चलाने की ट्रेनिंग ली और उसके बाद रेकी करके दाभोलकर की हत्या की थी.

कलस्कर डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या करने वाले 2 शूटरों में से एक है. शरद को सीबीआई ने दूसरे शूटर सचिन अंदुरे के साथ डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था. बता दें कि अंधविश्वासों के खिलाफ बोलने वाले सामाजिक कार्यकर्ता दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को पुणे के ओंकारेश्वर पुल पर सुबह को टहलते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

मिली थी ट्रेनिंग कलस्कर ने 12 अक्टूबर 2018 को शिमोंग जिले के पुलिस अधीक्षक अभिनव खरे के सामने इकबालिया बयान दिया था. कलस्कर ने पुलिस के सामने बयान में कबूल किया है कि उसे कुछ दक्षिणपंथी ग्रुप के सदस्यों ने संपर्क किया और हिंदू धर्म पर प्रवचन देने, गोहत्या, मुस्लिम कट्टरता और लव जिहाद पर विडियो दिखाए. इसके साथ ही उसे बताया गया था कि उसे मर्डर करना होगा. उसने बताया उससे यह बात वीरेंद्र तावड़े ने कही थी, जो कि मुख्य साजिशकर्ता है.

   

BSP के 2 नेताओं पर चला आलाकमान का चाबुक

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नई दिल्ली। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की गौतमबुद्ध नगर यूनिट ने पूर्व विधायक भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित और पूर्व विधायक मुकेश शर्मा को पार्टी से निष्कासित कर दिया है. दोनों को पार्टी में अनुशासनहीनता, पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने व लोकसभा चुनाव में कार्यकर्ताओं के साथ अभद्र व्यवहार करने पर निकाला गया है.

यहां पर बता दें कि लोकसभा 2019 के चुनाव में फतेहपुर सीकरी से गुड्डू पंडित को पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया था. आरोप है कि इस दौरान गुड्डू पंडित व उनके भाई मुकेश पंडित ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ अभद्र व्यवहार किया. पार्टी विरोधी गतिविधियां करने पर कई बार चेतावनी भी दी गई. इसके बाद भी शिकायतें आती रहीं. इसी के चलते दोनों को पार्टी से निकाल दिया गया.

वहीं, इस बारे में गुड्डू पंडित ने कहा कि वह पहले ही पार्टी को छोड़ चुके हैं. पार्टी की ओर से ऐसी मांग की जा रही थी जिसे पूरा नहीं किया जा सकता है. वहीं, मुकेश पंडित ने कहा कि बसपा ब्राह्मण विरोधी है.

बुलंदशहर के बसपा जिलाध्यक्ष के अनुसार दोनों भाइयों की लगातार हाईकमान तक शिकायतें पहुंच रही थी. बसपा जिलाध्यक्ष कमल राजन ने बताया कि लोकसभा चुनाव से पहले गुड्डू पंडित को पार्टी में शामिल किया गया और फतेहपुर सीकरी से पार्टी ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया. लोकसभा चुनाव के दौरान दोनों भाई का आचरण पार्टी की नीतियों से अलग था और कार्यकर्ताओं के साथ अभद्र व्यवहार करने की कई वीडियो भी वायरल हुई थी. इसके अलावा दोनों भाई पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं. लगातार शिकायतें मिलने पर हाईकमान पर आदेश पर दोनों भाई की गोपनीय जांच कराई गई. जांच में दोनों भाई पर लगाए गए आरोप सही मिले. इसके बाद हाईकमान ने दोनों को पार्टी से निष्कासित करने का निर्देश जारी कर दिया. उधर, बसपा से हुए निष्कासन के बाद गुड्डू पंडित ने बताया कि बसपा सुप्रीमों के निर्णय से उन्हें खुशी है. उन्होंने खुद पर लगाए गए आरोपों को भी नकार दिया.

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टीम इंडिया के मैच जीतते ही ये 3 टीम हो गईं World Cup के सेमीफाइनल की रेस से बाहर

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टीम इंडिया ने वर्ल्ड कप 2019 के 34वें मुकाबले में वेस्टइंडीज को हरा दिया. भारत की इसी जीत के साथ तीन टीम वर्ल्ड कप 2019 के सेमीफाइनल की रेस से बाहर हो गईं. वहीं, टीम इंडिया 6 मैचों में 5वीं जीत के साथ इस विश्व कप की अंकतालिका में दूसरे स्थान पर पहुंच गई और विराट आर्मी के सेमीफाइनल में पहुंचने का मौका बन गया है.

वेस्टइंडीज को भारत के हाथों हार का सामना करना पड़ा. इसी हार के साथ वेस्टइंडीज इस वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल की रेस से बाहर हो गई. वेस्टइंडीज ने वर्ल्ड कप 2019 के 9 में से 7 मुकाबले खेल लिए हैं. इस दौरान कैरेबियाई टीम को सिर्फ 1 मैच में जीत मिली है. वेस्टइंडीज की ये वर्ल्ड कप 2019 में पांचवीं हार है जबकि एक मैच बेनतीजा रहा था.

वेस्टइंडीज से पहले अफगानिस्तान और साउथ अफ्रीका भी इस वर्ल्ड कप 2019 के सेमीफाइनल की रेस से बाहर हो गई हैं. वहीं, ऑस्ट्रेलिया एकमात्र ऐसी टीम है, जिसने 12 अंक हासिल कर इस वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई कर लिया है. इस हार के बाद वेस्टइंडीज की झोली में सिर्फ 3 अंक हैं.

वर्ल्ड कप 2019 के सेमीफाइनल के लिए भारत और न्यूजीलैंड को सिर्फ एक-एक मैच जीतना है क्योंकि इन दोनों टीमों के 11-11 अंक हो गए हैं. एक और जीत के साथ टीम 13-13 अंकों के साथ विश्व कप के सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई कर जाएंगी. वहीं, बांग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान और इंग्लैंड को अपने बाकी बचे सभी मुकाबले जीतने होंगे जो कि आसान काम नहीं है.

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मुलायम की छोटी बहू का बसपा सुप्रीमो पर करारा तंज

लोकसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक नतीजे न आने के बाद से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती समाजवादी पार्टी और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर लगातार हमलावर हैं. हालांकि अखिलेश यादव अभी तक चुप्पी साधे हुए हैं. अब समाजवादी पार्टी (सपा) के संरक्षक मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा यादव ने मायावती पर करारा तंज कसा है.

अपर्णा यादव ने कहा, ‘हमने मायावती को सम्मान देने में कोई कमी नहीं रखी, लेकिन उन्होंने हमारे सम्मान की लाज नहीं रखी. वो समाजवादी पार्टी के सम्मान को पचा नहीं पाई हैं. वेदों में लिखा है कि जो सम्मान नहीं पचा पाता, वो अपमान भी नहीं पचा पाता.’ आजतक से बातचीत में अपर्णा यादव ने कहा, ‘मायावती से गठबंधन करने का फैसला पूरी तरह सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का था.’

अखिलेश यादव के फैसले से थोड़ी नाराजगी जताते हुए अपर्णा यादव ने कहा कि ‘उन्होंने (अखिलेश यादव) इस गठबंधन का फैसला किससे सलाह लेकर किया था, यह वही बता सकते हैं. हालांकि मुलायम सिंह यादव बसपा से गठबंधन के फैसले से खुश थे या नहीं, इस पर मैं कुछ नहीं बोलना चाहती हूं.’

समाजवादियों को एकजुट होने की सलाह देते हुए अपर्णा ने कहा, ‘अभी समाजवादी पार्टी के लिए बहुत बड़ी चुनौती है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में पार्टी की सीटें बेहद कम आई हैं. अब समाजवादियों को एकजुट होना ही होगा. साथ ही पार्टी अपनी हार को लेकर चिंतन और मंथन करे.’

अपर्णा ने कहा, ‘मैं चाहती हूं कि समाजवादी पार्टी के सभी बड़े नेताओं को एक साथ आना चाहिए और वैचारिक मंथन करना चाहिए कि क्या वजह रही कि लोकसभा चुनाव में पार्टी को इतनी बुरी हार का सामना करना पड़ा. इस पर बहुत जरूरी और बहुत जल्द निर्णय होना चाहिए. अभी बीजेपी की प्रचंड लहर है और लोग बीजेपी को पसंद कर रहे हैं, तो यह समाजवादी पार्टी के लिए खतरे की घंटी है.’

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