क्रिकेट के मैदान पर अक्सर अंपायरों से गलती होती रहती है, जिसका खामियाजा कभी बल्लेबाजी या कभी गेंदबाजी करने वाली टीम को भुगतना पड़ता है. कई बार ऐसा होता है कि अंपायर (Umpire) गेंदबाजों के पांव की नो बॉल तक नहीं पकड़ पाते और इस एक गलती की वजह से पूरे मैच का नतीजा बदल जाता है. हालांकि अब आईसीसी (ICC) ने इस गलती पर लगाम लगाने के लिए पूरी तैयारी कर ली है. दरअसल आईसीसी ने टीवी अंपायरों को पांव की नो बॉल पर फैसला लेने का अधिकार देने का निर्णय लिया है. हालांकि इसे अभी वनडे और टी20 क्रिकेट में ट्रायल के तौर पर लागू किया जाएगा.
आईसीसी के जनरल मैनेजर जोफ एलरडाइस ने बताया, ‘तीसरे अंपायर को आगे का पांव पड़ने के कुछ सेकेंड के बाद फुटेज दी जाएगी. वह मैदानी अंपायर को बताएगा कि नो बॉल की गई है. इसलिए गेंद को तब तक मान्य माना जाएगा जब तक अंपायर कोई अन्य फैसला नहीं लेता.’
2016 में हुआ था इसका ट्रायल
आपको बता दें इंग्लैंड और पाकिस्तान के बीच 2016 में हुई वनडे सीरीज में इसका ट्रायल किया गया था. इस ट्रायल के दौरान थर्ड अंपायर को फुटेज देने के लिए एक हॉकआई ऑपरेटर का उपयोग किया गया था. इस तकनीक को नो बॉल टेक्नोलॉजी भी कहा जाता है.
क्या है नो बॉल टेक्नोलॉजी?
नो बॉल टेक्नोलॉजी एक ऐसी तकनीक है जिसके जरिए गेंदबाज के पांव पर नजर रखी जा सकेगी. गेंदबाज जब क्रीज पर अपना पांव लैंड करेगा तो उस पर थर्ड अंपायर कैमरे से नजर रखेगा. अगर वो पांव क्रीज से आगे होगा तो थर्ड अंपायर तुरंत मैदान में खड़े अंपायर को इसकी जानकारी देगा. आमतौर पर थर्ड अंपायर डीआरएस के दौरान ही गेंदबाज के पांव पर निगाह डालता है, लेकिन नो बॉल टेक्नोलॉजी के तहत ऐसा नहीं होगा.
वैसे नो बॉल टेक्नोलॉजी काफी महंगी है. एक मैच में इसके इस्तेमाल पर हजारों डॉलर का खर्च आ सकता है, इसीलिए आईसीसी इसे लागू करने में हिचकिचा रही थी. हालांकि बीसीसीआई की मांग पर अब आईसीसी इसके ट्रायल के लिए तैयार हो गई है. जल्द ही इसे इंडिया में होने वाले मैचों में इस्तेमाल किया जाएगा.
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