कर्नाटक में सत्ता के लिए शह-मात का खेल जारी

कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी की सरकार गिरने के कगार पर है. एक के बाद एक विधायकों के इस्तीफे ने सरकार को मुश्किल में डाल दिया है. तो वहीं कई विधायकों के भाजपा के संपर्क में होने की पुष्टि हुई है. एक निर्दलीय विधायक को येदुरप्पा के पीए के साथ देखे जाने के बाद हलचल और तेज हो गई है. हालांकि कांग्रेस नेता सिद्धारमैया और जद (एस) के नेता और मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी हर कीमत पर सरकार बचाने के लिए जुट गए हैं.

एक बड़ा दाव चलते हुए कांग्रेस पार्टी के कोटे से उप मुख्यमंत्री सहित तमाम मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है. तो वहीं ताजा खबर के मुताबिक कांग्रेस के बाद जेडीएस के भी सभी मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है. माना जा रहा है कि ऐसा कर के रुठे विधायकों को वापस लाने और उन्हें मंत्रीपद देकर मनाने की कोशिश की जा रही है. दरअसल मई 2018 में सत्ता की कमान मिलने से अब तक उनका सफर बेहद चुनौतियों भरा रहा है. वर्तमान हालात यह है कि कांग्रेस के 10 और जेडीएस के 3 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं, जबकि एक निर्दलीय ने सरकार से समर्थन वापस लेते हुए बीजेपी के समर्थन का ऐलान कर दिया है. इस पूरे सियासी घटनाक्रम के बाद विधानसभा के समीकरण ऐसे हो गए हैं कि भारतीय जनता पार्टी बहुमत की स्थिति में नजर आ रही है.

इस्तीफे स्वीकार होने की स्थिति में मौजूदा समीकरण देखे जाएं तो कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन के पास 105 विधायक रह जाएंगे. जबकि बीजेपी के पास पहले से ही 105 विधायक हैं. अब कुमारस्वामी सरकार से समर्थन वापस लेने वाले निर्दलीय विधायक नागेश ने भी बीजेपी को सपोर्ट का ऐलान कर दिया है. इस तरह बीजेपी की संख्या 106 हो जाएगी, जो मौजूदा स्थिति में बहुमत का आंकड़ा है. इस तरह अगर कांग्रेस-जेडीएस विधायकों के इस्तीफे स्वीकार होते हैं तो बीजेपी सरकार बनाने की स्थिति में आ जाएगी. लेकिन सिद्धारमैया और कुमारस्वामी ने इस्तीफा देने वाले विधायकों को जिस तरह अपने पाले में लाने के लिए चाल चल दी है, उससे सरकार बचने के आसार बढ़ गए हैं.

BSP प्रमुख मायावती बोलीं, मोदी सरकार का बजट धन्नासेठों के लिए

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को लोकसभा में वित्त वर्ष 2019-20 के लिए बजट पेश किया. बसपा अध्यक्ष मायावती  ने केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह बजट बड़े पूंजीपतियों को राहत पहुंचाने वाला है. मायावती ने ट्वीट कर कहा, ‘यह बजट प्राइवेट सेक्टर को बढ़ावा देकर कुछ बड़े-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों की ही हर प्रकार से मदद करने वाला है. इससे दलितों व पिछड़ों के आरक्षण को ही नुकसान नहीं होगा, बल्कि महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, किसान व ग्रामीण समस्या और भी जटिल होगी. देश में पूंजी का विकास भी इससे संभव नहीं है.’

मायावती ने कहा, ‘भाजपा की केन्द्र सरकार द्वारा बजट को हर मामले में और हर स्तर पर लुभावना बनाने की पूरी कोशिश की गई है. लेकिन देखना है कि इनका यह बजट जमीनी हकीकत में देश की आम जनता के लिए कितना लाभदायक सिद्ध होता है. ऐसे में जबकि पूरा देश गरीबी, बेरोजगारी, बदतर शिक्षा व स्वास्थ्य सेवा से पीड़ित व परेशान है.’ आपको बता दें कि कांग्रेस ने भी बजट को ‘‘नयी बोतल में पुरानी शराब” करार देते हुए दावा किया कि इसमें कुछ भी नया नहीं है और सिर्फ पुराने वादों को दोहराया गया है. लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, ””इसमें कुछ भी नया नहीं है. पुरानी बातों को ही दोहराया गया है. यह नयी बोतल में पुरानी शराब है.” Read it also-यहां जानिए, देश के आम लोगों के लिए बजट में क्या है

सजा काट रही नलिनी श्रीहरन को मिला 30 दिनों का परोल

चेन्नै। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले में उम्र कैद की सजा काट रही नलिनी श्रीहरन को 30 दिनों को परोल दे दिया गया है. नलिनी ने अपनी बेटी की शादी करने के लिए हाई कोर्ट से छह महीने का परोल मांगने वाली याचिका दायर की थी. शुक्रवार को हाई कोर्ट ने उनकी याचिका का निस्तारण करते हुए उन्हें एक महीने का परोल ही मंजूर किया है.

नलिनी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में छह अन्य दोषियों के साथ उम्रकैद की सजा काट रही हैं. उन्होंने अपनी बेटी की शादी की तैयारियों के लिए छह महीने का परोल मांगा था. उन्होंने इस मामले में मद्रास हाई कोर्ट में एक याचिका दायर करके अपनी पैरवी खुद करने की अनुमति मांगी थी. नलिनी की इस अनुमति पर हाई कोर्ट ने कहा था कि अदालत में उपस्थित होकर अपनी याचिका की पैरवी करने के अधिकार से नलिनी श्रीहरन को वंचित नहीं किया जा सकता है.

नलिनी की दलील नलिनी पिछले 27 साल से जेल में बंद हैं. उन्होंने कहा कि उम्रकैद की सजा पाने वाले किसी भी कैदी को दो साल में एक महीने का अवकाश लेने का अधिकार है, लेकिन उसने 27 साल तक जेल में बंद रहने के बावजूद इस सुविधा का कभी लाभ नहीं लिया. उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी बेटी की शादी की तैयारियों के लिए छह महीने की छुट्टी दी जाए. जिस पर जस्‍टिस एमएम सुंदरेश और जस्‍टिस एम निर्मल कुमार ने उन्हें परोल दे दी.

नलिनी को राजीव गांधी हत्याकांड में मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बाद में तमिलनाडु सरकार ने 24 अप्रैल, 2000 को इसे उम्रकैद की सजा में बदल दिया. उसका दावा है कि मौत की सजा उम्रकैद में बदलने के बाद से 10 साल या उससे कम समय की सजा काट चुके करीब 3,700 कैदियों को राज्य सरकार रिहा कर चुकी है.

नलिनी ने अपनी अपील में कहा कि उम्रकैद की सजा काट रहे कैदियों की समय पूर्व रिहाई की 1994 की योजना के तहत समय पूर्व रिहाई के उसके अनुरोध को राज्य मंत्रिपरिषद ने मंजूरी दे दी थी और नौ सितंबर, 2018 को तमिलनाडु मंत्रिपरिषद ने राज्यपाल को उसे और मामले के छह अन्य दोषियों को रिहा करने की सलाह दी थी, लेकिन अभी तक उसका पालन नहीं हुआ है.

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राज्यसभा चुनाव: क्रॉस वोटिंग के बाद अल्पेश ठाकोर ने छोड़ी कांग्रेस

गुजरात में राज्यसभा की दो सीटों के लिए उपचुनाव हो रहा है. कांग्रेस ने व्हिप जारी किया है. इसके बावजूद कांग्रेस के दो विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है. कांग्रेस बागी विधायक अल्पेश ठाकोर और धवन झाला ने बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में वोट किए हैं. क्रॉस वोटिंग करने के बाद अल्पेश ठाकोर ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया.

इस्तीफा देने के बाद अल्पेश ठाकोर ने कहा कि मैंने राहुल गांधी पर भरोसा करके कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन की थी, लेकिन दुर्भाग्यवश उन्होंने हमारे लिए कुछ नहीं किया. पार्टी जनाधार खो चुकी है, और हमारे साथ द्रोह हुआ है. हर बार हमें बेइज्जत किया गया, इसलिए मैंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है और कांग्रेस छोड़ दी है.

वोटिंग करने के बाद अल्पेश ठाकोर ने कहा कि मैंने अंतर आत्मा की आवाज सुनकर और राष्ट्रीय नेतृत्व को ध्यान में रखकर मतदान किया है. जो पार्टी (कांग्रेस) जन अधिकार खो चुकी है और जिस पार्टी ने हमारे साथ द्रोह किया है, उसे मद्देनजर रखकर वोटिंग किया है.

गुजरात में दो राज्यसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए बीजेपी से विदेश मंत्री एस जयशंकर और ओबीसी नेता जुगलजी ठाकोर मैदान में है. जबकि कांग्रेस की ओर से चंद्रिका चुड़ासमा और गौरव पांड्या उम्मीदवार हैं. बता दें कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह गांधीनगर और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के अमेठी सीट से लोकसभा सदस्य चुने जाने की वजय से दोनों राज्यसभा सीटें रिक्त हुई है.

बता दें कि कांग्रेस के 76 में से कुल 71 विधायक बचे हैं जिनमें से 65 रिजॉर्ट में आए थे. कांग्रेस को डर था कि बीजेपी इनके विधायकों से क्रॉस वोटिंग करा सकती है. कांग्रेस की शंका वोटिंग के दौरान देखने को मिली. अल्पेश ठाकोर और उनके करीबी धवन झाला ने कांग्रेस प्रत्याशी के बजाय बीजेपी उम्मीदवारों के पक्ष में वोटिंग किया.

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एसपी के बाद अब कांग्रेस से भी नाता तोड़ेंगी मायावती!

लखनऊ। लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद समाजवादी पार्टी से गठबंधन तोड़ने के बाद अब बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) का कांग्रेस से मध्य प्रदेश और राजस्थान में चल रहा गठबंधन बहुत दिनों तक नहीं चलने वाला है. मायावती ने लखनऊ में आयोजित बीएसपी की मध्यप्र देश इकाई की बैठक में इशारों से इसके संकेत दे दिए. उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि जिस तरह की उम्मीद कांग्रेस सरकार से की थी, वह उस पर खरी नहीं उतरी है. ऐसे में अब बीएसपी आंदोलन को नया रूप देने के लिए उनके कार्यकर्ता जुट जाएं, क्योंकि कांग्रेस और बीजेपी की सरकारें एक जैसा ही काम कर रही हैं.

गुरुवार को पार्टी कार्यालय में आयोजित बीएसपी की मध्य प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में वहां की बिगड़ती कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए. उन्होंने पार्टी के नेताओं से कहा कि बीजेपी सरकार के जाने के बाद भी कांग्रेस की सरकार ने पिछड़ों, दलितों, शोषितों से लेकर बेरोजगारों के लिए कुछ नहीं किया.

मायावती ने कहा कि बीजेपी शासित राज्यों की तरह मध्य प्रदेश में भी जातिवादी और सांप्रदायिक घटनाएं लगातार हो रहीं है. उन्होंने बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय के विधायक बेटे आकाश विजयवर्गीय की खुलेआम गुंडई को शर्मनाक बताया.

बैठक में मायावती ने मध्य प्रदेश की बीएसपी इकाई में बड़े फेरबदल तक कर दिए. इसमें जोनल को-ऑर्डिनेटरों से लेकर जिलों के अध्यक्ष तक की जिम्मेदारियां बदल दी है. इस लोकसभा चुनाव में बीएसपी की मध्यप्रदेश में सभी सीटों पर जमानत तक जब्त हो गई थी. इससे पहले राजस्थान के अलवर में दलित महिला के साथ हुए गैंगरेप के बाद मायावती ने कांग्रेस को घेरा था.

शनिवार को बीएसपी की लखनऊ मंडल की समीक्षा बैठक होगी. बैठक में लोकसभा चुनावों के नतीजों पर चर्चा होगी. सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में लखनऊ मंडल के कई बड़े पदाधिकारियों को हटाया जा सकता है.

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एक पलंग, 4 लाशें, मौत का तरीका देखकर लोग कांप उठे

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नशे की लत का श‍िकार एक शख्स का नशा मुक्त‍ि केंद्र में इलाज चल रहा था, जहां उसकी पत्नी भी जॉब करती थी. काफी समय से बेरोजगार उस शख्स ने दो द‍िन पहले ही प्राइवेट जॉब पर जाना शुरू क‍िया था लेक‍िन शुक्रवार को उस शख्स ने पूरे पर‍िवार को क्रूर तरीके से मौत दे दी. पत्नी के स‍िर पर हथौड़ा मारा, तीन मासूम बच्चों के मुंह पर काला टेप बांधकर उनका गला घोंट द‍िया और खुद के भी मुंह पर टेप बांधकर मौत को गले लगा ल‍िया. द‍िल दहलाने वाली यह घटना द‍िल्ली-एनसीआर के गाज‍ियाबाद में घटी.

गाजियाबाद के थाना मसूरी इलाके के न्यू शताब्दीपुरम कॉलोनी में शुक्रवार की सुबह उस वक्त अफरातफरी का माहौल हो गया जब लोगों ने एक शख्स द्वारा अपने तीन बच्चों और पत्नी समेत आत्महत्या करने की खबर सुनी. जैसे ही इस खबर को लोगों ने सुना तो लोगों का भीड़ मौके पर पहुंच गई और इसकी सूचना आनन-फानन में स्थानीय पुलिस को दी गई.

सूचना के आधार पर मौके पर पहुंची पुलिस ने कमरे के अंदर से बंद दरवाजे को मुश्किल से तोड़ा तो पुलिसकर्मियों के भी होश उड़ गए क्योंकि बेड के पास पत्नी लहूलुहान हालत में तड़प रही थी और पति और उनके तीन बच्चे मृत अवस्था मे पड़े हुए थे. आनन-फानन में पुलिस ने तड़प रही महिला को अस्पताल पहुंचाया और उसके पति व तीनो बच्चों के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया. बाद में पत्नी की भी मौत हो गई.

मिली जानकारी के अनुसार, 42 साल के प्रदीप कुमार नाम का शख्स अपने माता-पिता, बहन, पत्नी एवं तीन बच्चों के साथ थाना मसूरी इलाके की न्यू शताब्दीपुरम कॉलोनी में पिछले काफी समय से रह रहा था. प्रदीप और उनकी पत्नी एवं तीनों बच्चे अपने कमरे में सोए हुए थे. शुक्रवार की सुबह जब उनके कमरे का दरवाजा नहीं खुला और कोई हलचल नहीं दिखाई दी तो घर में मौजूद अन्य लोगों ने उनका दरवाजा खटखटाया लेकिन बाद भी उन्हें अंदर से कोई जवाब नहीं मिला तो परिवार वालों को शक हुआ.

उन्होंने खिड़की से अंदर देखा तो बिस्तर पर प्रदीप और उसके तीनों बच्चे 8 साल की मनस्वी, 5 साल की यशस्वी और 3 साल के ओजस्वी के शव पड़े थे. प्रदीप और तीनों बच्चों के मुंह पर करीब 4 इंच चौड़ा काले रंग का टेप बुरी तरह लिपटा हुआ था जबकि 40 वर्षीय पत्नी संगीता बिस्तर से नीचे लहूलुहान हालत में पड़ी हुई थी. उसके स‍िर में गंभीर चोट थी और वह तड़प रही थी. पास में ही खून से सना एक हथौड़ा पड़ा हुआ था. वह पूरी तरह बेहोशी की हालत में पड़ी हुई थी. पुलिस ने आनन-फानन में संगीता को अस्पताल पहुंचाया जहां उसकी मौत हो गई.

पुलिस द्वारा की गई शुरुआती जांच में ऐसा लगता है कि प्रदीप ने पहले अपनी पत्नी के सि‍र में हथौड़े से वार किए उसके बाद तीनों बच्चों के मुंह पर टेप लगाकर उनकी हत्या की है. उसके बाद खुद ने भी अपने मुंह पर टेप लपेट कर आत्महत्या कर ली है क्योंकि जिस कमरे में यह पूरा परिवार था उस कमरे का अंदर की तरफ से दरवाजा बंद था. पुलिस के द्वारा ही दरवाजे को कड़ी मशक्कत के बाद तोड़ा गया.

बताया जा रहा है कि प्रदीप निजी कंपनी में जॉब किया करता था और इस मकान में उनके माता-पिता एक बहन और इनकी पत्नी एवं तीन बच्चे रहते थे. माता-पिता और बहन घर के दूसरे कमरे में थे. उनका भी कहना है कि उन्होंने किसी तरह की कोई चीख पुकार नहीं सुनी. सुबह जब रोजाना की तरह उनका दरवाजा नहीं खुला तो उन्हें खिड़की के माध्यम से देखा गया तो इसकी सूचना स्थानीय पुलिस को दी गई और पुलिस ने ही दरवाजा तोड़कर सभी को बाहर निकाला है.

पुल‍िस का कहना है क‍ि मौके से सुसाइड नोट मिला जिसकी हम जांच कर रहे हैं. सुसाइड नोट में शक की बात की गई है और पार‍िवार‍िक क्लेश का मामला सामने आ रहा है. पड़ोसियों ने बताया कि प्रदीप शराब भी पीता था जिसको लेकर झगड़ा होता था. दो दिन पहले प्रदीप ने प्राइवेट जॉब पर जाना शुरू क‍िया था. पत्नी नशा मुक्त‍ि केंद्र में जॉब करती थी जहां उसके पत‍ि का इलाज भी चल रहा था.

उधर, घटना की जानकारी मिलते ही गाजियाबाद के एसएसपी भी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया. फिलहाल, पुलिस अभी पूरे मामले की जांच में जुटी है कि आखिरकार प्रदीप ने ऐसा कदम किस लिए उठाया है. सुसाइड नोट में ल‍िखी बातों का भी परीक्षण किया जा रहा है.

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दलितों के हितैषी तो सभी बनते हैं लेकिन सैप्टिक टैंकों में हो रही मौतें कोई नहीं रोक पा रहा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुंभ के मेले में सफाई करने वाले पांच कर्मचारियों के पैर धोए थे. प्रधानमंत्री यह दिखाने का प्रयास कर रहे थे कि यह कार्य इतना महत्वपूर्ण है, इसमें कार्यरत श्रमिक भी उतने ही महत्वपूर्ण है, इसलिए ऐसे देश सेवकों का सम्मान किया जाना चाहिए. प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चलाए गए देश स्वच्छता अभियान में इन सफाईकर्मियों का सर्वाधिक योगदान रहा है. सवाल यह है कि जब सफाई श्रमिकों का काम इतना महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री तक ने उनके चरण धोकर उनकी सराहना की है, तब सैप्टिक टैंक में श्रमिकों के मरने की घटनाएं रूक क्यों नहीं रही हैं. गुजरात में जून के दूसरे सप्ताह में सैप्टिक टैंक में गैस से दम घुटने से सात सफाई श्रमिकों की मौत हो गई. इस घटना को पन्द्रह दिन ही बीते कि रोहतक में चार श्रमिकों की सैप्टिक टैंक में मौत हो गई.

फिर आखिर ऐसे कौन-से हालात हैं कि गैरकानूनी घोषित होने के बाद भी श्रमिक सैप्टिक टैंक में सफाई के दौरान जान गंवा रहे हैं. इस कानून की हालत भी दूसरे ऐसे ही कानूनों की तरह कागज काले करने जैसी हो गई है. इस कानून को बनाते समय नीति नियंताओं ने यह ध्यान नहीं रखा कि आखिर कानून से पाबंदी लगा दी गई तो इस तरह के जोखिम भरे काम में लगे श्रमिकों के सामने आजीविका चलाने का संकट खड़ा हो जाएगा. कानून में रोजगार के इंतजाम का वैकल्पिक उपाय नहीं किया गया. इस कानून के साथ रोजगार की गारंटी भी दी जानी चाहिए थी. केवल कानून बनाने से समस्या का समाधान ढूंढ़ने की नेताओं की आदत हो गई है. उसके व्यवहारिक पक्षों और प्रभावों पर किसी का ध्यान नहीं जाता. दरअसल कानून बनाना आसान है और रोजगार का इंतजाम करना मुश्किल है. सफाई कमचारी आंदोलन का कहना है कि पिछले एक दशक में करीब 1800 सफाईकर्मियों की सैप्टिक टैंकों में सफाई के दौरान मौत हो चुकी है. इन मौतों से भी सरकारों की कुभंकर्णी नींद नहीं टूटी. दरअसल ये मौतें वोट बैंक बनाने में महत्वपूर्ण साबित नहीं हुईं. अलग−अलग समय पर हुई इन मौतों को चुनावों में भुनाया नहीं जा सका. ऐसे कामों से होने वाली मौतों को रोकने के लिए सिर्फ कानून बनाकर सरकारों ने अपने दायित्वों से पल्ला झाड़ लिया. यही वजह है कि कानून बनाने के बावजूद दुर्घटना होने पर आरोपी को सजा तो मिल सकती है किन्तु ऐसी घटनाओं की पुनरावृति नहीं हो, इसके उपायों को दरकिनार कर दिया गया. सफाई श्रमिकों को इससे फर्क नहीं पड़ता कि उनका काम सामाजिक दृष्टि से हेय होने के साथ ही खतरनाक भी है. ऐसे काम का जोखिम वे अपने परिवार पालने के लिए उठाते हैं. चुनिंदा शहरों को छोड़ भी दें तो कस्बों और गांवों में सैप्टिक टैंक खाली कराने के वाहन उपलब्ध नहीं हैं. ऐसे में इस काम को कराने के लिए सफाई श्रमिकों को ही बुलाया जाता है. यह श्रमिकों की किस्मत ही है कि इस काम को करने के बाद भी वे सही सलमात बच निकलते हैं.

आश्चर्य तो यह है कि आजादी के बाद से देश के हर क्षेत्र की सूरत−सीरत बदली है. नहीं बदला है तो सिर्फ दलित बस्तियों और श्रमिकों का सैप्टिक टैंक की सफाई का काम. देश के लगभग सभी हिस्सों में सार्वजनिक और निजी सफाई के कामों के लिए आज भी दलित वर्ग अभिशप्त है. केन्द्र और राज्यों में किसी भी दल की सरकार रही हो, राजनीतिक दल सिर्फ सत्ता हासिल करने के लिए इनके आरक्षण और संरक्षण की दुहाई देते हैं, इनकी दुश्वारियों से किसी को सरोकार नहीं हैं. अस्पृश्यता का कानून बना दिए जाने के बावजूद गांवों में दलित बस्तियों की हालत बेहद शोचनीय बनी हुई है. गांवों में मुख्य आबादी से दूर कोने में ऐसी दलित बस्तियां देखी जा सकती हैं. उनमें बिजली−पानी का इंतजाम भी रामभरोसे है. सार्वजनिक बोरिंग और नलों से दलित अभी भी आसानी से पानी नहीं भर सकते.

कानून से बेशक उनको संरक्षण मिल गया हो, किन्तु इसका क्रियान्वयन और जागरूकता पूरी तरह आज तक नहीं हो पाई. हरिजन और दलितों को आरक्षण का भी नाममात्र का फायदा मिल सका है. जातिगत आधार पर सामाजिक विषमता के कारण निजी क्षेत्र में भी अपवादों को छोड़कर दलितों के लिए रोजगार के दरवाजे बंद हैं. नाम के पीछे जाति आते ही उन्हें टरका दिया जाता है. निजी क्षेत्र में उन्हें ज्यादातर सफाई जैसा कार्य ही नसीब होता है. ऐसी हालत में जब सरकारी रोजगार नाममात्र का हो और निजी क्षेत्र में भेदभाव हो, तब दलितों के पास सैप्टिक टैंक की सफाई जैसे कार्य की मजबूरी के अलावा कुछ नहीं बचता. जातिगत आधार पर रोजगार और काम के लिहाज से दलित वर्ग नगर निगमों, परिषदों और नगर पालिकाओं में सफाई के कामों से ही जुड़े हुए हैं. सरकारों ने कभी इस वर्जना को तोड़ने का प्रयास ही नहीं किया कि आखिर दलित ही क्यों सार्वजनिक सफाई के कामों में लगे. यदि दूसरी जातियों के आगे नहीं आने और मशीनों की कमी से सफाई कार्य संभव नहीं है तो दलित ही इन कामों को अंजाम क्यों दें. शहरों में दलितों के हालात बेशक कुछ बेहतर हो सकते हैं किन्तु गांवों में अभी नारकीय हालात बने हुए हैं. पशुपालन के जरिए आमदनी करने के नाम पर दलितों के हिस्से में सुअर ही आते हैं. गाय, बकरी, भैंस जैसे दुधारू जानवर पालना इनके बूते से बाहर है. सरकारों ने कभी इस दिशा में भी गंभीरता से प्रयास नहीं किए कि दलित केवल सुअरों के आधार पर आजीविका तक सीमित नहीं रहें. इस वर्ग का आर्थिक आधार ऊंचा उठाने के लिए दूसरे दुधारू जानवारों को पालने के लिए प्रोत्साहित किया जाए. इसके लिए इन्हें ऋण−अनुदान दिया जाए. दलितों के सफाई कामों से जुड़े होने और सैप्टिक टैंक में होने वाले हादसों तब ही रूकेंगे जब पहले सरकारें पहले अपनी मानसिकता बदलें. जब तक सरकारों का नजरिया नहीं बदलेगा तब तक दलितों की दयनीय हालत भी नहीं बदलेगी. साभार- प्रभा साक्षी

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यहां जानिए, देश के आम लोगों के लिए बजट में क्या है

अपनी टीम के साथ बजट पेश करने जाती वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
देश का मीडिल क्लास सबसे पहले यह जानना चाहता है कि सलाना कमाई के टैक्स में उसको कोई छूट मिली है या नहीं. तो इस बार ऐसा नहीं हुआ है. बजट की बात करें इस बार बजट में बहुत कुछ खास दिखाई नहीं दे रहा है. पेट्रोल-डीजल में महंगाई की मार झेल रहे मीडिल क्लास के लिए सरकार ने इसके सेस मूल्य में बढ़ोतरी कर एक और झटका दे दिया है. टैक्स
  • सरकार ने इनकम टैक्स में कोई राहत नहीं दी है. पहले ही की तरह 5 लाख तक आय पर कोई टैक्स नहीं.
महंगाई
  • जब विश्व भर में पेट्रोल और डीज़ल के दाम गिर रहे हैं, तो उसका फ़ायदा आम आदमी तक पहुंचाने के बजाय सरकार 1 रुपये प्रति लीटर की उत्पाद शुल्क (excise duty) और उपकार (cess) लगाने जा रही है. यह निंदनीय कदम एक आम और गरीब इंसान के पेट पर लात मारने के बराबर है.
  • सोना और इसी तरह की कीमती धातुओं पर ड्यूटी 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी करने का प्रस्ताव. यह आम लोगों को झटका. क्योंकि सोना आम घरों में खरीदा-पहना जाता है.
  • सीसीटीवी और ऑटो पार्ट्स भी महंगे.
अपनी टीम के साथ बजट पेश करने जाती वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
राहत
  • घर खरीदने पर 3.5 लाख तक ब्याज पर आयकर छूट मिलेगी. 45 लाख तक का मकान लेने पर 1.5 लाख की अतिरिक्त छूट मिलेगी.
  • कुछ इलेक्ट्रॉनिक सामानों पर ड्यूटी खत्म, लिस्ट की सूची उपलब्ध नहीं.
  • इलेक्ट्रॉनिक वाहनों पर ड्यूटी में छूट.
शिक्षा सुधार
  • देश के टॉप शिक्षण संस्थानों को वर्ल्ड क्लास इंस्टीट्यूशंस बनाने के लिए 400 करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा.
  • रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बनाने की घोषणा.
गांव के लिए
  • गांव के सड़कों पर 80 हजार करोड़ का निवेश होगा
  • गांव में हर घर तक पानी पहुंचाने की घोषणा
  • आवासों में बिजली, शौचालय औऱ गैस कनेक्शन के साथ
किसानों के लिए
  • किसानों के दस हजार उत्पादक संघ बनाने की घोषणा
  • दो करोड़ किसानों को डिजिटल शिक्षा की घोषणा
  • कृषि इंफ्रा में निजी निवेश बढ़ाने की घोषणा
आपके मतलब की कुछ आम जानकारियां
  • अब आधार कार्ड से भी इंकम टैक्स भरा जा सकेगा। इसके लिए पैन जरूरी नहीं रहेगा।
  • जलशक्ति मंत्रालय का गठन किया गया. सरकार का लक्ष्य 2024 तक हर घर तक जल पहुंचाना है.
  • छोटे उद्योगों को टैक्स में छूट का प्रावधान किया जा सकता है.
ऑटो सेक्टर
  • इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए इन गाड़ियों की खरीद पर छूट दी जाएगी. इलेक्ट्रिक कार पर 4% टैक्स लगेगा.
  • लोगों की सुविधा के लिए देशभर में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग प्वाइंट बनाए जाएंगे
NRI को तोहफा
  • विदेश में बसे भारतीयों के लिए बड़ा ऐलान, भारत आते ही आधार कार्ड देंगे.
  • NRI के लिए 180 दिन भारत में रहने की बाध्यता खत्म की जाएगी.
रेल और सड़क
  • 80,250 करोड़ रुपए से अगले पांच सालों में सवा लाख किलोमीटर सड़क का निर्माण किया जाएगा.
  • 50 लाख करोड़ रुपए से रेलवे का आधुनिकीकरण किया जाएगा.

कुलभूषण जाधव मामले में 17 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय अदालत सुनाएगी फैसला

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पाकिस्तानी जेल में जासूसी के आरोप में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में अंतरराष्ट्रीय अदालत (आईसीजे) 17 जुलाई को अपना फैसला सुनाएगी. समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण कुलभूषण जाधव मामले में 17 जुलाई को अपना फैसला सुनाएगा. बता दें कि कुलभूषण जाधव पाकिस्तान की हिरासत में हैं और उन्हें मौत की सज़ा सुनाई गई है.

आईसीजे यानी संयुक्त राष्ट्र की अदालत ने गुरुवार को घोषणा की कि दोपहर 3 बजे द हेग स्थित पीस पैलेस में एक पब्लिक सिटिंग होगी. जिस दौरान न्यायालय के अध्यक्ष न्यायाधीश अब्दुलकवी अहमद यूसुफ अदालत के फैसले को पढ़ेंगे.

भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी और आतंकवाद के आरोप में अप्रैल 2017 में मौत की सज़ा सुनाई थी. इसके बाद भारत ने जाधव तक राजनयिक पहुंच नहीं देने को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ मई 2017 में आईसीजे का रूख किया था.

भारत ने 48 वर्षीय जाधव के खिलाफ पाकिस्तान की सैन्य अदालत के’हास्यपद मुकदमे को भी चुनौती दी थी. आईसीजे ने 18 मई 2017 को पाकिस्तान को मामले का निर्णय आने तक जाधव की मौत की सज़ा की तामील पर भी रोक लगा दी थी.

अंतरराष्ट्रीय अदालत ने फरवरी में चार दिन की सुनवाई की थी जिसमें भारत और पाकिस्तान दोनों ने अपनी अपनी दलीलें रखी थी. भारत ने आईसीजे से जाधव की मौत की सज़ा को रद्द करने तथा उनकी तुरंत रिहाई का आदेश देने का अनुरोध किया है और कहा है कि पाकिस्तानी सैन्य अदालत का फैसला ‘हास्यपद मामलेपर आधारित है और वाजिब प्रक्रिया के न्यूनतम मानकों तक को संतुष्ट नहीं कर पाता है.

भारत ने कहा कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया था जहां उनके कारोबारी हित हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने सवाल करने पर बताया कि आईसीजे इस महीने फैसला सुनाएगा.

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ट्यूनीशिया में प्रवासियों से भरी नाव पलटी, 80 लोगों के मारे जाने की आशंका

जिनेवा। ट्यूनीशिया के समुद्री इलाके में बुधवार देर रात प्रवासियों से भरी नाव पलटने से 80 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की आशंका है. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर) ने हादसे में बचे हुए लोगों के हवाले से गुरुवार को यह जानकारी दी. यूएनएचसीआर के मुताबिक, हादसे के बाद स्थानीय मछुआरों ने चार लोगों को बचाया भी था, जिनमें से एक की बाद में मौत हो गई.

यूएनएचसीआर के अधिकारियों ने बताया कि प्रवासियों से भरी दुर्घटनाग्रस्त नाव भूमध्य सागर पार कर इटली की और जा रही थी. हादसे में बचे हुए तीन में दो को शेल्टर होम में रखा गया. उनसे इस मामले में पूछताछ की जा रही है. जबकि एक का अस्पताल में इलाज चल रहा है.

भूमध्यसागर के लिए यूएनएचसीआर के विशेष राजदूत विन्सेंट कोचटेल ने बताया कि यहां से बड़ी संख्या में लोग नाव में सवार होकर पलायन कर रहे हैं. वे अपने परिवार के साथ जान जोखिम में डाल रहे हैं. हमें जरूरत है कि हम लोगों को जरूरी विकल्प उपलब्ध कराएं, ताकि यह सब रोका जा सके.

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बड़े हिट की ओर आर्टिकल 15, पहले सात दिन में हुई इतनी कमाई

नई दिल्ली। अनुभव सिन्हा के निर्देशन में बनी आर्टिकल 15 ने पहले हफ्ते में शानदार बिजनेस किया है. कम स्क्रीन्स के बावजूद फिल्म के कंटेंट को लेकर लगातार हो रही चर्चा की वजह से सामान्य बजट की फिल्म ने अपने पहले सात दिन में बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई की है.

ट्रेड रिपोर्ट्स के अनुमानों की मानें तो फिल्म बने सातवें दिन यानी शुक्रवार को करीब 3 करोड़ रुपये की कमाई की है. आयुष्मान खुराना स्टारर फिल्म ने पहले दिन 5.02 करोड़ का बिजनेस किया था. फिल्म वीकेंड में ही निर्माण लागत वसूलने में कामयाब हो गई थी. आर्टिकल 15 आयुष्मान के करियर की लगातार पांचवीं हिट फिल्म है.

ट्रेड एनालिस्ट तरन आदर्श के मुताबिक़ आर्टिकल 15 ने पहले दिन यानी शुक्रवार को 5.02 करोड़, शनिवार को 7.25 करोड़, रविवार को 7.77 करोड़, सोमवार को 3.97 करोड़, मंगलवार को 3.67 करोड़ और बुधवार को 3.48 करोड़ कमाए थे. गुरुवार की अनुमानित कमाई को जोड़ लें तो आर्टिकल 15 ने अब तक करीब 34.16 करोड़ की कमाई कर ली है.

आर्टिकल 15 न सिर्फ भारत बल्कि ओवरसीज में भी अच्छा बिजनेस कर रही है. एक इंटरव्यू में अनुभव सिन्हा ने बताया कि बॉक्स ऑफिस पर फिल्म अच्छा कर रही है. ओवरसीज में भी अच्छे कलेक्शन की जानकारी मिली है. फिल्म लोगों को पसंद आ रही है.

आर्टिकल 15 में पहली बार आयुष्मान खुराना ने एक आईपीएस अफसर का रोल किया है. आयुष्मान फिल्म में दलित लड़कियों के उत्पीड़न की गुत्थी सुलझा रहे हैं. फिल्म में दिखाया गया है कि समाज किस हद तक जातीय भेदभाव व्याप्त है.

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निर्मला सीतारमण ने किया कुछ ऐसा कि बदल गई बजट की परंपरा

नई दिल्ली। पुरानी परंपरा को बदलते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार बजट दस्तावेज को ब्रीफकेस में रखने के बजाए एक लाल रंग के कपड़े में रखा है जिस पर ‘अशोक चिन्ह’ बना हुआ है. इस पर मुख्य आर्थिक सलाहकार के. सुब्रमण्यन का कहना है कि वित्त मंत्री ने लाल रंग के कपड़े में बजट दस्तावेज को रखा है. यह एक भारतीय परंपरा है. यह पश्चिमी विचारों की गुलामी से निकलने का प्रतीक है. यह बजट नहीं है, ‘बही खाता’ है. गौरतलब है कि 11 बजे निर्मला सीतारमण बजट पेश करने जा रही हैं. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह पहला बजट है और इस बजट से जनता को काफी उम्मीदें हैं. लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को प्रचंड बहुमत मिला है तो इसमें सबसे बड़ा हाथ कल्याणकारी योजनाओं का भी रहा है. लेकिन इन योजनाओं के लिए पैसा काफी कम है और उम्मीद है कि इसमें फंड बढ़ाने की घोषणा होगी. लेकिन आर्थिक हालात और राजकोषीय घाटा कम करने का भी लक्ष्य रखा है, इसको देखते हुए सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती होगी.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करने से पहले शुक्रवार को शेयर बाजार की मजबूत शुरुआत हुई। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स सुबह 82.34 अंकों की तेजी के साथ 39,990.40 पर जबकि निफ्टी 18 अंकों की मजबूती के साथ 11,964.75 पर खुला। शुरुआती कारोबार में बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 9.47 बजे 95.83 अंकों की मजबूती के साथ 40,003.89 पर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी भी लगभग इसी समय 25.40 अंकों की बढ़त के साथ 11,972.15 पर कारोबार करते देखे गए.

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गुजरात में राज्यसभा की दो सीटों पर उपचुनाव के लिए आमने-सामने भाजपा और कांग्रेस

नई दिल्ली। गुजरात में राज्यसभा की दो सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान शुक्रवार को गांधीनगर स्थित विधानसभा भवन में शुरू हो गया. सबसे पहले मतदान करने वालों में राज्य के मंत्री सौरभ पटेल, प्रदीपसिंह जडेजा और भाजपा विधायक अरुणसिंह राणा शामिल रहे. भाजपा ने जहां विदेश मंत्री एस. जयशंकर और ओबीसी नेता जुगलजी ठाकोर को मैदान में उतारा है वहीं कांग्रेस ने चंद्रिका चूड़ासमा और गौरव पांडा को उम्मीदवार बनाया है. दो सीटों पर सुबह नौ बजे मतदान शुरू हुआ और यह शाम चार बजे तक चलेगा. मतों की गिनती शाम पांच बजे की जाएगी.

दोनों सीटों के लिए अलग-अलग मतदान होने के कारण एक प्रत्याशी को जीतने के लिए सामान्य तौर पर 50 प्रतिशत मतों की जरूरत होगी. वर्तमान स्थिति में प्रत्येक प्रत्याशी को जीतने के लिए 88 मतों की जरूरत होगी. कांग्रेस अपने 71 विधायकों में से 65 को दो दिन पहले बनासकांठा स्थित रिसॉर्ट में ले गयी थी. पार्टी के एक नेता ने कहा कि ये विधायक सुबह 10.30 बजे मतदान के लिए यहां पहुंचेंगे.

इस साल मई में गांधीनगर और अमेठी निर्वाचन क्षेत्रों से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद केंद्रीय मंत्रियों अमित शाह और स्मृति ईरानी के इस्तीफा देने के कारण गुजरात से राज्यसभा की दो सीटों के लिए उपचुनाव कराए जाने की जरूरत पड़ी है. 182 सदस्यीय विधानसभा में अपनी संख्या बल के कारण भाजपा दोनों सीटों पर जीतने में सक्षम है. चुनाव आयोग (ईसी) की अधिसूचना के अनुसार यहां अलग-अलग मतदान हो रहा है. कुल 182 विधायकों में से इस बार 175 अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए योग्य हैं. भाजपा के पास 100 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के पास 71 विधायक हैं.

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राहुल गांधी, आपकी लडाई मोदी से नहीं, खुद से है

आपने इस्तीफा दे दिया. अच्छा किया. पीएम बनने के लिए प्रेसीडॆंट के पोस्ट पर रहना कहां जरूरी होता है. अब, आप क्या करेंगे? आपने कहा, 10 गुना ताकत से अब मोदी से लड सकेंगे. यही गलती आप बार-बार कर रहे है. आपका मुकाबला मोदी से नहीं है. आपका मुकाबला शाह से भी नहीं है. आपका मुकाबला भाजपा से भी नहीं है. भाजपा तो कांग्रेस हो चुकी है. अब कांग्रेस क्या कांग्रेस से लडेगी?

आपका मुकाबला है खुद से. आपका मुकाबला है पर्सेप्शन से. आपका मुकाबला है आरएसएस के संगठन से. तो आपको क्या करना चाहिए? क्योंकि, आप अपने सेवा दल या एनएसयूआई के मौजूदा ताकत के जरिए कभी इनसे लड नहीं पाएंगे. फिर रास्ता क्या बचता है?

एक ही रास्ता है.

सबसे पहले तो ये शपथ लीजिए कि अगले 5 साल तक, बिना चुनाव का इंतजार किए, मैं पूरा भारत घूमूंगा. अब ये भी सवल उठेगा कि कहां जाए, कहां से शुरु करे? तो आप शुरु से शुरु करें. जहां मन हो, वहां से शुरु करे. अमेठी से करे या वायनाड से करे, लेकिन करें. बिना वोट पाने और संगठन मजबूत बनाने के लालच के यह यात्रा शुरु करें.

वैसे मेरी सलाह है कि आप अभी अपनी अखिल भारतीय यात्रा का शुभारंभ मुजफ्फरपुर से कर सकते है. 250 बच्चे की मौत हो चुकी है और आपनी हार के गम से अब तक नहीं उबर सके है. जाइए, जा कर उन बच्चों के माता-पिता से मिलिए. उन्हें सांत्वना दीजिए. इसके बाद, आप किसी भी राज्य के हेड पोस्ट ऑफिस में पहुंच जाइए, जहां पोस्टल बैंकिंग की सुविधा है. महीने की पहली तारीख को जाना बेहतर रहेगा. वहां आपको गांव की कई गरीब और शिक्षित-अशिक्षित-अर्द्धशिक्षित महिलाएं/पुरुष मिल जाएंगे जो इस आशा में अपने पोस्टल बैंकिंग खाते के साथ आते है, कि उनके खाते में दिल्ली से पैसा आने वाला है. उनसे मिलिए. उन्हें सच बताइए.

आप पंजाब जाते है तो कैप्टन साहब की आवास के बजाए उस जिले में जाइए, जहां कैंसर ट्रेन चलती है. उस जिले में जाइए, जहां रिवर्स बोरिंग ने पूरे शहर को कैंसर के दोजख में तब्दील कर दिया है. यूपी के सोनभद्र/मिर्जापुर जाइए. वहां देखिए कि देश कापावर बैंक माने जाने वाला इलाका कैसे पीनेके साफ पानी को तरस रहा है और फ्लोराइड वाला पानी पी कर असमय बूढा/बीमार हो रहा है.

आपको छत्तीसगढ जाना चाहिए. सरगुजा जिला. जैसा मैंने कहा कि कांग्रेस भाजपा और भाजप अकांग्रेस हो चुकी है. इसका शानदार मुजायरा देखने को वहां मिलेगा. सरगुजा में जा कर अपने सीएम को बुलाइए और पूछिए कि जब आदिवासी और स्थानीय लोग नहीं चाहते है तब भी क्यों अडानी को आपकी सरकार वहीं सारी सुविधाएं दे रही है जो रमन सिंह की सरकार ने दी थी? पता कीजिए वहां कि क्यों लाखों पेड कटने वाले है, जिससे एक भरापूरा एलीफैंट रिजर्व उज़ड जाएगा.

आप महाराष्ट्र जाइए. एक बार कलावती से आप मिले थे. आज सुना है सैकडों “कलावती” womb-less women बन चुकी है. पता है, क्यों? क्योंकि गन्ना कटाई कराने वाले ठेकेदार ऐसी महिला मजदूर नहीं चाहते जिनका मासिक धर्म होता हो. जा कर पता कीजिए ऐसी हजारों कलावती का जीवन आज किस स्थिति में है. आप फिर से एमपी जाइए, मिलिए उन युवाओं से जिनसे आपने वादा किया था कि मोबाइल बनाने की फैक्ट्री एमपी में लगाएंगे. क्या वादे पूरे हुए, उन पर कितना काम हुआ? आपके सीएम कमलनाथ कर क्या रहे है?

कुल मिला कर ये कि किसी विद्वान ने कहा था, भारत की हर गली में 10 खबर है, और अगर कोई खबर नहीं है तो यह अपने आप में बडी खबर है. जाइए. जा कर गुजारिए भारत की गांवों में अपनी रातें. दीजिए चुनौती उस पर्सेप्शन को जिसमें कहा जाता है कि आप गांवों में पॉलिटिकल टूरिज्म करते है. तोडिए इस पर्सेप्शन को.

एक अंतिम बात. आपके एक सलाहकार ने मेरे एक मित्र से कहा था कि भला किताब से भी कहीं चुनाव जीता जाता है. अब चुनाव कैसे जीता जा सकता है, इसकेलिए कोई लिखित नियम होता तो आप कब के चुनाव जीत कर पीएम बन गए होते. इसलिए, एक मुफ्त की सलाह है.

ये मत कहिएगा कि पानी पर भी कहीं चुनाव जीता जाता है. तो ऐसा है कि मल के बाद जल, मोदी जी ने इस बात को समझ लिया है. शौचालय बना-बना कर वे घर-घर तक पहुंच गए थे और इस बर जल के नाम पर फिर एक बार घर-घर पहुंचने की तैयारी में है. संकेत समझिए. पानी के असल मुद्दों को उठाइए. कम से कम यहे एबोल कर पर्सेप्शन को चुनौती दे दीजिए कि आज से मैं बोतलबन्द पान्दे पीना बन्द कर रहा हूं. देखिए, क्या बदलाव आता है?

कम ही लिखा है, ज्यादा समझिएगा. बाकी, आपके पास दर्जनों हवार्ड्धारी तो हइये है. शशि शेखर

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अन्य पिछड़ा वर्ग में से अलग आरक्षण कोटा ही है लाभप्रद और संवैधानिक समाधान

इधर कई दिनों से अखबार की सुर्खियों में खबर बन रही है कि प्रदेश सरकार ने उ0 प्र0 की कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिन्द, भर, राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोडिया, मांझी, मछुआ को अनुसूचित जाति की सूची में सम्मिलित कर लिया है और इस सम्बंध में जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए मण्डलायुक्तों और जिलाधिकारियों को कहा गया है. यह आरएसएस और भाजपा के चरित्र के अनुरूप ही अति पिछड़े समाज के साथ की गयी बड़ी धोखाधड़ी का ही एक और उदाहरण है.

24 जून 2019 को प्रमुख सचिव समाज कल्याण द्वारा जारी किए गए शासनादेश को आप गौर से देखें, शासनादेश कहता है कि ‘नियमानुसार जाति प्रमाण पत्र निर्गत किए जाने हेतु आवश्यक कार्यवाही की जाए‘. शासनादेश में कहीं भी इन जातियों को सीधे तौर पर अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र जारी करने के लिए नहीं कहा गया है. शासनादेश में सब कुछ हाईकोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका 2129/2017 डा0 बी0 आर0 अम्बेडकर ग्रन्थालय एवं जन कल्याण बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य में करीब दो साल पहले 29 मार्च 2017 अंतरिम आदेश के सम्बंध में है. यह याचिका सपा सरकार द्वारा 2016 में इन जातियों को एससी की सूची में डालने के शासनादेश के विरूद्ध दाखिल की गयी थी. जिसमें हाईकोर्ट ने शासनादेश के विरूद्ध स्थगनादेश दिया हुआ है.

29 मार्च के इस आदेश में भी हाईकोर्ट इन जातियों को अनुसूचित जाति का जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए नहीं कहता है. आदेश में हाईकोर्ट ने कहा है कि इस अवधि में यदि इनमें से किसी जाति को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी हो गया था तो वह कोर्ट के अंतिम आदेश के अतंर्गत रहेगा. महज उपचुनाव में राजनीतिक लाभ के लिए दो साल पूर्व आए हाईकोर्ट के आदेश को आधार बनाकर किए इस शासनादेश से आरएसएस-भाजपा सरकार द्वारा इन अति पिछड़ी जातियों को अधर में लटका दिया गया है न तो यह अनुसूचित जाति में संवैधानिक रूप से जा पायेगी और न ही इनको मिल रहा अन्य पिछड़ा वर्ग का लाभ ही इन्हें मिल पायेगा.

दरअसल उ0 प्र0 में इन सत्रह जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने के नाम पर भ्रमित करने का खेल पिछले करीब पंद्रह वर्षो से चल रहा है. सबसे पहले मुलायम सरकार में यह शासनादेश जारी किया गया जिसे हाईकोर्ट ने इस आधार पर रद्द किया था कि संविधान की धारा 341 के तहत अनुसूचित जाति की सूची में किसी जाति को जोड़ने व हटाने का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं है. इसके बाद बनी मायावती सरकार ने इन जातियों को एससी की सूची में शामिल करने के लिए केन्द्र सरकार को अपनी संस्तुति भेजी और यहीं काम अखिलेश सरकार ने भी किया. जिस पर आरएसएस की मोदी सरकार के सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय के सचिव सुधीर भार्गव ने दिनांक 24 दिसम्बर 2014 को उ0 प्र0 के मुख्य सचिव आलोक रंजन को लिखे पत्र में कहा कि गृह मंत्रालय के अधीन भारत के महारजिस्ट्रार ने राज्य सरकार के प्रस्ताव पर असहमति व्यक्त की है और इसे पुर्नसमीक्षा के लिए भेज दिया था.

इसके बाद दिनांक 1 अप्रैल 2015 को पुनः भारत सरकार को पुर्नसमीक्षा कराकर अखिलेश सरकार द्वारा प्रस्ताव भेजा गया. जिसे फिर मोदी सरकार के सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय ने 22 जुलाई 2015 के पत्र द्वारा अस्वीकार कर दिया और साथ ही यह भी कहा कि यदि अनुसूचित जाति की सूची में संशोधन के राज्य सरकार के प्रस्ताव से भारत के महारजिस्ट्रार दूसरी बार भी सहमत नहीं होते तो भारत सरकार ऐसे प्रस्तावों को निरस्त कर सकती है और इस अनुसार इस प्रस्ताव को सक्षम अधिकारी द्वारा निरस्त कर दिया गया. इस तथ्य से तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्रावली पर अवगत करा दिया गया था. बावजूद इसके अखिलेश सरकार ने 2016 में इन जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने का अवैधानिक आदेश दिया. जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगायी हुई है.

यह सच है कि इनमें से कई जातियां जैसे बिंद आदि की आर्थिक स्थिति दलितों से भी बदतर है. लेकिन इन जातियों को आर्थिक रूप से कमजोर होने के बावजूद संवैधानिक रूप से एससी में शामिल नहीं किया जा सकता. क्योंकि अनुसूचित जाति में वहीं जातियां आती है जो मूलतः अछूत जातियां रही है. अति पिछड़े वर्ग की यह सभी जातियां अपने चरित्र और ऐतिहासिक विकास में श्रमिक जातियां रही है और अछूत नहीं रही है. इसलिए वास्तव में इन जातियों के सामाजिक न्याय और इनकी भागेदारी के लिए यह जरूरी है कि इनका आरक्षण कोटा अन्य पिछड़े वर्ग के आरक्षण कोटे में से अलग कर दिया जाए, जैसा कि बिहार में कपूर्री ठाकुर फार्मूले के अनुसार पिछड़ा वर्ग में है.

यह काम संवैधानिक रूप से राज्य सरकार कर सकती है. इन्द्रा साहनी के केस में सुप्रीम कोर्ट ने भी इसको माना है. इस मांग को स्वराज अभियान की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य अखिलेन्द्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में लम्बे समय से उठाया जाता रहा है. कई बार इस सवाल पर सम्मेलन और धरना प्रदर्शन किए गए. खुद अखिलेन्द्र जी ने लखनऊ और दिल्ली में किए अपने दस दिवसीय उपवास में इस सवाल को मजबूती से उठाया था और तत्कालीन मनमोहन की केन्द्र सरकार व प्रदेश की अखिलेश सरकार को पत्रक दिए गए थे. लेकिन इस संवैधानिक काम को करने की जगह महज अति पिछड़ी इन श्रमिक जातियों को गुमराह किया जाता रहा जिसमें उ0 प्र0 के सभी शासकवर्गीय दल शामिल रहे है. इसलिए आज जनराजनीति ही अति पिछड़ों के सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करेगी और अन्य पिछड़े वर्ग के आरक्षण कोटे में से अति पिछड़े वर्ग का आरक्षण कोटा दिलायेगी.

दिनकर कपूर

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नहर किनारे विकसित बूंदों की संस्कृति

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असंतुलित पर्यावरण धीरे धीरे धरती को गर्म भट्टी की तरफ धकेल रहा है. इस साल की गर्मी ने देश के कई शहरों में एक नया रिकॉर्ड बनाया है. स्वयं देश की राजधानी दिल्ली ने इतिहास का सबसे गर्म दिन भी देखा है. समूचा यूरोप प्रचंड गर्मी का प्रकोप झेल रहा है. ऐसी परिस्थिती में रेगिस्तानी क्षेत्रों का क्या हाल होता होगा इसका अंदाज़ा केवल वहां के रहने वाले ही लगा सकते हैं. मानसून की देरी और सामान्य से कम होना आग में घी का काम कर रहा है. वैसे भी थार के रेगिस्तान में बादलों से गिरने वाली बूंदों को घी से भी महंगा माना गया है. यह गए जमाने की बात हो सकती है कि रेगिस्तान के किसी गांव में राहगीर या मेहमान द्वारा पीने का पानी मांगे जाने पर यह कहा जाता था कि घी मांग लो, पानी मंत मांगो. इसे गुजरे जमाने की बात मान लेना शायद भूल होगी. भले ही आज रगिस्तान में इंदिरा गांधी नहर के पानी को देख कर लोग इतराएं, लेकिन भविष्य में वह दिन आने वाले हैं, जब जेब में पैसे तो होंगे, लेकिन पानी नहीं होगा.

पूर्वजों ने आकाश में छाए बादलों से टपकने वाली एक-एक बूंद को मोतियों से महंगी मान कर उसे संजोने की संस्कृति विकसित की और आने वाली पीढ़ी को पारंपरिक जल स्रोतों का एक बहुमूल्य खजाना सौंपा था. उन्हें अपनी आंखों से सामने उजड़ते देख कर चुप रहना और संकट को देखकर कबूतर की तरह आंख मूंद लेना विकसित होती मानव सभयता की सबसे बड़ी भूल साबित हो सकती है. एक तरफ सरकार, राजनेताओं, स्वार्थी तत्वों की छत्रछाया में भू-माफिया, खदान माफिया और पानी माफिया पूर्वजों द्वारा हजारों सालों से विकसित किए गए इन अमूल्य खजानों को लूटने में मशगूल हैं वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग और संस्थाएं पारंपरिक तरीकों व नई तकनीकों को जोड़कर ऐसे उदाहरण भी प्रस्तुत कर रहे हैं, जिससे थार के मरूस्थल में बूंदों की संस्कृति का अस्तित्व बना रहे.

ऐसा ही एक उदाहरण पिछले कई वर्षों से बीकानेर जिले में कार्यरत एक स्वैच्छिक संगठन उरमूल ट्रस्ट नेटवर्क से जुड़ी उरमूल सीमांत संस्था ने प्रस्तुत किया है. कोलायत ब्लॉक के बज्जू स्थित इस संस्था का कैंपस जल संरक्षण का बेहतरीन उदाहरण है, जिसे देख कर नहर किनारे बसे लोगों को सीख मिल रही है वहीं सरकार की पानी को लेकर बनी बड़ी-बड़ी भीमकाय योजनाएं इसके उदहारण के सामने छोटी दिखने लगती है. उरमूल के कैंपस में बने स्टाफ क्वाटर्स, मेस, छात्रावास और कार्यालय की इमारतों की छतों पर बरसने वाली वर्षा की एक-एक बूंद को बड़े कुंडों में सहेज कर जैविक खेती व बागवानी के कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है. इस प्रणाली से तक़रीबन 400 फलदार पौधों को सिंचित कर बड़ा किया गया है. इसके अतिरिक्त वर्मी कंपोस्ट खाद की यूनिट स्थापित की गई है. दूसरी ओर पांच थार नस्ल की राठी गाएं पाली जा रही हैं, जिनका दूध कैंपस की मेस में काम आता है और गोबर से वर्मी कंपोस्ट खाद बनाकर पौधों को दी जाती है. गायों के लिए हरा चारा और अजोला घास भी बरसात से एकत्रित किए गए पानी से उगाई जाती है. उरमूल सीमांत के इंन्चार्ज हरबंश सिंह बताते हैं कि बरसात के बेकार बहकर जाने वाली पानी को उपयोग कर खेती, पशुपालन और बागवानी मिश्रित टिकाऊ खेती का ऐसा माडल विकसित करने का प्रयास किया गया है, जिसको देखकर कर हमारे क्षेत्र के किसान प्रेरित होकर इसे अपना सकें.

उरमूल ट्रस्ट के सचिव अरविंद ओझा बताते हैं कि बज्जू का हमारा कैंपस नहर किनारे है. लेकिन कैंपस को हरा-भरा बनाने के लिए हमने नहर के पानी का उपयोग नहीं किया, बल्कि रेगिस्तान की जल संग्रहण की परंपरा से प्रेरित हो कर यह मॉडल बनाने का विचार आया. उन्होंने बताया कि पश्चिमी राजस्थान में नहर आने के बाद लोग यह सोचने लगे कि अब पानी का संकट खत्म हो गया. पारंपरिक फसलों को छोड़कर नकदी फसलो का उत्पादन करने लगे. सरकार द्वारा मुहैया कराई गई खाला पद्धति से जरूरत से ज्यादा सिचाई करने लगे. 1991 में उरमूल ट्रस्ट के बैनर तले की गई नहर यात्रा के दौरान नहर के अच्छे प्रभाव के साथ वाटरलागिंग जैसी समस्या भी सामने आई.

नहर यात्रा के अनुभव सरकार के साथ बांटे. सरकार ने भी सिंचाई पद्धति में कई बदलाव किए. किसानों के खेतों में डिग्गियां बनाकर फव्वारा सिंचाई को बढ़ावा दिया गया. पर बरसात के पानी को सहेजने की बात भूल गए. नहर का पानी आना इस क्षेत्र के लिए नेक कार्य है. लेकिन नहर आने के बाद पारंपरिक जलस्रोतों की अनदेखी का खामियाजा नहर बंदी के दौरान देखने को मिला. नहरी क्षेत्र में पेयजल संकट उन क्षेत्रों से ज्यादा देखा गया जहां समुदाय की निर्भरता आज भी पारंपरिक जलसंग्रहण पर निर्भर है. इसे फिर से जिंदा रखने के लिए ऐसे उदाहरण प्रस्तुत करना जरूरी है. जिससे समुदाय को परिणाम देखकर प्रेरित किया जा सके.

यह वही नहरी क्षेत्र है, जहां लोग बूंद-बूंद पानी को सहेज कर पेयजल की व्यवस्था करते थे. पशुपालन मिश्रित खेती करते थे. अकालों की मार झेल कर परेशान होते थे, लेकिन टूटते नहीं थे. नहर आने के बाद सब कुछ बदल गया. ऐसे में हमने एक मॉडल विकसित किया जो वर्तमान में जलवायु परिवर्तन, पेयजल संकट और कृषि पर आने वाले संकट के प्रभाव को कम कर सकता है. आज सरकार के पास संसाधनों की कमी नहीं है. रेगिस्तान में बूंदों की संस्कृति के उदाहरणों की भरमार है. अलग-अलग क्षेत्रों में समुदाय व संस्थाओं ने ऐसे मॉडल खड़े किए हैं जिनसे सीख लेकर रेगिस्तान में सदैव के लिए पानी की समस्या को दूर किया जा सकता है.

मनरेगा के तहत अपना खेत-अपना काम योजना, बोर्डर एरिया डवलपमेंट प्रोजेक्ट, वित्त आयोग, मरू विकास, जलग्रहण, कृषि विस्तार विभाग, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना आदि सभी को मिलकर ऐसे मॉडल को विस्तार रूप देने की आवश्यकता है जिससे थार का रेगिस्तान जैविक खेती और बागवानी के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बना सकता है. समय आ गया है कि जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जाये, ताकि पेयजल संकट, आकाल और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम किया जा सके. आखिर बूंद-बूंद भरने की संस्कृति ही सागर को जन्म देती है. (चरखा फीचर्स)

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अपकमिंग /ट्राएंगुलर लव स्टोरी होगी ‘दबंग 3’

सलमान खान के फैंस को उनकी हर आगामी फिल्म के बारे में जानने की गजब की उत्सुकता रहती है. उनकी अपकमिंग मूवी ‘दबंग 3’ को लेकर भी कुछ ऐसा ही है. उनके फैंस की एक्साइटमेंट को शांत करने के लिए इस फिल्म से जुड़ी ऐसी ही कई रुचिकर इंपोर्टेंट इंफॉर्मेशन निकालकर लाए हैं आपके सामने.

सलमान इस फिल्म के लिए अपने वजन और फिजिक में उतनी ही भारी तब्दीली लाएंगे, जितनी दंगल के लिए आमिर खान ने की थी.

‘दबंग 3’ में वह अपना वजन 7-8 नहीं, बल्कि पूरे 15 किलो कम करने जा रहे हैं. ऐसा वे अपने किरदार चुलबुल पांडे के 20 साल की उम्र से पहले के दृश्यों की खास तैयारी के तहत कर रहे हैं. फिल्म से जुड़े सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है.

खुद सलमान की तरफ से इस रोल को खास रखने के बाकायदा निर्देश दिए गए हैं. जैसे ‘भारत’ में अपने बुजुर्ग अवतार से सलमान ने अपने चाहने वालों को सरप्राइज किया था वैसे ही इस बार वह अपने दुबले-पतले अवतार से फैंस को चौंकाएंगे.

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कॉलेज की दलित स्टूडेंट के साथ 5 छात्रों ने किया गैंगरेप, वीडियो हुआ वायरल तो पुलिस ने लिया ये एक्शन

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नई दिल्ली। दक्षिण कन्नड़ जिले के एक निजी कॉलेज के पांच छात्रों को अपने ही कॉलेज की एक दलित छात्रा का इस साल मार्च में दुष्कर्म करने के मामले में बुधवार को गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने यह जानकारी दी. इस वारदात का वीडियो वायरल होने के बाद यह मामला प्रकाश में आया. पुलिस ने बताया कि आरोपियों की पहचान कर ली गई है और सभी आरोपी 19 वर्ष के हैं. उन्होंने बताया कि भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है.

पुलिस ने बताया कि पांच छात्रों ने लड़की को अपने कार में जंगल में ले जाकर कथित तौर पर दुष्कर्म किया था. पुलिस ने बताया कि इन छात्रों ने इस वारदात का वीडियो भी बनाया और लड़की को इसके बारे में किसी से जिक्र करने पर वीडियो वायरल करने की धमकी दी.

वीडियो वायरल होने के बाद जिला पुलिस ने पुटुर महिला पुलिस थाने में यह मामला दर्ज किया और अपराधियों को पकड़ने के लिए दो टीम गठित की, जिसके बाद यह गिरफ्तारी हुई. वहीं जिला पुलिस अधीक्षक बी एम लक्ष्मी प्रसाद ने लोगों से इस वीडियो को नहीं साझा करने के लिए कहा है और ऐसा करनेवालों पर मामला दर्ज करने की बात की है.

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मध्यप्रदेशः चलते ट्रक में दलित महिला से गैंगरेप, विरोध करने पर पति को नीचे फेंका

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प्रतीकात्मक चित्र

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में लिफ्ट देने के बहाने महिला से गैंगरेप के मामले में पीड़ित महिला ने आरोपियों की पहचान कर ली है. पुलिस गुरुवार को आरोपियों को कोर्ट में पेश करेगी. आरोपियों की पहचान आकाश मालवीय, बट्टू विश्वकर्मा और शुभम नागर के रूप में हुई है. घटना खजूरी इलाके इंदौर-भोपाल हाईवे की है.

आपको बता दें कि ट्रक में लिफ्ट देने के बहाने दलित महिला से गैंगरेप करने वाले तीनों आरोपियों की पहचान हो गई है. पीड़ित महिला ने आरोपियों की पहचान की है. मिली जानकारी के मुताबिक सोमवार की रात आरोपियों ने लिफ्ट देने के बहाने महिला और उसके पति को ट्रक में बैठाया. इसके बाद बीच रास्ते में आरोपियों ने पति से मारपीट कर उसे रास्ते में उतार दिया.

मामले में महिला ने अगले दिन मंगलवार को खजूरी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. इसके बाद पुलिस ने मंगलवार रात को ही तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. महिला से आरोपियों की पहचान कराई गई. अब पुलिस उन बदमाशों को कोर्ट में पेश करेगी.

वहीं पुलिस ने वारदात में इस्तेमाल किए गए ट्रक को भी बरामद कर लिया है. पुलिस सभी आरोपियों को गुरुवार को जिला कोर्ट में पेश करेगी.

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बड़ा सवाल…राहुल गांधी के बाद अब कौन होगा नया कांग्रेस अध्यक्ष

कांग्रेस पार्टी का नया अध्यक्ष कौन होगा? राहुल गांधी पद पर बने रहेंगे या नया कोई बनेगा? भगवान जाने. दो सवालों पर कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल का यही जवाब है. यह जवाब केवल सिब्बल का नहीं है, बल्कि कांग्रेस का हर बड़ा नेता इससे अनजान है. कांग्रेस शासित पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मिलने, उन्हें सुनने, अपनी चिंता जताने के बाद भी राहुल गांधी पद से हटने के अपने फैसले पर कायम हैं.

उन्होंने बड़े सुधार का संकेत दिया है और शुरुआत अपने सचिवालय से की है. राहुल गांधी के सचिवालय में महत्वपूर्ण किरदार वाले कई लोग हैं. के. राजू भी उनमें से एक हैं और राहुल ने उनसे थोड़ी दूरी बनाई है. सूत्र बताते हैं कि राहुल गांधी के कार्यालय को अब के. राजू की रिपोर्टिंग नहीं है. उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से आने वाले संदीप सिंह अपनी जगह बनाए रखने में सफल हैं.

वह प्रियंका गांधी वाड्रा और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का भाषण तैयार करने के साथ-साथ उन्हें सलाह अभी दे रहे हैं. प्रियंका गांधी के सचिवालय के धीरज श्रीवास्तव का दबदबा बना हुआ है. राहुल गांधी, पीएल पूनिया के मशविरों को काफी मानते थे. लेकिन अब खबर है कि इसमें थोड़ी सी कमी आई है.

बुधवार को राहुल गांधी ने कहा कि पार्टी में जल्द से जल्द अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होना चाहिए, वह अब इस पद पर नहीं हैं. राहुल गांधी ने साफ कहा कि पार्टी का नया अध्यक्ष एक महीने पहले ही चुना जाना चाहिए था. राहुल ने कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक जल्द से जल्द बुलाया जाना चाहिए ताकि इस पर फैसला हो सके.

अगला लोकसभा चुनाव 2024 में होना है. 2022 तक करीब 18 राज्यों के चुनाव होने हैं. इसलिए राहुल गांधी चाहते हैं कि कांग्रेस पार्टी युवा हो. 2014-19 तक लोकसभा में उनके आसपास की युवा हल्ला ब्रिगेड अपना चुनाव हार चुकी है. राहुल गांधी को लोकसभा चुनाव में हार की खीझ है और वह चाहते हैं कि पार्टी में सुधार के कदम उठाए जाएं.

कांग्रेस सेवादल, महिला कांग्रेस, युवक कांग्रेस, एनएसयूआई और अन्य विभागों में भी करीब 60-70 प्रतिशत युवा चेहरे आएं. यहां तक कि प्रदेश, जिला और ब्लॉक स्तर तक की कमान युवा हाथों में हो. राहुल के अनुसार युवा का अर्थ 45 साल से कम आयु के नेताओं से है.

प्रियंका गांधी वाड्रा के एक करीबी से मिली जानकारी के अनुसार युवा नेता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के प्रतिनिधि के तौर पर काम करते हैं. इस कारण पार्टी कुछ नया नहीं कर पा रही है. बताते हैं कुछ इसी तरह की सोच कांग्रेस अध्यक्ष की भी बन रही है. वीरप्पा मोइली का मानना है कि राहुल के अध्यक्ष पद पर बने रहने की संभावना एक प्रतिशत भी नहीं है.

क्या अगला कांग्रेस अध्यक्ष केसी वेणुगोपाल, अशोक गहलोत, शुशील कुमार शिंदे, पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी में कोई बनेगा? चर्चा मे यही नाम हैं. कहा जा रहा है कि एंटनी का नाम यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने सुझाया है, लेकिन राहुल गांधी ने कोई प्रतिक्रिया या अपनी सहमति नहीं दी है. क्या होगा यह किसी को पता नहीं है.

यह सभी नाम कांग्रेस अध्यक्ष, यूपीए चेयरपर्सन और उनसे गहरी समझ रखने वाले नेताओं के नाम हैं. लेकिन माना जा रहा है कि राहुल गांधी किसी युवा चेहरे के पक्ष में खड़े हो सकते हैं. वह किसी युवा व्यक्ति को पार्टी की कमान सौपने, संगठन में उसी आधार पर सुधार को बल देने पर सहमति जता सकते हैं. सब कुछ इसी जुलाई महीने में तय हो जाने के आसार हैं.

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