भारतीय ऑटो सेक्टर में मंदी की आहट, दो दशकों में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज

सिआम वाहन बनाने वाली कंपनियों की संस्था है. उसकी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इस साल जुलाई महीने में वाहनों की बिक्री में पिछले साल की तुलना में 18.71% की गिरावट दर्ज की गई है. साथ ही सवारी वाहनों की बिक्री में पिछले साल की तुलना में जुलाई में 30.98% की गिरावट दर्ज की गई है. ये गिरावट दो और अधिक पहिया वाले सभी तरह के वाहनों में देखी गई है. इस साल जुलाई महीने में 18,25,148 गाड़ियां बिकीं जबकि पिछली साल यह संख्या 22,45,223 थी. भारत के लिहाज से देखें तो गिरावट आर्थिक मंदी की ओर इशारा कर रही है क्योंकि ऑटो सेक्टर भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का लगभग आधा हिस्सा है.

नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में सरकार के सामने अर्थव्यवस्था की मंदी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. सिआम के डायरेक्टर जनरल विष्णु माथुर के मुताबिक आंकड़े बताते हैं कि इस इंडस्ट्री को सरकार से तुरंत एक राहत पैकेज की जरूरत है. अगर सरकार ने कुछ कदम नहीं उठाए तो मुश्किलें और बढ़ सकती हैं.

माथुर कहते हैं, “पिछली बार ऐसा संकट दिसंबर, 2000 में देखा गया था. पिछले 2-3 महीने में कम से कम 15 हजार अस्थायी कर्मचारियों की नौकरियां गई हैं. अब लाखों नौकरियां जाने की कगार पर हैं. हाल में करीब 300 डीलरों ने अपने शोरूम बंद कर दिए हैं और कई बंद करने की कगार पर हैं. इस सबके होने से नौकरियों पर संकट पैदा होगा.”

वाहनों की गिरती बिक्री के बीच वाहन निर्माता कंपनियों ने अपने वाहनों को बेचने के लिए बड़े डिस्काउंट देना शुरू किया है. ऐसे में जानकारों के मुताबिक यह वाहन खरीदने के लिए खरीददारों के पास सबसे उपयुक्त समय है. ये डिस्काउंट इतना है कि वाहनों की बिक्री बढ़ाने के लिए अगर सरकार जीएसटी में भी कटौती करती है तो भी कीमतों में ज्यादा अंतर नहीं आएगा क्योंकि कीमतें बहुत नीचे पहुंच चुकी हैं. जीएसटी में कटौती करने पर अपना मुनाफा बचाने के लिए कंपनियां डिस्काउंट कम करेंगी.

इस कमी के पीछे एक बड़ा कारण अगले साल से बीएस-6 वाहन मानकों का लागू होना भी है. 31 मार्च 2020 के बाद बीएस-4 वाहनों की बिक्री पर रोक लग जाएगी. इसका मतलब अगर तब तक ये वाहन नहीं बिके तो ये सब कबाड़ हो जाएंगे. यही वजह है कि मारुति, ह्युंडई और होंडा जैसी बड़ी कार निर्माता कंपनियां अपनी कारों पर 50 हजार रुपये से ज्यादा की छूट दे रही हैं. एक कार पर डीलर कमीशन करीब तीन से छह प्रतिशत होता है. लेकिन इस गिरावट की वजह से डीलरों ने भी अपना कमीशन छोड़ नेट कीमत पर वाहनों को बेचना शुरू किया है.

आर्थिक मंदी की खबरों के बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्विटर पर सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कई अखबारों में छपी खबरों को अपने ट्वीट में दिखाया और सरकार से जवाब मांगा. अखबारों की इन रिपोर्टों में नोटबंदी से 1 करोड़ 10 लाख लोगों की नौकरी जाना, ऑटो सेक्टर में गिरावट से नौकरियां जाना, पढ़े-लिखे लोगों में बेरोजगारी बढ़ने जैसी खबरें हैं.

इससे पहले एनएसएसओ के आंकड़े के मुताबिक 1993-94 के बाद पहली बार कामकाजी पुरुषों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है. आंकड़े बताते हैं कि भारत में फिलहाल 28.6 करोड़ कामकाजी पुरुष हैं. 1993-94 में यह संख्या 21.9 करोड़ थी. 2011-12 में यह संख्या बढ़कर 30.4 करोड़ पहुंच गई. लेकिन अब यह संख्या घटकर 28.6 करोड़ रह गई है. इस आंकड़े का मतलब यही है कि भारत में पिछले कुछ सालों में नौकरियों में कमी आई है.

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