मतदान के दौरान गायब रहने वाले विधायक एन महेश बसपा से निष्कासित

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के निर्देश के बाद भी कर्नाटक में सरकार के विश्वास मत के दौरान गायब रहने वाले बसपा विधायक एन महेश को पार्टी से बाहर कर दिया गया. कर्नाटक में सरकार के विश्वास मत के दौरान मायावती का निर्देश था कि बसपा विधायक एन महेश सरकार के पक्ष में मतदान करने सदन में रहें. इसके बाद भी वह सदन में नहीं पहुंचे.

बसपा सुप्रीमो मायावती का निर्देश था कि कर्नाटक में विश्वास मत के दौरान बसपा के विधायक एन महेश रहेंगे. इसके बाद भी बसपा विधायक एन. महेश नदारद रहे और कर्नाटक की सरकार गिर गई. मंगलवार को सदन में मतदान के दौरान एन महेश को सीएम एचडी कुमारस्वामी के पक्ष वोट डालना था. इसके बाद भी वह मतदान करने नहीं पहुंचे और कुमारस्वामी की सरकार विश्वास मत में पिछड़ गई.

कर्नाटक में सत्ता संघर्ष का ड्रामा मंगलवार को बढ़ गया. बसपा ने एसडी कुमारस्वामी के पक्ष में मतदान न करने वाले विधायक एन महेश को बाहर का रासता दिखा दिया. बसपा विधायक एन महेश ने सोमवार को कहा था कि मुझे पार्टी की सुप्रीमो मायावती का निर्देश है कि मैं विश्वास मत के दौरान सदन में उपस्थित रहूं. विधायक महेश के इस कृत्य से प्रदेश सरकार को झटका लगा है. वह पहले से ही अल्पमत में आ चुकी थी.

महेश ने कहा था कि मंगलवार को मैं सदन में रहूंगा. इसके बाद भी महेश आज सदन से गायब हो गए. विश्वास मत में कर्नाटक की कांग्रेस-जेडीएस(जनता दल सेक्युलर) सरकार गिर गई. सरकार के पक्ष में 99 और विरोध में 105 वोट डाले गए.

महेश के इस कृत्य को बसपा सुप्रीमो मायावती ने घोर अनुशासनहीनता मानते हुए उनको पार्टी से बाहर कर दिया है. बसपा मुखिया ने ट्वीट किया है. मायावती ने लिखा कि कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार के पक्ष में वोट देने के पार्टी हाईकमान के निर्देश का उल्लंघन करके बसपा विधायक एन महेश आज विश्वास मत में अनुपस्थित रहे जो अनुशासनहीनता है जिसे पार्टी ने अति गंभीरता से लिया है और इसलिए एन महेश को तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित कर दिया गया.

Read it also-मायावती ने अपने विधायक से कहा- कुमारस्वामी के पक्ष में वोट दें

विराट व रोहित में वर्ल्ड कप के दौरान थी तनातनी

0

नई दिल्ली। वर्ल्ड कप 2019 के सेमीफाइनल में टीम इंडिया को न्यूजीलैंड के हाथों करारी हार मिली और इसके बाद ये खबर सामने आई कि टीम इंडिया में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. खबरें ये भी सामने आईं कि टीम इंडिया दो धड़ो में बटी हुई है. इसमें से एक ग्रुप विराट कोहली का तो दूसरा ग्रुप रोहित शर्मा का था. गल्फ न्यूज की मानें तो रोहित शर्मा के ग्रुप को विराट कोहली और रवि शास्त्री के फैसले नागवार गुजरे थे. कई मौकों पर रोहित शर्मा ने विराट के फैसले पर आपत्ति जताई थी. इसके बाद से ही दोनों में मतभेद बढ़ते चले गए. सेमीफाइनल मैच में मो. शमी को बैठाए जाने के फैसले से रोहित शर्मा और उनके ग्रुप के साथी नाराज थे. इसके पीछे वजह ये थी कि शमी ने चार मैचों में 14 विकेट लिए थे और अच्छी गेंदबाजी कर रहे थे. वहीं रवींद्र जडेजा को विश्व कप के कई मैचों में मौका नहीं दिए जाने पर भी मतभेद था. हालांकि जडेजा ने सेमीफाइनल में कमाल की पारी खेली थी और टीम को जीत के करीब पहुंचा दिया था पर भारतीय टीम फिर भी हार गई.

हालांकि सेमीफाइनल की टीम पर नजर डाली जाए तो इसमें सच्चाई नजर आती है. न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मैच में जब जडेजा चौके-छक्के लगा रहे थे तब रोहित शर्मा ड्रेसिंग रूम से उनका उस्ताह बढ़ा रहे थे. गल्फ न्यूज की मानें तो सेमीफाइनल में हार के बाद रोहित शर्मा के गुट ने विराट को कप्तानी से हटाने की बात की कही. गेंदबाजी कोच भरत अरुण ने भी माना था कि कुछ खिलाड़ी एक टीम यूनिट के तौर पर काम कर रहे हैं, लेकिन कभी-कभी ऐसी बातें हो जाती हैं. आपको बता दें कि विराट ने कभी भी कोई आईसीसी टूर्नामेंट नहीं जीता है.

Read it also-कुलभूषण जाधव केस में भारतीय वकील हरीश साल्वे ने पाकिस्तान के वकील की उड़ाई धज्जियां

इमरजेंसी में प्लेटफॉर्म टिकट पर कर सकते हैं ट्रेन में सफर

0

नई दिल्ली। ट्रेन से सफर करने वालों के लिए ट्रेन का छूटना, आखिरी वक्त में प्लेटफॉर्म पर पहुंचना और कभी-कभी इमरजेंसी केस में बिना टिकट का सफर करना साधारण बात है. अगर आपको भी कभी अचानक ट्रेन से सफर करना पड़े और तत्काल टिकट नहीं मिल पाया हो तो प्लेटफॉर्म टिकट के आधार पर भी ट्रेन में सवार हो सकते हैं. कई बार ऐसा होता है कि जब तक आप स्टेशन पहुंचते हैं, तब तक ट्रेन खुलने वाली होती है. रिजर्वेशन काउंटर पर भीड़ होती है. ऐसे में लाइन में लगने पर ट्रेन का छूटना तय है. लेकिन, रेलवे के नियम के मुताबिक प्लेटफॉर्म टिकट पर ट्रेन से यात्रा की जा सकती है. आइये जानते हैं क्या कहता है नियम.

रेलवे की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, अगर आपके पास प्लेटफॉर्म टिकट है तो TTE आपको यात्रा से नहीं रोक सकता है. साथ ही आपसे विदाउट टिकट का जुर्माना भी नहीं वसूला जाएगा. इसके लिए आपको ट्रेन में सवार होते ही सबसे पहले TTE से संपर्क करना है. जिस स्टेशन से प्लेटफॉर्म टिकट लिया गया है उसे बोर्डिंग स्टेशन माना जाएगा. आप जहां तक जाना चाहते हैं वहां तक का किराया और 250 रुपये एक्स्ट्रा जोड़कर TTE टिकट बना देता है. आप जिस क्लास में सफर कर रहे हैं, किराया उसी क्लास का होगा.

Read it also-हिमा दास को बधाई देने उमड़ा बॉलीवुड

मुसलमानों-दलितों की लिंचिंग से नाराज 49 दिग्गज, PM मोदी से मांग- सख्त सजा दी जाए

0

मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं के बीच फिल्म जगत की 49 हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. लेटर में देश में भीड़ द्वारा लिंचिंग के बढ़ते चलन पर गहरी चिंता व्यक्त की गई है. पीएम मोदी को लिखे लेटर में मणिरत्नम, अदूर गोपालकृष्णन, रामचंद्र गुहा, अनुराग कश्यप जैसी हस्तियों के हस्ताक्षर हैं. उन्होंने पीएम मोदी से एक ऐसा माहौल बनाने की मांग की है, जहां असहमति को कुचला नहीं जाए. इन हस्तियों ने कहा है कि असहमति देश को और ताकतवर बनाता है.

इस पत्र में लिखा है कि हमारा संविधान भारत को एक सेकुलर गणतंत्र बताता है, जहां हर धर्म, समूह, लिंग, जाति के लोगों के बराबर अधिकार हैं.

इस पत्र में मांग की गई है कि मुसलमानों, दलितों और दूसरे अल्पसंख्यकों की लिंचिंग तुरंत रोकी जाए. पत्र में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के आधार पर कहा है गया है कि 1 जनवरी 2009 से लेकर 29 अक्टूबर 2018 के बीच धर्म की पहचान पर आधारित 254 अपराध दर्ज किये गए, इस दौरान 91 लोगों की हत्या हुई और 579 लोग घायल हुए. पत्र के मुताबिक मुसलमान जो भारत की आबादी के 14 फीसदी है वे ऐसे 62 फीसदी अपराधों की शिकार बने, जबकि क्रिश्चयन, जिनका आबादी में हिस्सा 2 फीसदी है वे ऐसे 14 फीसदी अपराध के शिकार हुए. पत्र में कहा गया है कि ऐसे 90 फीसदी अपराध मई 2014 के बाद हुआ था, जब नरेंद्र मोदी सत्ता में आए थे.

पत्र में लिखा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में लिंचिंग की घटनाओं की आलोचना की है, लेकिन ये काफी नहीं है. पत्र में लिखा गया है, “ऐसा जुर्म करने वालों के खिलाफ क्या कदम उठाया गया है, हमें ऐसा महसूस करते हैं कि ऐसे अपराधों को गैर जमानती बनाया जाए, और दोषियों को ऐसी सजा दी जाए जो नजीर बन जाए. जब हत्या के दोषियों को बिना पैरोल के आजीवन कारावास की सजा दी जा सकती है तो लिंचिंग के मामले में ऐसा क्यों नहीं ह सकता है, जो कि और भी घृणित अपराध है? हमारे देश के किसी नागरिक को डर और खौफ में रहने की जरूरत नहीं है!”

इस पत्र में लोकतंत्र में असहमति की जोरदार पैरवी की गई है और कहा गया है कि असहमति के बिना जम्हूरियत फल-फूल नहीं सकती है. अगर कोई सरकार के खिलाफ राय देता है तो उसे ‘एंटी-नेशनल’ या ‘अरबन नक्सल’ घोषित नहीं कर दिया जाना चाहिए. सत्ताधारी पार्टी की आलोचना करने का मतलब देश की आलोचना करना नहीं होता है. कोई भी पार्टी जब सत्ता में है तो वो दल देश का प्रतीक नहीं बन जाता है, ये देश की कई पार्टियों में से मात्र एक पार्टी ही है. इसलिए सरकार के खिलाफ बोलना या स्टैंड लेना देश विरोधी भावनाएं व्यक्त करने जैसा नहीं है.

Read it also-भाई पर आयकर विभाग के एक्शन से भड़कीं मायावती, कहा- सबकी जांच कराए सरकार

आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी बचाना होगा

थार रेगिस्तान में तापमान पचास डिग्री तक पहुंचने, हर तीसरे साल अकाल, दुकाल, त्रिकाल पड़ने पर यहां के ग्रामीण जन परेशान तो होते हैं, पर विचलित नहीं होते. यही कारण है कि दुनिया भर के रेगिस्तानों में थार का रेगिस्तान ही अकेला ऐसा क्षेत्र है जहां जीवन की सघनता और बहुलता है. यहां की जैव विविधता ने जटिल भौगोलिक और मौसमिक परिस्थियों में भी जीवन की आस को कभी छोड़ा नहीं और अपने आप को सदैव परिस्थितियों के अनुकूल ढ़ाल कर जीवन की संभावनाओं को ढूंढा है. जाहिर सी बात है कि रेगिस्तान है, तो पानी की कमी होगी. परंतु इसे पानी की कमी नहीं कह कर रेगिस्तान के साथ कुदरत का व्यवहार कहना ज्यादा उचित होगा. यह वह क्षेत्र है जहां पाताल से खारा और आकाश से मीठा जल बरसता है. लेकिन घनी वर्षा रेगिस्तान को दल-दल बना सकती है जिससे जिससे पूरे क्षेत्र का लवणीय झील में तब्दील होने का खतरा हो सकता है. प्रकृति के फैसले के अनुरूप यहां के जीव जंतुओं ने जहां अपने जीवन को उपलब्ध संसाधनों के अनुकूल ढाल लिया है और दूसरी प्रजातियों के साथ परस्पर सहयोग कर जीवन की संभावनाओं को बनाए रखा है, वहीं मानव जाति ने जल संग्रहण के अनूठे खजानों का निर्माण कर स्वयं के लिए, जीव जंतुओं के लिए और आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवन को निर्बाध रूप से चलने का इंतेज़ाम कर लिया था. भारत के ऐसे क्षेत्र, जहां वर्षा थार के रेगिस्तान से कई गुना अधिक होने के बावजूद पेयजल के लिए त्राहिमाम होता है, रेगिस्तान के लोग अपने पुरखों के खजानों से पानी सींच कर संकट को टाल देते हैं.

समय बदला, विकास हुआ, तकनीकी के जरिए मानव ने प्रकृति को नियंत्रण में करने का प्रयास किया. अपने जीवन को सुखी और संपन्न बनाने के लिए ऐसी सुविधाओं का विकास किया कि जरूरतें इशारे भर में सामने मौजूद हो जाए. पानी पाताल में हो चाहे नदियों को बांध कर बनाए गए बांधों में. भारी क्षमता वाले विद्युत चलित पंपो से पाताल और सतही पानी को खींचने और पाइपों लाइनों के जरिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने की कवायद ने नल से जल की संस्कृति का विकास किया, तो मानव पानी के मूल्य को भूल गया. जिसको जितना मिला, जी भर कर उपयोग किया और जिसको नहीं मिला वह आज भी पानी के एक घड़े के लिए मीलों का सफर करता है. सात पीढ़ियों के लिए धन-दौलत और संसाधन जमा करने वाला इन्सान इस बात से बेपरवाह है कि धरती पर पीने और जीने लायक पानी कितना है, और सूख गया तो नल में जल कहां से आएगा? आने वाली सात पीढ़ियों के जिंदा रहने के लिए पानी और हवा बचेगी भी या नहीं? नल में जल देख कर इतना मोहित हो गया कि पुरखों के दिए जल संग्रहण के कीमती खजानों को भूल गया. उनको अपनी आंखों के सामने लुटता देख कर चुप है. हजारों सालों की अथक मेहनत से बने इन कीमती खजानों को आज बनाने की कल्पना करें, तो अरबों डाॅलर भी कम पड़ जाएं. पानी उपलब्ध कराने के लिए पानी सेे भी तेज गति से पैसा बहाने वाली हमारी सरकारें दिशाहीन नीतियां और योजनाएं बनाती है, जो पानी कम और परेशानियां अधिक देती है.

रेगिस्तान का कोई ऐसा गांव या ढाणी नहीं होगी, जहां पानी के पारंपरिक स्रोत नहीं हो. गांवों के नाम ही पानी के स्रोतों के आधार पर पड़े है. किसी गांव के आगे सर तो किसी गांव के आगे बेरा, बेरी, नाडी, सागर, तला आदि जुड़ कर गांवों का नामकरण हुआ है. पानी के ठांव के बिना गांव का नाम ही कहां. लेकिन पिछले पांच-छः दशकों में पानी उपलब्ध कराने की सरकारी योजनाओं के वशीभूत लोग पारंपरिक जल स्रोतों को न केवल भूलते जा रहे हैं, बल्कि उनकी बर्बादी के चश्मदीद गवाह बन रहे हैं. बाड़मेर से लेकर जैसलमेर, बीकानेर, चूरू, नागौर जोधपुर, पाली, जालोर से लेकर अरावली की तलहटी वाले सीकर, झुंझुंनू तक में हजारों की तादात में बने पुराने जोहड़, तालाब, नाडे, नाडियां, कुंड, बावड़ियां, चूने और पत्थर से बने पक्के कलात्मक तालाब, बेरियां कहीं जर्रजर होकर खंडहर के रूप में अपने वजूद को बनाए हुए हैं, तो कहीं मिट्टी, कचरा, कीचड़ से भरे गांव कचरा पात्र बन गए हैं. अब यह अवैध खनन के ठिकाने बन गए हैं. कभी घर के आंगन से भी साफ-सुथरा रखा जाने वाला पायतन अब मरे हुए पशुओं और घर-आंगन का कचरा फैंकने के काम आने लगे हैं. एक पीढ़ी जिसने इन पारंपरिक जल स्रोतों से पानी पीया है, जल स्रोतों के लिए बनाए गए नियम-कायदों का पालन किया है, मानसून आगमन से पूर्व सामुहिक व्यवस्था में मिट्टी, गाद निकाली है, आज इन स्रोतों की बर्बादी पर केवल इतना ही बोल पाती हैं, कि अब समय बदल गया है.

गांधीवादी विचारक स्व.श्री अनुपम मिश्र ने अपनी पुस्तक ‘आज भी खरे हैं तालाब’ में तालाबों की निर्माण प्रक्रिया और बर्बादी के आंखों देखे अनुभवों को कुछ इस प्रकार लिखा है ‘‘सैकड़ों हजारों तालाब अचानक शून्य से प्रकट नहीं हुए थे. इनके पीछे एक इकाई थी बनवाने वालों की, तो दहाई थी बनाने वालों की. यह इकाई, दहाई मिलकर सैकड़ों हजार बनती थी. पिछले दो सौ बरसों में नए किस्म की थोड़ी सी पढ़ाई पढ़ गए समाज ने इस इकाई, दहाई, सैकड़ा, हजार को शून्य ही बना दिया.’’ शायद यही समय का बदलाव है. नई पीढ़ी जो अंगुलियो के इशारों से संसार नापती है, ने इन स्रोतों को गांव के कचरा पात्र के रूप में ही देखा है, इन बहुमूल्य खजानों को मरणासन्न स्थिति में देखा है, पानी को नल और बोतल में देखा है. पुराने पानी के स्रोतों को फिर से जिंदा करने और उनसे पानी पीने की बात उनके गले ही नहीं उतरती. दो पीढ़ियो के बीच की संवादहीनता से ज्ञान और संस्कार का फासला चौड़ा हो गया.

समय बदल गया है. प्रकृति बदल रही है. मौसम का मिजाज बदल रहा है. रेगिस्तान में पानी के संकट ने दस्तक देनी शुरू कर दी है. न केवल पानी का संकट बल्कि यूं कहें त्रिकाल का संकट. रेगिस्तान में पानी का संकट नहीं है. बरसात के पानी को सहेजने और युक्ति से बरतने का संकट है. पानी के प्रति बरती जा रही बेपरवाही का संकट है. नहर और पाइप लाइन के जरिए लाए जा रहे पराए पानी के भरोसे अपने ठांमों को फोड़ देने का संकट है. नहरों में बहने वाले अथाह पानी में अपने संस्कारों को डूबो कर मार देने का संकट है. पुराने स्रोतों को फिर से ठीक करने के लिए धन का संकट नहीं है, मन बनाने का संकट है. देर से ही सही समाज, सरकार, सामाजिक संगठनों, मीडिया प्रतिष्ठानों ने पारंपरिक जल स्रोतों की सुध लेने, बरसात के पानी को सहेजने, पानी के मसले पर समाज को संगठित करने, फिर से इकाई, दहाई, सैकड़ा हजार बनाने की मुहीम चलाई है. सरकार ने जल शक्ति मंत्रालय बनाया है. जल-शक्ति के साथ जन-शक्ति को जोड़कर पारंपरिक जल स्रोतों फिर से संवारने का समाज के सामने यह अवसर भी है. अपने पारंपरिक जल स्रोतों को फिर जिंदा करने, पानी के संस्कारों के शून्य को भरने, भावी पीढ़ी के हाथों में इन अमूल्य खजानों का भविष्य सौंपने के लिए हजारों हाथों को फिर से उठाने की जरूरत है ताकि आने वाली सात पीढ़ियां चौरासी लाख जीव प्रजातियों के साथ जीवन-यापन कर सके.

दिलीप बीदावत Read it also-बिहार के छपरा में मॉब लिंचिंग, मवेशी चोरी के आरोप में 3 लोगों को पीटकर मार डाला

खेत की बाड़ उखाड़ रहे थे दबंग, विरोध करने पर दलित महिला को जिंदा जलाया

0

मध्य प्रदेश के सतना जिले में दबंगों का कहर एक गरीब दलित महिला पर टूटा है. गांव के दबंगों ने दलित महिला की पहले जमकर पिटाई कि फिर मिट्टी का तेल डालकर उसे जिंदा जला दिया. दिल दहला देने वाली इस घटना के सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है. घटना की जानकारी पाकर मौके पर पहुंचे महिला के परिजनों ने किसी तरह आग बुझाई, लेकिन तब तक महिला 90 फीसदी तक झुलस चुकी थी.

मामला सतना की नागौद तहसील के दूर दराज गांव गिनजारा का है. पीड़ित महिला का नाम राधा अहिरवार है, जिसकी सतना जिला अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई.

दरअसल, गांव के दबंग राधा (मृतिका) के खेत की बाड़ उखाड़ रहे थे, जिस पर राधा ने खेत में पहुंचकर दबंगों का विरोध किया. राधा के बेटे ओमप्रकाश की मानें तो 6 दबंगों ने पहले तो राधा को जमकर पीटा, उसके बाद मिट्टी का तेल डालकर राधा को जिंदा जला दिया.

इधर, सूचना मिलते ही पूरी मीडियाकर्मी सतना जिला अस्पताल पहुंच गई. तब बुरी तरह से जली राधा अस्पताल के बिस्तर पर अपनी आखिरी सांसें गिन रही थी. हालांकि इस दौरान दलित राधा ने मरने से पहले मुन्नू उपाध्याय भैया उपाध्याय समेत 6 दबंगों के नाम और उनकी दबंगई के बारे में मीडियाकर्मियों को बताया था.

मरने से पहले महिला ने दिया था ये बयान राधा ने अपने बयान में बताया था कि गांव के दबंगों द्वारा उसके खेत की बाड़ी उखाड़ी जा रही थी, जिसे वो रोकने के लिए गई थी. इस पर दबंगों ने उससे पीटकर लहुलूहान कर दिया और फिर मिट्टी का तेल डालकर जिंदा जला दिया.

वहीं घटनास्थल पर मौजूद राधा के चश्मदीद बेटे ने भी दबंगों के कारनामे को लेकर अपना बयान दिया है. इधर, घटना की जानकारी मिलने के बाद सतना पुलिस और तहसीलदार अस्पताल पहुंचे. पुलिस ने तो महिला का बयान दर्ज कर लिया, लेकिन तहसीलदार साहब डॉक्टर के आने का इंतजार करते रहे. डॉक्टर के आने पर तहसीलदार जैसे ही बयान लेने गए, तो राधा ने दम तोड़ दिया.

Read it also-ससुराल जा रहे दलित युवक को पहले चोर समझकर पीटा

हिमा दास को बधाई देने उमड़ा बॉलीवुड

0

हिमा ने एक महीने में 5वां गोल्ड मेडल जीतकर पूरे देश को गौरवान्वित किया है. 400 मीटर पार करने के लिए कुल 52.09 सेकेंड समय लेने वाली हिमा मात्र 19 वर्ष की हैं. बता दें कि ढिंग एक्सप्रेस के नाम से मशहूर 19 साल की हिमा इसी साल अप्रैल में एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 400 मीटर की दौड़ से पीठ दर्द की वजह से बाहर हो गई थीं. हिमा दास की इस उपलब्धि पर उन्हें बॉलीवड सेलेब्स बधाइयां दे रहे हैं.

हिमा ने एक महीने में 5वां गोल्ड मेडल जीतकर पूरे देश को गौरवान्वित किया है. 400 मीटर पार करने के लिए कुल 52.09 सेकेंड समय लेने वाली हिमा मात्र 19 वर्ष की हैं. बता दें कि ढिंग एक्सप्रेस के नाम से मशहूर 19 साल की हिमा इसी साल अप्रैल में एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 400 मीटर की दौड़ से पीठ दर्द की वजह से बाहर हो गई थीं. हिमा दास की इस उपलब्धि पर उन्हें बॉलीवड सेलेब्स बधाइयां दे रहे हैं.

अनिल कपूर ने लिखा, पांचवां स्वर्ण पदक जीतने के लिए बधाई. आसाम के प्रति आपकी दयालुता हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है. एक महान एथलीट एक स्वर्णिम हृदय के साथ. आने वाले समय में आपको इसी प्राकर से सफलता मिलती रहे.

निर्देशक शेखर कपूर ने हिमा को ‘सुपर गर्ल’ बताया. उन्होंने लिखा, सुपरगर्ल के लिए सब संभव है.

बिग बी ने बधाई देते हुए लिखा,’बधाई, बधाई, बधाई.. जय हिंद.. गर्व हम सबको आप पे हिमा दास जी, आपने भारत का नाम स्वर्ण अक्षरों से लिख दियाl’

कपिल शर्मा ने हिमा को स्टार बताते हुए कहा कि हिमा हमें आप पर गर्व है, छोटी लड़की. एक सितारे की तरह यू ही चमकती रहो.

ढिंग एक्सप्रेस के नाम से मशहूर 19 साल की हिमा इसी साल अप्रैल में एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 400 मीटर की दौड़ से पीठ दर्द की वजह से बाहर हो गई थीं. इससे पहले हिमा ने इसी महीने 2, 6, 13 और 17 जुलाई 2019 को भी अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय इवेंट के 200 मीटर दौड़ में चार गोल्ड मेडल अपने नाम किया था.

Read it also-क्या भारत के ‘भद्रलोक’ को नहीं पच रही है हिमा दास और दुति चंद की सफलता

दरवाजे पर टकटकी लगाए इंतजार करती रही मां और ‘आजाद’ देश के लिए शहीद हो गए

नई दिल्ली। 23 जुलाई 1906 को मध्यप्रदेश भावरा में चंद्रशेवर तिवारी का जन्म हुआ था. उनके पिता का नाम सीताराम तिवारी और मां जगरानी देवी थी. जिनकी इकलौती औलाद चंद्रशेखर थे. किशोर अवस्था में ही वह बड़े – बड़े सपनों को पूरा करने के लिए अपना घर छोड़कर मुंबई निकल पड़े थे. जहां उन्होंने बंदरगाह में जहाज की पेटिंग का काम किया था. उस वक्त मुंबई में रहते हुए चंद्रशेखर को फिर से वहीं सवाल परेशान करने लगा था कि अगर पेट पालना ही है तो क्या भाबरा बुरा था.

काशी में ली संस्कृत भाषा की शिक्षा चंद्रशेखर ने वहां से संस्कृत की शिक्षा लेने के लिए काशी की ओर कूच किया. इसके बाद चंद्रशेखर ने अपने घर के बारे में सोचना बंद कर दिया और देश के लिए खुद को पूरी तरह से समर्पित कर दिया. उस समय देश में महात्म गांधी के नेतृत्व में चलाए जा रहे असहयोग आंदोलन का बोल बाला था. उन्होंने काशी के अपने विद्यालय में भी इसकी मशाल जलाई और पुलिस के अन्य छात्रों के साथ उन्हें भी हिरासत में ले लिया. उन्हें 15 बेंतो की सख्त सजा सुनाई गई थी. जिसे आजाद ने आसानी से स्वीकार कर लिया और हर बेंत की मार खाने के बाद वह वंदे मातरम चिल्लाते थे. उसी दिन उन्होंने इस चीज का प्रण लिया कि अब कोई पुलिस वाला उन्हें हाथ नहीं लगा पाएगा. वो आजाद ही रहेंगे. वहीं, जब जज ने उनसे उनके पिता नाम पूछा तो जवाब में चंद्रशेखर ने अपना नाम आजाद और पिता का नाम स्वतंत्रता और पता जेल बताया जिसके बाद से ही चंद्रशेखर सीताराम तिवारी का नाम चंद्रशेखर आजाद पड़ा.

सब्र का इम्तिहान वहीं, उत्तर प्रदेश में लोगों का सब्र टूटता जा रहा था और गांव के लोगों ने पुलिस थाने में आग लाग दी थी. इसमें करीब 23 पुलिस कर्मियों की मौत हो गई थी. इस हादसे से निराश होकर गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को स्थगित करने का फैसला लिया.

चंद्रशेखर आजाद अब अपनी पढ़ाई – लिखाई को छोड़कर देश की आजादी के काम में जुट गए थे. वहीं, चंद्रशेखर के पिता की जल्दी ही मृत्यु हो गई थी. इसके बावजूद वह अपनी अकेली मां के हाल चल भी नहीं पूछते थे. इसके साथ ही 9 अगस्त 1925 को क्रांतिकारियों ने एक निर्भीक डकैती को अंजाम दिया. इसमें बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खान और आजाद समेत करीब 10 क्रांतिकारी शामिल थे.

वहीं, एक बार इलाहाबाद में पुलिस ने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया था और गोलियां चलाना शुरु कर दी थी. दोनों तरफ से फायरिंग की जा रही थी. चंद्रशेखर ने अपनी जिंदगी में कसम खाई हुई थी कि वह कभी भी जिंदा पुलिस के हाथ नहीं लगेंगे. इसलिए उन्होंने उस समय खुद ही को गोली मार दी थी.

दरवाजे पर टकटकी लगाए इंतजार करती रही मां चंद्रशेखर आजाद की मां हमेशा ही उनके वापस आने का इंतजार करती रही. शायद यह वजह थी कि उन्होंने अपनी दो उंगलियां बांध ली थी और ये प्रण लिया था कि वो इसे तब तक नहीं खोलेंगी जब तक की चंद्रशेखर वापस नहीं आ जाते. लेकिन अफसोस उनकी दो उंगलियां बंधी ही रह गई और चंद्रशेखर ने अपनी आखिरी सांस धरती मां को समृपित कर दी.

Read it also-सूचना के अधिकार में संशोधन पर क्यों तुली है सरकार

निधन से पहले शीला दीक्षित ने लिखा था सोनिया गांधी को चौंकाने वाला खत

0

नई दिल्ली। दिल्ली में बतौर मुख्यमंत्री 15 साल तक लगातार एकछत्र राज करने वालीं शीला दीक्षित के निधन के तीन दिन बाद भी दिल्ली कांग्रेस में चल रही गुटबाजी पर विराम नहीं लगा है. मरहूम शीला दीक्षित गुट के लोगों का कहना है कि उन्होंने अपनी मौत से तीन दिन पहले यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम एक पत्र लिखा था. सूत्रों का कहना है कि शीला ने अपने पत्र में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के वर्तमान हालात और गुटबाजी के बारे में खुलकर लिखा था. हालांकि, इस पत्र के बारे में आधिकारिक तौर पर कोई पुष्टि नहीं हो रही है.

सूत्रों के मुताबिक, सोनिया गांधी को लिखे इस खत में शीला दीक्षित ने राज्य प्रभारी पीसी चाको के साथ चल रहे सियासी टकराव का जिक्र किया था. शीला ने पार्टी के एक बड़े नेता को इन सबका जिम्मेदार बताया था.

शीला दीक्षित ने अपने आखिरी खत में लिखा था- ‘मैं दिल्ली कांग्रेस को मजबूत करने के लिए फैसले ले रही हूं, लेकिन …. नेता के इशारे पर चलकर प्रभारी पीसी चाको बेवजह कदम उठा रहे हैं.

शीला दीक्षित ने लिखा है- ‘जानबूझकर मेरे फैसलों में अड़ंगा लगाया जा रहा है…. आखिर में नतीजे बताते हैं कि कैसे तीसरे नंबर की कांग्रेस बिना गठजोड़ के दो नंबर पर आ गई.’

शीला दीक्षित ने यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी को यह पत्र 8 जुलाई को लिखा था. इसके बाद मामले को सुलझाने के लिए सोनिया गांधी के करीब नेताओं ने शीला दीक्षित, अजय माकन और पीसी चाकों से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बाद मामले को हल करने का आश्वासन दिया था.

गौरतलब है कि शीला दीक्षित सबसे ज्यादा तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं. 1998 से 2013 तक उन्होंने दिल्ली का शासन संभाला. उन्हें दिल्ली को आधुनिक बनाने का श्रेय दिया जाता है. बीते दिनों उन्हें दिल्ली कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था.

Read it also-दलित पैंथर के सह संस्थापक राजा ढाले का निधन

कर्नाटक: फ्लोर टेस्ट की नई डेडलाइन

कर्नाटक में जारी सियासी संकट में रोजाना नया ट्विस्ट देखने को मिल रहा है. राज्यपाल द्वारा सदन में विश्वास मत के लिए दी गई दो डेडलाइन की समयसीमा खत्म हो चुकी है. ऐसे में माना जा रहा था कि सोमवार को सदन में विश्वास मत पर वोटिंग हो जाएगी लेकिन एक बार फिर सदन मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी गई. स्पीकर ने वोटिंग के लिए आज शाम छह बजे की डेडलाइन रखी है. अब यह देखना होगा कि आज भी वोटिंग हो पाती है या नहीं. इसी बीच बागी विधायकों ने स्पीकर से मिलने के लिए और समय मांगा है.

कर्नाटक के 13 बागी विधायकों को स्पीकर केआर रमेश कुमार ने पत्र लिखकर 11 बजे तक मिलने के लिए बुलाया था. जिसके बाद विधायकों ने स्पीकर को पत्र लिखकर बंगलूरू विधान सौधा में उनके सामने पेश होने के लिए ज्यादा समय की मांग की है. उनका कहना है कि उन्हें चार हफ्ते का समय दिया जाए.

कर्नाटक विधानसभा की कार्यवाही मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी द्वारा पेश विश्वास प्रस्ताव पर तीन दिन तक चर्चा के बाद भी इस पर मतविभाजन कराए बिना मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी गई. देर रात 11 बजकर 45 मिनट पर कर्नाटक विधानसभा की कार्यवाही को मंगलवार सुबह तक के लिए स्थगित कर दिया गया. स्पीकर ने कहा है कि शक्ति परीक्षण की प्रक्रिया मंगलवार शाम छह बजे तक पूरी हो जाएगी.

उच्चतम न्यायालय कर्नाटक के दो निर्दलीय विधायकों की उस नयी याचिका पर आज सुनवाई करेगा, जिसमें मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी द्वारा पेश विश्वास प्रस्ताव पर राज्य विधानसभा में तत्काल शक्ति परीक्षण कराने की मांग की गई है.प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने निर्दलीय विधायक-आर शंकर और एच नागेश की याचिका पर सोमवार को सुनवाई करने से मना कर दिया.

कर्नाटक के स्पीकर ने अपने ऊपर लगे उस आरोप का जवाब दिया जिसमें कहा जा रहा था कि वह जानबूझकर सत्ताधारी पार्टियं को बहुमत साबित करने के लिए समय दे रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं उन्हें धन्यवाद कहना चाहता हूं. मैं प्रार्थना करता हूं कि भगवान उन्हें सदबुद्धि दे.’ बागी विधायकों ने स्पीकर से पेश होने के लिए चार हफ्तों का समय मांगा है जिसपर उन्होंने कहा, ‘यह सब अदालती कार्यवाही से संबंधित है. इसे अदालत में निपटाया जाएगा.’

भाजपा की सोभा करंदलजे ने कहा, ‘उनके पास बहुमत नहीं है. वह अल्पमत वाली सरकार है. विधायक मुंबई में हैं. वह वापस नहीं आना चाहते. देखते हैं शाम तक क्या होता है. पूरा विश्वास है कि यह सरकार निश्चित तौर पर चली जाएगी. यह लोगों की सरकार नहीं है. लोग नाराज हैं, विधायक नाराज हैं.’

भाजपा नेता जे शेट्टार ने कहा, ‘यह इस सरकार का आखिरी दिन है. हमारा मानना था कि कल इस सरकार का आखिरी दिन होगा लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी और अन्य लोगों के बीच मिलापी कुश्ती के कारण उन्होंने इसे एक दिन के लिए बढ़ा दिया. हम देखेंगे कि क्या होता है और यदि वोटिंग होती है तो सरकार निश्चित तौर पर गिर जाएगी.’

Read it also-कर्नाटक में सत्ता के लिए शह-मात का खेल जारी

चंद्रयान-2 लॉन्चिंग: मिशन के वो 15 सबसे मुश्किल मिनट जब धड़कनें थम जाएंगी

नई दिल्ली। भारत के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 की कुछ घंटों में लॉन्चिंग होनी है. इस बेहद कठिन मिशन को लक्ष्य तक पहुंचाना किसी करिश्मे से कम नहीं होगा. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्चिंग के बाद मिशन को चांद तक पहुंचने में 40 दिन से ज्यादा का समय लगने वाला है. इस मिशन के सबसे तनावपूर्ण क्षण चांद पर लैंडिंग से पहले के 15 मिनट होंगे. खुद भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के चीफ के सिवन ने कहा है कि लैंडिंग के अंतिम 15 मिनट बेहद चुनौतीपूर्ण रहेंगे क्योंकि उस दौरान हम ऐसा कुछ करेंगे जिसे हमने अभी तक कभी नहीं किया है. याद हो कि 15 जुलाई को क्रायोजेनिक इंजन में लीकेज के कारण चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग अंतिम क्षणों में टालनी पड़ी थी.

सिवन ने कहा, ‘चंद्रमा की सतह से 30 किलोमीटर दूर चंद्रयान-2 की लैंडिंग के लिए इसकी स्पीड कम की जाएगी. विक्रम को चांद की सतह पर उतारने का काम काफी मुश्किल होगा. इस दौरान का 15 मिनट काफी चुनौतीपूर्ण होने वाला है. हम पहली बार सॉफ्ट लैंडिंग की करेंगे. यह तनाव का क्षण केवल इसरो ही नहीं बल्कि सभी भारतीयों के लिए होगा.’ सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता मिलते ही भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा. अभी तक अमेरिका, रूस और चीन के पास ही यह विशेषज्ञता है.

चांद की सतह को छूने से पहले क्या होगा? धरती और चंद्रमा के बीच की दूरी लगभग 3 लाख 84 हजार किलोमीटर है. लॉन्चिंग के बाद चंद्रमा के लिए लंबी यात्रा शुरू होगी. चंद्रयान-2 में लैंडर-विक्रम और रोवर-प्रज्ञान चंद्रमा तक जाएंगे. चांद की सतह पर उतरने के 4 दिन पहले रोवर ‘विक्रम’ उतरने वाली जगह का मुआयना करना शुरू करेगा. लैंडर यान से डिबूस्ट होगा. ‘विक्रम’ सतह के और नजदीक पहुंचेगा. उतरने वाली जगह की स्कैनिंग शुरू हो जाएगी और फिर 6-8 सितंबर के बीच शुरू होगी लैंडिंग की प्रक्रिया. लैंडिंग के बाद लैंडर (विक्रम) का दरवाजा खुलेगा और वह रोवर (प्रज्ञान) को रिलीज करेगा. रोवर के निकलने में करीब 4 घंटे का समय लगेगा. फिर यह वैज्ञानिक परीक्षणों के लिए चांद की सतह पर निकल जाएगा. इसके 15 मिनट के अंदर ही इसरो को लैंडिंग की तस्वीरें मिलनी शुरू हो जाएंगी.

देशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं. आठ ऑर्बिटर में, तीन पेलोड लैंडर ‘विक्रम’ और दो पेलोड रोवर ‘प्रज्ञान’ में हैं. पांच पेलोड भारत के, तीन यूरोप, दो अमेरिका और एक बुल्गारिया के हैं. लॉन्चिंग के करीब 16 मिनट बाद जीएसएलवी-एमके तृतीय चंद्रयान-2 को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करेगा. लैंडर ‘विक्रम’ का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है. दूसरी ओर, 27 किलोग्राम ‘प्रज्ञान’ का मतलब ‘बुद्धिमता’ है. इसरो चंद्रयान-2 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारेगा.

‘बाहुबली’ जीएसएलवी मार्क-… से होगी लॉन्चिंग 4 टन तक का भार (पेलोड) ले जाने की अपनी क्षमता के कारण ‘बाहुबली’ कहे जा रहे जीएसएलवी मार्क-… रॉकेट ने जीसैट-29 और जीसैट-19 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया है. अंतरिक्ष एजेंसी ने इसी रॉकेट का इस्तेमाल करते हुए क्रू मॉड्यूल वायुमंडलीय पुन: प्रवेश परीक्षण (केयर) को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था. इसरो के प्रमुख के सिवन के मुताबिक, अंतरिक्ष एजेंसी दिसंबर 2021 के लिए निर्धारित अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम ‘गगनयान’ के लिए भी जीएसएलवी मार्क-… रॉकेट का ही प्रयोग करेगी.

Read it also-सपा-बसपा के कुछ राज्यसभा सांसद BJP में जाने को तैयार!

हापुड़ में दर्दनाक सड़क हादसा, 8 बच्चों समेत 9 लोगों की मौत

0

यूपी के हापुड़ जनपद के थाना हाफिजपुर क्षेत्रान्तर्गत मेरठ-बुलंदशहर हाईवे पर रविवार रात करीब साढ़े 11 बजे गांव सादकपुर के सामने एक मिनी ट्रक तथा पिकअप की आमने-सामने की भिड़ंत हो गई. हादसे में पिकअप के परखच्चे उड़ गए तथा उसमें सवार आठ बच्चों समेत नौ की मौत हो गई और 10 से ज्यादा लोग घायल हैं. बताया गया है कि अधिकतर लोग एक ही खानदान के हैं. आरोपी चालक मिनी ट्रक लेकर फरार हो गया.

धौलाना के गांव सालेपुर कोटला से हाजी मेहरबान की बेटी का निकाह मेरठ के गांव जई नंगला में तय हुआ था, जिसकी बारात आ रही थी. बताया गया है गुलिस्तां का निकाह हापुड़ नगर स्थित वंश गार्डन में था. गांव से काफी तादाद में लोग निकाह समारोह मे शामिल होने के लिए आए थे.

रात को करीब साढ़े 11 बजे कुछ लोग शादी समारोह शामिल होने के बाद पिकअप से लौट रहे थे. जैसे ही उनकी गाड़ी थाना हाफिजपुर क्षेत्रान्तर्गत गांव सादिकपुर के पास पहुंची तो विपरीत दिशा से तेज गति से आ रहे मिनी ट्रक ने पिकअप में टक्कर मार दी. टक्कर इतनी भीषण थी कि पिकअप बीच में फट गई और उसमें सवार करीब 20 बच्चे और लोग हाईवे पर बिखर गए.

टक्कर मारने के बाद चालक मिनी ट्रक को लेकर मौके से फरार हो गया. जबकि हाईवे पर दौड़ रहे अन्य वाहन चालकों ने हादसा देखकर पुलिस को सूचना दी. सूचना पर पहुंची पुलिस ने घायलों को आनन-फानन में हापुड़ के नर्सिंग होम में भर्ती कराया, जहां पर आठ बच्चों समेत नौ को मृत घोषित कर दिया गया. मरने वालों की उम्र 8 से लेकर 14 साल से कम बताई जा रही है.

Read it also-स्थानीय स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी ले रही है जान

मायावती ने अपने विधायक से कहा- कुमारस्वामी के पक्ष में वोट दें

बेंगलुरु। कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार सोमवार को बहुमत साबित करेगी. राज्य के बसपा के इकलौते विधायक एन महेश को पार्टी प्रमुख मायावती ने कुमारस्वामी के पक्ष में समर्थन करने के निर्देश दिए. इससे पहले एन महेश ने कहा था कि वे फ्लोर टेस्ट के दौरान तटस्थ रहेंगे. हालांकि, विश्वास मत प्रस्ताव पर बहस के दौरान भी बसपा विधायक सदन में गैर हाजिर थे. फ्लोर टेस्ट से पहले रविवार को कांग्रेस और भाजपा की विधायक दल की बैठक हुई. कुमारस्वामी के विश्वास मत प्रस्ताव पर गुरुवार और शुक्रवार को चर्चा हो चुकी है.

रविवार को मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने कांग्रेस-जेडीएस विधायकों के साथ ताज होटल में बैठक की. भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने फिर से कहा कि सोमवार को गठबंधन सरकार का आखिरी दिन होगा. उधर, मुंबई में मौजूद बागी विधायकों ने कहा, ”हम यहां सिर्फ गठबंधन (कांग्रेस-जेडीएस) सरकार को सबक सिखाने के लिए आए हैं. इसके अलावा कोई दूसरा मकसद नहीं है. हम यहां पैसे या किसी दूसरी चीज के लालच में नहीं आए. एक बार सबकुछ ठीक हो जाए, बेंगलुरु लौट जाएंगे.”

राज्यपाल वजुभाई वाला ने कुमारस्वामी को बहुमत साबित करने के लिए शुक्रवार दोपहर 1.30 बजे और फिर शाम 6 बजे तक की डेडलाइन दी थी. लेकिन मुख्यमंत्री ने इस दिन विश्वास मत साबित नहीं किया. कुमारस्वामी ने शुक्रवार को कहा था, ”मेरे मन में राज्यपाल के लिए सम्मान है, लेकिन उनके दूसरे प्रेम पत्र ने मुझे आहत किया. मैं फ्लोर टेस्ट का फैसला स्पीकर पर छोड़ता हूं. मैं दिल्ली द्वारा निर्देशित नहीं हो सकता. मैं स्पीकर से अपील करता हूं कि राज्यपाल की ओर से भेजे गए पत्र से मेरी रक्षा करें.”

मुख्यमंत्री ने येदियुरप्पा के निजी सचिव पीए संतोष के साथ निर्दलीय विधायक एच नागेश की फोटो दिखाते हुए कहा था, ”क्या वाकई उन्हें विधायकों की खरीद-फरोख्त के बारे में 10 दिन पहले ही पता चला? जब से कांग्रेस-जेडीएस सरकार बनी, इसे गिराने के लिए माहौल बनाया जा रहा है. मुझे पहले दिन से पता था कि सत्ता ज्यादा नहीं चलेगी, देखता हूं भाजपा कितने दिन सरकार चला पाएगी? मुद्दे पर बहस होने दीजिए. आप (भाजपा) अभी भी सरकार बना सकते हैं. कोई जल्दी नहीं है. आप सोमवार या मंगलवार को भी सरकार बना सकते हैं. मैं अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल नहीं करूंगा. पहले राजनीतिक संकट पर चर्चा होगी, इसके बाद फ्लोर टेस्ट.”

कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, इसमें शीर्ष अदालत के 17 जुलाई के फैसले को चुनौती दी गई. दरअसल, कोर्ट ने 17 जुलाई को कहा था कि 15 बागी विधायकों को सदन की कार्यवाही का हिस्सा बनने के लिए बाध्य ना किया जाए. इन विधायकों पर व्हिप लागू नहीं होगी. कांग्रेस कर्नाटक चीफ दिनेश गुंडू राव ने याचिका दायर कर कोर्ट से फैसले पर स्पष्टीकरण की मांग की. इसमें कहा गया है कि कोर्ट का आदेश व्हिप जारी करने के पार्टी के अधिकार को प्रभावित करता है.

मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने जेडीएस के सभी 37 विधायकों को सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया था. इनमें उनकी पार्टी के तीन बागी विधायक नारायण गौड़ा, गोपालैया और एच विश्वनाथ भी शामिल हैं. जेडीएस ने कहा है कि अगर विधायक गैर-मौजूद रहते हैं या विश्वास मत के खिलाफ वोटिंग करते हैं तो दल बदल कानून के तहत उन्हें अयोग्य ठहराने की कार्रवाई की जाएगी. जबकि, इस्तीफा देने वाले कांग्रेस विधायक रामलिंगा रेड्डी ने कहा कि वह पार्टी में हैं और सरकार के पक्ष में वोटिंग करेंगे.

कांग्रेस के 13 और जेडीएस के 3 विधायकों ने दिया इस्तीफा उमेश कामतल्ली, बीसी पाटिल, रमेश जारकिहोली, शिवाराम हेब्बर, एच विश्वनाथ, गोपालैया, बी बस्वराज, नारायण गौड़ा, मुनिरत्ना, एसटी सोमाशेखरा, प्रताप गौड़ा पाटिल, मुनिरत्ना और आनंद सिंह इस्तीफा सौंप चुके हैं. वहीं, कांग्रेस के निलंबित विधायक रोशन बेग ने भी इस्तीफा दे दिया. 10 जून को के सुधाकर, एमटीबी नागराज ने इस्तीफा दे दिया था.

Read it also-‘स्मार्ट’ के नाम पर आउट डेटेड मीटर लगाने का खेल!

सूचना के अधिकार में संशोधन पर क्यों तुली है सरकार

0

नई दिल्ली। विपक्ष के कड़े विरोध तथा कांग्रेस एवं तृणमूल कांग्रेस के वाक आउट के बीच सरकार ने लोकसभा में बीते शुक्रवार को सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक 2019 पेश किया. विधेयक को नौ के मुकाबले 224 मतों से पेश करने की अनुमति दी गयी. विधेयक में यह उपबंध किया गया है कि मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों तथा राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एवं राज्य सूचना आयुक्तों के वेतन , भत्ते और सेवा के अन्य निबंधन एवं शर्ते केंद्र सरकार द्वारा तय किए जाएंगे.

मूल कानून के अनुसार अभी मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का वेतन मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं निर्वाचन आयुक्तों के बराबर है. प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने सूचना का अधिकार अधिनियम ,2005 में संशोधन करने वाले इस विधेयक को पेश किया. उन्होंने कहा कि पारदर्शिता के सवाल पर मोदी सरकार की प्रतिबद्धता पर कोई सवाल नहीं उठा सकता है. उन्होंने जोर दिया कि सरकार अधिकतम सुशासन , न्यूनतम सरकार के सिद्धांत के आधार पर काम करती है. विधेयक के संदर्भ में मंत्री ने कहा कि इसका मकसद आरटीआई अधिनियम को संस्थागत स्वरूप प्रदान करना, व्यवस्थित बनाना तथा परिणामोन्मुखी बनाना है. हालांकि दूसरी ओर सामाजिक कार्यकर्ता आरटीआई कानून में संशोधन के प्रयासों की आलोचना कर रहे हैं. उनका कहना है कि इससे देश में यह पारदर्शिता पैनल कमजोर होगा.

दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का निधन, कई दिनों से चल रही थीं बीमार

दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का शनिवार को 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. वह लंबे समय से बीमार चल रही थीं. शीला दीक्षित को आज सुबह बीमार होने के चलते एस्कॉर्ट अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां आज दोपहर उन्होंने अंतिम सांस ली. शीला दीक्षित वर्तमान समय में दिल्ली कांग्रेस की अध्यक्ष थीं.

निजी जीवन और राजनीतिक सफर

शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च 1938 में कपूरथला, पंजाब में हुआ था. उनकी शुरुआती पढ़ाई दिल्ली के जीसस एंड मेरी स्कूल से हुई. इसके बाद उन्होंने उच्च शिक्षा दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस से प्राप्त की.

उनका विवाह उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी (आईएएस) विनोद दीक्षित से हुआ था. विनोद कांग्रेस के बड़े नेता और बंगाल के पूर्व राज्यपाल स्वर्गीय उमाशंकर दीक्षित के बेटे थे. शीला दीक्षित के दो संताने हैं. उनके पुत्र संदीप दीक्षित भी सांसद रह चुके हैं.

शीला दीक्षित पहली बार यूपी के कन्नौज से 1984 में सांसद बनीं. इसके बाद वह 1989 में कन्नौज से सांसद रहीं. सांसद रहते हुए उन्होंने लोक सभा की एस्टीमेट कमेटी के लिए सेवाएं दी थीं.

शीला दीक्षित तीन बार(1998-2013) दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं. 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. वे दिल्ली की दूसरी महिला मुख्यमंत्री थीं. 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में शीला दीक्षित को कांगेस पार्टी की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार घोषित किया गया.

क्या भारत के ‘भद्रलोक’ को नहीं पच रही है हिमा दास और दुति चंद की सफलता

  • 2 जुलाई, 2019, एथलेटिक्स ग्रांप्री, पोलैंड, 200 मीटर, विजेताः- हिमा दास (भारत)
  • 7 जुलाई, 2019, एथलेटिक्स मीट, कुत्नो, पोलैंड, 200 मीटर, विजेताः- हिमा दास (भारत)
  • 13 जुलाई, 2019, एथलेटिक्स मीट, क्लाइनो, चेक रिपब्लिक, 200 मीटर, विजेताः- हिमा दास (भारत)
  • 17 जुलाई 2019, एथलेटिक्स मीट, टाबोर, चेक रिपब्लिक, 200 मीटर, विजेताः- हिमा दास (भारत)

ये उस बेटी की उपलब्धियां हैं, जो भारत की है. असम के सुदूर गांव में धान के खेतों से निकल कर अंतरराष्ट्रीय मैदान पर फर्राटा भरने वाली हिमा दास की गिनती आज अंतरराष्ट्रीय एथलीट के तौर पर होती है. लेकिन दुनिया को चौंकाने वाली यही हिमा दास अपने देश के तमाम लोगों के दिलों में जगह नहीं बना पाई है. क्योंकि बीते पंद्रह दिनों में विदेशी धरती पर सबको पछाड़ते हुए एक के बाद एक चार गोल्ड मेडल हासिल करने वाली हिमा दास की उपलब्धियों पर देश में कोई शोर नहीं है.

न देश की बेटी की इस शानदार उपलब्धि पर 24 घंटे के चैनल चिल्ला रहे हैं और न ही सोशल मीडिया पर ही कोई बड़ा उबाल है. बात-बात पर ट्विट करने वाले देश के कद्दावर नेता भी नदारद हैं. देश में न तो हिमा दास के जीत की बहुत चर्चा है और न ही उनके उस बड़े कदम की जिसने हिमा के कद को और बढ़ा दिया है. दरअसल हिमा ने अपने राज्य असम में बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए अपनी आधी सैलरी दान में दे दी है, जो उसे इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन से मिलती है. खुद मुफलिसी से निकली हिमा जानती है कि आपदा की मार सबसे ज्यादा गरीबों को पड़ती है.

हिमा बीते साल जुलाई में तब अचानक से सुर्खियों में आई थीं, जब उन्होंने फिनलैंड में वर्ल्ड अंडर 20 चैम्पियनशिप की महिलाओं की 400 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर दुनिया भर में तहलका मचा दिया था. बावजूद इसके 15 दिन के भीतर चार सवर्ण पदकों की उनकी धमक क्रिकेट के शोर और समाज की सोच के भीतर दब गई.

ऐसा सिर्फ हिमा दास के साथ ही नहीं हुआ. बल्कि एक और खिलाड़ी थी, जिसने इस दर्द को महसूस किया होगा. यह बात 9 जुलाई की है. भारत की स्टार धावक दुती चंद ने इटली में चल रहे वर्ल्ड यूनिवर्सियाड में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया था. दुती चंद ने 100 मीटर की दौड़ को 11.32 सेकेंड में पूरा कर स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया था. यह महज एक जीत भर नहीं थी, बल्कि उससे कहीं ज्यादा थी क्योंकि वर्ल्ड यूनिवर्सियाड में यह कारनामा दुती चंद के पहले कोई भी महिला खिलाड़ी नहीं कर पाई थी. भारतीय पुरुषों में भी 2015 में सिर्फ शॉटपुट के खिलाड़ी इंद्रजीत सिंह यह उपलब्धि हासिल कर पाए थे. हिमा दास का बाद दुती ऐसी दूसरी भारतीय महिला एथलीट हैं जिसने किसी भी वैश्विक टूर्नामेंट में गोल्ड जीता था.

इटली से आई इस शानदार खबर के बावजूद भारतीय लोगों में कोई सुगबुगाहट देखने को नहीं मिली. क्योंकि तकरीबन हर कोई दूसरे दिन 10 जुलाई को होने वाले भारत-न्यूजीलैंड वर्ल्ड कप क्रिकेट के सेमीफाइनल की चिंता में डूबा था. दुति चंद की यह उपेक्षा तब थी, जब यूनिवर्सियाड को ओलंपिक के बाद दुनिया का सबसे बड़ा टूर्नामेंट माना जाता है और इसमें 150 देशों के खिलाड़ी शामिल होने आते हैं.

इन दोनों खिलाड़ियों की जीत पर उपेक्षा सरीखी चुप्पी सवाल उठाती है. एक बात यह भी आ रही है कि उनकी जीत क्रिकेट के शोर में दब गई. लेकिन यह पूरा सच नहीं है. सवाल उठता है कि क्या हिमा दास और दुति चंद की पृष्ठभूमि देश के भद्र लोगों को उनकी तारीफ करने से रोकती है. क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता तो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर देश का मान बढ़ाने के बावजूद मुक्केबाज मैरीकॉम, शूटर राज्यवर्धन सिंह राठौर, शटलर साईना नेहवाल और पी.वी संधु से प्रसिद्धी में पीछे नजर नहीं आती.

Read it also-बेमतलब है फिल्म ‘आर्टिकल 15’ का ब्राह्मण विरोध

ससुराल जा रहे दलित युवक को पहले चोर समझकर पीटा

बाराबंकी में एक दलित युवक को पेट्रोल डालकर जलाने का मामला सामने आया है. ग्रामीणों ने चोरी के शक में इस घटना को अंजाम दिया. आरोपियों पर हत्या की कोशिश और एससी एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है. दरअसल कुत्तों से बचकर भाग रहे एक युवक को ग्रामीणों ने चोर समझकर पीट दिया, फिर पेट्रोल डालकर आग लगा दी. इससे उसके कमर के नीचे का हिस्सा झुलस गया. पुलिस ने इस मामले में दो नामजद सहित चार पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है. 2 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है. घायल युवक का उपचार लखनऊ में चल रहा है.

देवा कोतवाली क्षेत्र के ग्राम तिंदोला निवासी सुजीत गौतम बीती रात करीब डेढ़ बजे टाई कला गांव में स्थित अपनी ससुराल जा रहा था. राघवपुरवा गांव के बाहर कुत्तों ने उसे दौड़ा लिया. वह भाग कर गांव के अंदर पहुंचा तो गांव वालों ने चोर समझकर उसको पीटना शुरू कर दिया. इस दौरान पेशे से पेंटर सुजीत ने गांव वालों को अपनी पहचान बतायी मगर उनकी यातनाएं कम नहीं हुईं. गांव वालों ने सुजीत को बिजली के करंट के झटके भी लगाए. पीटने के बाद गांव के चार लोगों ने सुजीत पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी.

जानकारी मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और घायल को जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां से उसे लखनऊ रेफर कर दिया गया है. पीड़ित की पत्नी पूनम की तहरीर पर पुलिस ने उमेश यादव, श्रवण यादव समेत चार लोगों पर हत्या की कोशिश और एससी एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है.

राजधानी लखनऊ में अपने भाई का इलाज करा रही सुजीत की बहन ने बताया कि उसके भाई और भाभी के बीच झगड़ा हुआ था. झगड़े के बाद उनकी भाभी अपने मायके चली गयी थी. रात के समय उनका भाई सुजीत ससुराल से अपनी पत्नी को लेने जा रहा था. तभी रास्ते में कुछ लोगों उसके भाई पर हमला कर दिया उन्हें मारा पीटा और बिजली के करंट के झटके लगाए. फिर उनके शरीर पर तेल डाल कर आग लगा दी. अब उनका भाई जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है.

सुजीत की पत्नी पूनम ने थाने में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए कहा कि उनका पति देर रात आ रहा था, तभी रास्ते में उसे चोर समझकर लोगों ने बड़ी बेरहमी से मारा-पीटा. बिजली का भी करंट लगाया और फिर तेल डाल कर आग के हवाले कर दिया.

इस मामले में बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक आकाश तोमर ने बताया, ‘देर रात एक युवक जा रहा था, तभी उसे कुछ ग्रामीणों ने चोर समझकर मारा पीटा और जला दिया. पीड़ित को इलाज के लिए लखनऊ में भर्ती कराया गया है. इस मामले में दोषियों के खिलाफ हत्या की कोशिश और एससी एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है. दो लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया है. जल्दी ही बाकी दोषियों को भी गिरफ्तार करके उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी.

Read it also-बहुजन समाज का बहुसंख्यक वर्ग मीडिया की ताकत से अंजान क्यों ?

सपा-बसपा के कुछ राज्यसभा सांसद BJP में जाने को तैयार!

आने वाले कुछ दिनों में समाजवादी पार्टी को और भी कई बड़े झटके लग सकते हैं. समाजवादी पार्टी के कुछ और राज्यसभा सांसद भाजपा में जाने की तैयारी में हैं. यह सांसद भाजपा नेताओं के संपर्क में हैं. अगर बात बन गई तो यह सांसद अपनी सदस्यता छोड़ कर भाजपा का दामन थाम सकते हैं. इनमें एक सांसद तो बुंदेलखंड क्षेत्र से हैं तो दूसरे मध्य यूपी से आते हैं. बसपा के कुछ सांसद भी भाजपा के प्रभाव में हैं.

असल में नीरज शेखर के सपा छोड़कर भाजपा में जाने के बाद पार्टी के दूसरे सांसदों को लेकर चर्चाएं तेज हैं. वैसे तो अमर सिंह भी सपा से राज्यसभा सदस्य हैं लेकिन वह सपा छोड़ चुके हैं. अमर सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की खासी तारीफ कर अपना सियासी झुकाव जाहिर कर चुके हैं.

उधर बसपा के दो सांसद भी भाजपा के संपर्क में हैं. भाजपा इनसे भी इस्तीफा दिलवा कर सीट रिक्त कराएगी. इस तरह भाजपा राज्यसभा में बहुमत के और करीब हो जाएगी. वैसे भी रिक्त सीटों पर उपचुनाव होने पर भाजपा को ज्यादा फायदा होगा. रणनीति के तौर पर रिक्त सीटों पर एक साथ चुनाव न होकर अलग अलग चुनाव होने पर भाजपा के लिए ज्यादा बेहतर स्थिति होगी.

Read it also- ‘स्मार्ट’ के नाम पर आउट डेटेड मीटर लगाने का खेल!  

Noida Metro में निकली भर्तियां

नोएडा मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (NMRC) ने स्टेशन कंट्रोलर / ट्रेन ऑपरेटर, कस्टमर रिलेशन असिस्टेंट, जूनियर इंजीनियर, मेंटेनर, एकाउंट्स असिस्टेंट, ऑफिस असिस्टेंट समेत अन्य कई पदों पर आवेदन मांगे हैं. वे उम्मीदवार जो इन पदों पर आवेदन करने के लिए इच्छुक हैं, आज ही आधिकारिक वेबसाइट विजिट करें. आप इस खबर में आगे दी गई लिंक से भी अधिसूचना डाउनलोड कर सकते हैं. जरूरी जानकारी से अवगत होकर आवेदन प्रक्रिया पूरी करें.

पदों का विवरण :

पदों का नाम                                               पदों की संख्या स्टेशन कंट्रोलर / ट्रेन ऑपरेटर                                  09 कस्टमर रिलेशन असिस्टेंट                                      16 जूनियर इंजीनियर / इलेक्ट्रिकल                                12 जूनियर इंजीनियर / मैकेनिकल                                 04 जूनियर इंजीनियर / इलेक्ट्रानिक्स                              15 जूनियर इंजीनियर / सिविल                                     04 मेंटेनर / फिटर                                                    09 मेंटेनर / इलेक्ट्रीशियन                                           29 मेंटेनर / इलेक्ट्रोनिक और मैकेनिक                             90 मेंटेनर / रेफरी और एसी मैकेनिक                               07 एकाउंट्स असिस्टेंट                                               03 ऑफिस असिस्टेंट                                                 01              कुल पदों की संख्या                                              199

महत्वपूर्ण तिथि : ऑनलाइन आवेदन जमा करने की प्रारंभिक तिथि : 22 जुलाई, 2019 ऑनलाइन आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि : 21 अगस्त, 2019 शुल्क का भुगतान करने की तिथि : 22 जुलाई से 21 अगस्त, 2019 तक

आयु सीमा : उम्मीदवारों की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और अधिकतम आयु 32 वर्ष तक नियमानुसार निर्धारित है.

शैक्षिक योग्यता : उम्मीदवारों की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता किसी मान्यता प्राप्त संस्थान / विश्वविद्यालय से स्नातक / संबंधित विषयों के साथ डिग्री या डिप्लोमा होना आवश्यक है. शैक्षिक योग्यता से संबंधित अधिक जानकारी के लिए नोटिफिकेशन पढ़ें.

आवेदन प्रक्रिया : इच्छुक उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट www.nmrcnoida.com या www.becil.com के माध्यम से 22 जुलाई, 2019 से 21 अगस्त, 2019 तक ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया को पूरा कर सकते हैं.

Read it also-राजनीति को समाज की चिंता क्यों नहीं

भाई पर आयकर विभाग के एक्शन से भड़कीं मायावती, कहा- सबकी जांच कराए सरकार

0

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने भाई और पार्टी उपाध्यक्ष आनंद कुमार पर आयकर विभाग की छापेमारी को राजनीति से प्रेरित कार्रवाई करार दिया है. मायावती ने शुक्रवार सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र की मोदी सरकार पर सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाया.

मायावती ने कहा कि इस तरह का कदम उठाने से पहले बीजेपी को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए. बीजेपी नेताओं पर निशाना साधते हुए बसपा प्रमुख ने कहा कि अगर वे सोचते हैं कि वे बहुत ईमानदार हैं तो इसकी जांच होनी चाहिए कि राजनीति में आने से पहले उनके (बीजेपी नेताओं) परिवार की संपत्ति कितनी थी और वह संपत्ति अब कितनी है?

अपने भाई आनंद की बेनामी संपत्ति जब्त होने पर मायावती ने मोदी सरकार और बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि शोषितों वंचितों के आगे बढ़ने इन्हें तकलीक होती है. खुद को हरिशचंद्र मानने वाली बीजेपी बताए चुनाव के वक्त उनके पास 2 हजार करोड़ रुपये कहां से आए, ये बेनामी संपत्ति नहीं?

मायावती ने कहा कि मोदी-शाह की कंपनी से मेरा सवाल कि दफ्तर बनाने के लिए अरबों खरबों रुपये कहां से आए, क्या ये बेनामी नहीं? मायावती ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने वोट खरीद कर और ईवीएम के इस्तेमाल से सत्ता हासिल की है.

उन्होंने कहा कि बीजेपी नेता राजनीति में आने से पहले और अब की मौजूदा संपत्ति का आंकड़ा दें. मायावती ने लोगों से अपील की कि मेरे भाई पर कार्रवाई से डरने की जरूरत नहीं, अपने कारोबार पर ध्यान दें. RSS-BJP की कंपनी से घबराने की जरूरत नहीं.

बीजेपी पर सीधे हमला करते हुए मायावती ने कहा कि बीजेपी को वंचितों को आगे बढ़ने से तकलीफ होती है. बीजेपी को अपनी ओर भी झांककर देखना चाहिए. चुनाव के दौरान 2000 करोड़ से ज्यादा बीजेपी के खाते में आए लेकिन इसका अब तक खुलासा नहीं हुआ. इसकी भी जांच होनी चाहिए.

बता दें कि आयकर विभाग ने मायावती के भाई और पार्टी उपाध्यक्ष आनंद कुमार के 400 करोड़ रुपये के एक बेनामी प्लॉट को जब्त किया है. यह प्लॉट दिल्ली से सटे नोएडा में है.

आयकर विभाग आनंद कुमार की संपत्ति की जांच कर रहा है. आयकर विभाग को इस जांच में पता चला कि आनंद कुमार के पास नोएडा में 28328 स्क्वायर मीटर का एक बेनामी प्लॉट है. सात एकड़ में फैले इस प्लॉट की कीमत करीब 400 करोड़ रुपये है.

आनंद कुमार और उनकी पत्नी विचित्र लता के इस बेनामी प्लॉट को जब्त करने का आदेश 16 जुलाई को विभाग की दिल्ली स्थित बेनामी निषेध इकाई (बीपीयू) ने जारी किया था. इसके बाद 18 जुलाई को आयकर विभाग ने प्लॉट को जब्त कर लिया है.

Read it also-बुलंदशहर DM के घर CBI रेड, नोट गिनने के लिए मंगाई गई मशीन