सरकार-अधिकारी टकरावः बुरे फंसे केजरीवाल, सलाहकार के बयान से घिरे

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार और अधिकारियों के बीच चल रहे टकराव के मामले में केजरीवाल बुरी तरह फंस गए हैं. केजरीवाल अपने सलाहकार के बयान से ही फंस गए हैं.

सीएम अरविंद केजरीवाल के सलाहकार वी के जैन ने पुलिस को दिए अपने बयान में कहा कि मेरे आंखों के सामने अमानतुल्ला और जरवाल मुख्य सचिव अंशु प्रकाश को पीट रहे थे. दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मारपीट मामले में आरोपी विधायकों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

जैन ने अपने बयान में कहा, ‘मैं रात 11.30 बजे अपने महारानी बाग स्थित आवास से सोमवार को रवाना हुआ और मध्यरात्रि को सीएम के आवास पर पहुंचा. वहां मैंने देखा कि विधायक पहले से मौजूद थे और उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी.’ जैन ने कहा, ‘मैं मीटिंग के दौरान उठकर वॉशरूम गया. जब मैं वहां से लौटा तो देखा कि विधायक अमानतुल्ला और जरवाल मुख्य सचिव को पीट रहे थे और कह रहे थे कि क्यों वह काम नहीं करते. उन्होंने अंजु प्रकाश को धक्का दिया और उनका चेहरा पकड़कर काम करने को कहा. तभी मुख्य सचिव का चश्मा गिर गया.’ गौरतलब है कि इससे पहले दिए गए अपने बयान में जैन ने पुलिस को बताया था कि इस घटना के दौरान वह वॉशरूम चले गए थे और उन्हें नहीं पता कि इस दौरान क्या हुआ था.

उधर, आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार को गिराने की साजिश हो रही है. AAP के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने दिल्ली पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के सलाहकार वी. के. जैन पर दबाव डालकर बयान बदलवाया गया है.

नीतीश सरकार को केंद्र से झटका

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पटना। केंद्र सरकार ने नीतीश कुमार सरकार को तगड़ा झटका देते हुए प्रदेश की तांती ततवा जाति को अनुसूचित जाति की सूची में पान स्वासी जाति के रूप में अधिसूचित करने की अधिसूचना को खारिज कर दिया है. दलित एक्टिविस्ट और सामाजिक कार्यकर्ता राजीव कुमार पूसा समस्तीपुर के द्वारा दायर किए गए एक आरटीआई आवेदन के जवाब में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार ने यह जानकारी दी है.

केंद्र सरकार के द्वारा बिहार राज्य के अनुसूचित जाति वर्ग के सूची में तांती ततवा जाति का नाम शामिल नहीं किया गया है. भारतीय संराविधान के अनुच्छेद 341 का हवाला देते हुए यह भी बताया कि राज्य सरकारों तथा न्यायालयों को अनुसूचित जाति की सूची में किसी भी प्रकार का संशोधन करने का अधिकार नहीं है. क्योंकि अनुसूचित जातियों की सूची सर्वप्रथम राष्ट्रपति के द्वा अधिसूचित की गई है इसलिए इसमें कोई भी संशोधन केवल संसद के अधिनियम के द्वारा ही किया जा सकता है.

आपको बता दें कि इस कार्रवाई से नीतीश कुमार के बिहार सरकार को तगड़ा झटका लगा है केंद्र की मोदी सरकार की तरफ से और इस कार्रवाई का बिहार की राजनीति पर असर दिखना लाजिमी है.

 राजीव कुमार

चावल चुराने पर भीड़ ने भूखे आदिवासी युवक को मार डाला

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पलक्कड़। केरल के पलक्कड़ जिले में एक भूखे आदिवासी युवक को भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला. आदिवासी युवक पर एक किलो चावल चुराने का आरोप लगा था. हैरान करने वाली बात तो यह कि युवक की पीटाई करने वाले लोगों ने पीड़ित से साथ सेल्फी ली और वीडियो भी बनाया और उसे सोशल मीडिया पर डाला. इसके बाद सोशल मीडिया पर यह मामला वायरल हो गया.

वीडियो वायरल होने के बाद देश भर में लोगों ने इस घटना को अमानवीय बताते हुए विरोध किया है. पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को हिरासत में लिया है और बाकियों की तलाश की जा रही है. पुलिस के मुताबिक, 27 वर्षीय मधु कडुकुमन्ना के आदिवासी क्षेत्र का रहने वाला था. उस पर लोगों ने चावल चुराने का आरोप लगाया और उसकी डंडों से पिटाई कर दी. जब पुलिस को इस घटना के बारे में पता लगा तो उसे तत्काल अस्पताल ले जाया गया. लेकिन कोट्टाथारा के गर्वमेंट ट्राइबल स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल ले जाते वक्त मधु की पुलिस जीप में ही मौत हो गई.

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने फेसबुक पोस्ट लिखकर इस घटना की निंदा की है. साथ ही राज्य पुलिस प्रमुख से इस मामले में सख्त कार्रवाई करने को कहा है. गौरतलब है कि भारत में आदिवासी समाज की स्थिति काफी खराब है. आज भी तमाम आदिवासी जंगलों में दो जून की रोटी के लिए जूझ रहे हैं.

जयंती विशेषः बहुजन क्रान्ति के अग्रदूत संत थे गाडगे बाबा

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भारत में यूं तो तमाम संत महात्मा हुए हैं, जिन्होंने समाज सुधार के लिए काम किया, लेकिन उनमें संत गाडगे बाबा का अपना अलग ही अंदाज था. जिस दौर में संत गाडगे बाबा का जन्म हुआ तब वर्णवाद चरम पर था. बहुजन समाज में शिक्षा का घना अंधेरा था और गुलामी की जंजीरे उनके पैरों में पड़ी हुई थी. संत गाडगे बाबा का जन्म 23 फरवरी सन 1876 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले के शेगांव नामक गांव में धोबी समाज में हुआ.

बाबा गाडगे उर्फ डेबूजी हमेशा अपने साथ मिट्टी के मटके जैसा एक पा़त्र रखते थे. इसी में वो खाना खाते और उसी में पानी पीते थे. महाराष्ट्र में मिट्टी के टुकड़े को गाडगा कहा जाता है. शायद इस कारण भी उनके समर्थक उन्हें गाडगे महाराज के नाम से पुकारने लगे थे. वह समाज में फैले कुप्रथाओं और अंधविश्वासों के घुर विरोधी थे और शिक्षा के प्रबल समर्थक थे. वह संत रैदास और कबीर की परंपरा के संत थे और इन दोनों संतों से काफी प्रभावित भी थे. गाडगे जी को उच्च शिक्षा ना पाने का अंत समय तक दुःख रहा इसलिए वो चाहते थे कि बहुजन समाज पूर्ण रूप से शिक्षित हो जाये. गोडगे बाबा डॉ. आंबेडकर जी के समकालीन भी थे हालांकि गाडगे बाबा डॉ. आंबेडकर से उम्र में बड़े थे. बाबागाडगे जब बाबा साहब आंबेडकर जी के संर्पक में आये तो उनके विचारों में क्रान्तिकारी परिवर्तन हुआ और वो इस बात से पूर्ण सहमत हो गये कि बहुजन समाज को गुलामी से छूटकारा पाने के लिए शिक्षा का होना बेहद जरूरी है. बाबासाहब भी गाडगे जी के प्रशंसकों में से एक थे. जहां बाबासाहब आंबेडकर जी शिक्षा और सत्ता के लिए लोगों को जगा रहे थे वहीं गोडगे जी संत कबीर दास जी और चोखामेला जी से प्रेरित होकर अज्ञान, अंधविश्वास और पाखण्डवाद के खिलाफ बिगुल बजा रहे थे.

भारतीय समाज में अगर किसी को स्वच्छता का प्रतीक कहा जाए तो वो संत गाडगे बाबा ही हैं. उन्होंने झाड़ू, श्रमदान और पुरूषार्थ को अपना हथियार ही नहीं बल्कि उद्देश्य भी बनाया, जिसको लोगों ने सराहा और अपनाया भी. वह अचानक किसी गांव में पहुंच जाते और वहां झाड़ू से सफाई करने लगते, गांव के लोग कौतूहलवश उनके पास आकर मदद करने लगते. इस तरह वह एक गांव की सफाई कर दूसरे गांव की ओर निकल पड़ते थे और स्वच्छता का संदेश देते रहते. आज जब सरकारें तमाम स्वच्छता अभियान चला रही है और उसके लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, तब आप कल्पना कर सकते हैं कि संत गाडगे उस दौर में ही स्वच्छता को लेकर कितने सजग थे.

गोडगे बाबा का परिनिर्वाण 20 दिसम्बर सन 1956 को हुआ. रेडियो आकाशवाणी से उनकी मृत्यु की घोषणा सुन पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गयी. महाराष्ट्र सरकार ने सन् 1983 में 1 मई को नागपुर विश्वविधालय को विभाजित कर संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविधालय की स्थापना की, जो उनके संघर्ष की याद दिलाता है. उनकी 42वीं पुण्यतिथि के अवसर पर सन् 1998 में 20 दिसम्बर को एक डाक टिकिट जारी किया गया. महाराष्ट्र सरकार ने बाबा गाडगे की याद में सन 2001 में ‘बाबा ग्राम स्वच्छता अभियान’ शुरू कर उन्हें श्रद्धांजलि भेंट की जिसके वो हकदार भी थे. बाबा गाडगे को नमन।

महाराष्ट्र में भाजपा के खिलाफ बना बड़ा गठबंधन

मुंबई। महाराष्ट्र में भाजपा के लिए आने वाला चुनाव काफी मुश्किल भरा होने वाला है. शिवसेना जहां भाजपा से खार खाई हुई है तो अब दो प्रमुख पार्टियों ने भी भाजपा के खिलाफ गठबंधन का ऐलान कर दिया है. कांग्रेस और शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने अगला विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ने का फैसला किया है. बीते कुछ दिनों से दोनों दलों के बीच गठबंधन पर बातचीत के लिए बैठकों का दौर जारी था जिसपर गुरुवार देर शाम मुहर लग गई है. राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल के आवास पर महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख अशोक चव्हाण और राज्य में एनसीपी प्रमुख सुशील तटकरे के बीच हुई बैठक के बाद यह एलान किया गया है. सीटों की साझेदारी को लेकर बातचीत के लिए दोनों दल फिर से बात करेंगे. इससे पहले बुधवार को ही एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा था कि देश में कांग्रेस ही वो पार्टी है जो बीजेपी को चुनौती दे सकती है. महाराष्ट्र के दिग्गज नेता ने यह भी कहा कि कांग्रेस के अच्छे दिन जल्द लौटने वाले हैं. कांग्रेस अध्यक्ष की तारीफ करते हुए पवार ने कहा कि राहुल गांधी खुद को तेजी से बदल रहे हैं और उन्हें पूरा यकीन है कि कांग्रेस फिर से मजबूती के साथ वापसी करेगी. एनसीपी और कांग्रेस इससे पहले भी महाराष्ट्र में और केंद्र में मिलकर चुनाव लड़ चुके हैं. चुनाव से पहले ही कांग्रेस और एनसीपी द्वारा गठबंधन की घोषणा भाजपा को परेशान करने वाली खबर है. क्योंकि महाराष्ट्र में पहले ही एनडीए की सहयोगी शिवसेना ने सरकार की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं, ऐसे में विपक्षी पार्टियां का एक साथ आना बीजेपी की दिक्कतों को और बढ़ा सकता है. शिवसेना पहले ही एलान कर चुकी है कि वो 2019 के आम चुनाव में एनडीए का हिस्सा नहीं रहेगी. करण

दिल्ली पुलिस ने बिना आरोप बताए तीन दलितों को जबरन घर से उठाया

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नई दिल्ली। दिल्ली के थाना फतेहपुर बेरी की पुलिस ने कल देर रात इलाके से पिता और दो पुत्रों को जबरन घर से उठा लिया है. पीड़ित के घरवालों का कहना है कि पुलिस वाले आंधी रात को घर में घुस गए और पहले तीनों को जमकर पीटा फिर घर से उठा ले गए. इस दौरान घर की महिलाओं के साथ भी गाली-गलौच की गई. पड़ोसी पवन के मुताबिक जिन तीन लोगों को उठाया गया है, उसमें रमेश छोटा मोटा काम करते हैं, जबकि उनके दोनों बेटे सुमित और दिनेश ड्राइवर हैं. सुबह होते ही आस-पास के तकरीबन 100 से ज्यादा लोग थाने पर इकट्ठा हो गए और मामला जानने की कोशिश की. पहले तो पुलिस वालों ने थाने का दरवाजा बंद कर दिया और लोगों को अंदर घुसने नहीं दिया, लेकिन भीड़ इकट्ठा और दबाव बढ़ने पर पुलिस ने उन्हें अंदर आने दिया. हालांकि इनलोगों का कहना है कि पुलिस यह नहीं बता रही है कि आखिर उन्हें क्यों उठाया गया है. अरेस्ट किए गए रमेश की पत्नी ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि पुलिस वाले रात को जबरन घर में घुस गए और मेरे और बहुओं के साथ गाली-गलौच की. हमें जातिसूचक शब्द कहे.

इस बारे में जब दलित दस्तक ने जब फतेहबेरी थाने में संपर्क किया तो एसआई से बात करने को कहा गया. जब एसआई जय भगवान से बात किया तो उन्होंने SHO से बात करने को कहा. इस पर जब दलित दस्तक ने एसएचओ से मामले की जानकारी चाही और यह पूछा कि आखिरकार रमेश और उनके बेटों को किस आरोप में बंद किया गया है और उनपर कौन सी धारा लगाई गई है तो एसएचओ अनिल जी ने पहले टाल-मटोल की फिर मीटिंग में होने की बात कह कर बाद में जानकारी देने को कहा. हालांकि आधी रात को पुलिस द्वारा तीन लोगों को बिना कोई कारण बताए घर से उठा लेना और फिर उन पर लगे आरोप भी न बताना, पुलिस की भूमिका को संदिग्ध बना रहा है.

टाटा इंस्टीट्यूट में एससी-एसटी विद्यार्थियों की आर्थिक मदद रोकने और फीस बढ़ाने के खिलाफ कैंपस जाम

मुंबई। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, मुंबई के स्टूडेंट्स ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ये छात्र इंस्टीट्यूट का निजीकरण करने और एससी-एसटी वर्ग के छात्रों को मिलने वाली आर्थिक मदद बंद होने का विरोध कर रहे हैं. कैंपस के भीतर होने वाला यह सबसे बड़ा प्रदर्शन है क्योंकि बुधवार से चल रहा आंदोलन अब भी जारी है. और इसमें पूरे इंस्टीट्यूट के स्टूडेंट शामिल हैं.

इससे पहले पिछली रात को भी स्टूड़ेंट ने रात को कैंपस में मार्च किया था. फिर बुधवार की सुबह से ही छात्र कैंपस में विरोध प्रदर्शन के लिए निकल गए थे. 500 से ज्यादा छात्र-छात्राओं ने इंस्टीट्यूट के मेन गेट पर इकट्ठा होकर गेट बंद कर दिया. वहां तीन घंटे के लंबे विरोध प्रदर्शन के बाद इंस्टीट्यूट प्रशासन ने गेट पर जाकर ही छात्रों से मुलाकात की, हालांकि प्रशासन ने तुरंत कुछ भी कहने से इंकार कर दिया और चौबीस घंटे का वक्त मांगा है.

छात्रों का आरोप है कि इंस्टीट्यूट की फीस लगातार बढ़ाई जा रही है, ताकि गरीब बच्चे यहां दाखिला नहीं ले पाएं. इससे पहले ओबीसी छात्रों को मिलने वाली आर्थिक मदद 2015 में बंद की जा चुकी है, जिसके बाद संस्थान में ओबीसी विद्यार्थियों की संख्या तेजी से गिरी है.

इधर इंस्टीट्यूट के पूर्व डायरेक्टर परशुरामन का कहना है कि इंस्टीट्यूट पिछले 14 सालों से छात्रों को फंड दे रही है. उन्होंने छात्रों से बात करते हुए गलत भाषा का भी इस्तेमाल किया जिस पर छात्र भड़क गए. इसके बाद स्टूडेंट्स ने कहा है कि वह मांगे माने जाने तक विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे.

इधर एससी-एसटी विद्यार्थियों का कहना है कि जिस तरह से ओबीसी छात्रों की आर्थिक मदद रोकने के बाद इंस्टीट्यूट में अब ओबीसी स्टूडेंट्स की संख्या घट गई है. अगर एससी-एसटी स्टूडेंट्स की आर्थिक मदद बंद की गई तो उनका भी वही हाल होगा. एससी-एसटी स्टूडेंट्स ने सामाजिक न्याय मंत्रालय और ट्राइबल मंत्रालय तक इस बारे में अपनी गुहार पहुंचाई लेकिन इन दोनों जगहों से छात्रों को झूठे आश्वासनों के अलावा कुछ नहीं मिला. फिलहाल छात्रों ने अपनी लड़ाई खुद लड़ने का बीड़ा उठा लिया है.

यूपी में सरकारी सिस्टम से परेशान कारगिल का वीर

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मेरठ। उत्तर प्रदेश और केंद्र में भाजपा की सरकार है. भाजपा सरकार राष्ट्रवाद का ढिढ़ोरा पीट कर सत्ता में पहुंची थी और आज भी खुद को राष्ट्रवाद और देशभक्ति का ब्रांड एम्बेसडर मानती है. लेकिन इसी भाजपा सरकार में करगिल में देश की सरहद को दुश्मन से आजाद कराने वाला सिपाही परेशान है.

असल में BSF में तैनात मेरठ के रहने वाले नायब सूबेदार जगबीर सिंह करगिल की जमीन पर भू-माफियाओं ने कब्जा कर लिया है. भू-माफियाओं का कब्जा हटाने के लिए प्रशासन, पुलिस से कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई. आखिरकार तंग आकर उन्होंने कहा है कि अब वो खुद हथियाए उठाएंगे और अपनी लड़ाई खुद लड़ेंगे. गुजरात में पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात जगबीर सिंह मेरठ जिला के इंचौली थाना क्षेत्र के जलालाबाद उर्फ जलालपुर गांव के निवासी हैं. उनके पिता का नाम मंगलू सिंह है. गांव में ही खसरा नंबर 486 पर 4820 मीटर जमीन है, जबकि खसरा नंबर 485 की जमीन उनकी पत्नी सीमा सिंह के नाम पर है. इसी जमीन पर दबंगों का कब्जा है.

भाजपा से ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है यह राजनैतिक दल

नई दिल्ली। ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट यानि की AIUDF एक ऐसा राजनीतिक दल है जो तेजी से बढ़ रहा है. इसके बढ़ने की गति ऐसी है कि इसने भाजपा को भी पीछे छोड़ दिया है. एआईयूडीएफ की यह तेजी कई लोगों के लिए चिंता का सबब बन गई है. आलम यह है देश के सेना प्रमुख ने भी इसको लेकर बयान दे दिया, जिसके बाद सियासी घमासान छिड़ गया है. AIUDF प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने सेना प्रमुख के बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि पार्टी बढ़ रही है तो सेना प्रमुख को चिंता क्यों हो रही है?

अजमल ने कहा कि सेना प्रमुख बिपिन रावत ने एक राजनीतिक बयान दिया है, जो चौंकाने वाला है. सेना प्रमुख को चिंता क्यों है कि बीजेपी की तुलना में लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर आधारित एक राजनीतिक पार्टी तेजी से बढ़ रही है? उन्होंने कहा कि बड़ी राजनीतिक पार्टियों के गलत रवैए की वजह से AIUDF और AAPजैसी वैकल्पिक पार्टियां तेजी से आगे बढ़ी हैं. बदरुद्दीन अजमल ने आरोप लगाया कि इस तरह का बयान देकर सेना प्रमुख क्या खुद को राजनीति में शामिल नहीं कर रहे हैं? जो कि संविधान के खिलाफ है.

AIUDF प्रमुख बदरुद्दीन अजमल के समर्थन में AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी भी आ गए हैं. ओवैसी ने ट्वीट कर कहा है कि आर्मी चीफ को राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, किसी राजनीतिक पार्टी के उदय पर बयान देना उनका काम नहीं है.

तो वहीं कांग्रेस नेता मीम अफजल और एनसीपी नेता माजिद मेनन ने भी आर्मी चीफ के बयान पर आपत्ति जताई है. असल में सेना प्रमुख बिपिन रावत ने एक सेमिनार में कहा था कि जितनी तेजी से देश में बीजेपी का विस्तार नहीं हुआ उतनी तेजी से असम में बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ बढ़ी है.

बीएचयू में नाथू राम गोडसे को लेकर बवाल

वाराणसी। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और नाथू राम गोडसे से जुड़े एक विवादित नाटक के मंचन को लेकर विवाद शुरू हो गया है. इस मामले पर छात्र दो फाड़ हो गए हैं. मामला बढ़ने के बाद बात लंका थाने में पहुंच गई है. बीएचयू के दो छात्रों ने लंका थाने में शिकायत दर्ज कराते हुए इसे राष्ट्रपिता का अपमान बताया है. साथ ही बीएचयू कैंपस में आरएसएस की विचारधारा थोपने का आरोप लगाया है.

विश्वविद्यालय के कला संकाय में चल रहे वार्षिक सांस्कृतिक कार्यक्रम संस्कृति 2018 में विवादित मराठी नाटक मी नाथू राम गोडसे बोलतोय” के हिन्दी संस्करणमैं नाथूराम गोडसे बोल रहा हूं का मंचन किया गया. आरोप है कि नाटक मंचन के माध्यम से महात्मा गांधी को गलत बताया गया जबकि उनके हत्यारे नाथू राम गोडसे को हीरो के तौर पर सामने रखा गया. इससे नाराज काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शोध छात्र ने लंका थाने में इसकी शिकायत की है. एक पक्ष के छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय परिसर में संघ की विचारधारा को प्रचारित प्रसारित किया जा रहा है और उसी के तहत इस कार्यक्रम में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अपमान किया गया.

इस भारतीय क्रिकेटर के नाम दर्ज हुआ शर्मनाक रिकार्ड

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नई दिल्ली। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टी20 सीरीज के दूसरे मैच में युजवेंद्र चहल के नाम एक शर्मनाक रिकॉर्ड दर्ज हो गया. युजवेंद्र ने दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर एकदिवसीय सीरीज में अपनी गेंदबाजी का लोहा मनवाते हुए 6 मैचों की सीरीज में 16 विकेट लेकर हीरो बने थे. लेकिन वह बुधवार को हुए दूसरे T-20 मैच के विलन बन गए हैं.

उन्होंने 11 साल पुराना जोगिंदर शर्मा का रिकॉर्ड तोड़ते हुए कुछ ऐसा कारनामा कर दिया, जो कोई भी भारतीय गेंदबाज दोहराना नहीं चाहेगा. युजवेंद्र चहल ने चार ओवर के अपने स्पेल में 64 रन खर्च डाले. T-20 इंटरनेशनल क्रिकेट में किसी भी भारतीय गेंदबाज का ये सबसे महंगा स्पेल था. इससे पहले ये परेशान करने वाला रिकॉर्ड जोगिंदर शर्मा के नाम था, जिन्होंने 2007 में डरबन में इंग्लैंड के खिलाफ चार ओवर में 57 रन दिए थे. युजवेंद्र के लिए ये मैच किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा. उन्होंने ने 16 के इकॉनमी रेट से रन लुटाए. चहल की गेंद पर दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों ने सात छक्के जड़े. हाल ये था कि 24 में महज चार ऐसी गेंद थी,जिसपर कोई रन नहीं बना.

 

विधायकों की गिरफ्तारी के खिलाफ आप ने घेरा गृहमंत्री राजनाथ सिंह का घर

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्य सचिव और आम आदमी पार्टी के नेताओं के बीच का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस मामले में आप के दो विधायकों अमानतुल्ला और प्रकाश जारवाल को तिहाड़ जेल में रात गुजरनी पड़ी. इसके खिलाफ गुरुवार को सुबह ही आम आदमी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता सड़क पर उतर गए हैं. विधायकों की गिरफ्तारी के खिलाफ पार्टी के कार्यकर्ताओं ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह के घर के बाहर प्रदर्शन किया. तो जवाब में बीजेपी ने भी इस मुद्दे को लेकर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर के बाहर प्रदर्शन किया.

आप नेता अलका लांबा ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह पर आप के साथ पक्षपात करने का आरोप लगाया. इससे पहले दोनों विधायकों के खिलाफ केस दर्ज कराने के बाद मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने बुधवार को प्रधानमंत्री कार्यालय में मीटिंग की और अपना पक्ष रखा. मीटिंग के बाद शाम करीब साढ़े बजे दिल्ली के मुख्य सचिव पीएमओ से बाहर निकले. मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मारपीट के बाद दिल्ली सरकार के कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया.

गौरतलब है कि मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने आरोप लगाया है कि सोमवार देर रात मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर उन्हें मीटिंग के लिए बुलाया गया था. इस दौरान आम आदमी पार्टी विधायकों ने सरकारी विज्ञापन रिलीज करने का दबाव बनाया और उनके साथ मारपीट की. इस घटना के बाद मुख्य सचिव ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस में शिकायत दी, जिसके बाद ओखला विधायक अमानतुल्ला समेत अन्य विधायकों के खिलाफ केस दर्ज किया गया.

करण कुमार

यूपी में बसपा की राह चली कांग्रेस

उत्तर प्रदेश के 2017 के विधानसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी भले ही सत्ता में न आ पाई हो, बसपा प्रमुख मायावती द्वारा दलित-मुस्लिम गठबंधन की कोशिश ने सबके होश उड़ा दिए थे. विपक्षी भी मायावती के इस राजनीतिक पैतरे से परेशान थे. माना जा रहा था कि बसपा बहुमत से सरकार बनाने की होड़ में है. हालांकि बसपा के समर्थन में दलित समाज के लोग तो आए लेकिन मुस्लिम समाज ने बसपा से परहेज किया, नतीजा 22 प्रतिशत वोट हासिल करने के बावजूद बसपा सीटों के नंबर नहीं बढ़ा सकी.

कांग्रेस पार्टी भी अब यूपी में बहुजन समाज पार्टी के उसी फार्मूले पर चलने को तैयार है. और कांग्रेस की ओर से इस फार्मूले के मुस्लिम चेहरे नसीमुद्दीन सिद्दीकी बनेंगे. पूर्व बीएसपी नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी को शामिल करने के पीछे कांग्रेस की मंशा यही है.

असल में कांग्रेस की नजर एक बार फिर से तीन दशक पुराने दलित-मुस्लिम जातीय गठजोड़ पर है. कांग्रेस जिग्नेश मेवाणी के बहाने जहां दलितों का साथ हासिल करने में जुटी है वहीं नसीमुद्दीन के बहाने सूबे में मुस्लिमों को जोड़ने का प्लान है.

तीन दशक पहले तक कांग्रेस दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण समाज के बल पर सत्ता हासिल करती रही. सन् 1984 में बसपा के उदय के बाद कांग्रेस का यह गठबंधन धाराशायी हो गया. तब से कांग्रेस संभल नहीं पाई, वह यूपी से लेकर देश की सत्ता तक में बाहर हो गई. अब कांग्रेस जान गई है कि अगर उसे सत्ता में आना है तो दलित और मुस्लिम मतदाताओं को अपनी ओर लेकर आना होगा. इसी के लिए कांग्रेस जहां जिग्नेश मेवाणी को दलित चेहरे के तौर पर देश भर में पेश कर रही है तो मुस्लिम चेहरे के रूप में बसपा के ही पूर्व नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी कांग्रेस के इशारे पर काम करेंगे. इन दोनों नेताओं के जरिए कांग्रेस उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से दलित-मुस्लिम गठबंधन बनाने को बेताब है.

बिहार के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी पर हमला

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पटना। बिहार के पूर्व विधानसभा अध्‍यक्ष और जदयू के नेता उदय नारायण चौधरी पर हमले की खबर है. नवादा जिले में कुछ असमाजिक तत्‍वों ने हमला कर दिया. चौधरी नवादा जिले के अपसड़ गांव में महादलित टोले में एक मांझी की हत्‍या के बाद मामले की जांच के सिलसिले में वहां पहुंचे थे. चौधरी के मुताबिक इस दौरान उन्‍हें पीड़ित परिजनों से बातचीत करने से रोका गया और उन पर हमला हुआ. चौधरी वहां से किसी तरह बच कर निकले.

पूर्व विस अध्यक्ष उदय नारायण ने कहा कि उनपर हमला किया गया. पीड़ित परिवार से मिलने नहीं दिया गया. मेरे साथ के सुरक्षा कर्मी ने बीच बचाव किया, अन्‍यथा कोई बड़ी घटना हो सकती थी. जान भी जा सकती थी. उन्होंने आरोप लगाया कि एनडीए की सरकार में महादलित असुरक्षित हैं.

असल में नवादा में दलित समाज की एक लड़की के साथ बलात्‍कार करने की कोशिश की गई. इसका विरोध करने पर टाला मांझी को जलाकर मार दिया गया. उदय नारायण चौधरी उसी से मिलने गए थे. पूर्व विधानसभा अध्यक्ष का कहना है कि इस दौरान उन्हें पीड़ितों से बात करने से मना किया गया. इसके बावजदू मैंने बात करने की कोशिश की. तब मुझे गाली दी गई. हाथ उठाया गया. स्‍थानीय पुलिस के सामने ऐसा किया गया. यदि मैं वहां से बचकर नहीं निकलता, तो मेरी हत्‍या हो जाती.

उन्‍होंने कहा कि पूरे देश में दलितों पर हमला बढ़ा हुआ है. चाहे बात रोहित वेमुला की हो, भीम आर्मी के चंद्रशेखर की या फिर सहारनपुर की, हर जगह दलितों पर अत्‍याचार बढ़ गये हैं. बिहार के खगडि़या में दीवाली के दिन 86 दलितों का घर जला दिया गया. जब मैं विधानसभा का अध्‍यक्ष रहा और मेरे साथ इस तरह की वारदात हुई तो आम दलितों के साथ क्‍या होता है,  इसका सहज ही अंदाज लगाया जा सकता है. हालांकि इस मामले पर नवादा के एसपी विकास बर्मन ने किसी तरह का हमला होने से इंकार किया है.

स्पर्म बेहतर चाहिए तो ये काम न करें

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नई दिल्ली। तमाम देशों में पुरुषों के शुक्राणुओं की संख्या में आ रही गिरावट डाक्टरों की चिंता का कारण बना हुआ है. उत्तरी अमरीका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के पुरुषों में तो पिछले 40 सालों से कम वक़्त के दौरान स्पर्म काउंट आधा हो गया है. जाहिर है कि शुक्राणुओं की संख्या में गिरावट का सीधा संबंध प्रजनन क्षमता से है. असल में स्पर्म कैसा होगा, यह कई चीजों पर निर्भर करता है. मसलन, आपका स्पर्म काउंट यानी शुक्राणु की संख्या कितनी है इसका संबंध खान-पान से भी है.

अगर आपके खाने में वसा की मात्रा ज़्यादा है तो स्पर्म काउंट में कमी आ जाती है. शोध में सामने आया है कि जो जंक फूड ज़्यादा खाते हैं उनके शुक्राणु की गुणवत्ता काफ़ी कमज़ोर थी. इस स्टडी के अनुसार जो ज़्यादा वसा खाते हैं उनका स्पर्म काउंट 43 फ़ीसदी कम होता है और शुक्राणु की सघनता भी कम होती है. तो वहीं जिनके शरीर में ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा पर्याप्त होती है उनके शुक्राणु की गुणवत्ता बेहतरीन होती है. यह एसिड मछली और वनस्पतियों के तेल में पाया जाता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति मिलीलीटर वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या 1.5 से 3.9 करोड़ हो तो उसे सामान्य माना जाता है. इसलिए स्पर्म काउंट दुरुस्त रखना है तो ये काम ज़रूर करें-

(1)   शराब पीना बिल्कुल बंद करें. शराब के सेवन आपके टेस्टास्टरोन हॉर्मोन्स की सेहत में गिरावट आती है. इस हॉर्मोन का सीधा संबंध यौन क्षमता से होता है.

(2)   बहुत टाइट अंडरवेयर नहीं पहनें और गर्म पानी से भी नहाने से बचें.

(3)   यौन संक्रमण से बचकर रहें.

(4)   ख़ुद को फिट रखें. कसरत करेंलेकिन बहुत ज़्यादा नहीं करें.

(5)   हर दिन सात से आठ घंटे नींद लेना भी जरूरी है.

(6)   गर्म पानी से नहाने से बचें. गर्म पानी से नहाते वक़्त आपके अंडकोष का तापमान बाधित होता और इससे स्पर्म काउंट पर सीधा असर पड़ता है.

अगर आप भाजपा समर्थक हैं तो ये सवाल देखिए…

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  यदि भाजपा के समर्थक हैं तो ख़ुद से नीचे लिखे सवाल पूछिए और जवाब ना हो तो अपनी सरकार से ये सवाल ज़रूर पूछिए..!!! तीन साल में 1– कितने करोड़ युवाओं को रोजगार दिया? 2– गंगा मैया कितनी साफ हुई? 3– बुलेट ट्रेन के कितने कोच तैयार हुए? 4– मेक इन इंडिया का क्या परिणाम रहा? 5– कितने दागी नेता जेल गए? 6– धारा 370 पर क्या हुआ ? 7– कितने कश्मीरी पंडितों का घर मिला? 8– डीजल पेट्रोल कितना सस्ता हुआ? 9– मंहगाई कितनी कम हुई? 10– आम जनता के लिए क्या किया? 11– लाहौर और करांची पर कहाँ तक कब्जा किया? 12– सेना को कितनी छूट मिली? 13– चीन थर-थर कांपा क्या? 14– देश ईमानदार देशों की श्रेणी में आ गया? 15– स्टार्ट-अप इंडिया का क्या हाल है? 16– जवानों का खाना सुधरा क्या? 17– बिहार को 175 लाख करोड़ का पैकेज मिला? 18– अलगाववादी नेताओं की सुविधाएं बंद की क्या? 19– ओवैसी और वाड्रा जेल गए क्या ? 20– मोदी के विदेशी दौरों से क्या मिला? 21– राम मन्दिर बना क्या? 22– गुलाबी क्रांति गौ हत्या रुकी क्या? 23– डॉलर का मूल्य रूपये के मुकाबले कितना कम हुआ? 24– कितने स्मार्ट सिटी तैयार हो गये? 25– सांसद आदर्श ग्राम योजना में कितने गाँव खुशहाल हुए? 26– महिलाओं पर अत्याचार रुक गया क्या ? 27– बीफ एक्सपोर्ट में भारत को एक नम्बर किसने बनाया? 28– 100 दिन में विदेशों से काला धन आया क्या? 29– कितने लोगों को 15 लाख मिले ? 30– नोटबन्दी से आतंकवाद और नक्सलवाद की कमर टूट गई क्या? 31– देश में घूसखोरी बंद हो गई क्या? 32– देश में कितनी खुशहाली आई ? 33– स्वच्छता अभियान कितना सफल रहा ? 34– मुस्लिम आबादी कितनी कम हुई? 35– हिन्दू आबादी कितनी बढ़ी? 36– टैक्स सुधार कितना हुआ? 37- इंस्पेक्टर राज कितना कम हुआ? 38– बैंक का अरबों डकारने वाले कितने पूंजीखोर जेल गए? 39– पार्टी के नाम पर काली कमाई वाले कितने नेता जेल गए? 40– कितने स्कूल, कॉलेज, अस्पताल खुले? 41– हिंदी का उपयोग कितना बढ़ा? 42– सिंचाई की सुविधा कितनी बढ़ी? 43– किसानों की आत्महत्या रुक गई क्या? 44– कितने नए वैज्ञानिक प्रयोग हुए? 45– सबको आवास मिल गया? 46– अदालतों में कितने जज बहाल हुए? 47– भारत कितने दिन में विश्वगुरू बनेगा? 48– कॉमन सिविल कोड लागू हो गया? 49– बलूचिस्तान को भारत में मिला लिया? 50– नेपाल से रिश्ते अच्छे हुए, कि ख़राब? 51– देश की इकॉनोमी कैशलेस हो गई? 52– हिन्दू तिथि से नववर्ष को सरकारी मान्यता मिल गई? 53– कितने बंगलादेशी खदेड़े गए? 54– रामसेतु को ऐतिहासिक स्थल बनाया कि नहीं? 55– संसद, विधानसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिला? 56– लोकपाल नियुक्त हुआ या नहीं? 57– कितनी नदियों को जोड़ा गया? 58. तीन तलाक पर रोक लगी या नहीं? 59– प्रॉपर्टी के दाम कितने कम हुए? 60– अच्छे दिन आ गए क्या? . विचार करें और उचित कदम उठांए जवाब मिलें तो मुझे भी बताइएगा..!!! – सोशल मीडिया से प्राप्त

पीएनबी घोटाले में मुकेश अंबानी के भाई का नाम

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नई दिल्ली। पंजाब नेशनल बैंक में हुए 11 हज़ार करोड़ रुपए के घोटाले की जांच में कई नाम सामने आने लगे हैं. सीबीआई की जांच में कई चौंकाने वाले नाम सामने आए हैं. इनमें फ़ायरस्टार इंटरनेशनल की कविता मनकिकर और नक्षत्र-गीतांजलि ग्रुप के चीफ़ फ़ाइनेंशियल ऑफ़िसर शामिल हैं.लेकिन जिस नाम को लेकर सबसे ज़्यादा चर्चा हो रही है वो हैं फ़ायरस्टार इंटरनेशनल के प्रेसिडेंट फ़ाइनेंस विपुल अंबानी. विपुल अंबानी असल में मुकेश अंबानी के चचेरे भाई हैं. वो धीरूभाई अंबानी के छोटे भाई नट्टूभाई अंबानी के बेटे हैं. टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक वो साल 2014 से फ़ायरस्टार का वित्तीय कामकाज देख रहे हैं. ज़ाहिर है नीरव मोदी की फ़्लैगशिप कंपनी के इतने बड़े ओहदे पर बैठे होने के कारण इस बात की आशंका काफ़ी बढ़ जाती है कि उन्हें इस मामले के बारे में काफ़ी जानकारी रही होगी. उनके पास यूनिवर्सिटी ऑफ़ मैसाच्युसेट्स से केमिकल इंजीनियरिंग में डिग्री है.ब्लूमबर्ग के मुताबिक विपुल अंबानी ने अपना करियर रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के साथ शुरू किया. पढ़ाई के बाद वो इंडस्ट्री में उतरे और फिर कुछ साल बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के मैनेजिंग डायरेक्टर के एग्ज़िक्यूटिव असिस्टेंट रहे और साल 1993 तक अलग-अलग ग्रुप में बड़े पदों पर काम किया.

साल 2014 में उन्होंने नीरव मोदी से हाथ मिलाया और फ़ायरस्टार का कामकाज देखने लगे. फ़ायरस्टार की वेबसाइट के मुताबिक ये कंपनी अमरीका, यूरोप, मिडल ईस्ट, सुदूर पूर्व और भारत में कारोबार करती है और उसके पास 1200 से ज़्यादा प्रशिक्षित प्रोफ़ेशनल हैं. फिलहाल इस मामले में देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के भाई का नाम आने से मामला दिलचस्प हो गया है.

तो क्या मोदी को छोड़ कांग्रेस के करीब आ रहे हैं अमिताभ बच्चन!

नई दिल्ली। गांधी परिवार और कांग्रेस पार्टी के साथ सुपरस्टार अमिताभ बच्चन का रिश्ता अजब-गजब रहा है. अमिताभ कभी गांधी परिवार के पास रहें तो कभी दूर हो गए. अमिताभ की राजीव गांधी से दोस्ती, बोफोर्स काण्ड, फिर अमिताभ का इलाहबाद से सांसद पद छोड़ना कोई कैसे भूल सकता है. हालांकि मतभेदों के बावजूद राजीव गांधी की हत्या का वक़्त हो या प्रियंका गांधी की शादी का, अमिताभ गांधी परिवार के साथ ही दिखे. एक बार फिर अमिताभ बच्चन गांधी परिवार और कांग्रेस के करीब आने लगे हैं.

अमिताभ के कांग्रेस और गांधी परिवार के करीब आने की बात को हवा 2 फरवरी को मिली. जब बिग बी ने 2 फरवरी को अचानक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को ट्विटर पर फॉलो करना शुरू कर दिया. बिग बी यहीं नहीं रुके, बल्कि इसके बाद कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला को भी फॉलो किया. 9 फरवरी को कांग्रेस पार्टी के ऑफिसियल ट्विटर हैंडल को भी अमिताभ बच्चन ने फॉलो कर लिया. इसके बाद हाल में बिग बी ने पी. चिदंबरम, कपिल सिब्बल, सीपी जोशी, अजय माकन और मनीष तेवारी सरीखे नेताओं को भी अपने ट्विटर हैंडल पर फॉलो कर डाला.

बदले में कई कांग्रेस नेताओं ने भी अमिताभ बच्चन को फॉलो किया. हालांकि इसके बावजूद राहुल गांधी ने अब तक बिग बी को ट्विटर पर फॉलो नहीं किया, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने अपने ऑफिसियल हैंडल पर सीनियर बच्चन को धन्यवाद देकर फॉलो कर लिया. पिछले कुछ सालों में नरेन्द्र मोदी के करीब माने जाने वाले अमिताभ बच्चन के इस कदम को लोग मोदी से दूरी और कांग्रेस से नजदीकी के तौर पर देखने लगे हैं.

रोहित वेमुला की मां ने दो साल बाद लिए हैदराबाद विवि से पैसे

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नई दिल्ली। रोहित वेमुला की आत्महत्या के दो साल बाद आखिरकार उनकी मां राधिका वेमुला ने हैदराबाद विश्वविद्यालय द्वारा दी गई 8 लाख की रकम को स्वीकार कर लिया है. इससे पहले उन्होंने बेटे रोहित वेमुला की मौत के लिए विश्वविद्ययालय को जिम्मेदार ठहराया था और कहा था कि कुलपति इन पैसों से उन्हें खरीदना चाहते हैं.

पैसे स्वीकार करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि पहले मैंने इसलिए इंकार कर दिया था, क्योंकि मुझे लगा था कि कुलपति मुझे पैसे के बल पर खरीदना चाहते हैं. उस वक्त मुझे मेरे बेटे के लिए इंसाफ की लड़ाई लड़ना ज्यादा जरूरी था. लेकिन बाद में मुझे पता चला कि यह पैसे राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के आदेश पर दिया जा रहा है, जिसके अध्यक्ष पी.एल पुनिया थे. उन्होंने दोहराया कि वह तब तक आराम से नहीं बैठेंगी जब तक अपूर्वाराव को उनके किए गुनाह के लिए सजा नहीं मिल जाती. रोहित वेमुला की मां ने पी.एल पुनिया का धन्यवाद देते हुए कहा कि वो सच के साथ खड़े हुए जबकि उन पर केंद्र सरकार का बहुत दबाव था. गौरतलब है कि हैदराबाद विश्वविद्यालय में पी.एचडी के छात्र रोहित वेमुला ने 17 जनवरी 2016 को आत्महत्या कर ली थी.

करण कुमार

बसपा से बर्खास्त नसीमुद्दीन सिद्दीकी होंगे कांग्रेस में शामिल

नई दिल्ली। बहुजन समाज पार्टी में कद्दावर नेता रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं. खबरों के मुताबिक सिदद्की 22 फरवरी यानि कल कांग्रेस में शामिल होंगे. सिद्दीकी के समर्थकों की माने तो इस दौरान उनके साथ करीब एक दर्जन पूर्व सांसद और विधायक भी कांग्रेस का दामन थामेंगे. दिल्ली स्थित कांग्रेस कार्यालय में सिद्दीकी के पार्टी में शामिल होने के वक्त कांग्रेस के महासचिव और यूपी के प्रभारी गुलाम नबी आजाद और प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर भी मौजूद रहेंगे.

एक वक्त में बहुजन समाज पार्टी के कद्दावर और बसपा प्रमुख मायावती के बेहद करीब रहे सिद्दीकी को मायावती ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए बसपा से बाहर कर दिया था. इससे पहले ही विधानसभा चुनाव में बसपा की हार के लिए तमाम नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी द्वारा गलत लोगों को टिकट दिलवाए जाने की बात से नाराज थे. बसपा के खराब प्रदर्शन के लिए भी सिद्दीकी के गलत टिकट वितरण को ही जिम्मेदार ठहराया गया था.

बसपा से निकाले जाने के बाद सिद्दीकी ने मायावती पर पलटवार करके कई आरोप लगाए थे. उन्होंने मायावती के साथ बातचीत के रिकार्डिंग भी जारी की थी और आरोप लगाया था कि इसमें मायावती उनसे पैसे पहुंचाने की बात कर रही हैं. हालांकि उस टेप में ऐसा कुछ भी नहीं था. बसपा से निकाले जाने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय बहुजन मोर्चा नाम से एक मोर्चा बनाया था और बसपा से निकाले गए लोगों को एकजुट कर रहे थे. लेकिन कोई सफलता नहीं मिलने के बाद आखिरकार उन्होंने कांग्रेस का दामन थामने का फैसला किया है. हालांकि उत्तर प्रदेश में मुसलमानों के बीच सिद्दीकी की कोई खास पकड़ नहीं है और वह जननेता नहीं है. ऐसे में कांग्रेस को सिद्दीकी से बसपा की कमजोरी पता करने के अलावा कोई और फायदा होने की उम्मीद कम है.