गुजरात में जातिवादी गुंडों को खटकी दलितों की रौबिली मूंछे

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गुजरात में जातिगत भेदभाव का एक और मामला सामने आया है. साबरकांठा जिले के इडार तालुका में ठाकुर समुदाय के आठ युवकों ने जबर्दस्ती एक दलित युवक की मूंछ मुड़वा दी और उसके साथ मारपीट की. 23 साल के इस पीड़ित युवक का नाम अल्पेश पांड्या है और वह सोशल वर्क में पोस्ट ग्रैजुएशन कर रहा है. युवक की न सिर्फ मूंछ मुंडवाई गई, बल्कि उसके साथ मारपीट भी की गई, जिसके कारण उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.

एफआईआर के मुताबिक पांड्या अपने दो दोस्तों के साथ बाइक से मंदिर जा रहा था, तभी रास्ते में ठाकुर समुदाय के युवकों ने उनका रास्ता रोक लिया और उन्हें गाली देना शुरू कर दिया. लाठी-डंडों और लोहे की छड़ों से लैस युवकों ने उससे कहा कि वह ऐसी रौबीली मूंछ कैसे रख सकता है. इतने में कुछ युवक आगे आए और उसे डंडों से पीटने लगे. पांड्या ने भागने की कोशिश की तो आरोपी युवक उसे पास के एक घर में घसीटकर ले गए और उसकी मूंछें रेजर से मूड़ दीं.

पांड्या ने कहा, ‘मुझे बेरहमी से पीटा गया और मेरी मूंछ हटा दी गईं क्योंकि मैं दलित हूं.’ पांड्या ने कहा कि मेरी गांव में किसी से कोई दुश्मनी नहीं है और न ही ठाकुर समुदाय के किसी व्यक्ति से कभी झगड़ा किया. उन्होंने बताया, ‘मैं दो साल से मूंछ बढ़ा रहा था लेकिन अब मेरे मूंछ पर ताव देने और चश्मा लगाकर गांव में घूमने से उन्हें दिक्कत होने लगी. मेरे माता-पिता को भी मेरी मूंछ के लिए मारा-पीटा गया.’

गोरल गांव में हुई घटना को लेकर साबरकांठा पुलिस ने आठों युवकों के खिलाफ एससीएसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है. पिछले साल अक्टूबर में दो दलित युवकों को भी गुजरात के ही लिंबोदरा और गांधीनगर में मारपीट और भेदभाव का सामना करना पड़ा था.

बिहार की राजनीति से बड़ी खबर, लालू खेमे में पहुंचे मांझी

बिहार। भाजपा और जदयू के गठबंधन और लालू यादव के जेल जाने के बाद बिहार की राजनीति में तेजी से बदलाव आना शुरू हो गया है. गठबंधन में अपनी अनदेखी से नाराज प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने अब लालू खेमें में जाने की घोषणा कर दी है. राबड़ी देवी के साथ हुई बैठक के बाद हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने एनडीए छोड़ने की घोषणा की. माझी ने कहा कि वे औपचारिक रूप से गुरूवार 1 मार्च को महागठबंधन में शामिल हो जाएंगे.

जीतन राम मांझी गठबंधन में खुद को महत्व नहीं दिए जाने के कारण पिछले काफी वक्त से एनडीए से नाराज चल रहे थे. बिहार की जहानाबाद सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए भी मांझी ने टिकट की मांग की थी लेकिन उनकी पार्टी को टिकट नहीं मिला. नीतीश कुमार के एनडीए का हिस्सा बनने के बाद मांझी की मुश्किलें और बढ़ गई है.

नीतीश कुमार से अलगाव के बाद मांझी ने जेडीयू से अलग हो कर हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा बनाया था. 2015 के बिहार विधानसभा से पहले वह लालू-नीतीश के महागठबंधन के खिलाफ एनडीए में शामिल हो गए थे. एनडीए ने विधानसभा चुनाव में जीतन राम मांझी की पार्टी को 20 सीट दिया, लेकिन उन्हें सिर्फ एक सीट पर ही जीत मिल पाई थी. मांझी खुद दो सीटों पर चुनाव लड़े थे लेकिन एक ही सीट पर जीत पाए थे.

दूसरी ओर लालू यादव के जेल जाने के बाद राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव लगातार महागठबंधन को मजबूत करने में लगे हैं. और भाजपा-नीतीश विरोधी खेमें को एकजुट करने में जुटे हैं. मांझी का महागठबंधन में आना ऐसी ही कवायद है.

कांग्रेस ने बसपा को दिया छत्तीसगढ़ में गठबंधन का ऑफर

नई दिल्ली। आमतौर पर गठबंधन से दूर रहने वाली बसपा ने लंबे समय के बाद कर्नाटक में जेडीएस के साथ समझौता किया है. इस गठबंधन की जहां काफी चर्चा हो रही है तो वहीं अब अन्य दल भी दूसरे राज्यों में बसपा का साथ चाहने लगे हैं. इस साल के आखिर में छत्तीसगढ़ में होने वाले चुनाव में भी एक प्रमुख पार्टी बहुजन समाज पार्टी से गठबधन करना चाहती है.

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने बसपा (बहुजन समाज पार्टी) को साथ मिलकर चुनाव लड़ने का आफर दिया है. इस बारे में छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेश बघेल का कहना है कि बसपा के नेता व कार्यकर्ताओं से चर्चा हुई है. साथ में चुनाव लड़ने की रणनीति पर काम किया जा रहा है. हालांकि इस बारे में दोनों पार्टियों का शीर्ष नेतृत्व फैसला करेगा लेकिन स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ता भाजपा को रोकने के लिए इस गठबंधन को जरूरी बता रहे हैं.

असल में कांग्रेस पार्टी छत्तीसगढ़ में लगातार हार का सामना कर रही है. प्रदेश में दलितों के बीच बहुजन समाज पार्टी लोकप्रिय है और बसपा भी दलित वोटों को हासिल करने में सफल रही है. यही कारण है तीन बार से हार झेलने वाली कांग्रेस पार्टी इस बार जीत के लिए हर दांव लगाने के लिए तैयार है.

योगी ने लखनऊ चमकाया लेकिन दलित आइकन्स की मूर्तियों पर अंधेरा छाया

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लखनऊ। इन्वेस्टर्स समिट में निवेशकों को लुभाने के लिए लखनऊ चमक रहा है, मायावती के दौर में बने स्मारकों को भी बेहतरीन ढंग से सजाया गया है. लेकिन इन्हीं स्मारकों और चौराहों पर लगी दलित महापुरुषों की मूर्तियां अंधेरे में रह गई हैं या फिर छोड़ दी गई हैं. चलिये योगी सरकार सबको भूल गई, लेकिन कम से कम भीम राव अंबेडकर को तो ध्यान में रखते. जिन्हें वक्त बेवक्त दलिट वोटों को जोड़ने के लिए याद करते रहते हैं.

दरअसल लखनऊ में हो रहे इन्वेस्टर्स समिट के लिए योगी सरकार ने अच्छी खासी तैयारी की. एयरपोर्ट से लेकर इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान तक और हर उन इलाकों को सजाया गया जहां इन्वेस्टर्स को घुमाया जा सके. इसमें कोई शक नहीं है कि सरकार ने इसके लिए अच्छी खासी मेहनत औऱ पैसा खर्च किया. समिट सफल भी माना जा रहा है. इस साज सज्जा में सबसे बड़ा योगदान मायावती के मुख्यमंत्री काल में बने स्मारकों और पार्कों का भी है, जो लखनऊ की खूबसूरती में चार चांद लगा रहे हैं.

योगी सरकार ने पार्कों स्मारकों को तो खूब सजाया, दीवार से लेकर खंभे तक रोशनी से नहा गए. लेकिन स्मारकों और पार्कों के बीच लगी अंबेडकर, नारायण गुरु, ज्योतिबा फूले जैसे महापुरुषों की मूर्तियां रोशनी को तरस गईं. मूर्तियों के प्लेटफार्म तक पर स्ट्रिप लाइट लगाई गई. लेकिन मूर्तियों पर एक भी ऐसी लाइट नहीॆ लगी जिससे कम से कम उनके चेहरे तो दिख सके.

मुख्यमंत्री काल में मायावती ने दलित उत्थान के लिए काम करने वाले महापुरुषों की प्रतिमाएं चौराहों और पार्कों में लगवाई थीं. यही नहीं मायावती ने इनके बीच अपनी और कांशीराम की भी मूर्तियां लगवा दी थीं, जो काफी चर्चा में रही. शायद ये पहला मामला रहा जब किसी ने खुद की मूर्तियां लगवाईं.

योगी सरकार का मायावती से तो परहेज करना लाजिमी है लेकिन दलित महापुरुषों की मूर्तियों को रोशनी से महरूम करने का तुक समझ नहीं आता.

उपचुनावः मौर्या की सभा में लोगों ने फेंके टमाटर

इलाहबाद। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का कहना है कि फूलपुर और इलाहबाद लोकसभा सीट पर उपचुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में आएगा. 11 मार्च को होने वाले मतदान को लेकर उन्होंने दावा किया है कि पार्टी इस बार पहले के मुकाबले ज्यादा मतों से जीत दर्ज करेगी. हालांकि डिप्टी सीएम की सभा का एक वीडियो सामने आया है जिसमें लोग उनके खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं.

वीडियो इलाहाबाद का बताया जाता है, जहां मौर्य चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे. एक टीवी चैनल द्वारा जारी किए इस वीडियो में लोग उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे हैं. बताया जाता है कि छात्रों ने उनके खिलाफ ना सिर्फ नारेबाजी की बल्कि टमाटर और कुर्सियां भी फेंकी. इसपर मौर्य ने नाराज छात्रों को मंच बुलाकर उनसे बातचीत की और उनकी समस्याओं को दूर करने का आश्वासन दिया.

गौरतलब है कि इससे पहले उप मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से कहा कि लोग भाजपा के जीत के अंतर की बात कर रह हैं. इससे साफ की दोनों सीटों पर भाजपा ही जीत दर्ज करेगी. यहां 60 फीसदी वोटर भाजपा के साथ है. उपचुनाव में भाजपा को मिलने वाली जीत साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए मजबूत नींव रखेगी.

आंकलन तो आपको करना है

भारत में सरकार तो भाजपा के अटल बिहारी वाजपेयी की भी बनी थी… बेशक झटके खा-खाकर. किंतु अटल जी ने चुनावी भाषणों में कांग्रेस के कार्यकाल की निन्दा तो जरूर की किंतु सरकार बनने के बाद वाजपेई जी ने खुले मन से स्वीकार किया कि स्वतंत्रता प्राप्त होने के बाद कांग्रेस के शासनकाल में देश हित में जो भी काम किए, उन्हें भुलाया जा ही नहीं सकता… उसकी प्रशंसा की जानी चाहिए.

किंतु भाजपा के ही मोदी जी के आज के शासन में क्या हो रहा है? हिन्दू को मुसलमान से भिडाना/लड़ाना, किसानों के हक में भाषण तो करना पर करना कुछ नहीं, नौकरियां देने की एवज पकौड़े तलने के सुझाव, अतार्किक रूप से अचानक नोटबन्दी लागू करना, देश के सबसे बड़े भ्रष्टाचारी माल्या, ललित मोदी, नीरव मोदी और चौकसी को बा-ईज्जत देश से बाहर भेजना ही आज की भाजपा सरकार की उपलब्धि है. कमाल तो ये है जो शर्मनाक है, सब उसकी वकालत कर रहे हैं. मोदी जी और अमित शाह के तानाशाही रवैये के आगे भाजपा के तमाम शीर्ष नेताओं का नतमस्तक हो जाना, भाजपा के लिए तो अंतिम यात्रा जैसा ही सिद्ध होगा. बेहतर है भाजपा के ये तथाकथित शीर्ष नेता राजनीतिक मैदान से बाहर ही हो जाएं, अन्यथा इनका नाम लेवा तक भी कोई नहीं बचेगा.

आडवाणी हों, मुरली मनोहर जोशी या फिर यशवंत सिन्हा हों और शत्रुघ्न सिन्हा और उन जैसे न जाने और भी कितने ही भाजपाई हैं जो मोदी जी और शाह के रवैये से परेशान हैं.

आज की भाजपा सरकार सबकुछ बदल देना चाहती है. वो ये सिद्ध करना चाहती है कि भारत में सबसे पहले ट्रेन लाने वाली भाजपा है. कहना अतिशयोक्ति न होगा कि अब तो ये लगने लगा कि जिस व्यक्ति को अपने घर, अपने परगने, अपने जिले, अपने राज्य, अपने देश के हितों के इतर केवल अपनी और अपनी ही शानो-शौकत बनाए रखने की चिंता हो, ऐसा आदमी एक तानाशाह के अलावा कुछ और हो नहीं सकता. जो राजा शानो-शौकत के लिए दिन में चार-पाँच बार लिबास बदलता हो, वह देश का वफादार कैसे हो सकता है? यहां मोदी जी हिन्दुत्व की इस धारणा को नकारते हुए लगते है कि जो जैसे अपराध करेगा,उसे वैसा ही दंड मिलेगा. शायद मोदी जी को पुनर्जन्म वाली धारणा में कोई विश्वास नहीं है.

मोदी जी बेशक तानाशाह बनते हों किंतु वो हैं तो आर एस एस के दम पर ही ..वो केवल और केवल आर एस एस का मुखौटे भर हैं और यह भी कि आर एस एस तभी तक भारत में शासन में देखे जा सकते हैं, तबतक मोदी जैसे चाटुकार और स्वहित साधने वाले ही नहीं, आर एस एस को मूर्ख बनाने वाले मोदी जैसे लोग मिलते रहेंगे… कोई शक?

 आज न केवल केन्द्र में अपितु देश के 20-22 राज्यों में भाजपा का शासन है. …इस पर भाजपा इतरा रही है. भाजपा को याद रखना चाहिए कि भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में कोई भागीदारी नहीं रही है. सो वो ज्यादा इतराए नहीं. देश का वोटर इतना भी सुशुप्त नहीं है कि देर तक किसी को सहन कर पाए.

आज की भाजपा सरकार देश में सबकुछ बदल देना चाहती है, वह भी शिक्षा प्रणाली/विषयों के माध्यम से… सड़कों के नाम, इमारतों के नाम यानी कि इतिहास को बदलने की कवायद. पर ये सफल होने वाली कवायद नहीं है. हिम्मत है तो बदलो इंडिया गेट का नाम, तोड़ सकते हो तो तोड़ो… लाल किला, जामा मस्जिद, कुतुब मीनार, पुराना किला, तुगलक की मजार, मीर की मजार, गालिब की मजार, देश का सर्वोच्च भवन..’संसद भवन’, साथ ही राष्ट्रपति भवन जो भारतीय सम्पदा तो है किंतु देन तो मुगलों और अंग्रेजों की है….भारत कुछ अपने द्वारा बनाई गई सम्पदा के नाम तो गिनाए? भारत के नेताओं ने तो धर्मिक और जातीय दुराव फैलाने के अलावा कभी कुछ किया ही नहीं. यहाँ तक कि गांधी जी द्वारा लिखित किताब ‘स्वराज हिन्द’ न केवल समाज विरोधी है अपितु देश के विकास में एक अवरोधक भी है.

-तेजपाल सिंह ‘तेज’-

कैंसर और इरादा फ़िल्म

ऐंगल्स ने कहा था कि किसी लेखक को अगर मारना है तो उसकी रचना पर चर्चा बन्द कर दो. एक चुप्पी बना लो. उसके पक्ष या विपक्ष में कोई चर्चा ही न करो. लेखक और उसका लिखा सब मर जायेगा. उस समय ऐंगल्स के साथ पूंजीवादी लेखकों ने ये ही तरीका अपनाया था.

इरादा फ़िल्म जो फरवरी 2017 में आई. जो एक बेहतरीन फ़िल्म है. इरादा फ़िल्म के साथ भी ये ही हुआ.

इरादा फ़िल्म जो कैंसर, कैंसर होने के कारण पर बनी फिल्म है. कैंसर के इस खेल में किस-किसको फायदा है इसका बखूभी चित्रण है. फ़िल्म ने जो मुद्दा उठाया उस पर चर्चा आज वक्त की जरूरत है. लेकिन वक्त पर और चर्चा पर उन्ही लोगो का कब्जा है जिनके मुनाफे के कारण कैंसर महामारी का रूप ले चुका है. कैमिकल फैक्ट्रियों के कचरे को जमीन में रिवर्स बोरिंग के जरिये पहुँचाने के कारण जमीन का पानी जहरीला हो गया. जो पानी और फसलों के माध्यम से ये जहर हमारे अंदर तक पहुंच रहा है जिस कारण कैंसर होती है. लेकिन आम इंसान के दिमाक मेपूंजीपतियों ने प्रचार के माध्यम से बैठा दिया कि कैंसर धूम्रपान और तम्बाकू से होता है. कैंसर धूम्रपान ओर तम्बाकू से भी होता है. लेकिन कैमिकल कचरा जमीन में पहूंचाने से पानी और फसल जहरीली हो गयी जिस कारण कैंसर महामारीबन गयी. लुटेरे पूंजीपतियों की मुनाफे की चाहत ने जमीन के पानी को जहर बना दियाइस का विरोध न हो इसलिए ये चुप्पी बनाई गई. आप धूम्रपान ओर तम्बाकू छोड़ सकते हो ये आपके हाथ मे है लेकिन आप पानी पीना कैसे छोड़ सकते हो. ये तो आपकी मूल जरूरत है. इस जहरीले पानी पीने से आज कैंसर महामारी का रूप धारण कर चुकी है.

मैने 2 दिन पहले इरादा फ़िल्म देखी. जैसे-जैसे फ़िल्म देख रहा था वैसे-वैसे देश की भयंकर सच्चाई डरा रही थी.

हम एक ऐसी जगह रह रहे है जहां रोजाना कोई ना कोई इस कैंसर की चपेट में आकर तड़फ-तड़फ कर मर रहा है. तड़फने के साथ-साथ उसको एक पूरा संगठित गिरोह लूट भी रहा है. खून बेचने वालों से लेकर कीमो थेरैपी, इंशोरेंस, पानी बेचने वालो का एक बहुतबड़ा स्कैम है इसके पीछे.

पानी जो मौत की दलदल बन गयी.

यहाँ के लोगो के लिए पानी ही मौत बन गयी है. पानी किसी भी इंसान की जिंदगी की सबसे जरूरी पेय पदार्थ है. अब वो ही उसके लिए जहर बन गया है.

कोई अगर इस जहर पर रिसर्च करता भी है तो लुटेरा पूंजीपति उसको मरवा देता है. जिसने इस जहर को पैदा कियाऔर जिसकी इस जहर के कारण दुकानदारी चल रही है वो सब इस जहर के खिलाफ बोलने वालों का मुंह बंद कर देते है.

कारपोरेट का मीडिया प्रचार करता है कि

“यहाँ का पानी पीने से आप नही बच सकते.”

सेफ रहो, अलर्ट रहो, साफ पानी पियो.

मतलब RO लगवावो. बोतल बन्द पानी खरीदो. जमीन का या नदियों के पानी से ये जहर खत्म हो इस पर कोई चर्चा नही.

फ़िल्म में लुटेरा पूंजीपति, खोजी ईमानदार पत्रकार को मारने से पहले कहता है कि –

रिवर्स बोरिंग किस चिड़िया का नाम हैये कोइ नही जानता

अमोनियम नाइट्रेट, क्रोमियम कैमिकल ये जहरीले है. किसी को कोई फर्क नही पड़ता है. इंजेक्सन लगा कर सब बेहोसी में जीये जा रहे है.

शनिवार-रविवार को बीबी के साथ डिनर, गर्ल फ्रेंड के साथ डिस्को बस ये जिंदगी है.

इस जहर की उनको आदत सी पड़ गयी है

इसलिए मेरा बिजनेस सही है. क्योकि कोई मेरे बिजनेस पर सवाल नही उठाता.

वैसे पूंजीपति ठीक कह रहा है. आज ये ही तो हालात है. पंजाब और पंजाब के लगते बार्डर इलाको में हर घर से कैंसर के कारण मौत हो चुकी है लेकिन क्या आपने कभी विरोध के स्वर सुने. सुनोगे भी नही.

कभी पंजाब की धरती क्रांति औरक्रांतिकारियों को पैदा करती थी लेकिन आज हालात क्या है.रोजाना इस बीमारी की चपेट में आकर लोग मरते हैं लेकिन पंजाब का आवाम पूंजीवाद के नशे में चूर है. बहुतो को कोकीन का नशा मार गया तो बहुतो को फ्री इंटरनेट, फैसन, शॉपिंगमार गया.

क्योकि पूंजीवाद ने आपकी नशों में बड़े शातिराना तरीके से अपने नशे को पहुंचा दिया है.

पिछले 20 साल में 3 लाख किसान आत्महत्या कर गए जिसका हम जब जगह जिक्र करते है. लेकिन पिछले 20 साल में कैंसर से भी लाखों लोग मर गए. कोई सर्वे नही, कोई जिक्र नही, कोई लड़ाई नही.

कुछ सालों में कैंसर के मरीजों को नजदीक से देखा है. कैंसर के कारण होने वाला असहनीय दर्द, गरीबपरिवार की रुपयों के अभाव में बेबसी, कैसे धीरे-धीरे घर से इंसान भी जाता है और जमीन, रुपया, गहने सब कुछ चला जाता है. ईमानदारी से सरकार कैंसर से मरने वालों का सर्वे करवाये तो एक बहुत बड़ी भयानक सच्चाई सामने आ सकती है.

बहुत पहले कहानियों में सुनते थे कि फ़ैलाने इलाके में एक जिन्न आ गया. जो गांव से दूर जंगल या पहाड़ में रहता है वो इलाके वालों से हर रोज एक इंसान को खाने के लिए लेता है. उसके साथ मे भेड़, बकरी, गाय, फल बहुत से सामान भी साथ मे लेता है. फिर एक दिन उस गांव में एक इंसान आता है और उस जिन्न को मार कर वहाँ के इंसानों को बचाता है.

ये कहानी बहुत सुनी है, फिल्मो में भी है, महाभारत मेऐसी कहानी का जिक्र मिलता है. लेकिन उस जिन्न को किसने पैदा कियाये उन कहानियों में नही है.

लेकिन जो ये कैंसर का जिन्न है जो हर रोज बहुत से इंसानों की बलि ले रहा है साथ मे उसकी भेड़, बकरी, गाय, भैंस, जमीन, गहनों को भी खा रहा है. इसको किसने पैदा किया ये जरूर मालूम है. पूंजीपति की पूंजी कमाने की हवस ने इस जिन्न को पैदा किया है. इस हवस पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी हमने जिनको सौंपी नेता, पोलिस, नोकरशाह, मीडिया, कानून वो सब इस लूट के हिस्सेदार बन बैठे है.

कुछ दिन पहले मेरे एक मित्र से लड़ने के तरीकों पर चर्चा चल रही थी  की इस कैंसर वाले मसले पर कैसे लड़ा जाए. क्योंकि ये मामला बहुत बड़ा है. 1 गांव या 10 गांव मिलकर भी इस लड़ाई को जीत नही सकते. मेरा दोस्त भी उन्ही गांव से था जिस गांव में प्रत्येक घर से ये बीमारी बलि ले चुकि है. वो साथी इस मुद्दे पर लड़ भी रहे है. इस फ़िल्म ने लड़ने का तरीका बता दिया. लड़ाई का एक ही तरीका है. वो है शहीद-ऐ-आजम भगत सिंह का रास्ता”बहरो को सुनाने के लिए धमाके की जरूरत होती है.”

मदारी फ़िल्म के बाद इरादा एक बेहतरीन फ़िल्म है जो समस्या को उठाती है. पूंजीपति-पोलिस-मीडिया-राजनीति के लूट के लिए बने नापाक गठबंधन को बेबाक तरीके से दिखाती है. व इसके साथ मे समस्या के समाधान के लिए क्रांतिकारी रास्ता दिखाती फ़िल्म है.

फ़िल्म में भटिंडा से बीकानेर के बीच एक पैसेंजर ट्रेन जिसमे 60% से ज्यादा कैंसर के मरीज आते और जाते है. इस ट्रेन का चित्रण रोंगटे खड़े करने वाला है. भारत की ट्रेनों में अक्सर नमकीन, छोले, पॉपकार्न, मूंगफली, पापड़ बेचने वाले मिलते है. लेकिन इस ट्रेन में खून बेचने वाले,इंशोरेंस बेचने वाले, कीमोथेरेपी का पैकेज बेचने वाले मिलते है जिसको फ़िल्म में बहुत ही अच्छे तरीके से दिखाया है. खून बेचने वाला आवाज लगा रहा है कि 2 के साथ 1 फ्री, आज का रेट 150-150

फ़िल्म ने रक्तदान कैम्पो पर भी सवाल उठाया है.

फ़िल्म में नसीरुद्दीन शाह की दमदार आवाज में दुष्यन्त की ये लाइने लाजवाब है-

“सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नही, मेरा मकसद नही, मेरी कोशिश है ये सूरत बदलनी चाहिए.

आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,

शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए.

हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में,

हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए.

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,

सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए.

मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,

हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए.

– दुष्यन्त कुमार

“समुंद्र के किनारे मकान हो तो,

तूफान से होशियार रहना चाहिये.”

दमदार और असरदार डायलोक भी फ़िल्म की कहानी को बेहतरीन बनाते है –

“चूहे मारने वाली दवाई से आप बच जाओगे, लेकिन यहाँ के पानी से कभी नही बच पाओगे”

“लाशें दलदल में धँसती हुई.”

“कैमिकल के कारण यहाँ का पानी, यहाँ की मिट्टी, यहाँकि फसलों में जहर घुला है.”

“यहाँ का पानी ही नही खून भी लुटेरे पूंजीपति की जागीर है.”

“ये शहर जितना जमीन के ऊपर है उतना ही जमीन के नीचे है.”

“घुन ही गेंहू को मिटा सकता है.”

लेकिन पत्रकार जो अपनी सच्चाई के कारण मौत के मुआने पर खड़ा है. वो पूंजीपति को कहता है-

पत्रकार – तुम्हे लगता है तुम सच को दबा दोगे, कोई ना कोई सच को जरूर सामने लाएगा

सच छुपेगा नही. सच छुपेगा नही.

हमको भी लगता है कि आने वाले समय मे लोग लड़ेंगे मजबूती सेऔर इस लुटेरी कौम का सर्वनाश कर देंगे.

“जलते घर को देखने वालों

फुस का छपर आपका है.

आग के पीछे तेज हवा

आगे मुकद्दर आपका है.

उसके कत्ल पर मै भी चुप था.

मेरी बारी अब आयी.

मेरे कत्ल पर आप भी चुप हो.

अगला नम्बर आपका है.”

लेखक :- उदय छे

इस डायरेक्टर ने दी थी श्रीदेवी की बेटी को मॉम के मौत की खबर

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मुंबई। शनिवार रात को बॉलीवुड की टैलेंटेड और खूबसूरत अदाकारा श्रीदेवी का निधन हो गया. महज 54 साल की उम्र में उनका निधन होने से पूरे देश में शोक की लहर है. श्रीदेवी की मौत का सबसे बड़ा सदमा उनके परिवार को लगा है. श्रीदेवी की बेटी जाह्नवी कूपर अपनी फिल्म धड़क की शूटिंग में बिजी होने के कारण अपनी मां के साथ दुबई में मौजूद नहीं थी. जाहिर है कि उनको ताउम्र अफसोस रहेगा कि वो अंतिम पलों में अपनी मां के साथ नहीं थी.

मुंबई में जैसे ही श्रीदेवी की मौत की खबर पहुंची, सबको सबसे पहले जाह्नवी कपूर की याद आई. सवाल था कि जाह्नवी कपूर को सबसे पहले यह दुखद खबर कौन देगा. इसका जिम्मा करण जौहर ने उठाया. बॉलीवुड लाइफ की रिपोर्ट के अनुसार, करण जौहर श्रीदेवी की मौत की खबर जानकर तुरंत ही जाह्नवी कपूर के घर गए. इसके बाद वह जाह्नवी को उनके चाचा अनिल कपूर के घर पर लेकर गए.

बता दें, श्रीदेवी ने अपनी बेटी जाह्नवी के बॉलीवुड डेब्यू के लिए करण जौहर पर भरोसा जताया था. वह अपने बेटी को सिल्वर स्क्रीन पर देखना चाहती थीं. लेकिन एक्ट्रेस की मौत के बाद श्रीदेवी के दिल का एक अरमान अधूरा रह गया. बता दें, धड़क मराठी फिल्म सैराट की हिन्दी रीमेक है. इसका निर्माण करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शन बैनर तले हो रहा है. यह 20 जुलाई 2018 को रिलीज होने वाली है.

मायावती ने ठुकराया तेजस्वी का ऑफर

नई दिल्ली। बीएसपी सुप्रीमो मायावती फिलहाल राज्यसभा वापस नहीं जाना चाहतीं. शायद यही वजह है कि उन्होंने तेजस्वी यादव द्वारा राज्यसभा भेजे जाने का ऑफर ठुकरा दिया है. असल में लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने आरजेडी के कोटे से उन्हें राज्यसभा सीट ऑफर की, लेकिन मायावती ने ये प्रस्ताव भी ठुकरा दिया. तेजस्वी ने कहा कि मायावती बीजेपी के केंद्र की सत्ता पर रहने तक राज्यसभा नहीं जाना चाहतीं.

पिछले साल सहारनपुर में दलित अत्याचार पर सदन में न बोलने देने का आरोप लगाते हुए उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता छोड़ दी थी. अब वो अपनी पार्टी के विधायकों के बूते राज्यसभा पहुंच नहीं सकतीं. लालू यादव भी मायावती को राज्यसभा भेजने का ऑफर दे चुके हैं. फिलहाल राज्यसभा में बसपा के तीन सांसद हैं, जबकि लोकसभा में एक भी सदस्य नहीं हैं.

एक वजह यह भी हो सकती है कि राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद मायावती हर रैली में अपने इस्तीफे की बात कह रही हैं. उन्होंने यह भी संदेश दिया है कि उनको दलितों की परवाह है और उनके हक में आवाज उठाने से वह पीछे नहीं हटेंगी. संभव है कि मायावती का ये संदेश उन्हें अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में फायदा दिला सकता है. मायावती फिलहाल राज्यसभा सीट के चक्कर में फंसकर खुद का सियासी वजूद खत्म होते नहीं देखना चाहतीं. यही वजह है कि उन्होंने वापस राज्यसभा जाने का ऑफर ठुकरा दिया है.

गुजरात विधानसभा: मेवाणी का माइक 40 सेकेंड में बंद

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अहमदाबाद। गुजरात की विधानसभा में जिग्नेश मेवाणी को सोमवार को केवल 40 सेकेंड का समय ही मिल सका. मेवाणी सोमवार को विधानसभा में दलित सामाजिक कार्यकर्ता भानुभाई वणकर के केस पर बोल रहे थे. इससे पहले की मेवाणी अपनी पूरी बात रख पाते, विधानसभा के अध्यक्ष ने 40 सेकेंड बाद मेवाणी का माइक बंद करने का आदेश दे दिया.

दलितों को सरकार की ओर से आवंटित जमीन के कब्जे की मांग को लेकर दलित सामाजिक कार्यकर्ता भानुभाई वणकर ने पिछले हफ्ते कलेक्टर ऑफिस में खुद को आग लगा ली थी, जिसके बाद उनकी मौत हो गई. मेवाणी ने खुद को बोलने से रोकने के बाद गुजरात सरकार पर आरोप लगाया कि वह दलितों के विरोध में काम कर रही है. उन्होंने थानगढ़ एसआईटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की. मेवाणी ने कहा कि सरकार के कदम से लगता है कि वह इस मामले में किसी भी अधिकारी की जवाबदेही तय नहीं करेगी. थानगढ़ में तीन दलित मारे गए थे.

मेवाणी ने कहा कि पीड़ित परिवार को 8 लाख रुपये देने की घोषणा की गई थी, जो अब तक पूरी नहीं हुई है. मेवाणी ने आरोप लगाया कि सरकार का मानना है कि दलितों को दी जाने वाली जमीन पर दलितों का कोई हक नहीं है.

लालू यादव की बेटी का फार्म हाउस कुर्क

नई दिल्ली। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी व राज्यसभा सांसद मीसा भारती और उनके पति शैलेश कुमार का दिल्ली स्थित फार्म हाउस प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कुर्क कर लिया है. ईडी ने फार्म हाउस पर कुर्की का नोटिस चस्पा कर दिया है. ईडी की इस कार्रवाई के बाद राजद ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और इसे भाजपा के इशारे पर उठाया गया कदम बताया है. तो वहीं खबर है कि पीएमए एक्ट के तहत ईडी इस मामले में मीसा भारती और शैलेश कुमार की कुछ और सपंत्ति को भी कुर्क कर सकता है. ईडी ने दक्षिण दिल्ली के बिजवासन में 12 बीघा में फैला यह फार्म हाउस पिछले साल सितंबर में जब्त किया था.

पीएमएलए के न्यायिक प्राधिकरण के सदस्य (विधि) तुषार वी शाह ने अपने आदेश में कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से पेश की गई शिकायत और सामग्री पर विचार करने पर उन्होंने पाया कि अंतरिम रुप से जब्त की गई संपत्ति धनशोन में शामिल थी, इसलिए अदालत में मामले की सुनवाई चलने तक यह संपत्ति कुर्क रहेगी.

ईडी का कहना है कि यह फार्म हाउस मीसा भारती और उनके पति शैलेश कुमार की है. इस संपत्ति को मेसर्स मिशैल पैकर्स एंड प्रिंटर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से रखा गया था. जांच के दौरान पता चला कि फार्म हाउस 2008-09 में धनशोधन में शामिल 1.2 करोड़ रुपये का इस्तेमाल कर खरीदा गया था. ईडी आठ हजार करोड़ रुपये के कथित धनशोधन मामले में मीसा भारती और शैलेश कुमार की जांच कर रही है.

करण कुमार

सीएम योगी के गढ़ में सड़क पर उतरे दलित

गोरखपुर। देश भर में दलित समाज पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ अब देश के विभिन्न हिस्सों से विरोध की आवाज आने लगी है. उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर में भी दलित संगठनों ने सीएम योगी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. 25 फरवरी को अम्बेडकर जागरण मंच के बैनर तले समाज के सैकड़ों लोगों ने दलितों पर अत्याचार के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन किया. आरक्षण बचाओ, दलित सम्मान बचाओ, संविधान बचाओ महारैली के बैनर तले सैकड़ों लोग गोरखपुर की सड़कों पर उतर गए और प्रदेश भर में दलितों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ अपना रोष जाहिर किया. आंदोलनकारी आरक्षण के समर्थन में और दलित उत्पीड़न के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे. विरोध प्रदर्शन के दौरान इलाहाबाद के वकालत के छात्र दिलीप सरोज को इंसाफ दिलाने को लेकर भी नारे लगाए गए. महारैली विष्णुपुर से बशारत पुर होते हुए गोलघर, फिर शास्त्री चौक से अम्बेडकर चौक तक पहुंची. इसका नेतृत्व संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर ने किया.

बीते वक्त में जिस तरह दलित उत्पीड़न के मामले बढ़े हैं, उससे देश भर के दलितों में काफी गुस्सा है. हाल ही में गुजरात में भी एक दलित एक्टिविस्ट भानुभाई वणकर द्वारा आत्मदाह किए जाने के बाद गुजरात में भी दलित आंदोलन भड़क गया है. तो सहारनपुर से एक बार फिर चंद्रशेखर रावण की रिहाई को लेकर भीम आर्मी के सदस्य और उनके समर्थक बुद्धीजीवी आंदोलन का बिगुल फूंक चुके हैं. ऐसे में लखनऊ के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति का दूसरा गढ़ बन चुके गोरखपुर में दलितों का सड़क पर उतरना बड़ी घटना है. गोरखपुर में उपचुनाव से ठीक पहले इस तरह के आंदोलन के जरिए दलित समाज की गोलबंदी भाजपा के लिए मुसीबत बन सकती है.

श्रीदेवी की मौत से बॉलीवुड मौन, शूट, लॉन्च, इवेंट सब रद्द

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मुंबई। जानी मानी फिल्म अभिनेत्री श्रीदेवी के अचानक निधन से परिवार के बाद सबसे बड़ा झटका बॉलीवुड को लगा है. महीनों से जिन इवेंट और शूट्स की तैयारी चल रही थी उन सभी को अब रद्द करवा दिया गया है. बॉलीवुड के सूत्रों की मानें तो आज अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर की फिल्म के शुरुआती सीन की शुरुआत होनी थी, लेकिन श्रीदेवी की आकस्मिक मौत के कारण कलाकारों से लेकर फिल्म डायरेक्टर तक सभी ने काम करने से मना कर दिया.

खबरों की मानें तो बड़ी मुश्किल से बिग बी और ऋषि की डेट मिली थी, लेकिन श्रीदेवी के निधन की खबर सुनकर अब तक सभी सदमे में हैं. यहां तक कि जीटीवी ने भी अपने आने वाले बड़े रियलटी शो डीआईडी लिटिल मास्टर की लॉन्चिंग भी आज रद्द कर दी है. इस शो को बड़े पैमाने पर लॉन्च किया जाना है. चैनल ने इसके लिए काफी खर्चा भी कर दिया था. इसी के साथ कुछ फिल्मों का प्रोमोशन भी होना था जिसे भी रद्द कर दिया गया है.

श्रीदेवी की याद में किसी ने स्क्रीन काला किया, किसी ने कहा- ‘मुझे उनसे नफरत है’

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श्रीदेवी के अचानक निधन से बॉलीवुड ही नहीं सारा देश सदमे में है। हर तरफ शोक की लहर दौड़ गयी है। सब अपने-अपने तरीके से इस शानदार अभिनेत्री को याद कर रहे हैं, तो सोशल मीडिया पर श्रीदेवी के लिए शोक संदेश का सैलाब उमड़ा हुआ है, जहां श्रीदेवी के प्रशंसक से लेकर फिल्म इंडस्ट्रीज के तमाम लोग उन्हें याद कर रहे हैं.

डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा ने कई ट्विट किए. पहले उन्होंने लिखा-

“मेरी यह पुरानी आदत है कि मैं रात में कई बार सपने देखते हुए जाग जाता हूं और इस बीच अपना मोबाइल भी चेक करता रहता हूं। इसी दौरान रात को मैंने एक मैसेज पढ़ा कि श्री देवी अब हमारे बीच नहीं हैं। मुझे लगा यह कोई सपना है या फिर किसी ने कोई अफवाह उड़ाई है। यह सोच कर मैं फिर सो गया। लगभग एक घंटे के बाद फिर जब मैं जागा तो ऐसे पचासों संदेश थे जिसमें यह बताया गया कि श्रीदेवी अब हमारे बीच नहीं हैं और उनका निधन हो गया है।

फिर श्रीदेवी को याद करते हुए अपनी भावुक टिप्पणी में इस डायरेक्टर ने लिखा-

“मुझे नफरत है कि उनके पास भी ऐसा दिल था, जो सामान्य दिलों की तरह धड़कना बंद कर सकता था। मुझे नफरत है कि मैं उनकी मौत को देखने के लिए जिंदा था। मैं उनकी जान लेने वाले भगवान से नफरत करता हूं और वह नहीं रहीं, इसलिए मैं उनसे भी नफरत करता हूं। मैं आपसे प्यार करता हूं श्री, आप जहां भी हो..मैं हमेशा आपसे प्यार करता रहूंगा।” श्रीदेवी के साथ सदमा फिल्म में काम कर चुके जाने-माने एक्टर कमल हसन ने ट्वीट में लिखा, ‘मैंने श्रीदेवी की एक किशोरी से एक खूबसूरत महिला तक की जिंदगी देखी। वो स्टार बनने के योग्य थीं। उनके साथ बिताए कई खुशी के पल मेरे दिमाग में कौंध रहे हैं, जिसमें उनके साथ आखिरी मुलाकात भी शामिल है। सदमा की लोरी अब मुझे डरा रही है। हम उन्हें याद करेंगे।’

सिद्धार्थ मल्होत्रा ने ट्वीट करके श्रीदेवी के आकस्मिक निधन पर हैरानी जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है। तो वहीं निमृत कौर श्रीदेवी के निधन की ख़बर से सकते में हैं। उन्होंने लिखा है- चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात

श्रीदेवी के साथ चांदनी फिल्म में काम कर चुके ऋषि कपूर ने लिखा है कि सुबह इस दुखद ख़बर के साथ जागा। बेहद सदमे में हूं। दुखद है। बोनी और उनकी बेटियों को मेरी हार्दिक संवेदनाएं। अपने को-स्टर को खोने से ऋषि कपूर कितने दुखी हैं यह इसी से समझा जा सकता है कि उन्होंने अपने ट्विटर प्रोफ़ाइल से फोटो हटाकर वहां ब्लैक छोड़ दिया है।

हेडिंग- दिल्ली पुलिस से प्रताड़ित दलित परिवार ने बताया अपना दर्द

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सेवा में, श्रीमान

विषय:- मैं वीना देवी धर्मपत्नी श्री रमेश चंद 21/02/2018 व 22/02/2018 की इस क्रूर घटना के बारे में आपको जानकारी दे रहीं हूं जो हमारे साथ रात के करीब 2:00 बजे व 12:30 बजे घटी थी. 6 संदिग्ध पुलिस वालों द्वारा दरवाजे की कुण्डी तोड़ कर घर में घुसकर मुझे व मेरे बेटों व मेरी बहुओं के साथ मार पीट करना, हमारे बाल नोचकर गालियां देना अश्लील टिप्पणियां करना जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करना व हमारे मोबाइल फोन को तोड़ कर फेंक देना यह कहकर कि हम लोग थाना फतेहपुर बेरी से आएं हैं और हम लोग पुलिस वाले हैं.

महोदय निवेदन इस प्रकार है कि मैं वीना देवी 21/02/2018 को समय करीब रात के 2:00 AM बजे अपने घर मकान नंबर 38 हरिजन मोहल्ला मांडी गांव नई दिल्ली 110047 में अपने दो बेटों व बहु के साथ सो रही थी. मेरे पति उस समय घर पर नहीं थे कि तभी कुछ शोर आवाजें आई. मैंने कमरे से बाहर निकलकर देखा तो वहां 4 संदिग्ध पुरुष खड़े थे जिन्होंने मेरे बड़े बेटे को बलों से पकड़ रखा था और उसे थप्पड़ व घूंसो से पीट रहे थे. तभी मैं भागी तो एक ने मेरे बाल पकड़कर मुझे थप्पड़ मारना शुरू कर दिया व अशलील गालियां कि तुम लोग ब्लैकमेलर हो गंदा काम करते हो साली कूतिया रण्डी… मेरी बहु ने जब कहा की महिलाओं से पुलिस का इस तरह का व्यवहार ठीक नहीं तो उसे भी थप्पड़ मारकर दूर धकेल दिया तभी बाहर के कमरे से चिल्लाने की आवाज आई.

मैने जैसे तेसे अपने आपको छुड़वा कर बाहर वाले कमरे में गई तो वहां दो संदिग्ध लोगों द्वारा मेरे छोटे बेटे को बिस्तर पर ही दाबाए हुए देखा. वो उसे न जाने कब से पीट रहे थे हमारे बोहोत निवेदन करने पर उन्होंने हमें इस क्रूर व्यवहार के बारे में कोई जानकारी दी. सिर्फ इतना बताया की वे सब थाना फतेहपुर बेरी से आए है जबकि उन्होंने यूनिफॉर्म नहीं पहनी थी और शराब पी थी, ना उनके पास कोई search warren था ये सब उपद्रव उत्पात मचाकर वे सभी पुलिस जीप में बैठकर वहां से चले गए.

इसकी जानकारी देने के लिए जब हमने पुलिस को फोन करना चाहा तो उन्होंने हमारे फोन भी छीनकर जमीन पर पटक दिए जोकि हमारे फोन टूटने की वजह से हम उस वक्त 100 नंबर पर कॉल नहीं कर पाए अतः इस घटना की जानकरी 21/02/2018 को सुबह 08:00 AM बजे 100 नंबर पर की 1 घंटे बाद एक पुलिस अफसर आया जो कि अपना नाम मुरारी लाल बता रहा था जिसका कहना था कि में इस 100 नंबर की कॉल पर तुम्हारा (आईओ) हूं जिसके बाद वीना देवी का बयान लिया गया और एक लिखित शिकायत उन्हें दी गई और उन्होंने हमें आश्वाशन दिलाया कि में छानबीन करूंगा दीनांक 22/02/2018 को जब इनसे जवाब मांगा गया तो उन्होंने साफ तौर पर इनकार कर दिया के कोई मामला नहीं बनता. तुम्हारी शिकायत का और मुझे दोबारा परेशान मत करना हमारे बहुत आग्रह करने पर भी उसने कहा कि तुम्हारे कहने से कार्यवाही होगी क्या में को कहूंगा वहीं होगा तुम जो के रहे हो सब झूठ है तुम्हारे घर कोई नहीं गया फिर उसने हमें एक नाम बताया S.K.Singh और कहा इनसे मिलो ये ही तुम्हारे घर आए थे. जब हमने आग्रह किया की आपको जब ये पता चल ही गया के S.K.Singh नाम का ये व्यक्ति हमारे घर रात को 2:00 बजे हमारे घर गया था तो आप ये कैसे नकार सकते हैं कि हमारे साथ मार पीट नहीं हुई फिर उन्होंने कहा मुझे परेशान मत करो कल रात दिनांक 22/02/2018 को रात समय 12:30 बजे फिर 6 पुलिस वाले हमारे घर में दाखिल हुए फिर से हम औरतों को मारना पीटना शुरू कर दिया मेरे बेटों ने बचाव कि कोशिश की तो उसे पीटना शुरु कर दिया जबकि एक बेटा नाम सुमित जिसका पिछले साल एब्डॉमिनल आप्रेशन हुआ था उसका सिर डंडे से मारकर फोड़ दिया उसके पीट में लतें मारी जबकि हमने उनके हाथ जोड़े के इसको बख्श दो ये इस लायक नहीं की ये सब सह सके उन्होंने कहा के मर ही तो जाएगा फिर जाती शुचक शब्दों का प्रयोग करते हुए उसे लगभग 100 मीटर तक घसीटते हुए लेकर गए जब वह बेहोश हो गया तो उसे वहां फेक दिया के लगता ये मर गया और मेरे दोनों बेटों दिनेश व मनीष को घसीटते हुए पुलिस जीप में ले गए

फिर हमने 100 नंबर पर फोन करके इसकी जानकारी पुलिस को दी फिर पुलिस सुमित को लेकर ट्रूमा सेंटर ले गए जिसके बाद मंडी गांव का दलित समुदाय एकत्रित होकर थाने पहुंचा तो पता चला कि यह किसी को नहीं लाया गया. पता नहीं उन्हें कहां ले जाया गया है कहकर थाना अधिकारियों ने पल्ला झाड़ लिया फिर बाद में दिनेश व मनीष को ट्रौमा सेंटर में लाया गया जहां उनकी हालत खड़े रहने लायक भी नहीं थी. इन पुलिस वालो ने उन्हें इतना मारा है कि फिर न जाने उन्हें कहां ले गए हॉस्पिटल में सुमित का मेडिकल हुआ जिसमें पुष्ठी हुई कि सर में गहरी चोट है व अन्य चोटें है दिनेश व मनीष की मेडिकल रिपोर्ट उन्हीं के पास है.

अतः महोदय से हाथ जोड़कर निवेदन है कि S.K.Singh व उसके साथियों पर उचित कारयवाही करें और हमारी सुरक्षा करे.

वीना देवी, धर्मपत्नी श्री रमेश चंद दिनेश कुमार, पुत्र श्री रमेश चंद पुष्पा देवी, धर्मपत्नी श्री दिनेश कुमार मनीष कुमार, पुत्र श्री रमेश चंद सुमित कुमार पुत्र श्री रमेश चंद मकान नंबर 38, हरिजन मोहल्ला मांडी गांव नई दिल्ली 110047 नंबर 9999443833

भाजपा राज में दलित सब इंस्पेक्टर ने राष्ट्रपति से मांगी इच्छामृत्यु

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में अमर सिंह नाम एक सब इंस्पेक्टर मरना चाहता है. उन्होंने मरने के लिए इजाजत मांगी है. और यह पंफलेट उन्होंने ही छपवाया है. असल में अमर सिंह को उनके अपने ही पुलिस विभाग द्वारा साल 2006 से परेशान किया जा रहा है, जिससे तंग होकर उन्होंने देश के राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु मांगी है.

6 दिसंबर 2006 में अमर सिंह पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा, जिसके बाद पुलिस महकमें ने दो दिन बाद ही 8 दिसंबर को उन्हें सस्पेंड कर दिया. चूंकि एक पुलिसकर्मी को विभाग द्वारा सस्पेंड किए जाने के लिए कुछ नियम कानून तय है, जिसकी पुलिस ने अनदेखी कर दी थी, जिसकी वजह से 6 महीने बाद ही जून 2007 में अमर सिंह को फिर बहाल कर दिया गया. मामला चूकि भ्रष्टाचार से जुड़ा था इसलिए मामला अदालत में चलता रहा. अदालत ने भी 12 अगस्त 2014 को अमर सिंह को दोषमुक्त कर दिया. लेकिन दोषमुक्त होने के बावजूद उन्हें निलंबन के दौरान की 8 महीने की सैलरी नहीं मिली तो वहीं उनके तीन इंक्रिमेंट को रोक दिया गया.

अमर सिंह का आरोप है कि उन्हें प्रोमोशन तो मिल गया है लेकिन पिछले आठ महीने के वेतन को लेकर हाईकोर्ट में भोपाल पुलिस की तरफ से जवाब पेश नहीं किया जा रहा है. इससे इस मामले में अदालत कोई भी निर्णय नहीं ले पा रहा है. राष्ट्रपति ने प्रदेश के चीफ सेक्रेट्री को इस मामले में निष्पक्ष जांच के लिए पत्र लिखा, लेकिन राष्ट्रपति के पत्र को भी गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है. इससे परेशान होकर उन्होंने यह कदम उठाया है.

BBAU में सेमिनार के दौरान बाबासाहेब की फोटो हटाई गई, छात्रों का हंगामा

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लखनऊ। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ में 23 फऱवरी को शिक्षाविभाग और इनफार्मेशन एंड गाइडेंस ब्यूरो के तत्वाधान में “Higher Education in the new Century: Challenge and opportunity” विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया. इस दौरान कार्यक्रम केशुरू होने से पहले माल्यार्पण हेतु रखी भारतरत्न डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर की फोटो को हटा दिया गया.

छात्रों का कहना है कि शिक्षाविभाग और सेमिनार के डायरेक्टर प्रो अरविन्द कुमार झा एवं अन्य प्रोफेसर डॉ. सुभाष मिश्रा, डॉ. अंशू रूपेंनवार, डॉ. हरिशंकर सिंह, डॉ. शिल्पी वर्मा ने बाबासाहेब की फोटो को हटा दिया. इसके बाद बीएड के छात्र जयसिंह सहित अम्बेडकरवादी छात्रों ने इसका विरोध किया. बावजूद इसके डॉ. अम्बेडकर की तस्वीर नहीं लगाई गई. जब इसकी सूचना विश्वविद्यालय के अन्य छात्रों को हुई तो उन्होंने सेमिनार हॉल पहुंचकर डायरेक्टर प्रो अरविंद कुमार झा, डॉ अंशू रूपेंनवार, डॉ सुभाष मिश्रा, डॉ शिल्पी वर्मा से बाबासाहेब की तस्वीर रखने का आग्रह किया, इस बात पर दोनों पक्षों में तीखी बहस हो गई. छात्रों का कहना है कि यह अपमान केवल बाबा साहेब डॉ बी आर अम्बेडकर जी का नही बल्कि ‘भारतरत्न’ और ‘संविधान निर्माता’ का अपमान है. इससे पूर्व भी विवि में कुलपति की सह पर समाजशात्र विभाग शिक्षिका डॉ जया श्रीवास्तवा ने बाबासाहेब और गौतम बुद्ध जी पर अभद्र टिप्पणी कर अपमान किया था, जिस पर कुलपति ने कोई कार्यवाही नही की थी. इससे जाहिर होता है ये सब कुलपति के आदेश पर किया जा रहा है.

छात्रों ने इस की शिकायत करते हुए भारतरत्न एवं संविधान निर्माता का अपमान करने वाले शिक्षकों के खिलाफ उचित दंडानात्मक कार्यवाही की मांग की. अम्बेडकरवादी छात्रों का कहना है कि अगर सोमवार तक दोषी शिक्षकों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गयी तो बहुजन छात्र विवि में आंदोलन करेंगे. साथ ही अम्बेडकरवादी छात्रों ने कुलपति से मांग कि है कि विश्वविद्यालय में ऐसा आदेश पारित किया जाए कि बाबासाहेब के नाम से चल रहे विश्वविद्यालय में किसी भी कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. अम्बेडकर की तस्वीर पर माल्यार्पण के साथ होनी चाहिए.

यूपी में इंवेस्टर्स समिट पर मायावती का बड़ा बयान

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में हुए इंवेस्टर्स समिट को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने योगी सरकार को निशाने पर लिया है. पूर्व मुख्यमंत्री ने इसे फैशन करार देते हुए कहा कि इंवेस्टर्स समिट कराना फैशन हो गया है, जिसके नाम पर बीजेपी सरकारें सरकारी धन पानी की तरह बहाती हैं. जबकि जनता के इसी गाढ़ी कमाई के धन से ग़रीबों, किसानों व बेरोज़गार युवाओं को काफी राहत मिल सकती है औऱ जनता के हित व कल्याण के अनेक महत्त्वपूर्ण काम तत्काल किये जा सकते थे.

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘इन्वेस्टर्स समिट’ महंगाई व बेरोज़गारी सहित सरकार की अन्य विफलताओं पर से लोगों का ध्यान बांटने का एक माध्यम है. साथ ही बीजेपी की सरकारों द्वारा यह खाओ-पकाओ का एक नया साधन भी बन गया लगता है. बसपा प्रमुख ने कहा कि अगर उत्तर प्रदेश में अपराध-नियंत्रण व क़ानून-व्यवस्था की स्थिति अच्छी होगी तभी यहां उद्योग-धंधे आयेंगे.

बसपा प्रमुख ने कहा कि इन्वेस्टर्स समिट के लिये निवेशकों को आमंत्रित करने से पहले क़ानून- व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त करके उत्तर प्रदेश में सुरक्षा का अच्छा वातावरण पैदा किया जाना चाहिए. चाहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की केंद्र सरकार हो या यूपी में बीजेपी की सरकार इन पर जनता का अब भरोसा नहीं के बराबर ही रह गया है क्योंकि इनकी वादाखिलाफियों की सूची काफी लम्बी होती चली जा रही है.

सीएम का हेलिकॉप्‍टर उतारने के लिए कटवा दी किसान की फसल, अप्रैल में है बेटी की शादी

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मथुरा।  यूपी का सरकारी महकमा कितना असंवेदनशील और गरीब विरोधी है, यह उसकी एक हड़कत से पता चलता है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने दर्जन भर सहयोगी मंत्रियों के साथ दो दिन तक विश्व प्रसिद्ध बरसाने की लट्ठमार होली और ब्रज संस्कृति का आनंद उठाएंगे. सीएम योगी शनिवार (24 फरवरी) को बरसाने आ रहे हैं. इस दौरान सीएम का हेलिकॉप्टर उतरना है, जिसके लिए प्रशासन के दबाव में एक किसान को अपनी खड़ी फसल पकने से पहले ही काटनी पड़ रही है. किसान के लिए यह इसलिए भी बड़ी मुसीबत है क्योंकि अप्रैल में उसकी बेटी की शादी है.

अपनी मेहनत की कमाई को यूं बर्बाद जाता देख किसान पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है. दरअसल यह किसान लीज पर जमीन लेकर खेती करता है. पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक नरेंद्र कुमार भारद्वाज नाम के इस किसान ने बताया कि उसने 60 हजार रुपये में पांच एकड़ जमीन ली है. किसान के पास आय का कोई दूसरा जरिया नहीं है. इसी साल अप्रैल में उसकी बेटी की शादी है. फसल नष्ट हो जाने की वजह से इससे होने वाली आय की सारी संभावनाएं भी खत्म हो गई है. नरेंद्र कुमार भारद्वाज का कहना है कि फसल काटने के बदले में उसे कोई मुआवजा भी नहीं दिया गया है. किसान ने बताया कि जब उसने मुआवजे की बात प्रशासनिक अधिकारियों से की तो वहां उसे कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला. इस किसान को उम्मीद है कि सीएम खुद उसकी मदद करेंगे.

कसाइयों ने नहीं दिया BJP को वोट, इसलिए 99 पर सिमटे- भाजपा मंत्री

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अहमदाबाद। गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा को अब तक 99 पर सिमटने का गम सता रहा है. गुजरात की बीजेपी सरकार के एक मंत्री ने विधानसभा में कहा कि कसाइयों और शराब का धंधा करने वालों ने बीजेपी को वोट नहीं दिया, इसलिए पार्टी 99 सीटों तक सिमट गई. विधानसभा में राज्यपाल ओ.पी. कोहली के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान गृह राज्य मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने यह बात कही.

दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में राज्य की कुल 182 सीटों में से बीजेपी को 99 सीटें मिली थीं. कांग्रेस को सिर्फ 77 सीटें मिलीं थीं. विधानसभा में बजट सत्र के दौरान बीजेपी के चुनाव में खराब प्रदर्शन की बात होने लगी. कांग्रेस विधायक विक्रम ने कहा कि बीजेपी को इस पर विचार करना चाहिए कि वह 99 सीटों पर ही क्यों सिमट गई.