कर्नाटक राज्यपाल का बीजेपी कनेक्शन कितना सच?

नई दिल्ली। कर्नाटक में राज्यपाल का बीजेपी के साथ दोस्ती निभाने की बात सोशल मीडिया पर शोक मचा रही थी. कुल मिलाकर लोगों का कहना था वो बीजेपी का साथ देंगे. और आखिरकार ऐसा ही हुआ…

कर्नाटक राज्यपाल वजु भाई के साथ बीजेपी को जोड़कर कई तरह की बातें सामने आई है. इन बातों से साफ हो जाता है कि वजु भाई का आरएसएस व बीजेपी के साथ बरसो पुराना रिश्ता है. कर्नाटक में सरकार बनाने का फैसला राज्यपाल के हाथों था और गवर्नर ने भाजपा को पहले मौका देकर कयास लगा रहे लोगों की बातों को सही साबिक कर दिया.

क्या कहते हैं जानकार

बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट के अनुसार, वजु भाई संघ के समर्पित कार्यकर्ता रहे हैं, उनके पूरे करियर में कई उदाहरण ऐसे हैं जहां उन्होंने पार्टी के हितों को तरजीह दी है. ये अच्छी बात है कि वे राज्यपाल हैं, संवैधानिक पद पर हैं, लेकिन वो करेंगे वही जो भारतीय जनता पार्टी चाहेगी. इस बार तो सबसे बड़ी पार्टी को बुलाने की परंपरा का हवाला भी साथ में है.

इतना ही नहीं इससे पहले 2002 में वजुभाई ने मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए राजकोट विधानसभा की अपनी सीट छोड़ी थी. फलस्वरूप 2014 में मोदी जी ने ही उन्हें कर्नाटक का राज्यपाल बनाया.

गौर करने वाली बातें

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता व कानून विशेषज्ञ राम जेठमलानी ने वजू भाई के फैसले को बेवकूफी भरा बताया और असंवैधानिक करार दिया. इसके साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की है.

बुधवार की शाम को कांग्रेस-जेडीएस की अगुवाई कर रहे कुमारस्वामी ने 117 विधायकों की समर्थन सूची राज्यपाल को सौंप दी थी. तो जानकारों का मानना है कि सरकार बनाने का पहला निमंत्रण कांग्रेस-जेडीएस को मिलना चाहिए था लेकिन ऐसा हुआ नहीं.

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