Friday, October 17, 2025

कवर स्टोरी

जातीय राजनीति के शिकार सुपर 30 के आनंद कुमार

कौन कितना प्रतिभाशाली है, ये उस व्यक्ति के काम की तुलना में उसकी जाति से समझना लोग ज़्यादा प्रामाणिक मानते हैं. जब व्यक्ति सवर्ण नहीं हो और उसकी प्रतिभा की चर्चा हो रही हो तो उन्हीं सवर्णों के कान खड़े हो जाते हैं. लोग...

अप्रैल विद्रोह

5 अप्रैल को देश भर के दलितों में भयंकर गुस्सा था. दो अप्रैल के आंदोलन के बाद उनका गुस्सा बढ़ गया था. खासतौर पर भाजपा शासित राज्यों में हालात ज्यादा बुरे थे. और चूंकि देश के अधिकांश राज्यों में सत्ता पर भाजपा का कब्जा...

महान दलित विभूतियों का तिरस्कार?

हमारा देश सदियों पुराना देश है जहां ना जाने कितने बड़े-बड़े राजा-महाराजाओं ने राज किया और देश के इतिहास के पन्नों पर अपने कार्यों के माध्यम से अमिट छाप छोड़ दी. जितना पुराना इस देश का इतिहास है, लगभग उतना ही पुरानी इसकी जातिप्रथा...

मनुवाद को चुनौती देते तीन महापुरूष

अप्रैल महीने का पहला पखवाड़ा स्वतंत्रता, समता और भाईचारे पर आधारित आधुनिक भारत का सपना देखने वाले तीन महापुरूषों की जयंती का समय हैं. 9 अप्रैल (1893) को राहुल साकृत्यायन. 11 अप्रैल (1827) को जोतिबा फुले और 14 अप्रैल (1891) को बाबा साहेब भीमराव...

खतरे में राजनैतिक आंदोलन

पिछले छह महीने से यूपी चुनाव की व्यस्तताओं में उलझी मायावती के सामने जब 11 मार्च को चुनावी नतीजे आए तो उनकी हैरानी का ठिकाना नहीं था. चुनाव के दौरान अपने को सत्ता से बस एक कदम दूर मानकर चल रही मायावती और बहुजन...

प्रजातंत्र को मजबूत करती बसपा

26 जनवरी 2017 को भारत ने अपना 67वां गणतंत्र दिवस मनाया। इन 67 वर्षों में सामाजिक, आर्थिक, न्यायिक, उच्च, तकनीकी एवं प्रबंधन शिक्षा आदि में बहुजनों (अनु. जाति/जजा/अन्य पिछड़ा वर्ग एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों) की भागेदारी उनकी जनसंख्या के अनुपात में कत्तई सुनिश्चित नहीं हो...

जन्मदिन विशेषः बहनजी का धम्म कारवां

भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण उपरान्त लगभग 218 वर्षों के बाद विश्व के तमाम देशों को अपने धम्म-विजय अभियान द्वारा विजित करने वाले महान सम्राट अशोक ने इसी भारत-भूमि पर राज्य करना प्रारम्भ किया. न्यग्रोध नामक सात वर्षीय श्रामणेर के ‘अप्पमाद’ (अप्रमाद) से संबंधित धर्मोपदेश...

नोटबंदी से आम जनता त्रस्त

जनसंख्या की दृष्टि से विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र की राजधानी दिल्ली के आसमानों में मानव जीवन के लिए हानिकारक कणों की धुंध जमी हुई थी. पर्यावरण विशेषज्ञ और सरकारी प्राधिकरण के अधिकारी जनता को घर से न निकलने की सलाह दे रहे थे....

परिनिर्वाण दिवस विशेषः बहुजन पुर्नजागरण के सूत्रधार बने थे फुले

महात्मा ज्योतिबा फुले भारत के इतिहास में एक ऐसा नाम हैं, जिन्होंने भारतीय के शूदों और स्त्रियों की स्वतंत्रता और समानता की पुरजोर वकालत की थी. फुले ने अपना सार्वजनिक जीवन 1848 में शुरु किया और 28 नवंबर 1890 को अपने जीवन के आखिरी...

‘बहनजी’ की हुंकार, बसपा तैयार

आगरा स्थित जिस ऐतिहासिक कोठी मीना बाजार मैदान में तकरीबन 50 वर्ष पूर्व बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अपने ऐतिहासिक भाषण में लोगों को अपनी आत्मनिर्भर राजनीति की ओर चेतना से आगे बढ़ने का संदेश दिया था. उसी ऐतिहासिक मैदान से 21 अगस्त को...

गुजरात से बदलाव की बयार…

गुजरात के उना में मर चुकी गाय की खाल उतारने को लेकर दलित जाति के युवकों की पिटाई पर पूरा गुजरात उबल गया है. राज्य में घटी दलित उत्पीड़न की इस विभत्स घटना पर देश भर के दलितों में रोष है. इसने गुजरात में...

सबकी लड़ाई बसपा सेः यूपी चुनाव को लेकर प्रो. विवेक कुमार का विश्लेषण

हाल ही में शिक्षा कार्य के लिये मुझे गोरखपुर जाना पड़ा. गोरखपुर के लिये सीधी फ्लाइट रद्द होने के कारण मुझे वाया लखनऊ होकर गोरखपुर जाना पड़ा. लखनऊ एयरपोर्ट पर टैक्सी पकड़ कर मैं जब लखनऊ में दोस्तों से मिलने जा रहा था तो...

ओबीसी आरक्षण और शिक्षा क्षेत्र में भागीदारी का सवाल

2014 में केन्द्र में बीजेपी की सरकार आने के बाद भारत में सवर्णवादी ताकतें एकबार फिर पुरजोर तरीके से मुखर व आक्रमक हैं. जाहिर है कि समाज के दलित- आदिवासी- पिछड़ा- पसमांदा जमात के खिलाफ तमाम तरह के हथकंडे रचे जा रहे हैं ताकि...

राष्ट्रनिर्माण की प्रक्रिया का आरंभ था संविधान निर्माण

संविधान लागू होने के 65 वर्ष बाद पिछले दिनों संसद में पहली बार संविधान दिवस पर बहस देखने को मिला. इसके माध्यम से राष्ट्रनिर्माण में बोधिसत्व भारतरत्न बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान पर चर्चा हुई. यह अपने आप मे एक ऐतिहासिक क्षण था...

नहीं चाहिए एक और ‘एकलव्य’

पिछले साल आपने आईआईटी मद्रास की एक दलित छात्र संस्था ‘अंबेडकर पेरियार स्टडी सर्किल’ का नाम सुना होगा. इस संस्था ने जब मोदी सरकार की श्रम नीतियों की आलोचना की, बीफ बैन पर स्टैंड लिया तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े लोगों ने केंद्रीय...

हम सबके डॉ. अम्बेडकर

मध्‍य प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर से 23 किमी. की दूरी पर मुंबई-आगरा मार्ग पर महू छावनी है. इसी महू छावनी की एक बैरक में 14 अप्रैल, 1891 को डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्‍म हुआ था. उस समय डॉ. अम्बेडकर के पिता श्री...

देवभूमि के दलितों का दर्द

उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है. यहां कण-कण में भगवान के होने का दावा किया जाता है, लेकिन इसी देवभूमि की एक हकीकत ऐसी भी है, जिसे उत्तराखंड के चेहरे पर दाग और लोकतंत्र के साथ मजाक कहना ही ठीक होगा. राजधानी देहरादून से...

छद्म राष्ट्रवाद की उग्रता

रोहित चक्रवर्ती वेमुला उर्फ रोहित नाम का 26 साल का युवा फाँसी के फंदे पर झुलकर जान दे देता है, यह ऐसे भारत देश की घटना है जहां की 65 फीसदी आबादी 35-40 साल से कम की है. रोहित की मौत फिलहाल आत्महत्या है...

गणतंत्र के 65वें वर्ष में बहुजन कहां?

यह सत्य है कि भारत के गणतंत्र बनने के 65 वर्षों में हमारे राष्ट्र ने बहुत विकास किया है. तकनीकी रूप से आवागमन के साधन (रोड, रेल और हवाई जहाज), सूचना क्रांति, अंतरिक्ष विज्ञान, सैन्य शक्ति (जल, थल, वायु), औद्योगिकीकरण, नगरीकरण कुल मिलाकर आधुनिकीकरण...
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कास्ट मैटर्स

अंबेडकर यूनिवर्सिटी लखनऊ में दलितों-पिछड़ों पर हमला

लखनऊ। लखनऊ स्थित बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में बुधवार 17 सितंबर को धार्मिक आयोजन को लेकर विवाद हो गया। बाद में यह विवाद हिंसक...

वीडियो

ओपीनियन

IPS पूरन कुमार की आत्महत्या पर महिला IAS का पोस्ट, उठाए गंभीर सवाल

*रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई* *तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई* आपको इस तरह नहीं जाना चाहिए था, सर। आपको क्या किसी...

राजनीति

बिहार चुनाव से पहले दलितों-आदिवासियों से तेजस्वी यादव के 17 वादे

पटना। आंकड़े बताते हैं कि बिहार का हर पाँचवाँ वोटर दलित है। ऐसे में इस चुनाव में दलित मतदाता सबके लिए अहम बने हुए...
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