बहुजन समाज पार्टी फिर से खुद को मजबूती से लड़ाई में लाने की कोशिश में जुट गई है। उत्तर प्रदेश में हालिया विधानसभा चुनाव की करारी हार के बाद बसपा प्रमुख मायावती लगातार पार्टी नेताओं के साथ बैठक कर स्थिति को मजबूत करने में लगी हैं। बसपा प्रमुख ने एक बार फिर लखनऊ में दो दिनों तक पार्टी के नेताओं के साथ मंथन किया। इसके बाद 29 मई को बयान जारी कर उन्होंने भाजपा के खिलाफ हुंकार भरा। बहनजी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को बसपा ने उखाड़ फेंका था, और भाजपा की भी जड़ हिलाने में बसपा ही सक्षम है। इस दो दिवसीय बैठक में बहनजी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को निर्देश भी दिये।
बहनजी ने कहा कि बी.एस.पी. सीमित संसाधनों वाली पार्टी है, जबकि इसका मुकाबला ज्यादातर बड़े-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों के धनबल पर चलने वाली विरोधी पार्टियों से है। जो कि साम, दाम, दण्ड, भेद आदि हथकण्डे अपनाती है। इसीलिए पार्टी व इसके जनाधार को शाहखर्ची आदि से दूर छोटी-छोटी कैडर बैठकों के बल पर ही मजबूत बनाना होगा।
यूपी विधानसभा आमचुनाव के नतीजों को बसपा प्रमुख ने दुर्घटना कहा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति व मिशन इसी उतार-चढ़ाव का ही नाम है तथा परमपूज्य बाबा साहेब डॉ. भीमराव आम्बेडकर के जीवन संघर्ष व उनके मिशन की तरह हिम्मत कतई नहीं हारना है। कार्यकर्ताओं में उत्साह भरते हुए उन्होंने कहा कि कोई एक राजनीतिक घटनाक्रम पार्टी में दोबारा जान फूंक देगा, जिसके लिए सतत् प्रयास जारी है।
बसपा प्रमुख ने भाजपा सरकार को जमकर घेरा। बेरोज़गारी का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि बेरोजगार युवा जो अब मजबूरीवश छोटे-छोटे काम कर स्वरोजगार में लगे हैं, अतिक्रमण हटाने के नाम पर उन पर हर दिन सरकारी जुल्म-ज्यादती हो रही है और उन्हें बुलडोजर के आंतक का शिकार बनाया जा रहा है। उन्होंने भाजपा की सरकार को गरीब विरोधी कहा और सरकार द्वारा हाल ही में लिए गए कई फैसलों पर उसकी आलोचना की।

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