‘आदिवासियों को उखाड़ फेंकना चाहती है झारखंड सरकार’

हजारीबाग। झारखंड में आदिवासियों ने मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया. आदिवासियों का कहना है कि सरकार लगातार आदिवासी विरोधी नीतियां और कानून बनाकर आदिवासियों का शोषण कर रही है.

रघुवर सरकार के विरोध में आदिवासी समुदाय ने मंगलवार (19 सितंबर) को समाहरणालय के गेट के पास धरना दिया. धरना कार्यक्रम का आयोजन सुशील ओडेया की अध्यक्षता में हुआ. धरना सभा का संचालन पीटर पॉल टोप्पो ने किया.

सुशील ओडया ने कहा कि राज्य की रघुवर सरकार आदिवासियों की दुश्मन है. वह आदिवासियों को झारखंड से उखाड़ फेंकना चाहती है. उसे पूरी तरह से बर्बाद करना चाहती है. सरकार आदिवासियों की जमीनों को अधिग्रहण करने के लिए विभिन्न प्रकार के हथकंडे अपना रही है. जिनमें लैंड बैंक की स्थापना, गैरमजरुआ जमीन की बंदोबस्ती, झारखंड निजी भूमि सीधी क्रय नीति बनाना, सीएनटी एसपीटी एक्ट में संशोधन प्रस्ताव एवं धर्मांतरण निषेध विधेयक आदि इसके प्रमाण हैं.

वहीं अन्य वक्ताओं ने भी आदिवासियों की समस्याओं पर अपने विचार रखते हुए रघुवर सरकार को घेरा. आदिवासियों की अन्य मांगों में सरना कोड को यथाशीघ्र बहाल करना, पी पेसा कानून लागू करना, विनोबा भावे विश्वविद्यालय में पीजी विभाग में आदिवासी छात्र-छात्राओं के लिए छात्रावास का निर्माण आदि शामिल है.

कार्यक्रम में जिले के विभिन्न प्रखंडों से बड़ी संख्या में आदिवासियों ने भाग लिया. धरने की समाप्ति के बाद उपायुक्त के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया. ज्ञापन में आदिवासी समुदाय ने रघुवर सरकार के द्वारा किए जानेवाले कार्यों का विरोध जताया. साथ ही सरकार के द्वारा आदिवासियों की जमीन हड़पने के लिए आजमाए जाने वाले हथकंडों की भी शिकयत की. इसके अलावा अन्य मांगों में शराब विक्रय पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना, सरकारी नौकरियों के लिए ली जानेवाली परीक्षाओं में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा को शामिल करना, सभी स्कूल कॉलेजों में जनजातीय भाषा की पढ़ाई आरंभ करने, लैंड रेवेन्यू एक्ट 1921 को अविलंब लागू करना शामिल है.

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