कोरोना मामले को रोकने की दिशा में मोदी सरकार के सुस्त रवैये की हर ओर आलोचना हो रही है। जहां देश में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है, वहीं दूसरी ओर सेंट्रल विस्टा प्रोग्राम में हजारों करोड़ रुपये खर्च करने को लेकर भी मोदी सरकार की आलोचना हो रही है। इसी बीच 100 से ज्यादा रिटायर्ड नौकरशाहों के एक समूह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी लिखकर इस महामारी के बीच सरकार के लापरवाही भरे रवैये पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि इस अत्यधिक पीड़ा के समय जब धन की कमी है, सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट एक फिजूलखर्ची है।
इसके अलावा नोबेल पुरस्कार विजेता उपन्यासकार ओरहान पामुक सहित 76 विश्व प्रसिद्ध शिक्षाविदों और लेखकों ने भी मोदी सरकार से सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को रद्द करने और इसमें खर्च होने वाले पैसों को कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए खर्च करने का आवाह्न किया है। रिटायर्ड अधिकारियों ने इस बात पर सवाल उठाया है कि जब देश में हर ओर लोगों की मौत हो रही है और लोग बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का रोना रो रहे हैं, ऐसे में भी सरकार का लापरवाही भरा रवैया हैरान करने वाला है और इससे भारतीयों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पर रहा है।
इस पत्र में सरकार और उसके मंत्रियों की तमाम लापरवाही को लेकर भी निशाना साधा गया है। साथ ही पीएम केयर फंड पर भी सवाल उठाते हुए कहा गया है कि इसका गठन तब किया गया, जबकि पहले से ही प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष था।
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