लोकसभा चुनाव के नतीजों से पहले और एग्जिट पोल के बाद देश की राजनीति में हलचल मचना शुरू हो गई है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्यपाल राम नाईक से उनके मंत्रिमंडल में शामिल ओमप्रकाश राजभर को बर्खास्त करने की सिफारिश कर दी है. इस फैसले का खुद ओमप्रकाश राजभर ने स्वागत किया है.
इतना ही नहीं ओपी राजभर के जिन नेताओं को राज्य में मंत्री पद का दर्जा दिया गया था, उन्हें योगी आदित्यनाथ ने वापस लेने की सिफारिश कर दी है. ओम प्रकाश राजभर के साथ-साथ उनके बेटे अरविंद राजभर की भी निगम के अध्यक्ष पद से छुट्टी कर दी है. ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के अन्य सदस्य जो विभिन्न निगमों और परिषदों में अध्यक्ष व सदस्य हैं सभी को तत्काल प्रभाव से हटाया गया है.
किसको किस पद से हटाया?
- मंत्री ओमप्रकाश राजभर के साथ 5 निगमों में भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के 7 अध्यक्ष और सदस्यों को भी किया गया पद मुक्त.
- ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर को सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग के चेयरमैन पद से हटाया गया.
- उत्तर प्रदेश बीज विकास निगम के अध्यक्ष पद से राणा अजीत सिंह को हटाया गया.
- राष्ट्रीय एकीकरण परिषद से सुनील अर्कवंशी को हटाया गया और राधिका पटेल को हटाया गया.
- उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद के सदस्य पद से सुदामा राजभर को हटाया गया.
- उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग से गंगा राम राजभर और वीरेंद्र राजभर को भी हटाया गया.
ओपी राजभर योगी सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण-दिव्यांग जन कल्याण मंत्री थे. योगी ने राज्यपाल से सिफारिश कर उन्हें तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है. बीते काफी लंबे समय से वह भारतीय जनता पार्टी और खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ बोलते रहे हैं, जिसकी आलोचना होती
आज #UPCM @myogiadityanath जी ने महामहिम श्री राज्यपाल को पिछड़ा वर्ग कल्याण और दिव्यांग जन कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर को मंत्रिमंडल से तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करने की सिफारिश की।
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) May 20, 2019
कई बार ओपी राजभर ने ऐसे बयान भी दिए हैं जो बीजेपी के लिए मुसीबत बने हैं तो वहीं समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के हक में गए हैं. ऐसे में अब जब एग्जिट पोल के नतीजे सामने हैं और चुनावी प्रक्रिया लगभग खत्म ही हो गई है तो यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने उनके खिलाफ एक्शन की बात की है.
पहले ही कर चुके थे मंत्रालय छोड़ने की सिफारिश
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले ही ओम प्रकाश राजभर ने पिछड़ा वर्ग मंत्रालय का प्रभार छोड़ने की पेशकश की थी. हालांकि, तब उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया था. लेकिन अब चुनाव खत्म होते ही एक्शन लिया गया है.
ओम प्रकाश राजभर राज्य सरकार के द्वारा पिछड़े वर्ग के छात्र/छात्राओं की छात्रवृत्ति, शुल्क प्रतिपूर्ति ना किए जाने पर और पिछड़ी जातियों को 27 फीसदी आरक्षण का बंटवारा सामाजिक न्याय समिति के रिपोर्ट के अनुसार ना करने पर रोष जताया था. इसी के बाद ही उन्होंने मंत्रालय छोड़ने की सिफारिश कर दी थी.
ओपी राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले BJP के साथ आई थी. हालांकि, जब से सरकार बनी है तभी से ओम प्रकाश राजभर सरकार के खिलाफ बयान देते रहे हैं.
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की राजभर समुदाय के बीच पकड़ मजबूत है. दरअसल, ओम प्रकाश राजभर की मांग थी कि लोकसभा चुनाव में उन्हें दो से तीन सीटें दी जाएं लेकिन ऐसा नहीं हो सका.
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