हवाई चप्पल पहन कर घूमने वाला यह बन्दा कौन है?

25 साल का यह युवा मगना राम केडली है,जो नोखा इलाके का रहनेवाला है. एकदम निडर युवक. बाबा साहेब के विचारों से प्रभावित हो कर 10 वर्षों से जन संघर्ष में जुटा है.

आज अचानक ही जयपुर की सड़क पर भेंट हो गई, विधानसभा के पास. सड़कछाप होने का यही फायदा रहता है,जमीन पर पैदल चलो तो कोई न कोई मिल ही जाता है,खासकर ऐसा व्यक्ति जो जमीन से जुड़ा हुआ हो .

मगना राम केडली ऐसा ही जमीनी संघर्ष करने वाला बन्दा है,बेबाक,बेलौस,बेख़ौफ़ युवा. जिसे मान ,अपमान,सम्मान ,पुलिस,कोर्ट,जेल का भय नहीं है. जनता के लिए किसी से भी भिड़ सकता है.

आज के दौर के युवा नेताओ की तरह नहीं है मगना राम,सीधा सपाट,स्पष्टवादी और डाउन टू अर्थ व्यक्ति,कोई तामझाम नहीं,कोई दिखावा नहीं,किसी प्रकार की अभिलाषा नहीं,ग़ज़ब का लड़ाकू इंसान .

गांव का पढ़ा लिखा छोकरा,जो बाद में नोखा के अम्बेडकर छात्रावास में भी रहा और अभी राजस्थान विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन कर रहा है.

क्या आजकल के युवा नेताओं से यह अपेक्षा की जा सकती है कि वे 70 रुपये की हवाई चप्पल पहनकर सार्वजनिक जीवन मे जनहित के कार्य कर सकें ,पर मगना राम केडली यह करता है, वह हवाई चप्पल पहनता है.

आचरण से पक्का समाजवादी, महज दो जोड़ी कपड़े बनवाता है,वो भी एकदम सस्ते . ,प्रत्येक ड्रेस 450 रुपये की होती है,दो ड्रेस दो साल चल जाती है. गर्मी में एक चादर और सर्दियों में एक कंबल साथ रखता है,कभी होटल में नहीं रुकता,या तो परिचितों के यहां बसेरा करता है,अथवा रेलवे स्टेशन पर ही सो जाता है.

उसका पूरा अभियान जनसहयोग से चलता है. किसी भांति के नशे की कोई आदत नहीं,यहां तक कि चाय भी नहीं. हाथ में जो मोबाइल है,वह बहुत आग्रह करके मित्रों ने दिया है .

लघु सीमांत काश्तकार परिवार से आता है बन्दा,भरा पूरा परिवार है,घर में पिताजी ,माँ, दो भाई और 5 बहने है,11 बीघा खेती है,उससे बाजरी और दलहन तिलहन हो जाता है.कृषि पर ही आधारित है पूरे परिवार की आजीविका . उसी से परिवार चलता है.

शादी बचपन मे ही हो गयी. एक बेटी है जो गांव में रह कर पढ़ती है. जब शादी हुई ,तब मगना राम पत्नी 5वीं तक पढ़ी हुई थी, शिक्षा के महत्व को समझने वाले मगना राम ने उसे ग्रेजुएशन करवाया ,इन दिनों वे भाटिया आश्रम में रहकर आर ए एस की तैयारी कर रही हैं .

मगना राम केडली संघर्ष का दूसरा नाम है,उन्होंने जनहित की 13 सूत्री मांगों को लेकर नोखा से जयपुर तक 7 दिन 350 किमी तक पदयात्रा की.

वे विगत 10 साल से सामाजिक संघर्ष कर रहे हैं, कक्षा 6 से 10 तक अम्बेडकर छात्रावास में रहे,वहीं से उन्होंने बाबा साहेब को जाना.

केडली राजनीतिक रूप से काफी जागरूक व्यक्ति है,उन्होंने बीए फर्स्ट ईयर में ही डूंगर कॉलेज में महासचिव का चुनाव निर्दलीय लड़ा और जीत भी हासिल की .

वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में वे कांग्रेस नेता रामेश्वर डूडी के साथ रहे, डूडी न केवल जीते बल्कि नेता प्रतिपक्ष भी बने,बाद में उनसे मतभेद होने पर केडली ने डूडी को छोड़ दिया,पर राजनीतिक रूप से जवाब भी दिया,इस बार निर्दलीय चुनाव लड़कर 8 हजार से ज्यादा वोट ले लिए,जिससे रामेश्वर डूडी की हार सुनिश्चित हो गई.

केडली कहते हैं कि -“डांगावास मुद्दे पर डूडी बोले नहीं ,विपक्ष के नेता थे,मेरे दिमाग मे यह बात जम गई कि इस आदमी को अगली बार विधानसभा में नहीं पहुंचने देना है,वो मैंने कर दिया”

केडली किसी का भी निर्भीकता से सामना कर लेते हैं,जब श्रीमती राजे सीएम थी,तब उन्होंने कांकडा में वसुधरा राजे का विरोध किया. 2015 में नेता प्रतिपक्ष का पुतला फूंक दिया.

2016 में जब नोखा में डेल्टा मेघवाल का प्रकरण हुआ तो मगनाराम केडली उसमें अहम संघर्षकर्ता के तौर पर सामने आए,उन्होंने धरना दिया,पांच दिन तक. मुजरिमों की गिरफ्तारी होने पर ही उठे.

साठिका में 75 मकान तोड़े गये वर्ष 2017 में,क्योंकि ये घर जिस जगह बने थे,वह ओरण की जमीन थी ,जबकि मकान तो आज़ादी के पहले से बने हुए थे, 50 दिन तक धरना चलाया,उनकी मांग तो मानी नहीं गई, विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लग गयी,धरने से उठना पड़ा, पर संघर्ष आज भी जारी है.

इसी तरह केडली धुनिनाथ जी के मकान के लिए 4 साल से संघर्ष कर रहे है. उनकी खासियत यह है कि वे विस्थापन के खिलाफ व अत्याचार मुक्ति हेतु निरन्तर लड़ते रहते हैं. अपने संघर्ष के बारे में बताते हुए मगनाराम इच्छा जताते है कि मैं अंतिम सांस तक समाज का काम करना चाहता हूँ. उनका सवाल है कि आज़ादी के इतने साल बाद भी अन्याय,अत्त्याचार व शोषण जारी है,हम नहीं बोलेंगे तो फिर कौन बोलेगा ?

निरन्तर संघर्षों ने उन्हें स्वाभाविक रूप से उग्रता भी दे दी है,निडरता के साथ साथ स्वाभिमानी भी और सहज अग्रेसिव भी . इसीलिये अक्टूबर 2018 में वे एक तहसीलदार के पास किसी के जाति प्रणाम पत्र के लिए गए तो तहसीलदार ने बदतमीजी कर दी ,हाथापाई हो गयी,धारा 233,253 में मुकदमा कायम हो गया,जेल जाना पड़ा,7 दिन अंदर रहना पड़ा . हजारों लोगों ने उनका समर्थन किया.

अब तक मगनाराम पर 3 मुकदमें दर्ज हो चुके है,जिसमें से 1 अभी तक चल रहा है,2 खत्म हो गए हैं .

मगनाराम केडली अपनी राजनीति को लेकर बहुत स्पष्ट है ,वे कहते है कि समाज के हितों को ताक में रख कर मुझे राजनीति नहीं करनी .

उनके लिए जनता ही प्रथम है,लोक सरोकार से कम कुछ भी मंजूर नहीं,इसलिए लोगों का भी खूब समर्थन मिलता है,केडली बताते है कि इस बार मैने विधानसभा का चुनाव भी लड़ा तो जनसहयोग से,लोगों ने करीब साढ़े चार लाख की मदद की,कुछ खर्च हो गया,कुछ बच गया. वह अभी भी सुरक्षित है, वापस चुनाव लड़ूंगा तो उस सहयोग को काम मे लूंगा.

मगनाराम का कहना है कि जब तक ज़िंदा रहूंगा,गरीब लोगों की हक़ हकूक की लड़ाई लड़ता रहूंगा,सिर्फ एक जाति के लिए नहीं ,हर गरीब इंसान के लिए है मेरी लड़ाई.

दलित आदिवासी जनप्रतिनिधियों की उदासीनता व खामोशी को लेकर केडली काफी चिंतित है,उनका कहना है कि जब तक राजनीतिक रिजर्वेशन रहेगा, तब तक ऐसा ही नपुसंक नेतृत्व चुना जाएगा,यही लोग हमारे लिए खतरा है. उनका मानना है कि जो जनप्रतिनिधि आरक्षित सीटों से चुने जा रहे है,वे हमारा प्रतिनिधित्व नहीं करते,हमें अनारक्षित सीटों से चुनाव लड़ना चाहिए.

बराबरी व भागीदारी की लड़ाई लड़ रहे इस आम संघर्षशील युवा ने संकल्प लिया है कि वे अपने आदर्श बाबा साहेब की प्रतिमा नोखा तहसील क्षेत्र की हर ग्राम पंचायत में लगाएंगे .इस हेतु उन्होंने प्रयास भी शुरू कर दिए हैं .

मैंने मगनाराम केडली को उनके लक्ष्य के लिए बधाई व शुभकामनाएं दी और सड़क से विदा ली,क्योंकि मुझे कुशीनगर की ट्रेन पकड़ने के लिए आगरा निकलना था .

मगनाराम केडली के मोबाइल नम्बर 09414471144 है.

– भंवर मेघवंशी
(सामाजिक कार्यकर्ता एवं स्वतन्त्र पत्रकार )

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