स्टॉकहोम। यूएस के जेनेसिसिस्ट्स जेफरी सी. हॉल, माइकल रॉसबैस और माइकल डब्ल्यू यंग को इंटरनल बायलॉजिकल क्लॉक के बारे में महत्वपूर्ण शोध के लिए 2017 के चिकित्सा के नोबेल के लिए चुना गया है. इंटरनल बायलॉजिकल क्लॉक के जरिए ही ज्यादातर जीवित लोगों में जगने-सोने की प्रक्रिया संचालित होती है. नोबेल असेंबली ने ऐलान किया, ‘उनकी खोज ने इसकी व्याख्या की कि कैसे पौधे, जानवर और इंसान अपने जैविक लय के मुताबिक खुद को ढाल लेते हैं, जिससे वे धरती की परिक्रमा से तालमेल बैठा पाते हैं.’
इंटरनल बायलॉजिकल क्लॉक यानी आंतरिक जैविक घड़ी को सर्केडियन रिदम के नाम से भी जाना जाता है. धरती पर जीवन हमारे इस ग्रह के परिक्रमा के अनुरूप होता है. कई सालों से हमारे वैज्ञानिकों को पता है कि जीवों में एक इंटरनल क्लॉक होता है जो दिन के रिदम के अनुरूप खुद को ढालता है. नोबेल असेंबली ने कहा, ‘हॉल (72), रॉसबैश (73) और यंग (68) ने बायलॉजिकल क्लॉक और उसकी आंतरिक कार्यप्रणाली का करीब से अध्ययन किया.’
बता दें कि इंटरनल बायलॉजिकल क्लॉक हॉर्मोन्स लेवल्स, नींद, शरीर के तामपाम और मेटाबोलिजम जैसे जैविक कार्यों को प्रभावित करता है. यही वजह है कि जब हम अपने टाइम जोन को बदलते हैं तो तत्काल हमारा इंटरनल क्लॉक और बाहरी वातावरण में तालमेल नहीं बैठ पाता. तीनों चिकित्सा वैज्ञानिकों को कुल 9 लाख स्विडिश क्रोनोर यानी 11 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब 7 करोड़ रुपये) की प्राइज मनी मिलेगी. पिछले साल जापान के योशिनोरी ओशुमी को चिकित्सा का नोबेल मिला था.
एनबीटी से साभार

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