नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के राज्य सरकार के फैसले में केंद्र के बयान से नया ट्विस्ट आ गया है. माना जा रहा था कि केंद्र और राज्य दोनों जगह भाजपा की सरकार होने से मामला आसान होगा, लेकिन केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत के बयान से मामले में नया मोड़ आ गया है.
केंद्र ने मंगलवार को कहा कि उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार को निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना, अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल 17 समुदायों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल नहीं करना चाहिए था. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान यह बात कही. दरअसल शून्यकाल में यह मुद्दा बीएसपी के सतीश चंद्र मिश्र ने उठाया. संविधान के अनुच्छेद 341 के उपवर्ग (2) का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल 17 समुदायों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने का उत्तर प्रदेश सरकार का फैसला असंवैधानिक है क्योंकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की सूचियों में बदलाव करने का अधिकार केवल संसद को है.
इस पर सहमति जताते हुए गहलोत ने भी कहा कि किसी भी समुदाय को एक वर्ग से हटा कर दूसरे वर्ग में शामिल करने का अधिकार केवल संसद को है. उन्होंने कहा कि पहले भी इसी तरह के प्रस्ताव संसद को भेजे गए लेकिन सहमति नहीं बन पाई. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को समुचित प्रक्रिया का पालन करना चाहिए अन्यथा ऐसे कदमों से मामला अदालत में पहुंच सकता है.
इससे पहले बसपा के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय महासचिव सतीशचंद्र मिश्र ने कहा ‘‘बीएसपी चाहती है कि इन 17 समुदायों को अनुसूचित जाति में शामिल किया जाए लेकिन यह निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार होना चाहिए और आनुपातिक आधार पर अनुसूचित जाति का कोटा भी बढ़ाया जाना चाहिए.” उन्होंने कहा कि संसद का अधिकार संसद के पास ही रहने देना चाहिए, यह अधिकार राज्य को नहीं लेना चाहिए. बसपा नेता ने केंद्र से राज्य सरकार को यह ‘‘असंवैधानिक आदेश” वापस लेने के लिए परामर्श जारी करने का अनुरोध किया.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 24 जून को जिला मजिस्ट्रेटों और आयुक्तों को आदेश दिया था कि वे अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल 17 समुदायों कश्यप, राजभर, धीवर, बिंद, कुम्हार, कहार, केवट, निषाद, भार, मल्लाह, प्रजापति, धीमर, बठाम, तुरहा, गोड़िया, मांझी और मचुआ को जाति प्रमाणपत्र जारी करें.
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