बधाई दीजिए बड़ी बहन (सुमन रानी) का सिलेक्शन इंडियन बैंक में हुआ है। सरकारी बैंक में नौकरी लगना कोई बड़ी बात नहीं है, ये बड़ी बात तब बन जाती है; जब आप शादी के बाद भी पढ़ाई जारी रखते हुए अपने घर-परिवार की जिम्मेदारी को संभालते हुए, बिना किसी कोचिंग के, एक ऐसे छोटे से गांव से निकल कर आते हो, जहां तक जाने के लिए कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट या कोई ऑटो भी ना चलता हो। ऐसे हालातों से निकल कर उच्च शिक्षा प्राप्त करना व तमाम सुविधाओं से लैस कैंडिडेट्स से कॉम्पिटिशन करना आसान नहीं है।
सब कुछ जानते हुए भी कुछ मेरिट धारी छपाक से बोल देते है कि ‘पता नहीं आरक्षण की बदौलत कहां-कहां से उठकर आ जाते हैं’। ऐसे लोग आपको डिमोटिवेट करने, नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ते, लेकिन मुझे पता है ऐसे निगेटिव लोगों से निपटना आपके बाएं हाथ का खेल है।
आप वाकई कमाल हो, अधिकतर लड़कियां शादी के बाद अपने कैरियर की तरफ ध्यान नहीं दे पाती, शादी के बाद वो पति, बच्चो में ही उलझ कर रह जाती हैं, लेकिन आपने सब जिम्मेदारियों को बखूबी संभाला, आप उन सब लड़कियों के लिए प्रेरणस्रोत हो, जो सोचती हैं कि शादी के बाद आगे बढ़ पाना मुश्किल है।
आपको एक बार फिर से बधाई, साथ ही मुबारकबाद जीजा जी को, जो हमेशा आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहें, आपको तमाम सुविधाएं उपलब्ध करवाई। थैंक यू बाबा साहेब, आपको कोटि कोटि प्रणाम। आपके बिना हर खुशी अधूरी है, आप ना होते तो ये सब असंभव था।
फेसबुक पर यह पोस्ट अंजु गौतम ने डाला है। अंजू अम्बेडकवादी हैं। उन्होंने अपनी बहन की सफलता पर उनके संघर्ष को और बाबासाहब को याद किया है। बाबासाहब का सपना भी यही था कि हर बेटी पढ़े, आगे बढ़े, आत्मनिर्भर बने। दलित दस्तक भी यह मानता है कि सुमन रानी जी की सफलता समाज की उन लड़कियों को प्रेरणा देने वाली है, जो आगे बढ़ने, सपने देखने का माद्दा रखती हैं। आप ठान लिजिए, पढ़िए, याद रखिए, जहां चाह है, वहां राह है। सुमन रानी जी की सफलता इसको साबित भी करती है। बधाई।

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