महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय,वर्धा, महाराष्ट्र में प्रोफ. एल. कारुण्यकरा के मार्गदर्शन में शोधरत श्रेयात ने नीदरलैंड्स में आयोजित 16thडेवलपमेंट डॉयलाग (16th Development Dialogue) में प्रतिभाग एवं शोधपत्र प्रस्तुत किया.
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोशलस्टडीज़{International Institute of Social Studies (ISS)},हेग (The Hague)द्वारा 01&02 नवम्बर 2018 को ‘Social Justice amidst the Convergence of Crises: Repoliticizing Inequalities’थीम पर प्रस्तावित कॉन्फ्रेंस में श्रेयात ने अपने शोध पत्र को प्रस्तुत किया.
श्रेयात ने अपने शोधपत्र Activism and Awareness: ‘Weapons’ of Resistance for Dalit Students AgainstCaste Discrimination in Higher Education के माध्यम से विश्वविद्यालयों में हो रहे दलित छात्रों के उत्पीड़न एवं इस उत्पीड़न के विरोध में दलित छात्रों के प्रतिरोध को लिपिबद्ध किया है. कॉन्फ्रेंस के प्रथम दिवस को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रोफ. बारबराहैरिसव्हाइट ने संबोधित किया और समापन पर प्रोफ. जोजीतिसिकता ने अपना वक्तव्य दिया. इस कॉन्फ्रेंस में विश्व भर के लगभग 140 शोधार्थियों ने प्रातिभाग किया.
भारत के विश्वविद्यालयों में लगातार हो रहे दलित छात्र-छात्राओं के उत्पीड़न और दलित छात्रों के साथ दुर्व्यवहार को इस शोधपत्र के माध्यम से प्रमुखता से उठाने का प्रयास किया गया है. शोधपत्र में दलित छात्रों के प्रतिरोध के विभिन्न आयामों पर भी प्रकाश डाला गया है.
श्रेयात ने भगवान बुद्ध, ज्योतिबा फुले और बाबासाहेब अंबेडकर को अपना आदर्श बताया और कहा कि बहुजन समाज के लोगों को यदि आज सम्मानित जीवन जीने और पढ़ने-लिखने का अधिकार मिला है तो यह इन महापुरुषों के अथक प्रयासों का परिणाम है.
श्रेयात ने प्रसिद्ध समाजशास्त्री प्रोफ. विवेक कुमार एवं प्रोफ. एल. कारुण्यकरा को अपना प्रेरणास्रोत बताया और अपने माता-पिता और चाचा को अपनी इस सफलता का श्रेय दिया.
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