शूद्र ने किया देवी झांकी के चंदे से इंकार

एक बार भंते सुमेधानंद जी एक शूद्र के घर पर बैठे हुए थे, उसी समय कुछ ब्राह्मणी लोग देवी की झांकी के लिये चंदा माँगने उस शूद्र के घर पर आये. उस शूद्र ने चंदा देने से इंकार कर दिया तो वे लोग बड़बडाने लगे कि ऐसे ही नास्तिक लोगों के कारण हिन्दू धर्म बर्वाद हो रहा है. तब भंते जी ने उस ब्राह्मण को अपने सामने बैठा कर इस प्रकार वार्तालाप की.

श्रमण – हे ब्राह्मण ! आप देवी की झांकी क्यों लगाते हैं?

ब्राह्मण – हे भंते ! देवी माँ हमारी आराध्य हैं.

श्रमण – हे ब्राह्मण ! देवी आपकी पूज्यनीय क्यों है?

ब्राह्मण – हे भंते ! देवी माँ ने राक्षस महिषासुर की हत्या करके हमारी रक्षा की.

श्रमण – हे ब्राह्मण ! महिषासुर कौन थे?

ब्राह्मण – हे भंते ! महिषासुर एक राक्षस थे.

श्रमण – हे ब्राह्मण ! महिषासुर भारतीय लोगों के रक्षक थे, जो आपके अत्याचारों से भारतीय लोगों की रक्षा करते थे. जबकि आपकी देवी द्वारा भारतीय लोगों को गुलाम बनाने के लिए भारतीय रक्षक राजाओं की हत्या की गई थी.

ब्राह्मण – हे भंते ! देवी माँ भारतीय लोगों की दुश्मन कैसे हो सकती हैं?

श्रमण – हे ब्राह्मण ! आपके शास्त्रों , पुराणों और भगवानों द्वारा तेली, कुम्हार, भील, ग्वाल, नट, चमार, कायस्थ, सोनी, लुहार, नाई, बढ़ई, धोबी, चांडाल, भंगी, कल्हार, कोरी इत्यादि शूद्र लोगों को नीच और अधर्मी बताया है. क्या आपकी देवी ने इस भेदभाव के विरुद्ध कभी कोई संघर्ष किया?

ब्राह्मण – नहीं भंते ।

श्रमण – हे ब्राह्मण ! ब्राह्मणी लोगों द्वारा शूद्रों और अछूतों को दी जाने वाली शारीरिक और मानसिक यातनाओं के विरुद्ध आपकी देवी ने कभी कोई लड़ाई लड़ी?

ब्राह्मण – नही भंते.

श्रमण – हे ब्राह्मण ! आपके भगवानों और देवी-देवताओं द्वारा शूद्रों के अधिकारों पर लगाये गए प्रतिबंधों को हटाने के लिए आपकी देवी ने कभी कोई संघर्ष किया?

ब्राह्मण – नहीं भंते.

श्रमण – हे ब्राह्मण ! कमजोर, लाचार, असहाय, बेसहारा और अनपढ़ शूद्रों और अछूतों के विकास और अधिकारों के लिए आपकी देवी ने कभी कोई संघर्ष किया?

ब्राह्मण – नहीं भंते.

श्रमण – हे ब्राह्मण ! ब्राह्मणी लोगों द्वारा शूद्रों और अछूतों के साथ किये गए अत्याचार, अन्याय, शोषण और जुल्म के विरुद्ध आपकी देवी ने कभी कोई आंदोलन छेड़ा?

ब्राह्मण – नहीं भंते.

श्रमण – हे ब्राह्मण ! शूद्रों द्वारा तीनों ब्राह्मणी वर्णों की बर्बरता पूर्ण सेवा और अछूतों की बेगार के विरुद्ध आपकी देवी ने कभी कोई आंदोलन छेड़ा?

ब्राह्मण – नहीं भंते.

श्रमण – हे ब्राह्मण ! भारतीय लोगों की समता, ममता और मानवता के लिए आपकी देवी ने कभी कोई संघर्ष किया?

ब्राह्मण – नहीं भंते.

श्रमण – हे ब्राह्मण ! सती प्रथा, बच्ची भ्रूण हत्या, देवदासी प्रथा, जाति प्रथा, छूत प्रथा, विधवा प्रथा, अनपढ़ प्रथा, मैला ढोने की प्रथा और शूद्र बलि प्रथा के उन्मूलन के लिए आपकी देवी ने कभी कोई संघर्ष किया?

ब्राह्मण – नहीं भंते.

श्रमण – हे ब्राह्मण ! ब्राह्मणी लोगों द्वारा अछूतों को कुर्सी और घोड़े पर नहीं बैठने देने, कुँए से पानी नहीं भरने देने, सार्वजनिक स्थानों पर पानी नही पीने देने, मंदिरों का पुजारी नहीं बनने देने के विरुद्ध आपकी देवी ने कभी कोई आंदोलन किया?

ब्राह्मण – नहीं भंते.

श्रमण – हे ब्राह्मण ! शूद्रों के विकास के लिए, प्यास से मरते अछूतों के लिए, मंदिरों में शूद्र और अछूतों के प्रवेश के लिए, सभी भारतीयों को एक साथ मिलजुल कर रहने के लिऐ, शूद्रों और अछूतों को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करने के लिए और निर्दोष शूद्रों और अछूतों को कठोर दण्ड से छुटकारा दिलाने के लिए आपकी देवी ने कभी कोई संघर्ष किया?

ब्राह्मण – नहीं भंते.

श्रमण – हे ब्राह्मण ! सभी भारतीयों में परस्पर रोटी-बेटी के सम्बंध बनाने के लिए आपकी देवी ने कभी कोई संघर्ष किया?

ब्राह्मण – नहीं भंते.

श्रमण – हे ब्राह्मण ! आजादी से पूर्व आपकी देवी माँ का राज्य था और आप लोग अपनी देवी माँ के राज्य में भीख और पाखण्ड से अपना पेट पालन करते थे. देश की आजादी के बाद आपका उद्धार देवी माँ ने किया या बाबा साहेब अम्बेडकर ने?

ब्राह्मण – हे भंते ! आपने सत्य कहा है, देश की आजादी से पूर्व हमारे पुरखे भीख और पाखण्ड से ही पेट भरते थे. बाबा साहेब ने ही हमें भिखारी से राजा बनाया है.

श्रमण – हे ब्राह्मण ! आपको झांकी बाबा साहेब की लगानी चाहिए या आपसे भीख मंगवाने वाली देवी की?

ब्राह्मण – हे भंते ! बाबा साहेब अम्बेडकर की लगानी चाहिए.

श्रमण – हे ब्राह्मण ! देवी की झांकी के लिए आपको और भारतीय शूद्रों को चंदा देना चाहिए?

ब्राह्मण – हे भंते ! नहीं देना चाहिये.

श्रमण – हे ब्राह्मण ! आपका धन्य हो.

ब्राह्मण – हे भंते ! आपने मुझे अंधकार से उबार दिया, आज से ही मैं इस अंधे मार्ग को और भारतीयों को अपमानित करने वाले इस धर्म को त्यागता हूँ और आपके समता, ममता और मानवता के सम्यक मार्ग को ग्रहण करता हूँ.

श्रमण – हे बुद्धिमान ब्राह्मण ! आपका मंगल हो, कल्याण हो.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.