पिता का देहांत हुआ तो उन्हें मुबई जाना पड़ा, वो भी उस लड़की को छोड़ जिससे वो बेपनाह मुहब्बत करते थे. मां का सपना था कि बेटा फिल्मों में नाम करे. शुरू में अनचाहे मन से उन्होंने काम शुरू भी किया लेकिन बाद में यही काम उनका जुनून बन गया. आज उन्हें हम शाहरुख खान के नाम से जानते हैं. शाहरुख बाकी एक्टर्स के मुकाबले ज़मीन से ज़्यादा जुड़े लगते हैं.
यही वजह हो सकती है कि उन्होंने कामयाबी की राह में वही संघर्ष किया है जो हर उस इंसान को करना पड़ता है जिसे विरासत में कुछ नहीं मिलता. ये आदमी बसों और ट्रेनों में घूमा है. किराये के घरों में रहा है. अपनी बचपन की मुहब्बत से लड़-झगड़कर शादी करता है. कई बार बहुत गुस्सा आया तो ज़ाहिर कर दिया लेकिन एहसास होने के बाद माफी भी मांग ली. ना जाने कितनी ही बार अपने डर को सबके सामने साझा किया और ना जाने कितनी बार अपनी मनचाही फिल्में करके मुंह की खाना मंजूर किया. उसने अपने मनपसंद घर को खरीदने के लिए मसाला फिल्में भी कर लीं. वो फिल्म इंडस्ट्री में तब आया जब पिरामिड पर कई लोग बैठे थे.
उन्होंने धीरे से अपनी जगह बना ली. मैंने देखा कि उन्हें हिंदू दक्षिणपंथियों ने गद्दार बताया तो कठमुल्लों ने मुसलमान मानने से इनकार भी किया. हिंदी, उर्दू, अंग्रेज़ी में गज़ब की साफ ज़ुबान. ह्यूमर में कोई और खान उसके पास भी नहीं भटक सकता. खुद का मज़ाक बनाने में अव्वल. 12 साल से स्लिप डिस्क के दर्द के बावजूद रोज़ ज्यादा मेहनत. शिष्टाचार और समय का पाबंद जिसके गवाह मेरे ही कई जानकार लोग हैं. शाहरुख बहुत कुछ अपने जैसे लगते हैं.. बहुत कुछ उन जैसा होने का मन चाहता है. जन्मदिन मुबारक शाहरुख. अभी तो 52 के हुए हैं… उम्र ही क्या हुई है भला..
पत्रकार नितिन ठाकुर की लेख..

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